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तो कम्फर्ट जोन से निकलकर बदल दें नौकरी
अगर आप कम्फर्ट जोन में रहने के आदी हैं तो संभल जायं। कम्फर्ट जोन का मतलब एक ही जगह एक प्रकार के काम में लगे रहना और नई तकनीक को न अपनाना है। इससे कभी भी कंपनी के कठिन समय में आप बाहर हो सकते हैं। कंपनी से बाहर किये जाने से पहले कई बार ऐसे संकेत मिलते हैं जिसे आप को समझना होता है। इसे इस प्रकार समझें।
क्या आपको लगता है कि ऑफिस में आपकी अहमियत कम हो गई है? आपकी मदद के लिए आपको जो सहयोगी दिए गए थे वो बेवजह किसी अन्य मैनेजर को ट्रांसफर कर दिए गए हैं तो आपके लिए सतर्क हो जाने का समय है। अगर बॉस का बर्ताव भी आपके प्रति सख्त हो गया तो नई नौकरी तलाशने के लिए तैयार रहें। कुछ बातें ऐसी होती हैं जिन्हें आप सुधार सकते हैं पर कई बार स्थिति आपकी पहुंच से बाहर हो जाती है। ये स्थितियां वो संकेत हैं जो इस बात का इशारा करते हैं कि आपकी नौकरी जाने वाली है। इसका पता शुरुआत में लगाना जरुरी है ताकि आप नई संभावनाएं तलाश सकें।
अगर आपको अहम बैठक में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित नहीं किया जा रहा है, या फिर महत्वपूर्ण मेल में लूप में नहीं रखा जा रहा है तो यह आपके लिए बुरे संकेत हैं। इसका मतलब है कि आपकी अहमियत अब बॉस की नजरों में कम हो गई है। उसे नहीं लगता कि बैठक में आपकी मौजूदगी से कोई फायदा या अच्छा परिणाम निकलकर आने वाला है।
अगर बॉस आपके सुझाव की अनदेखी कर रहा है, न तो आपसे नजरें मिलाता है और न ही आपको देखकर स्माइल करता है, वह आपको हर काम की जरूरत से ज्यादा निगरानी रखने लगा है, बार-बार टोकने लगा है। आपके अभिवादन का भी सही से जवाब नहीं देता है, तो समझ जाएं कि आपकी नौकरी खतरे में है।
अगर आपसे आपकी जिम्मेदारियां बेवजह छीन ली गई हो, आपके प्रोजेक्ट कम दिए गए हों तो समझ जाएं ये अच्छे संकेत नहीं है। बहुत बार ऐसा भी होता है कि जिम्मेदारियां बहुत अधिक बढ़ा दी जाती है और रिसोर्स छीनकर किसी और मैनेजर को दे दिए जाते हैं। सहयोगी न होने पर आप अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाते। इससे आपका रिव्यू खराब होता चला जाता है।
अगर आपका डिपार्टमेंट, विभाग या पूरी कंपनी लगातार अपने सेल्स या प्रोडक्शन टारगेट पूरे नहीं कर पा रही है तो याद रखें कि कभी भी आपके हाथ में पिंक स्लिप थमाई जा सकती है। ऐसी स्थिति में आप चाहे कितना ही अच्छा प्रदर्शन क्यों न कर रहे हों आपकी जॉब कभी भी जा सकती है। अगर आपने कोई ऐसा काम किया है जिसे पहले टीम के किसी सदस्य ने नहीं किया और उसके लिए तारीफ सराहना नहीं तो समझिए कि माहौल आपके विपरीत है।

कैरियर का चयन करते समय रखें इन बातों का ध्यान
जीवन में कैरियर मार्गदर्शन सबसे अहम है। इसके जरिये ही हम सही राह पकड़ पाते हैं। यह एक ऐसा महत्वपूर्ण विषय है जिसका सही चयन करना बहुत ही जरूरी है। सही कैरियर मार्गदर्शन से ही आप अपने इच्छा अनुसार कैरियर के बारे में जान सकते हैं और यह भी जान सकते हैं कि क्या वह व्यवसाय या कैरियर आपके लिए सही है या नहीं । गलत कैरियर मार्गदर्शन से आपका जीवन बर्बाद हो सकता है। किसी भी व्यक्ति के जीवन में व्यवसाय ही ऐसा चीज है जिसके माध्यम से अत्यधिक ज्ञान के साथ-साथ वह पैसे कमा सकता है और अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकता है।
आप जरूर सोचने लगेंगे कि कौनसे कैरियर या व्यवसाय से आपको ज्यादा पैसे मिलेंगे। पर लोग यह नहीं सोचते की उस कैरियर या व्यवसाय से जुड़ने को अपनाने के बाद वह कैसे उस कैरियर के माध्यम से सफल हो सकते हैं या लक्ष्य को प्राप्त कर पाएंगे ।
बहुत सारे व्यक्ति अपना कैरियर चुनने से पहले ही अहम बातों को भूल जाते हैं –
अपने आपसे पूछना कि आखिर वह कैरियर किस पक्के कारण से उसके लिए सही है ।
सबसे मुख्य बात सही करियर को चुनने समय यह है कि आप अपने करियर से कितने खुश हैं। वाही सही है जो दिल को खुशी दे। आपके लिए सही करियर का चुनाव आप और आपका ज्ञान स्वयं है। आपको वही करियर जमेगा जिसके विषय में आपको ज्ञान है और जिस क्षेत्र में आपको ज्यादा जानकारी है।
जबरदस्ती में चुने हुए करियर से कभी भी सफलता नहीं मिलती। ऐसे चुनाव से मात्र मानसिक तनाव और जीवन बर्बाद होता है क्योंकि ऐसे लोगों को ना तो उस विषय में जानकारी होती है या ना तो वह सही तरीके से उस कार्य को कर सकते हैं।
किसी भी प्रकार के मुश्किल में शिक्षित और बड़े लोगों से पूछने में न झिझकें। जितना हो सके अपने गुरुओं, परिवार के लोगों से या मित्रों की मदद लें। आपने के विषय में आप जितना ज्ञान बटोरेंगे उतना ही सफलता आपका करियर आपको प्रदान करेगा।

कारोबार शुरु करते समय इन बातों का रखें ध्यान
लॉकडाउन के बाद के इस कठिन दौर में अगर नौकरी चली जाने या किसी और कारणों से आप अपना स्वयं का कारोबार करने की योजना बना रहे हैं और चाहते हैं कि आपका काम सफल हो, तो हम आपके लिए ऐसे टिप्स लेकर आए हैं जिन्हें अपना कर आप आगे बढ़ सकते हैं। इसमें आपको अच्छा फायदा भी होगा। बिजनेस की शुरुआत करने से पहले इन नियमों का पालन करें।
सकारात्मक रहें
आपको ऐसे लोग मिल जाएंगेजो कहेंगे फलां बिजनेस में नुकसान है, कोई फायदा नहीं है। इसलिए बिजनेस में सफलता चाहते हैं तो उसे दिन-प्रतिदिन एक बड़े स्तर पर ले जाने की कोशिश करें और सकारात्मक सोचें।
दृढ़ता के साथ काम करें
अपने लक्ष्य के लिए कितने गंभीर है, ये आपके दृढ़ लक्ष्य पर निर्भर करता हैं। एक बिजनेस में लाभ और हानि दोनों हो सकती है, लेकिन इन सब के बारे में ना सोचकर आप एक दृढ़ विश्वास के साथ आगे बढ़ते रहें। ऐसे में सफलता जरुर मिलेगी।
मजबूत योजना के साथ उतरें मैदान में
कोई भी कारोबार एक योजना के बिना अधूरा है। कब क्या करना है, कैसे करना है, आप कितने पैसे कहां लगाना चाहते हैं। ये सब कुछ आप की योजना में शामिल होना आवश्यक है।
एक स्किल सेट करें
आप एक बिजनेस शुरू करने जा रहे हैं तो जरूरी नहीं है कि आप सब कुछ स्वयं कर लेंगे। जिस चीज में आपका अच्‍छा स्किल है, सिर्फ वही करें सभी कामों में हाथ ना डालें।
नये क्षेत्र में उतरें
अगर आपके पास कोई नई योजना है तो उस पर भी काम करें।
सेहत का रखें ख्याल
जितना काम जरूरी है, उससे कहीं ज्यादा जरूरी आपकी सेहत है। अगर किसी वजह से आपके कारोबार में नुकसान हो जाता है, तो उसका असर सेहत पर ना पड़ने दें। सेहत रहेगी तभी काम भी रहेगा।

पत्रकारिता संस्थानों में इस प्रकार हासिल करें प्रवेश
पत्रकारिसा में प्रवेश के लिए अलग-अलग संस्थान पैटर्न के अनुसार परीक्षा लेते हैं। कुछ इंस्टीट्यूट्स में ऑब्जेक्टिव सवाल पूछे जाते हैं तो कुछ में सब्जेक्टिव सवाल लेकिन इन इंस्टीट्यूट्स की परीक्षा में एक बात समान है कि ज्यादातर सवाल करंट अफेयर्स से आते हैं। अगर आप हिंदी से जर्नलिज्म का कोर्स करना चाहते हैं तो आपको अपनी अंग्रेजी पर भी ध्यान देने की जरूरत है। परीक्षा में अंग्रेजी अनुवाद के प्रश्न आते है। वहीं, अंग्रेजी से परीक्षा देने वालों को अंग्रेजी ग्रामर और शब्द विन्यास से सवाल पूछे जाते हैं।
यहां जानें लिखित परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण टिप्स
किसी भी टॉपिक पर लिखने के लिए शब्दों का सही चयन बहुत मायने रखता है। खासकर के पत्रकारिता में यह जिम्मेदारी होती है कि आप जो कुछ भी लिख रहे हैं वह लोगों को समझ में आए। अपनी भाषा का खास ख्याल रखें। हमेशा बोलचाल की भाषा में लिखें। जो हर तबके के लोगों को समझ आ जाएं।
आप परीक्षा में पूछे गए टॉपिक पर तभी बेहतर लिख पाएंगे जब आपको उस टॉपिक के बारे में अच्छी जानकारी हो। इस एंट्रेस परीक्षा में आप जो भी लिखेंगे उस पुख्ता तथ्य होना चाहिए। इसलिए एंट्रेंस परीक्षा की तैयारी करते समय आप कम से कम तीन-चार समाचार पत्र और न्यूज वेबसाइट जरूर पढ़ें।
न्यूज चैनल पर चलने वाले डिबेट में दिलचस्पी लें और उसे जरूर सुनें।
अगर आप इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में जाना चाहते हैं तो अपने बोलने की शैली और बॉडी लैंग्वेज पर ध्यान दें।
करंट विषयों पर सपाट लेखन न करें। आपके अंदर किसी भी न्यूज का विश्लेषण करने की क्षमता होनी चाहिए।
इंटरव्यू क्रैक करने के टिप्स
लिखित परीक्षा में पास होने के बाद इंटरव्यू पास करने की चुनौती आती है। ज्यादातर संस्थानों में इंटरव्यू के मार्क्स कुल अंकों के 15 फीसदी होते हैं। यानी अगर आपने इसमें अच्छा कर लिया तो आपका पत्रकार बनने का सपना पूरा हो सकता है।
आप जिस राज्य, जिले से आते हैं उसके बारे में आपको पूरी जानकारी होनी चाहिए क्योंकि इंटरव्यू में ज्यादातर सवाल आप से जुड़े हुए ही पूछे जाते हैं। पत्रकारिता की परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स से यह आशा की जाती है कि उसे अपनी जगह के बारे में हर-छोटी बड़ी चीज पता होगी।
इंटरव्यू देते समय घबराएं नहीं. अगर आपको किसी सवाल का जवाब नहीं आ रहा हो तो सीधे यह कह दें कि आपको इसकी जानकारी नहीं है पर गलत उत्तर ना दें।
आपने जिस भी विषय से ग्रेजुएशन किया है उससे संबंधित सवाल भी आपसे पूछे जा सकते हैं। इसलिए उन पर भी काम करके जाएं।

