भोपाल, जिस फ्रीक्वेंसी पर लोग रेडिया पर गाने सुनते है, अब उस फ्रीक्वेंसी पर पुलिस इंटरनेट चलाएगी। यह भी उन स्थानों पर जहां देश भी कोई भी इंटरनेट कनेक्शन देने वाली कम्पनियों का सिग्नल नहीं पहुंचता है। प्रदेश पुलिस का यह प्रस्ताव केंद्र सरकार ने मान लिया है। प्रयोग के तौर पर पहले एक थाना चुना गया है। इसके बाद ७७ और थानों पर काम शुरू हुआ। जिसमें प्रदेश के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के भी कुछ थाने शामिल हैं। इन थानों में रेडियो फ्रीक्वेंसी से इंटरनेट चलाया जाएगा, ताकि इन थानों में दर्ज होने वाले अपराधों की जानकारी सीधे पुलिस मुख्यालय तक के अफसरो को मिल जाए। यदि प्रोजेक्ट पूरी तरह से सफल रहा तो देश के एक हजार से ज्यादा थानों में रेडियो फ्रीक्वेंसी के जरिए इंटरनेट कनेक्शन दिया जाएगा। केंद्र ने प्रदेश को रेडियो फ्रीक्वेंसी पर इंटरनेट चलाने के लिए पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लिया है। प्रयोग के तौर पर प्रदेश में रायसेन जिले के नूरगंज थाने का इंटरनेट रेडिया फ्रीक्वेंसी पर चलाया जा रहा है। इसमें रेडियो फ्रीक्वेंसी को इंटरनेट सिग्नल में बदलने के लिए थाने की छत पर एक छतरी लगाई गई है। हालांकि अभी इंटरनेट की स्पीड को लेकर कुछ समस्या आ रही है। कभी स्पीड तेज रहती है तो कभी-कभी कुछ कम हो जाती है, लेकिन इंटरनेट से थाना २४ घंटे जुड़ा रहता है। सीसीटीएनएस प्रोजेक्ट के तहत प्रदेश के सभी १०५० थाने इंटरनेट से जोड़े जाने थे, लेकिन प्रदेश के ७८ थानों में कोई ना तो स्वान और ना बीएसएनएल इंटरनेट कनेक्शन दे सका। नतीजे में इन थानों में कम्प्यूटर पहुंच तो गए है, लेकिन डाटा पांच से सात दिन में ऑनलाइन होता था। वह भी तब जब थाने का कर्मचारी पेनड्राइव में थाने का डाटा लेकर जाकर दूसरे थाने से सीसीटीएनएस में अपलोड़ करता था।
रेडियो फ्रीक्वेंसी से इंटरनेट चलाएगी पुलिस