लोकलाइजेशन में करियर
कामकाज में इंटरनेट के बढ़ते उपयोग से आज लोकलाइजेशन में करियर की संभावनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। लोकलाइजेशन वह क्षेत्र है जिसके तहत विदेशी बाजारों से संपर्क स्थापित करने और बाजारों में खुद को स्थापित करने के लिए बड़ी-बड़ी कंपनियां अपने कंटेट को स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध करा रही है। गूगल, एमेजॉन और नेटफ्लिक्स सहित सभी बड़ी-बड़ी कंपनियों का वैश्विक स्तर पर तेजी से विस्तार हो रहा है। ऐसे में रोजगार के लिहाज से युवाओं के लिए लोकलाइजेशन एक उभरता हुआ क्षेत्र है।
लोकलाइजेशन के लिए इन कंपनियों को भाषा विशेषज्ञों की जरूरत पड़ती है। यही नहीं, वैश्वीकरण के इस दौर में आप किसी दूसरे देश की भाषा सीखकर भी अन्य देशों में जाकर नौकरी कर सकते हैं या भारतीय भाषाओं में पारंगत होकर विदेश जा सकते हैं हालांकि, अधिकतर कंपनियां यह काम किसी एजेंसी के माध्यम से करा रही है और एजेंसी इसके लिए अनुवादकों, प्रूफ रीडिंग करने वालों और रिव्यूयर की भर्ती करती है।
इसी वजह से अंग्रेज़ी के साथ-साथ किसी देशी भाषाओं में पकड़ रखने वाले अनुवादकों की मांग में काफी तेजी आई है और इस क्षेत्र में नौकरी के कई बेहतर विकल्प मौजूद हैं। लोकलाइजेशन के क्षेत्र में बेहतर नौकरी के साथ-साथ सैलरी पैकेज (वेतन) भी काफी अच्छा है। इस रचनात्मक क्षेत्र में करियर बनाने की इच्छा रखने वाले युवाओं के लिए ट्रांसलेटर या रिव्यूयर बनना एक बेहतर करियर विकल्प साबित हो सकता है।
लोकलाइजेशन के जानकारों का कहना है कि इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए कम से कम दो भाषाओं (सोर्स लैंग्वेज ऐंड टारगेट लैंग्वेज) पर कमांड होना चाहिए। सोर्स लैंग्वेज वह होता है जिसका आपको ट्रांसलेशन करना होता है। वहीं, टारगेट लैंग्वेज का मतलब वह भाषा है जिसमें आप अनुवाद करते हैं।
साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि अनुवादक को स्पीड, एक्यूरेसी और क्वालिटी के साथ-साथ टारगेट ऑडिएंस को ध्यान में रखकर अनुवाद करना होता है। उन्होंने कहा कि लोकलाइजेशन के लिए अंग्रेजी-हिंदी का ज्ञान ही नहीं, बल्कि देशी भाषाओं का ज्ञान भी अहम है। मराठी, बांग्ला, पंजाबी, मलयालम, तमिल जैसी कई भाषाओं का ज्ञान भी आपके करियर के लिए बेहतर हो सकता है।
इसमें अनुवाद करते समय शब्दों के विकल्पों में से सटीक शब्दों का चयन करना होता है और यह तभी संभव है जब भाषा और विषय वस्तु पर अच्छी पकड़ हो। इसके लिए व्याकरण और शब्दावली का भी ध्यान रखना होता है। जिस कंपनी के लिए लोकलाइजेशन कर रहे हों उसके प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल या उसके बारे में रिसर्च करने से काफी मदद मिल सकती है।
अनुवाद करना एक रचनात्मक प्रक्रिया है और इसमें पारंगत होने के लिए अभ्यास की जरूरत होती है। इसके तहत आप सिर्फ शब्द का नहीं, बल्कि भावानुवाद भी करते हैं और ऐसे में तब ज्यादा परेशानों का सामना करना पड़ता है, जब आपको दूसरी भाषा के मुहावरे और टोन का पता नहीं होता है।
आप अगर लोकलाइजेशन क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं तो आपके पास फुल टाइम और पार्ट टाइम नौकरी करने का विकल्प भी होगा। जो इच्छुक लोग इस क्षेत्र में घर बैठे काम करना चाहते हैं उनके लिए फ्रीलांस अनुवाद एक बेहतर विकल्प है और इसमें आप दिन में कुछ घंटे निकालने के साथ अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं।

कोर्स-यूनिवर्सिटी का चयन करते समय रखें इन बातों का ध्यान
बोर्ड परीक्षाओं के बाद कोर्स का चयन कैसे करें यह सवाल छात्रों के सामने आता है जो बेहद अहम भी है। किसी भी कोर्स का चुनाव करने से पहले कई बातों का ध्यान रखना होगा। अगर आपको भी कॉलेज या किसी विषय को लेकर कोई फैसला लेना है तो इन बातों का जरूर ख्याल रखें।
जानकारों से सलाह लें- किसी भी क्षेत्र में अपने करियर बनाने से पहले उस क्षेत्र से जुड़े जानकारों से बात करें। पहले तो आप अपनी रुचि के हिसाब से कॉलेज, कोर्स चुनने के लिए सलाहकार से बात करें और उसके बाद करियर का चुनाव करें। अगर आपने किसी कोर्स या कॉलेज के लिए विकल्प देख लिए हैं तो आप उस क्षेत्र के सीनियर व्यक्ति से बात करें और उस क्षेत्र के भविष्य की संभावनाओं के बारे में जान लें।
स्थान की बजाय करियर के बारे में सोचें- कई बड़ी कॉर्पोरेट कंपनियां बड़े शहरों में होती है और उनमें काम करने के लिए उन्हीं शहरों में रहना होता है। अगर आप भी ऐसे क्षेत्र में हैं, जहां आपको किसी दूसरे शहर में विकल्प मिलते हैं तो शहर के बारे में ना सोचें। साथ ही करियर बनाने के लिए जगह परिवर्तन कर लें।
संपर्क बनाएं- अगर आपने पढ़ाई शुरू कर दी है या पढ़ाई शुरू करने वाले हैं तो अपने क्षेत्र में काम कर रहे लोगों के संपर्क में रहें। यह संपर्क आपकी आने वाले वक्त में मदद कर सकते हैं और आपको इससे काफी बारीकियां सीखने को मिलती है।
प्रभाव में ना आएं- जब करियर चुनने की बात आती है तब फ्रेंड्स, रिलेटिव्स, और पेरेंट्स किसी खास करियर विकल्प चुनने के लिए प्रेरित करने लगते हैं। इसके पीछे लोगों के अलग अलग तर्क होते हैं। आप इन लोगों की बातों पर ध्यान देने के बजाय अपनी रुचि का ध्यान रखें और किसी जानकार से बात करें। इसलिए, जब आप करियर विकल्प चुन रहे हों तो किसी के सुझावों के प्रभाव में न आएं। बल्कि, अपनी योग्यता, क्षमता, इंटरेस्ट और नॉलेज के अनुसार करियर विकल्प चुनें।
भविष्य का ध्यान रखें- अगर आप किसी ऐसे करियर विकल्प को चुनते हैं जिसका भविष्य नहीं है, तो आपको दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए, उपयुक्त करियर विकल्प के महत्वपूर्ण पहलुओं का ध्यान रखें।

ऐसे बनाइये करियर को बेहतर
लॉकडाउन के बाद आये इस कठिन दौर में करियर को लेकर लंबी अवधि का नजरिया रखना जरूरी है और इस रास्ते में आपको छोटी अवधि के कई लक्ष्य बनाकर उसे पूरा करते रहने की जरूरत है। पिछले एक दशक में रोजगार के क्षेत्र में बहुत बड़े बदलाव हुए हैं। अर्थव्यवस्था की कमजोरी के दौर में नौकरियों में भी अनिश्चितता हावी हो गयी है। ऐसे में इस चुनौतीपूर्ण समय में करियर प्लानिंग पर बहुत महत्व दिया जा रहा है और अब यह बहुत जरूरी हो गया है। इस समय सबसे अधिक दवाब यह है कि किसी व्यक्ति का रोल आने वाले दिनों में सीमित किया जा सकता है। आज जो कुशलता आपके पास है, तक़रीबन हर रोज बदलते माहौल में वह तीन से पांच साल बाद प्रासंगिक नहीं रह जाएगी। करियर प्लानिंग में सबसे महत्वपूर्ण यह है कि आप जॉब मार्केट से हिसाब से ना सिर्फ नयी योग्यता हासिल करें, बल्कि उसे लगातार अपग्रेड करते रहें जिससे कि आप बाजार के लिए
उपयोगी बने रहें।
करियर प्लान करते समय इन बातों का ध्यान रखें
मौजूदा जॉब प्रोफाइल का आंकलन करें
करियर गोल सेट करने के लिए जरूरी है कि आप मौजूदा जॉब प्रोफाइल का आंकलन करें। जब आप किसी फाइनेंशियल प्लानर के पास जाते हैं तो वह सबसे पहले आपके वित्तीय लक्ष्य के बारे में जानना चाहता है। इसी तर्ज पर आप अपने मौजूदा रोल और उसके भविष्य पर विचार करें। आपकी कंपनी जरूर तिमाही या छमाही समीक्षा करती होगी, आप अपने लिए चुनौतियों की जल्द-जल्द समीक्षा करें।
लंबी अवधि के करियर प्लान के हिसाब से काम करें
अगर आप अगले चार-पांच साल में लीडरशिप रोल में आना चाहते हैं तो आपका उस प्रोफाइल के बारे में स्पष्ट विचार होना चाहिए। एक बार उद्देश्य चुन लेने के बाद उस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए क्या कुशलता होनी चाहिए, इसकी पहचान करें। जो व्यक्ति इस समय उस पोजीशन पर है उसका कामकाज कैसा दिखता है. क्या उसमें कोई ऐसी कुशलता है जिसे सीखना आपके लिए मुश्किल है? क्या आपके पास कोई डिग्री होनी चाहिए? क्या आपका लीडर आपको पर्याप्त कुशलता सिखा रहा है जिससे कि आप उस रोल पर अच्छे से काम कर सकें? लंबी अवधि के लक्ष्य को पाने के लिए आपको कई विकल्पों में काम करना आना चाहिए। लंबी अवधि के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए आपको छोटे-छोटे लक्ष्य को पूरा करने की जरूरत है।
सीखें और कुशलता बढ़ाएं
जॉब मार्केट की अस्थिरता और वर्क प्लेस की लगातार बदलती परिस्थितियों के हिसाब से नई तकनीक सीखना करियर प्लानिंग का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। अब करियर में जीवन भर आपको कुछ ना कुछ सीखना पड़ता है। ऑनलाइन एजुकेशन की मदद से आप यह काम बहुत आसानी से कर सकते हैं। अगर आप हफ्ते पांच-छह घंटे का समय निकालकर आपने काम के हिसाब से आधुनिक कुशलता सीख सकें तो आप अपनी जॉब जाने के जोखिम को बहुत आसानी से पीछे छोड़ सकते हैं।आसानी से नई चीजें सीखने की आपकी क्षमता भी आपको जॉब मार्केट में बनाये रखने में मददगार साबित होती है। अनुभव लें जब आप नई कुशलता सीखते हैं तो उन्हें लागू करने के मौके तलाशें. अपने संस्थान में भावी प्रोजेक्ट में काम करने की संभावना तलाशें और उसमें अपनी कुशलता का प्रयोग करें।
विकल्प रखें
अगर आपका संस्थान मेंटरिंग पाने के मौके दे रहा है तो यह सबसे अच्छा विकल्प है। आप इसकी मदद से अपने करियर की गाडी की रफ़्तार तेज कर सकते हैं। वहीं करियर के लक्ष्य पूरा नहीं होने की स्थिति में विकल्प भी तैयार रखें। इससे आपको योजना बनाने में आसानी होने के साथ ही अचानक लगने वाले झटके भी नहीं लगेंगे।

फैशन कम्युनिकेशन में आजमाएं भाग्य
तेजी से बदलते फैशन के इस दौर में फैशन कम्युनिकेशन के क्षेत्र में भी अच्छी संभावनाएं हैं। एक फैशन कम्युनिकेशन एक्सपर्ट का काम अपने क्लाइंट या कंपनी की एक बेहतरीन छवि बनाता है। साथ ही वह अपने क्लाइंट के उत्पाद को टार्गेट कस्टमर्स तक सर्वोत्तम तरीके से पहुंचाता है। इतना ही नहीं, वह ब्रांड के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रचार के तरीकों पर भी नजर रखता है।
जब भी फैशन इंडस्टी की बात होती है तो लोग फैशन डिजाइनर या मॉडल बनने की ही चाहत रखते हैं। लेकिन यह एक ऐसी इंडस्टी है, जिसमें पिछले काफी सालों में बदलाव आया है और इसी कारण अब इस क्षेत्र में करियर की नई संभावनाओं ने जन्म दिया है। फैशन इंडस्टी में एक ऐसा ही करियर है फैशन कम्युनिकेशन है। यह तेजी से उभरता क्षेत्र है और अब युवाओं का आकर्षण इस ओर बढ़ने लगा है।
संभावनाएं
फैशन कम्युनिकेशन का कोर्स करने के बाद आप फैशन डिजाइनर, ग्राफिक डिजाइनर, फैशन पत्रकार, प्रोफेसर, डिजाइन सहायक, फैशन सहायक, फैशन मार्केिटंग मैनेजर, फैशन एडिटर, फैशन फोटोग्राफर, कला निर्देश आदि भूमिकाएं अदा कर सकते हैं। इस कोर्स को करने के बाद कई इंडियन व इंटरनेशनल ब्रांड के साथ जुड़कर काम कर सकते हैं।
योग्यात
इसके लिए डिप्लोमा या बैचलर डिग्री की जरुरत रहती है। इसके बाद आप फैशन कम्युनिकेशन में ही मास्टर और डॉक्टरेट भी कर सकते हैं।
आमदनी
इस क्षेत्र में आमदनी आपके काम पर निर्भर करती है और अनुभव के साथ आमदनी भी बढ़ती है। वैसे शुरूआती दौर में आप सालाना 2 से 3 लाख रूपए आसानी से कमा सकते हैं।
क्या होता है काम
एक फैशन कम्युनिकेशन एक्सपर्ट को कई काम करने होते हैं। वह अपने क्लाइंट या कंपनी की एक बेहतरीन छवि बनाता है। साथ ही वह अपने क्लाइंट के उत्पाद को टार्गेट कस्टमर्स तक सर्वोत्तम तरीके से पहुंचाता है। इतना ही नहीं, वह ब्रांड के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रचार के तरीकों पर भी नजर रखता है। अपने क्लाइंट व बिजनेस हाउस की तरफ से मीडिया के साथ कम्युनिकेट व डील करते हैं। एक फैशन कम्युनिकेशन एक्सपर्ट डिजाइन लेआउट, वेब पेज और मल्टीमीडिया डिजाइन डेवलप करता है।
स्किल्स
इस क्षेत्र में आपकी मार्केटिंग स्टेटजी अच्छी होनी चाहिए। साथ ही आपमें कम्युनिकेशन व नेटवर्किंग स्किल्स भी बेहतरीन होने चाहिए, इसके बिना आपको अपने क्षेत्र में कठिन संघर्ष करना पड़ सकता है। वहीं इस क्षेत्र में डेडलाइन पर काम करना होता है, इसलिए आपको कई−कई घंटे लगातार काम करना पड़ता है। इसलिए अगर आपमें धैर्य व कठिन परिश्रम करने की क्षमता नहीं है तो आप इस क्षेत्र में नहीं टिक पाएंगे। इसके अतिरिक्त आपकी मौखिक व लिखित दोनों ही रूपों में अलग−अलग भाषा पर पकड़ अच्छी होनी चाहिए।
प्रमुख संस्थान
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, विभिन्न केन्द्र
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन, गुजरात
सिम्बायोसिस इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन, पुणे
इंस्टीट्यूट ऑफ अपैरल मैनेजमेंट, गुरूग्राम
जेडी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, नई दिल्ली

इन क्षेत्रों में हैं अच्छे अवसर
निजी क्षेत्र में आजकल सेल्स, ब्रैंड मैनेजमेंट या मार्केट रिसर्च में काफी संभावनाएं हैं हालांकि इसके लिए आपकी कम्यूनिकेशन स्किल्स (संवाद शैली) काफी बेहतर होनी चाहिए। मैनेजमेंट के क्षेत्र में ये विकल्प मौजूद हैं
ऑपरेशंस मैनेजमेंट
अगर आप विपरीत परिस्थितियों को आसानी से हैंडल कर लेते हैं और तकनीक में आपकी रुचि है, तो आप यह स्पेशलाइजेशन कर सकते हैं। यह क्वॉलिटी कंट्रोल और प्रॉडक्टिविटी इंप्रूवमेंट में अहम भूमिका निभाता है।
फाइनैंस
ये लोग बैक एंड पर काम करते हैं और इंवेस्टमेंट बैंकिंग, मर्चेंट बैंकिंग, कॉरपोरेट फाइनेंस वगैरह की रीढ़ की हड्डी होते हैं।
सिस्टम मैनेजमेंट
यह स्पेशलाइजेशन आईटी से ताल्लुक रखता है और अच्छी टेक्निकल व बिजनेस समझ रखने वालों के लिए यह बेहतर रहता है। इसके बाद आपको सिस्टम कंसल्टेंसी, अकाउंट या प्रॉजेक्ट मैनेजमेंट वगैरह में प्लेसमेंट मिल सकता है।
ह्यूमन रिसॉर्स मैनेजमेंट
इसमें काम करने वाले लोगों पर पूरे ऑफिस के लोगों का मैनेजमेंट होता है। इसके लिए आपके पास अच्छा व्यक्तित्व, अच्छी तरह बात करने की क्षमता और रिश्ते बनाने की कला का होना बेहद जरूरी है।
स्पेशलाइज्ड एमबीए
कुछ इंस्टिट्यूस प्लेसमेंट्स को ध्यान में रखकर कोर्स ऑफर कर रहे हैं, जिनमें रूरल मैनेजमेंट, रिटेल मैनेजमेंट, टेलिकॉम मैनेजमेंट, इंश्योरेंस मैनेजमेंट, फॉरिन ट्रेड हैं। इस तरह के हैं कोर्स में एमबीए में दो साल की डिग्री के अलावा, एक साल का फुल टाइम प्रोग्राम, पार्ट टाइम एमबीए, डिस्टेंस लर्निंग एमबीए जैसे विकल्प हैं हालांकि हर विषय की अपनी-अपनी खूबी और खामियां हैं।

कैंपस प्लेसमेंट के लिए योजना बनाकर तैयारी करें
कैंपस प्लेसमेंट करीब आते ही छात्र तनाव में आ जाते हैं। इस दौरान उनके दिमाग में कई सवाल दौड़ रहे होते हैं। जैसे कौन सी कंपनी आएगी या किस प्रकार के सवाल साक्षात्कार में पूछे जाएंगे। इसके अलावा पैकेज क्या होगा और किस प्रकार की सुविधाएं होंगी। ऐसे में अपने को साक्षात्कार के लिए अच्छी तरह तैयार करें।
बॉयोडेटा ठीक से तैयार करें-
आपका बॉयोडेटा आपके बारे में काफी कुछ बताएगा। इसमें आपकी प्रमुख उपलब्धियां बोल्ड हेडिंग के साथ होनी चाहिए। आप अपनी पसंद के अलग-अलग रोल के हिसाब से अलग-अलग बॉयोडेटा भी बना सकते हैं। अपने फेसबुक और लिंक्डिन अकाउंट से भी ऐसी अनावश्यक सामग्री हटा लें जो कि जॉब मिलने में दिक्कत पैदा कर सकती है। बॉयोडेटा एक या दो पेज का ही होना चाहिए। अच्छा होगा कि एक ही पेज में हो।इसी में आपनी पेशेवर और अकादमिक योग्यता लिखें।
संस्थान और साक्षात्कार लेने वाले की जानकारी हासिल करें।
किसी भी साक्षात्कार का सामना करने से पहले उस कंपनी के बारे में जानें। साक्षात्कार के बारे में रिसर्च करें। ऐसा करने से आप उन कुछ सवालों की तैयारी कर पाएंगे जो साझात्कार के दौरान पूछे जा सकते हैं।
से गलतियों न करें-
साक्षात्कार हॉल में प्रवेश करने के बाद कुछ सामान्य गलतियां करने से बचें। साक्षात्कार लेने वाले से आई-कॉन्टेक्ट होना जरूरी है। हमेशा विनम्र और सहनशील बने रहें। साक्षात्कार लेने वाला कई बार अटपटे सवाल पूछकर धैर्य की परीक्षा लेता है।
साक्षात्कार में पेंसिल का पीछे वाला हिस्सा चबाना, नर्वस होना और कैजुरल रहना, जैसी चीजों से बचें। इसके साथ ही अति आत्मविश्वासी भी न बनें।
बॉडी लेंग्वेज और सही वेशभूषा
साक्षात्कार में खुद को पेश करना भी काफी मायने रखता है। इस बीच आपकी बॉडी लेंग्वेज बहुत कुछ कहती है। फॉर्मल ड्रेस आपको हमेशा फायदा देगी। साक्षात्कार लेने वालों से गर्मजोशी के साथ हाथ मिलाकर मिले। आपके हाथ मिलाने का अंदाज आपके जोशीले व्यक्तित्व को बताएगा। एक परिपक्व व्यक्ति की तरह पेश आएं।
जॉब के प्रति दिखाएं दिलचस्पी
साक्षात्कार के उन 5 से 10 मिनट के दौरान आपके ये साबित करना होगा कि उस जॉब में आपकी काफी दिलचस्पी है।ऐससा करने से साक्षात्कार लेने वाला शख्स इस बात को लेकर आश्वस्त हो जाएगा कि आपकी प्राथमिकताएं बहुत जल्दी बदलने वाली नहीं हैं। जॉब मिलने के बाद उसे आप बहुत जल्दी नहीं छोड़ेंगे। कंपनी अगर आपको ट्रेनिंग देकर काम सिखाएगी तो उसका समय खराब नहीं होगा।
ध्यान रहे आपको उनकी जितनी जरूरत है, उतनी ही उनको भी आपकी जरूरत है। यानी म्यूचुअल कमिटमेंट होनी भी जरूरी है।
अपने विषय पर पकड़ बनाएं लेकिन जिद्दी न बनें
आपको अपने विषय की अच्छी पकड़ होना जरूरी है। अगर है, तो अच्छी बात है, लेकिन इसके बावजूद भी हमेशा सीखने वाला रुख ही रखना चाहिए। साक्षात्कार के दौरान यह दिखाएं कि आपको नई-नई चीजें सीखने का जुनून है। अपनी फील्ड में आपको नए-नए इनोवेशन करने और उन्हें जानने की भूख है।
अगर किसी अंक पर आपके और इंटरव्यूवर के बीच मतभेद होते हैं तो आपको दृढ़ता के साथ अपने अंक पर टिके रहना चाहिए पर आप जिद्दी ना रहें।
शुरुआत और अंत के लिए तैयार रहें
साक्षात्कार के शुरुआती तीन मिनट सामने वाले के दिलोदिमाग में आपके प्रति फर्स्ट इम्प्रेशन तैयार करने के लिए काफी होते हैं। इस छोटे से वक्त में इंटरव्यू लेने वाला ये काफी हद तक तय कर लेता है कि आप जॉब के लिए फिट हैं या नहीं। इसलिए शुरुआती तीन मिनट में आप अच्छा बोलें, बॉडी लेंग्वेज पॉजिटिव रखें, आई-कॉन्टेक्ट बनाए रखें, सेन्टेंस और आइडियाज को बेहतर ढंग से शेयर करें।
चाहे आपका इंटरव्यू कितना ही खराब क्यों न हुआ हो, आखिर में थैंक्यू कहना कभी न भूलें। ऐसा कहकर आप ये दिखाएंगे कि आप उस जॉब में काफी दिलचस्पी रखते हैं।
जब पूछा जाएं कमजोरी और ताकत का सवाल?
साक्षात्कार में आमतौर पर आपकी ताकत और कमजोरी पूछ ली जाती है। ऐसी चीजों की आपके पास लंबी लिस्ट होती है जिसमें आप परफेक्ट हैं लेकिन जब बात कमजोरियां बताने की आती है तो वहां आप कंफ्यूज हो जाते हैं। सही बात तो ये है कि अपनी कमजोरियां बताने के लिए ये सही जगह नहीं। लेकिन फिर भी अगर बतानी ही पड़े, तो कुछ ऐसी कमजोरियां पहले से ही सोचकर रखें जो कि आपके लिए प्लस प्वाइंट बन जाए। ऐसी कमी बताएं जिसे पूरा करने में कंपनी का फायदा हो।
अगर आपको मिल जाए सवाल पूछने का मौका
कई बार साक्षात्कार लेने वाला आपको सवाल पूछने का मौका दे देते हैं।ऐसी स्थिति आने पर अपनी तरक्की और कंपनी आपको भविष्य में क्या देगी, इन सबके बारे में ना पूछें। आपको कंपनी के फ्यूचर प्लान्स के बारे में पूछना चाहिए। इससे उन्हें ये अहसास होगा कि आप लंबे समय तक कंपनी के साथ जुड़े रहना चाहते हैं और आपको सेलेक्ट करना कंपनी के लिए कोई घाटे का सौदा नहीं होगा। तनाव को काबू करें ज्यादातर छात्र प्लेसमेंट इंटरव्यू से बहुत तनाव में होते हैं हालांकि ये स्वाभाविक है लेकिन आपको इसे नियंत्रण में करना आना चाहिए। ऐसी स्थिति में आपको अपना बेस्ट करने पर ध्यान देना चाहिए।

विज्ञान के छात्रों के लिए हैं कई विकल्प
विज्ञान विषय से 12वीं करने के बाद अगर आप डॉक्‍टर या इंजीनियर नहीं बन पाये तो निराश न हों। कई अन्य क्षेत्र हैं जहां आप बेहतर रोजगार हासिल कर सकते हैं। विज्ञान में आपार संभावनाएं हैं। यह एक बहुत बड़ी स्‍ट्रीम हैं जिसमें एक या दो नहीं बल्कि ढेरों विकल्‍प मौजूद हैं। आज के उच्च तकनीकी युग में इन नये क्षेत्रों की मांग भी काफी ज्यादा है।
नैनो-टेक्नोलॉजी: एक रिपोर्ट के अनुसार 2018 तक नैनो टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री के 3.3 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। नैस्कॉम के मुताबिक 2015 तक इसका कारोबार 180 अरब डॉलर से बढ़कर 890 अरब डॉलर हो जाएगा। ऐसे में इस क्षेत्र में 10 लाख प्रोफेशनल्स की जरूरत होगी। 12वीं के बाद नैनो टेक्‍नोलॉजी में बीएससी या बीटेक और उसके बाद इसी विषय में एमएससी या एमटेक करके इस क्षेत्र में शानदार करियर बनाया जा सकता है।
इसके अलावा कॉस्मोलॉजी, स्टेलर साइंस, प्लैनेटरी साइंस, एस्ट्रोनॉमी जैसे कई विषयों में तीन साल की बीएससी और चार साल के बीटेक से लेकर पीएचडी तक के कोर्सेज खास तौर पर इसरो और बेंगलुरु स्थित आईआईएससी में कराए जाते हैं।
एस्ट्रो-फिजिक्स: अगर आप सितारों और गैलेक्‍सी में दिलचस्पी रखते हैं तो 12वीं के बाद एस्ट्रो-फिजिक्स में रोमांचक करियर बना सकते हैं। इसके लिए आप चाहें तो पांच साल के रिसर्च ओरिएंटेड प्रोग्राम (एमएस इन फिजिकल साइंस) और चार या तीन साल के बैचलर्स प्रोग्राम (बीएससी इन फिजिक्स) में प्रवेश् ले सकते हैं। एस्ट्रोफिजिक्स में डॉक्टरेट करने के बाद स्टूडेंट्स इसरो जैसे रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन में साइंटिस्ट बन सकते हैं।
पर्यावरण विज्ञान: इस स्ट्रीम में पर्यावरण पर इंसानी गतिविधियों से होने वाले असर का अध्ययन किया जाता है। इसके तहत इकोलॉजी, आपदा प्रबंधन, वन्य जीव प्रबंधन , प्रदूष्ण नियंत्रण जैसे विषय पढ़ाए जाते हैं। इन सभी विषयों में एनजीओ और यूएनओ के प्रोजेक्ट्स बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में जॉब की अच्छी संभावनाएं हैं।
वॉटर साइंस: यह जल की सतह से जुड़ा विज्ञान है। इसमें हाइड्रोमिटियोरोलॉजी, हाइड्रोजियोलॉजी, ड्रेनेज बेसिन मैनेजमेंट, वॉटर क्वॉलिटी मैनेजमेंट, हाइड्रोइंफॉर्मेटिक्स जैसे विषयों की पढ़ाई करनी होती है। हिमस्खलन और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं को देखते हुए इस क्षेत्र में तेजी से मांग बढ़ रही है।
माइक्रो-बायोलॉजी: माइक्रो-बायोलॉजी की फील्ड में एंट्री के लिए बीएससी इन लाइफ साइंस या बीएससी इन माइक्रो-बायोलॉजी कोर्स कर सकते हैं। इसके बाद मास्टर डिग्री और पीएचडी भी का ऑप्‍शन भी है। इसके अलावा पैरामेडिकल, मरीन बायोलॉजी, बिहेवियरल साइंस, फिशरीज साइंस जैसे कई फील्ड्स हैं, जिनमें साइंस में रुचि रखने वाले स्टूडेंट्स अच्छा करियर बना सकते हैं।
डेयरी साइंस: डेयरी प्रोडक्शन के क्षेत्र में भारत अहम देश है। भारत डेयरी प्रोडक्शन में अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है। डेयरी टेक्नोलॉजी या डेयरी साइंस के तहत मिल्क प्रोडक्शन, प्रोसेसिंग, पैकेजिंग, स्टोरेज और डिस्ट्रिब्यूशन की जानकारी दी जाती है। भारत में दूध की खपत को देखते हुए इस क्षेत्र में ट्रेंड प्रोफेशनल्स की डिमांड बढऩे लगी है। विज्ञान से 12वीं करने के बाद स्टूडेंट ऑल इंडिया बेसिस पर प्रवेश परीक्षा पास करने के बाद चार वर्षीय स्नातक डेयरी टेक्नोलॉजी के कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं। कुछ इंस्टीट्यूट डेयरी टेक्नोलॉजी में दो वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी ऑफर करते हैं।
रोबोटिक साइंस: रोबोटिक साइंस का क्षेत्र काफी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। इसका इस्तेमाल इन दिनों तकरीबन सभी क्षेत्रों में होने लगा है। जैसे-हार्ट सर्जरी, कार असेम्बलिंग, लैंडमाइंस। अगर आप इस फील्ड में आना चाहते हैं तो इस क्षेत्र से जुड़े कुछ स्पेशलाइजेशन कोर्स भी कर सकते हैं। जैसे ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, एडवांस्‍ड रोबोटिक्स सिस्टम. कम्प्यूटर साइंस से स्नातक कर चुके स्टूडेंट्स इस कोर्स के लिए योग्य माने जाते हैं। रोबोटिक में एमई की डिग्री हासिल कर चुके स्टूडेंट्स को इसरो जैसे प्रतिष्ठित संस्‍थान में रिसर्च वर्क की नौकरी मिल सकती है।

तेजी से बढ़ रहा टूर ऑपरेटर का क्षेत्र
पर्यटन का क्षेत्र आजकल तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में इस क्षेत्र में टूर ऑपरेटर के तौर पर अच्छे अवसर उपलब्ध हैं। टूर ऑपरेटर्स वे पेशेवर होते हैं, जो पर्यटकों को दर्शनीय स्थलों तक घुमाने के लिए पैकेज तैयार करते हैं। एक टूर ऑपरेटर के तौर पर यह आपको ही तय करना होता है कि आपके काम करने का दायरा कहां तक सीमित होगा। टूर ऑपरेटर के तौर पर आपको पर्यटन स्थल तक लोगों को ले जाना होता है।
टूर ऑपरेटर का काम बड़ा दिलचस्प होता है। वह आकर्षक पैकेज तैयार करता है और उन्हें ट्रैवल एजेंट्स के माध्यम से या सीधे ही लोगों तक पहुंचाता है। यह भी ध्यान रखा जाता है कि जो भी पैकेज तैयार किया जाए, वह इतना आकर्षक हो कि पर्यटक ज्यादा से ज्यादा पर्यटन स्थलों को घूम सकें और यह महंगा भी ज्यादा न पड़े। इसमें पर्यटकों की सुविधा का इस तरह ध्यान रखना पड़ता है कि उनका हर टूर यादगार बन जाए और एक टूर ऑपरेटर के तौर पर आप हमेशा के लिए उन्हें याद रह जाएं।
आजकल जिस तरह से देश-दुनिया में ट्रैवल एवं टूरिज्म का क्षेत्र बढ़ रहा है, उसे देखते हुए लगता है कि 2019 तक यह क्षेत्र रोजगार उपलब्ध कराने के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्र बन जाएगा।
योग्यता : टूर ऑपरेटर के तौर पर करियर बनाने के इच्छुक अभ्यर्थियों को यह बात पता होनी चाहिए कि केवल कोई विशेष कोर्स कर लेने भर से विशेषज्ञता हासिल नहीं हो जाती। हां, डिग्री, डिप्लोमा जैसी योग्यताएं हासिल करने के बाद इस रूप में काम जरूर किया जा सकता है। आप में बेहतर तरीके से चीजों को व्यवस्थित करने की योग्यता होनी चाहिए, घूमने-फिरने का शौक और अधिक से अधिक भाषाओं की जानकारी हो तो और बेहतर। बतौर टूर ऑपरेटर आपको खास राज्य, खास किस्म के थीम में विशेषज्ञता हासिल करनी होगी, मसलन यदि धार्मिक पर्यटन में आपकी महारत है तो बाजार में इस तरह के पर्यटन के लिए तुरंत आपका नाम लोगों के जेहन में आना चाहिए।
कोर्स : आप विभिन्न संस्थानों से डिग्री, डिप्लोमा, पीजी डिप्लोमा व सर्टिफिकेट कोर्स कर सकते हैं। इसके प्रमुख कोर्स में शामिल हैं एडवांस डिप्लोमा इन ट्रैवल एंड टूरिज्म मैनेजमेंट, बेसिक कोर्स इन एयरलाइन ट्रैवल, फेयर्स एंड टिकटिंग मैनेजमेंट, पीजी डिप्लोमा इन टूरिज्म एंड ट्रैवल मैनेजमेंट, बैचलर ऑफ ट्रैवल एंड टूरिज्म मैनेजमेंट और एयर ट्रैवल फेयर एंड टिकटिंग जैसे कोर्स प्रमुख रूप से किए जा सकते हैं।
अवसर : यहां आप सरकारी, निजी और मल्टीनेशनल कंपनियों में भी रोजगार तलाश सकते हैं। कुछ निजी कंपनियों जैसे कॉक्स एंड किंग्स, एयरलाइंस, ताज ग्रुप ऑफ होटल्स, मेक माई ट्रिप डॉट कॉम में नौकरियां हैं। इसके अलावा पर्यटन विभाग, होटल उद्योग, एयरलाइंस और ट्रैवल एजेंसियों में आपके लिए द्वार खुले हैं।
वेतन : टूर ऑपरेटर के तौर पर सबसे बेहतर बात तो यही है कि आप अपनी ट्रैवल एजेंसी शुरू करें, लेकिन आपके पास निवेश योग्य इतना धन जरूर होना चाहिए कि आप पूरे टूर ऑपरेशन को संभाल सकें। अगर ऐसा नहीं हो पाता तो सरकारी या निजी क्षेत्र में बतौर टूर ऑपरेटर काम कर सकते हैं। शुरुआती सैलरी की बात करें तो 12 हजार से 20 हजार की आमदनी हो सकती है।

लोकलाइजेशन में करियर
कामकाज में इंटरनेट के बढ़ते उपयोग से आज लोकलाइजेशन में करियर की संभावनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। लोकलाइजेशन का मतलब वह क्षेत्र है जिसके तहत विदेशी बाजारों से संपर्क स्थापित करने और बाजारों में खुद को स्थापित करने के लिए बड़ी-बड़ी कंपनियां अपने कंटेट को स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध करा रही है। गूगल, एमेजॉन और नेटफ्लिक्स सहित सभी बड़ी-बड़ी कंपनियों का वैश्विक स्तर पर तेजी से विस्तार हो रहा है। ऐसे में रोजगार के लिहाज से युवाओं के लिए लोकलाइजेशन एक उभरता हुआ क्षेत्र है।
लोकलाइजेशन के लिए इन कंपनियों को भाषा विशेषज्ञों की जरूरत पड़ती है। यही नहीं, वैश्वीकरण के इस दौर में आप किसी दूसरे देश की भाषा सीखकर भी अन्य देशों में जाकर नौकरी कर सकते हैं या भारतीय भाषाओं में पारंगत होकर विदेश जा सकते हैं हालांकि, अधिकतर कंपनियां यह काम किसी एजेंसी के माध्यम से करा रही है और एजेंसी इसके लिए अनुवादकों, प्रूफ रीडिंग करने वालों और रिव्यूयर की भर्ती करती है।
इसी वजह से अंग्रेज़ी के साथ-साथ किसी देशी भाषाओं में पकड़ रखने वाले अनुवादकों की मांग में काफी तेजी आई है और इस क्षेत्र में नौकरी के कई बेहतर विकल्प मौजूद हैं। लोकलाइजेशन के क्षेत्र में बेहतर नौकरी के साथ-साथ सैलरी पैकेज (वेतन) भी काफी अच्छा है। इस रचनात्मक क्षेत्र में करियर बनाने की इच्छा रखने वाले युवाओं के लिए ट्रांसलेटर या रिव्यूयर बनना एक बेहतर करियर विकल्प साबित हो सकता है।
लोकलाइजेशन के जानकारों का कहना है कि इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए कम से कम दो भाषाओं (सोर्स लैंग्वेज ऐंड टारगेट लैंग्वेज) पर कमांड होना चाहिए। सोर्स लैंग्वेज वह होता है जिसका आपको ट्रांसलेशन करना होता है। वहीं, टारगेट लैंग्वेज का मतलब वह भाषा है जिसमें आप अनुवाद करते हैं।
साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि अनुवादक को स्पीड, एक्यूरेसी और क्वालिटी के साथ-साथ टारगेट ऑडिएंस को ध्यान में रखकर अनुवाद करना होता है। उन्होंने कहा कि लोकलाइजेशन के लिए अंग्रेजी-हिंदी का ज्ञान ही नहीं, बल्कि देशी भाषाओं का ज्ञान भी अहम है। मराठी, बांग्ला, पंजाबी, मलयालम, तमिल जैसी कई भाषाओं का ज्ञान भी आपके करियर के लिए बेहतर हो सकता है।
इसमें अनुवाद करते समय शब्दों के विकल्पों में से सटीक शब्दों का चयन करना होता है और यह तभी संभव है जब भाषा और विषय वस्तु पर अच्छी पकड़ हो। इसके लिए व्याकरण और शब्दावली का भी ध्यान रखना होता है। जिस कंपनी के लिए लोकलाइजेशन कर रहे हों उसके प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल या उसके बारे में रिसर्च करने से काफी मदद मिल सकती है।
अनुवाद करना एक रचनात्मक प्रक्रिया है और इसमें पारंगत होने के लिए अभ्यास की जरूरत होती है। इसके तहत आप सिर्फ शब्द का नहीं, बल्कि भावानुवाद भी करते हैं और ऐसे में तब ज्यादा परेशानों का सामना करना पड़ता है, जब आपको दूसरी भाषा के मुहावरे और टोन का पता नहीं होता है।
आप अगर लोकलाइजेशन क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं तो आपके पास फुल टाइम और पार्ट टाइम नौकरी करने का विकल्प भी होगा। जो इच्छुक लोग इस क्षेत्र में घर बैठे काम करना चाहते हैं उनके लिए फ्रीलांस अनुवाद एक बेहतर विकल्प है और इसमें आप दिन में कुछ घंटे निकालने के साथ अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं।

पेस्ट्री शेफ की मांग बढ़ी
पिछले कुछ सालों में, बेकरी उत्पादों के ग्राहकों में काफी तेजी से वृद्धि देखने को मिली है। इतना ही नहीं, कुछ घरों में तो सुबह की शुरूआत ही चाय व ब्रेड के साथ होती है। ऐसे में पेस्ट्री शेफ के क्षेत्र में अच्छी संभावनाएं बढ़ रही हैं। समय के साथ अनुभवी व अपने काम में माहिर पेस्ट्री शेफ यानी रसोइएं की मांग बढ़ती ही जा रही है। शादी या पार्टियों में आज हर प्रकार के पकवानों का प्रचलन बढ़ा है। लजीज व्यंजनों के साथ साथ यदि आइसक्रीम और पेस्ट्री शामिल न हो तो पार्टी का मजा ही बिगड़ जाता है। ऐसा लगता है कि किसी चीज की कमी रह गई है। हर मौके पर व्यक्ति कुछ न कुछ मीठा खाने की चाह रखता है। शायद इसलिए जन्मदिन की पार्टी से लेकर शादी तक, मेहमानों के आने से लेकर त्योहारों तक कभी केक तो कभी पेस्ट्री आदि मंगाई जाती है।
कैसे तैयार होती हैं केक और पेस्ट्री :
एक पेस्ट्री शेफ का मुख्य काम स्वादिष्ट केक, पेस्ट्री, कुकीज और ब्रेड आदि को बेक करना होता है। होटल्स इत्यादि में उनकी खास जगह होती हैं। इतना ही नहीं, उनका काम प्रयोग कर कुछ ऐसा नया बेक करना होता है, जो दूसरों से एकदम हटकर व स्वादिष्ट हो। खासतौर से किसी भी बेकरी शॉप की पहचान उसके द्वारा खुद निकाली गई अनोखी रेसिपी से ही होती है। जिसे बनाने का काम एक पेस्ट्री शेफ का होता है।
जरूरी दक्षता :
इस क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए आपका कलात्मक होना बेहद आवश्यक है। साथ ही आपको अपने काम से प्यार भी होना चाहिए, तभी आप कुछ नया व यूनिक बनाने में सक्षम हो पाएंगे। कभी-कभी सिर्फ आपकी इजाद की हुई अलग व अनोखी पेस्ट्री भी आपके कॅरियर को एक मीठा रूख दे सकती है। इन सबके अतिरिक्त एक अच्छी प्रेजेंटेशन खाने को और भी अधिक लाजवाब बनाती है, इसलिए उसमें खाने की प्रस्तुति करने का कौशल भी हो। खाना बनाते समय सिर्फ टेस्ट पर ही ध्यान नहीं देना होता बल्कि सेफ्टी व हाइजीन भी उतना ही जरूरी है। आपके अंदर कड़ी मेहनत करने की क्षमता व लगन होना भी बेहद आवश्यक है। आपका काम सिर्फ किचन तक ही सीमित नहीं है, आपको अपनी पहचान बनाने के लिए लोगों से भी जुड़ना पड़ता है, इसलिए आपके अंदर बेहतर संवाद शैली होने के साथ-साथ अपने ग्राहक को पूर्ण रूप से संतुष्ट करने की कला भी होनी चाहिए। एक पेस्ट्री शेफ को लगातार कई घंटों किचन में खड़े होना पड़ता है, ऐसे में आपका धैर्यवान होना भी आवश्यक है। किसी भी होटल या रेस्टोरेंट में ग्राहक के आर्डर के कुछ क्षण बाद ही उसका ऑर्डर टेबल पर आ जाता है, इसलिए आपको भी अपने काम में समय का पाबंद होना चाहिए। कोशिश करें कि जो केक ग्राहक तक पहुंचे, वह ताजा व ठंडा हो। इन सबसे अलग आपको सभी प्रकार के उपकरणों व अपने काम की बारीकियों का बेहतर तरीके से ज्ञान होना चाहिए।
शैक्षणिक योग्यता :
इस क्षेत्र में कदम रखने के लिए आपको 12वीं के पश्चात् बेकिंग व कन्फेक्शनरी में डिग्री या सर्टिफिकेट कोर्स करना बेहद आवश्यक है। तभी आपको बेकिंग, आईसिंग व डेकोरेटिंग आदि की जानकारी प्राप्त हो पाएगी। वैसे इस क्षेत्र में शॉर्ट टर्म या डिप्लोमा कोर्स भी कोर्स भी मौजूद हैं। इन कोर्स की अवधि 4 से 6 महीने तक हो सकती है और इसे आप 10वीं के बाद भी आसानी से कर सकते हैं।
रोजगार के अवसर :
पेस्ट्री शेफ के लिए होटल्स, रेस्टोरेंट व कैसीनो में काम की कोई कमी नहीं है। इसके अतिरिक्त विभिन्न बेकरीज व केटरर को भी हमेशा ही अनुभवी व प्रतिभाशाली पेस्ट्री शेफ की तलाश रहती है। अगर आपको कहीं नौकरी करना पसंद नहीं है तो आप खुद की भी बेकरी शॉप खोल सकते हैं, लेकिन उसके लिए आपको व्यापार संबंधी भी थोड़ा ज्ञान होना चाहिए। अगर आपका बजट कम है तो आप घर से भी पार्टी आदि के आर्डर लेकर उन्हें पूरा कर सकती हैं। एक बेहतरीन बेकर अपने लिए विदेशों में भी काम की तलाश कर सकता है।
आमदनी का बेहतर जरिया :
इस क्षेत्र में आपकी आय इस बात पर निर्भर करती है कि आप अपने काम में कितने माहिर हैं और लोगों को आपका बेक किया हुआ केक व पेस्ट्री कितना पसंद आता है। वैसे प्रारंभ में एक बेकर को दस से पंद्रह हजार आसानी से मिल जाते हैं। वहीं अनुभव बढ़ने के साथ-साथ उनकी आय में भी वृद्धि होती जाती है। एक अनुभवी बेकर की आमदनी 50000 से 60000 रूपए प्रतिमाह तक हो सकती है। वहीं यदि आप घर पर ही बेकिंग करते हैं तो आपकी आमदनी आपको मिलने वाले आर्डर पर निर्भर करेगी।
कहां से कर सकते हैं ये कोर्स : प्रमुख संस्थान
कुक एंड बेक अकादमी, दिल्ली। इंस्टीटयूट ऑफ होटल मैनेजमेंट, फरीदाबाद, हरियाणा। इंस्टीटयूट ऑफ होटल मैनेजमेंट कैटरिंग व न्यूटिशन, नई दिल्ली। आईटीएम इंस्टीटयूट ऑफ होटल मैनेजमेंट, महाराष्ट्र।

क्रोमो थेरेपी में भी बना सकते हैं करियर
आज कल क्रोमो थेरेपी से इलाज की एक वैकल्पिक विधि सामने आई है। इसमें इलाज के लिए सौर स्पेक्ट्रम के सात रंगों बैंगनी, इंडिगो, नीले, हरे, पीले, नारंगी, लाल का उपयोग किया जाता है।
स्किल्स
अगर आप क्रोमोथेरेपी में करियर बनाना चाहते हैं तो आपमें कुछ स्किल्स होने चाहिए। सबसे पहले तो आपमें इस क्षेत्र में काम करने की रूचि होनी चाहिए। साथ ही लोगों की मदद करने का जज्बा होना चाहिए। एक बेहतर क्रोमोथेरेपिस्ट बनने के लिए आपको व्यक्ति पर प्रत्येक रंग के प्रभाव के बारे में जानकारी होनी चाहिए। आपको लोगों से जुड़कर काम करना होता है, इसलिए आपके कम्युनिकेशन स्किल्स भी उतने ही बेहतर होने चाहिए। साथ ही आपको उतना ही अच्छा श्रोता भी होना चाहिए ताकि आप अपने मरीज की समस्याओं को बेहतर तरीके से सुन व समझ सकें।
योग्यता
क्रोमोथेरेपिस्ट बनने के लिए आपके पास क्रोमोथेरेपी में डिप्लोमा या बैचलर डिग्री होनी चाहिए। इसके साथ−साथ बायोलॉजी, केमिस्टी और फिजिक्स में ज्ञान होना जरूरी है। भारत में केवल कुछ ही इंस्टीट्यूट क्रोमोथेरेपी का कोर्स कराते हैं। इन अधिकतर इंस्टीट्यूटट में पांच वर्षीय बैचलर ऑफ नेचुरोपैथी एंड योगिक साइंसेज (बीएनवाईएस) पाठ्यक्रम के जरिए क्रोमोथेरेपी के बारे में सिखाया जाता है। इस क्षेत्र में कदम रखने के लिए आपका 12वीं पास होना चाहिए। वहीं कलर थेरेपी में डिप्लोमा व बैचलर कोर्स की अवधि छह महीने से एक साल है। वहीं बैचलर सर्टिफिकेशन कोर्स दो साल का होता है।
संभावनाएं
एक क्वालिफाइड क्रोमोथेरेपिस्ट हॉस्पिटल्स से लेकर नेचुरोपैथी क्लिनकि, हेल्थ सेंटर्स में काम कर सकता है। इसके अलावा आप खुद का थेरेपी क्लिनकि भी खोल सकते हैं। वहीं आप रिसर्च वर्क से जुड़कर काम कर सकते हैं या फिर एजुकेशन में भी काम कर सकते हैं।
आमदनी
क्रोमोथेरेपिस्ट की आमदनी उनके स्किल्स और उनके अनुभव के आधार पर तय होती है। अधिकांश क्रोमोथेरेपिस्ट प्रतिघंटे के आधार पर शुल्क तय करते हैं।
प्रमुख संस्थान
इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव मेडिसिन, कोलकाता
महेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव मेडिसिन, जयपुर
31 अक्टूबर ईएमएस फीचर

कम पूंजी में शुरु करें ये कारोबार
अगर आप कारोबार करना चाहते हैं पर आपके पास बजट कम है तो आप इन छोटे कारोबारों से अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं। इसमें निवेश भी कम करना होगा और आप अच्छा पैसा भी कमा सकते हैं। अगर आप क्रिएटिव हैंतो इनमें सफल होना आसान है।
इवेंट मैनेजमैंट – आजकल इवेंट का काम बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। खास बात ये है कि इसमें आपको किसी खास डिग्री की आवश्यकता नहीं है और आप क्रिएटिव तरीके से काम करके इसमें पैसा कमा सकते हैं। इवेंट में आप वेडिंग, ऑफिशियल प्रोग्राम, पार्टी आदि की अरेजमेंट कर सकते हैं और इसमें आपको निवेश नहीं करना होता, सिर्फ इवेंट की व्यवस्था करनी होती है। आप अच्छे संपर्क बनाकर इसमें पैसे कमा सकते हैं।
ड्राइविंग स्कूल – देश में कारों की बढ़ती संख्या को देखते हुए ड्राइविंग सीखने वालों की संख्या भी बड़ी है। ऐसे में ड्राइविंग स्कूल चलाना भी एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। इस काम को करने के लिए शुरुआती तौर पर आपके पास सिर्फ एक कार होना जरूरी है। जिससे आप दूसरों को ड्राइविंग सिखा सकें।
होम बेस्ड फूड सर्विस- घर से बाहर दूसरे शहरों में रह रहे लोगों के लिए घर का खाना एक सपने जैसा होता है। इसलिए आप इन शहरों में टिफिन आदि का कारोबार करके आप कम इनवेस्ट में अधिक पैसे कमा सकते हैं। इसकी पब्लिसिटी के लिए आप सोशल मीडिया या किसी ऐप का सहारा ले सकते हैं।
ट्रांसलेटर- यह एक फ्रीलांस काम की तरह है। इस काम को आप किसी बिजनेस या नौकरी के साथ भी कर सकते हैं। आप यह भाषाओं के लिए कर सकते हैं। आजकल कई क्षेत्रीय भाषाओं के लिए भी कई लोगों की मांग है।
सोशल मीडिया कंसलटेंट- आज प्रचार करने का सबसे अच्छा साधन है सोशल मीडिया। हर कोई खुद के लिए या अपनी संस्था के लिए सोशल मीडिया का सहारा ले सकते हैं। ऐसे में आप सोशल मीडिया से संबंधित कोई कोर्स करके या इसके बारे में पढ़कर आप पैसे कमा सकते हैं। इसके लिए आपको कई लोगों के सोशल अकाउंट संभालने होंगे।

हेल्थ केयर में हैं रोजगार की कई संभावनाएं
केरियर निर्माण की दृष्टि से देश का हेल्थकेयर सेक्टर सबसे तेजी से आगे बढ़ रहा है। देश की विशाल आबादी और खासतौर से ग्रामीण क्षेत्रों में बसने वाली आबादी को देखते हुए यह कहा जा सकता है। लगभग समस्त सर्वेक्षणों में स्पष्ट कहा गया है कि आने वाले दशक में देश में निजी निवेश और कॉर्पोरेट अस्पताल संस्कृति के कारण उपलब्ध बेड और स्वास्थ्यकर्मियों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि होगी। इतना ही नहीं, अत्याधुनिक डायग्नोस्टिक उपकरणों पर भी प्राय: अस्पतालों में ज्यादा धन खर्च किया जाएगा और सुपरस्पेशियलिटी अस्पतालों का प्रचलन बढ़ेगा। इन निजी कॉर्पोरेट अस्पतालों में अपोलो, मैक्स, मेदांता ग्रुप, मेट्रो हास्पीटल आदि का विशेषतौर पर नाम लिया जा सकता है। महानगरों से आगे बढ़ते हुए इन समूहों द्वारा छोटे शहरों में अब अस्पताल खोले जा रहे हैं हालांकि सरकारी अस्पतालों का भी आधुनिकीकरण किया जा रहा है पर यह अमूमन बड़े शहरों तक ही सीमित है। इस स्थिति की असल वजह सरकार के पास धन की सीमित मात्रा का होना तथा अन्य वरीयताओं का होना दिया जा सकता है। इसके बावजूद यह भी सच है कि स्वास्थ्यकर्मियों की सबसे बड़ी फौज को रोजगार इन्हीं सरकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों अथवा सरकारी अस्पतालों में मिला हुआ है। भविष्य में इनके लिए आधुनिक चिकित्सा उपकरणों को ऑपरेट करने वाले ट्रेंड टेक्नीशियन अथवा नई बीमारियों के नियंत्रण हेतु विशिष्ट ट्रेंड चिकित्सकों की नियुक्तियां बड़े पैमाने पर होंगी, इस तथ्य से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। इन ट्रेंड चिकित्साकर्मियों में डॉक्टरों, पेरामेडिकल स्टाफ, नर्सिंग कर्मियों, लैब टेक्नीशियन, रेडियोलॉजिस्ट, फिजियोथिरेपिस्ट आदि का उल्लेख किया जा सकता है। देश में इंजीनियरिंग कॉलेजों की तुलना में फिलहाल मेडिकल कॉलेजों की संख्या बहुत कम है लेकिन आने वाले समय में इनकी संख्या में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि होने की पूरी-पूरी संभावना व्यक्त की जा सकती है। ऐसे में भविष्य में स्वास्थ क्षेत्र में बड़ी तादाद में प्रशिक्षित लोगों की जरुरत रहेगी।

आहार विशेषज्ञ की मांग बढ़ी
आधुनिक युग में डायबिटीज से लेकर मोटापा तक कई बीमारियां बढ़ी हैं जिनका संबंध खानपान से है। उसे देखते हुए लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति काफी जागरूक हो गए हैं। स्वयं को स्वस्थ रखने के लिए लोग सिर्फ शारीरिक गतिविधियों का ही सहारा नहीं लेते बल्कि वे अपने खान-पान को लेकर भी काफी सजग रहते हैं। उनके खान-पान का ध्यान रखने का काम करते हैं न्यूट्रिशनिस्ट यानी आहार विशेषज्ञ। लोगों की बढ़ती सजगता के साथ-साथ न्यूट्रिशनिस्ट की मांग भी दिनों-दिन बढ़ती जा रही है।
क्या होता है काम
एक न्यूट्रिशनिस्ट का मुख्य काम विभिन्न उम्र के लोगों के लिए डाइट प्लानिंग का काम करना है। वह उनका फूड प्लान करते समय अमुक व्यक्ति की उम्र के साथ-साथ उसकी जरूरत व बीमारियों आदि का भी ध्यान रखते हैं। उदाहरण के तौर पर, अगर किसी व्यक्ति को पतला होना है तो उसे ऐसी डाइट दी जाती है, जिसमें फैट का कंजप्शन न के बराबर हो। न्यूट्रिशनिस्ट की यही काम होता है कि वह अपने क्लाइंट के लिए ऐसा फूड प्लॉन करें जो संतुलित हो तथा उसके शारीरिक व मानसिक विकास में सहायक हो। इन सबके अतिरिक्त अगर उनके क्लाइंट को किसी प्रकार की फूड एलर्जी है तो उन्हें इस बात का भी ख्याल रखना होता है।
दक्षता विकास :
एक न्यूट्रिशनिस्ट का काम मुख्य रूप से भोजन से जुड़ा है, इसलिए उसे हर प्रकार की भोजन सामग्री की खूबियों व कमियों के बारे में जानकारी होनी चाहिए। साथ ही उसे फूड कॉम्बिनेशन की भी जानकारी होनी चाहिए। बेहतर संचार दक्षता व धैर्य उनके काम में काफी सहायक होते हैं। अपने इन्हीं गुणों के कारण वह ग्राहक को न केवल संतुष्ट करते हैं बल्कि उन्हें हर प्रकार के भोजन के फायदों के बारे में भी बताते हैं। एक न्यूट्रिशनिस्ट का खुद भी फिट होना बेहद आवश्यक है। उन्हें टीम के साथ काम करना भी आना चाहिए।
शैक्षणिक योग्यता :
डायटेटिक्स एंड न्यूट्रीशन के कोर्स ग्रेजुएशन और पास्ट ग्रेजुएशन, दोनों ही स्तरों पर उपलब्ध हैं। साथ ही इस क्षेत्र में भविष्य देख रहे छात्रों का मेडिकल बैकग्राउंड होना अनिवार्य नहीं है। अगर आपका बैकग्राउंड होमसाइंस या फूड टेक्नोलॉजी से संबंधित है तो भी आप इस क्षेत्र में अपना कॅरियर बना सकते हैं। एक न्यूट्रिशनिस्ट बनने के लिए फूड सांइस का चार वर्षीय कोर्स उपलब्ध है, लेकिन इसके लिए आपका बारहवीं में साइंस होना अनिवार्य है। अगर आप साइंस संबंधित नहीं हैं तो आप एक वर्षीय डिप्लोमा इन डाइट्रेटिक्स एंड पब्लिक हेल्थ न्यूट्रिशन कोर्स में दाखिला ले सकते हैं।
रोजगार संभावनाएं : एक न्यूट्रिशनिस्ट के लिए प्राइवेट व सरकारी दोनों ही सेक्टर में जॉब की संभावनाएं हैं। आप अस्पतालों, होटलों, हेल्थ क्लब, योगा सेंटर, स्कूल, फूड मैन्युफैक्चरिंग यूनिट, आदि जगहों में जॉब की तलाश कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त थोड़े अनुभव के पश्चात् आप स्वयं का हेल्थ सेंटर खोलकर प्रैक्टिस कर सकते हैं।
आमदनी : एक न्यूट्रिशनिस्ट यदि किसी बेहतर अस्पताल में नौकरी करता है या करती है तो उनका शुरूआती वेतन 10 हजार से 20हजार रूपए प्रतिमाह हो सकती है। वहीं, कुछ अनुभव के पश्चात् आपके वेतन में इजाफा होता है।

तेजी से बढ़ रहा कृषि क्षेत्र
अब कृषि क्षेत्र भी तेजी से आगे बढ़ रहा है और इसमें भी रोजगार की संभावनाएं बढ़ गयी हैं। इस क्षेत्र में नई तकनीक के इस्तेमाल के बाद वेतन भी तेजी से बढ़ा है। इसलिए अब यह भी पसंदीदा क्षेत्र बनकर उभरा है।
आधुनिकता के इस दौर में कृषि के प्रति युवाओं का ये लगाव किसी चमत्कार से कम नहीं है।
अगर आप भी कृषि अनुसंधान के क्षेत्र से जुड़कर कृषि वैज्ञानिक या फिर एक बेहतर किसान बनना चाहते हैं तो फिर इसके लिए आपको 12वीं की परीक्षा अच्छे अंकों से पास कर बीएससी एग्रीकल्चर या फिर बीएससी एग्रीकल्चर ऑनर्स की डिग्री हांसिल करनी होगी। यह डिग्री एग्रीकल्चर, वेटनेरी साइंस, एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग, फॉरेस्टरी, हॉर्टीकल्चर, फूड साइंस और होम साइंस में से किसी भी एक विषय में ले सकते हैं। अपनी पढ़ाई पूरी करके आप सीधे खेती और इससे संबंधित गतिविधियों से जुड़कर कृषि क्षेत्र में देश के विकास में अपना अहम योगदान दे सकते हैं।
कृषि क्षेत्र में करियर की संभावनाएं
आज भी भारत की करीब 70 फीसदी जनसंख्या जीविका के लिए पूरी तरह से कृषि पर निर्भर है। ऐसे में कृषि क्षेत्र में पढ़े लिखे किसानों की सख्त जरूरत है।कृषि क्षेत्र में आप मार्केटिंग, एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग या मैनेजमेंट के क्षेत्र में अपना सुनहरा करियर बना सकते हैं।
इसके अलावा आप नेशनेलाइज्ड बैंकों में बतौर कृषि विस्तार अधिकारी, ग्रामीण विकास अधिकारी, फील्ड ऑफिसर बनकर अपना शानदार करियर बना सकते हैं।इसके साथ ही राज्यों के विभिन्न कृषि विभागों में आपके लिए रोजगार की अपार संभावनाएं मौजूद हैं।
कृषि महाविद्यालयों में एडमिशन पाने के लिए युवाओं के बीच मची होड़ से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन युवाओं के सिर पर कृषि क्षेत्र में करियर का जुनून किस कदर सवार है।
इन संस्थानों से हांसिल कर सकते हैं डिग्री
अगर आप भी कृषि क्षेत्र में करियर तलाश रहे हैं तो इसके लिए बेहतरीन संस्थानों के बारे में जानकारी भी हासिल कर लें।
आप हैदराबाद, पुणे, ग्वालियर, इंदौर और पालमपुर स्थित कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर से कृषि के क्षेत्र में प्रशिक्षण ले सकते हैं।
कोलकाता और भुवनेश्वर के यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर से भी आप डिग्री हांसिल कर सकते हैं।
उदयपुर के राजस्थान एग्रीकल्चर युनिवर्सिटी में कृषि के क्षेत्र में प्रशिक्षण के साथ डिग्री भी पा सकते हैं।
इलाहाबाद स्थित इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट से प्रशिक्षण लेकर आप कृषि क्षेत्र में अपना करियर बना सकते हैं।
अलीगढ़ विश्वविद्यालय के सेंटर ऑफ एग्रीकल्चर में दाखिला लेकर आप कृषि क्षेत्र की बारीकियों को समझ सकते हैं।
26सितंबर ईएमएस फीचर

फैशन कम्युनिकेशन खास सम्भावना का क्षेत्र
फैशन जगत में पिछले काफी सालों में बदलाव आया है और इसी कारण अब इस क्षेत्र में करियर की नई संभावनाओं ने जन्म दिया है। फैशन जगत में एक ऐसा ही करियर है फैशन कम्युनिकेशन है। यह तेजी से उभरता क्षेत्र है और अब युवाओं का आकर्षण इस ओर बढ़ने लगा है।
क्या होता है काम
एक फैशन कम्युनिकेशन एक्सपर्ट को कई काम करने होते हैं। वह अपने क्लाइंट या कंपनी की एक बेहतरीन छवि बनाता है। साथ ही वह अपनी कंपनी के उत्पाद को टार्गेट कस्टमर्स तक सर्वोत्तम तरीके से पहुंचाता है। इतना ही नहीं, वह ब्रांड के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रचार के तरीकों पर भी नजर रखता है। अपने क्लाइंट व बिजनेस हाउस की तरफ से मीडिया के साथ कम्युनिकेट व डील करते हैं। एक फैशन कम्युनिकेशन एक्सपर्ट डिजाइन लेआउट, वेब पेज और मल्टीमीडिया डिजाइन डेवलप करता है।
बेहतर संवाद शैली की जरुरत
इस क्षेत्र में आपकी मार्केटिंग स्टेटजी अच्छी होनी चाहिए। साथ ही आपमें कम्युनिकेशन व नेटवर्किंग स्किल्स भी बेहतरीन होने चाहिए। वहीं इस क्षेत्र में डेडलाइन पर काम करना होता है, इसलिए आपको कई−कई घंटे लगातार काम करना पड़ता है। इसलिए अगर आपमें धैर्य व कठिन परिश्रम करने की क्षमता नहीं है तो आप इस क्षेत्र में नहीं टिक पाएंगे। इसके अतिरिक्त आपकी मौखिक व लिखित दोनों ही रूपों में अलग−अलग भाषा पर पकड़ अच्छी होनी चाहिए।
योग्यता
फैशन कम्युनिकेशन में भविष्य देख रहे छात्र 12वीं के बाद फैशन कम्युनिकेशन में बैचलर डिग्री प्राप्त कर सकते हैं। इसके बाद आप फैशन कम्युनिकेशन में ही मास्टर और डॉक्टरेट भी कर सकते हैं।
संभावनाएं
फैशन कम्युनिकेशन का कोर्स करने के बाद आप फैशन डिजाइनर, ग्राफिक डिजाइनर, फैशन पत्रकार, प्रोफेसर, डिजाइन सहायक, फैशन सहायक, फैशन मार्केटिंग मैनेजर, फैशन एडिटर, फैशन फोटोग्राफर, कला निर्देश आदि भूमिकाएं अदा कर सकते हैं। इस कोर्स को करने के बाद कई इंडियन व इंटरनेशनल ब्रांड के साथ जुड़कर काम कर सकते हैं।
आमदनी
इस क्षेत्र में आमदनी आपके काम पर निर्भर करती है और अनुभव के साथ आमदनी भी बढ़ती है। वैसे शुरूआती दौर में आप सालाना 2 से 3 लाख रूपए आसानी से कमा सकते हैं।
प्रमुख संस्थान
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, विभिन्न केन्द्र
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन, गुजरात
सिम्बायोसिस इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन, पुणे
इंस्टीट्यूट ऑफ अपैरल मैनेजमेंट, गुरूग्राम
जेडी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, नई दिल्ली

पेंटिंग में तलाश सकते हैं मौके
अगर आपको पेंटिंग का शौक है और आपको इसे बनाने में खुशी मिलती है तो आप इसे अपना करियर भी बना सकते हैं।
आजकल पेंटिंग के क्षेत्र में भी कई संभावनाएं हैं। एक पेंटर की आर्ट गैलरीज से लेकर पोस्टर, फिल्म व टीवी इंडस्टी में काफी मांग है। इसके अलावा अगर आप चाहें तो फ्रीलांस काम भी कर सकते हैं या फिर किसी फाइन आर्ट इंस्टीटयूट व कॉलेज में बच्चों को पढ़ा भी सकते हैं। अगर चाहें तो खुद का कोचिंग इंस्टीट्यूट भी खोल सकते हैं।
क्या होता है काम
एक पेंटर सिर्फ छोटे स्केल पर कागज पर पेंटिंग नहीं करता और न की उसका काम सिर्फ कैनवास तक सीमित है, बल्कि वह घर को रिडेकोरेट करने से लेकर ब्रिज या अन्य हैवी व बड़े प्रोजेक्ट्स पर भी अपनी कलात्मकता उकेरता है।
कल्पनाशील होना जरुरी
इस क्षेत्र में सफलता के लिए सबसे जरूरी है आपका कल्पनाशील होना। इसके अलावा आपको पेंट कलर्स, टोन्स, हाइलाइट व आर्ट के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए। आपको रंग के शेड्स व उनकी मिक्सिंग की जानकारी भी होनी चाहिए। कई बार एक पेंटर को कई बड़े प्रोजेक्ट करने होते हैं, इसलिए उसे टीम के साथ भी काम करना होता है। साथ ही आपको कई घंटों तक काम करना पड़ सकता है, इसके लिए आप को मानसिक रुप से तैयार रहना होगा। एक पेंटर सिर्फ पेंटिंग ही नहीं करता, बल्कि अपने काम को लोगों के सामने पेश भी करता है, इसलिए अपनी संवाद शैली भी अच्छी होनी जरूरी है।
एक पेंटर बनने के लिए अलग से किसी विशेष योग्यता की जरूरत नहीं होती लेकिन पेंटिंग की बारीकियों को समझने के लिए आप इस क्षेत्र में डिप्लोमा या डिग्री कोर्स जैसे बीए इन पेंटिंग, बीए पेंटिंग, स्कल्पचर, अप्लाइड आर्टस, बीएफए पेंटिंग, कोर्स आदि कर सकते हैं। इसके अलावा ग्रेजुएशन के बाद इस क्षेत्र में पोस्ट ग्रेजुएशन भी किया जा सकता है।
संभावनाएं
आर्ट गैलरीज से लेकर न्यूजपेपर, मैगजीन, पोस्टर, फिल्म व टीवी इंडस्टी में अवसर हैं इसके अलावा अगर आप चाहें तो फ्रीलांस वर्क भी कर सकते हैं या फिर किसी फाइन आर्ट इंस्टीटयूट व कॉलेज में बच्चों को पढ़ा भी सकते हैं। अगर चाहें तो अपना कोचिंग इंस्टीट्यूट भी खोल सकते हैं।
आमदनी
इस क्षेत्र में आमदनी इस बात पर निर्भर करती है कि आपका काम लोगों को कितना पसंद आता है, लेकिन फिर भी शुरूआती दौर में आप बीस हजार रुपये तक आसानी से कमा सकते हैं। वहीं कुछ सालों के अनुभव के आधार पर आपकी आमदनी काफी बढ़ सकती है।

बैकिंग क्षेत्र में जाने ऐसे होंगे सफल
युवाओं के लिए बैकिंग क्षेत्र में काम करने का आकर्षण बढ़ता जा रहा है और अब तो तकनीकी क्षेत्र से जुड़े युवा भी इस क्षेत्र में आ रहे हैं। इससे प्रतिस्पर्धा का स्तर तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में अगर आप बैंक में नौकरी चाहते हैं तो केवल कोचिंग के भरोसे न रहें। जब तक आप स्वयं अपडेट रहकर तैयारी नहीं करेंगे इस क्षेत्र में जाना आसान नहीं है।
इसका कारण यह है कि पिछले 5 वर्षों में बैंकिंग क्षेत्र में देखे गए बदलावों की व्यापकता शायद अभूतपूर्व है। बैंकों सहित अन्य संगठनों को कोर बैंकिंग से जुड़े कौशलों के अलावा डिजिटल चुस्ती-फुर्ती, डेटा साइंस/एनालिटिक्स, डिजाइन थिंकिंग, साइबर जोखिम और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी नए जमाने की क्षमताओं से लैस प्रतिभाओं की जरुरत है। विशिष्ट कौशल और विशेषज्ञता प्राप्त करने के साथ ही आपको उन बुनियादी कौशलों का महत्व हमेशा याद रखना चाहिए जो बैंकिंग नौकरी को सुरक्षित करने के लिए बहुत जरूरी हैं।
बैंकिंग कार्य के लिए जरुरी कौशल
काम के लिए तैयार होने के तहत व्यवसाय की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रभावी समाधान देने की क्षमता और ज्ञान का संयोजन आता है। आपमें कारोबारी माहौल की पूरी समझ होना और बदलते संदर्भ के बारे में लगातार सीखते और अपनाते रहना मायने रखता है। ग्राहकों के अनुरूप काम करने के लिए आपकी जिज्ञासा और उत्सुकता ही है, जो नए उत्पाद, सेवा और अभिनव तरीके ईजाद करने की दिशा में आगे ले जाती है। जिज्ञासु बनना और नई चीजों को सीखने और अनुकूल बनाने के लिए खुला रहना हमेशा काम आता है।
संचार कौशल: बैंकिंग उद्योग में संचार कौशल सफलता की कुंजी है। आपको मौखिक और लिखित संचार पर एक अच्छी पकड़ रखने की जरूरत है। चाहे यह बैंक की सेवाएं लेने की इच्छा के साथ आए ग्राहक को अटैंड करना हो या समस्याओं पर काम करना, या फिर किसी व्यापारिक चुनौती को लेकर चर्चा के लिए मीटिंग करने वाले क्लाइंट की बात हो; सही तरीके से संवाद करना बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, बैंकिंग क्षेत्र में नौकरी
के लिए अपने आपको संवारने हेतु एक अच्छा कम्युनिकेटर होना एक अहम कौशल है।
बढ़िया पारस्परिक कौशल: इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह डेस्क जॉब है या फील्ड जॉब; किसी खास लक्ष्य को हासिल करने के लिए टीम का खिलाड़ी होना मायने रखता है। किसी टीम में आपको एक टीम लीडर, एक सक्रिय श्रोता, या कोई ऐसा व्यक्ति जो पूरी टीम को किसी चुनौती के लिए प्रेरित कर सके, इस तरह की कई भूमिकाएं निभानी पड़ सकती हैं। यदि आप जानते हैं कि आप इनमें से किन कौशलों में बेहतर हैं, तो अपने साक्षात्कार के दौरान उनके बारे में बात करें। मसलन, सेल्स में नौकरी के लिए आपको बढ़िया तालमेल विकसित करने और संभावित खरीदार को राजी करने के कौशल की जरूरत होगी, या फिर, एचआर में नौकरी के लिए आपको मध्यस्थता करने या प्रेरणा देने के कौशल की आवश्यकता हो सकती है।
पहले समझना, विश्लेषण करना और फिर कदम उठाना: एक ऐसी दुनिया में जहां हर मिनट अथाह डेटा आता रहता है, वहां उपयोगी डेटा का आकलन करना, उसे तर्क की कसौटी पर कसना और उसका चयन करना मायने रखता है, यानी बिग डेटा के संसार में सही डेटा चुनना। इसके अलावा, सही डेटा के चयन के लिए आपको यह भी समझना होगा कि इसे कोई उत्पाद या समाधान बनाते हुए काम में कैसे लिया जाए, ताकि बैंक की चुनौतियां कम हो सकें। यह जनसांख्यिकी की मैपिंग जहां क्रेडिट उत्पादों की दरकार होती है से लेकर डेटा/सुरक्षा भंग की चुनौती से निपटने तक, कहीं भी हो सकता है । इसलिए:, यदि आप डेटा के साथ काम करने में सक्षम हैं और यह समझते हैं कि इसका सही इस्तेमाल कैसे किया जाए, तो आप बैंकिंग क्षेत्र की नौकरी के लिए उपयुक्त हैं।
नेतृत्व क्षमता और टीम लीडर
आपसे इन जटिलताओं के बीच आगे बढ़ने और समस्या को न्यूनतम संभव समय में हल करने तथा कुशल समाधान उपलब्ध कराने की अपेक्षा की जाती है। सीमित और आमतौर पर अधूरी जानकारियों के साथ ही विभिन्न आंतरिक/बाह्य कारकों पर निर्भरता वाले अस्पष्ट हालात में काम करने की क्षमता कोई वैसा कौशल नहीं है, जिसे महज सैद्धांतिक ज्ञान के जरिए अर्जित किया जा सके। वास्तव में, यह कौशल/क्षमता असल जीवन की समस्याओं पर काम करने और इस तरह के हर अनुभव से सीखने से मिलती है। इन सभी कौशलों का एक सकारात्मक मेल आपको बैंकिंग क्षेत्र में सही नौकरी ढूंढने के एक कदम और करीब ले जाने में मददगार होगा।

स्थानीय भाषा में अच्छे अवसर
आजकल अगर हिन्दी के साथ ही स्थानीय भाषा में भी पारंगत हैं तो आपके पास रोजगार का अच्छा अवसर है।
बड़ी−बड़ी कंपनियों को अपने कारोबार को आगे बढ़ाने के लिए स्थानीय भाषा के जानकारों की भी जरूरत पड़ रही हैं, उसके कारण स्थानीय भाषा के जानकारों के लिए रोजगार की संभावनाएं बढ़ी हैं। इस क्षेत्र में आने वाले व्यक्ति को वास्तव में अंग्रेजी या हिंदी के कंटेंट का स्थानीय भाषा में अनुवाद करना होता है। वह दिए गए कंटेंट (विषय) के भाव को समझकर स्थानीय भाषा में उसे अनुवाद करता है। यह महज अंग्रेजी से हिन्दी का अनुवाद नहीं है, बल्कि आपकी स्थानीय भाषा में अच्छी पकड़ होनी चाहिये जिससे किसी भी विज्ञापन आदि के सभी भाव उभरकर आते हैं। ।
स्किल्स
काम सिर्फ भाषा से जुड़ा है, इसलिए आपकी कम से कम दो भाषाओं पर अच्छी पकड़ होनी चाहिए। इसमें व्यक्ति सिर्फ शब्द का ही अनुवाद नहीं करता, बल्कि वह दिए गए विषय के भावार्थ को समझकर उसका अनुवाद करता है। इसलिए यह बेहद जरूरी है कि आप अनुवाद करते समय शब्दों के विकल्पों में से सटीक शब्दों का चयन करें। इस क्षेत्र में आपकी क्वालिटी के साथ−साथ स्पीड व सटीकता भी अहम होती है। इस क्षेत्र में वही व्यक्ति सफल हो सकता है, जिसमें हमेशा कुछ न कुछ पढ़ने की चाहत हो, क्योंकि आप जितना अधिक पढ़ते हैं, आपका शब्दकोश उतना ही मजबूत होता चला जाता है।
योग्यता
इस क्षेत्र में कॅरियर बनाने के लिए अलग से किसी कोर्स को करना जरूरी नहीं है। बस आपकी स्थानीय भाषा पर पकड़ अच्छी होनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं है तो आप शॉर्ट टर्म लैंग्वेज कोर्स के जरिए अपने स्किल्स को निखार सकते हैं।
संभावनाएं
इस क्षेत्र में काम की कोई कमी नहीं है। आज हर बड़ी कंपनी खुद का अधिक से अधिक विस्तार करना चाहती है, जिसके कारण स्थानीय भाषा के जानकारों की काफी जरूरत पड़ती है। आप किसी भी बड़ी कंपनी में बतौर टांसलेटर या रिव्यूयर बनकर खुद को स्थापित कर सकते हैं। अगर आपका काम अच्छा है तो कंपनी काफी अच्छा सैलरी पैकेज भी ऑफर करती है। अगर आप कहीं पर फुल टाइम जॉब नहीं करना चाहते तो आप पार्ट टाइम या घर से भी बतौर फ्रीलासंर काम कर सकते हैं।
आमदनी
इस क्षेत्र में शुरूआती वेतन दस से पंद्रह हजार के बीच रहता है धीरे−धीरे अनुभव के बाद यह बढ़ता जाता है। वहीं अगर आप बतौर फ्रीलासंर काम करते हैं तो आपकी आमदनी आपको मिलने वाले प्रोजेक्ट पर निर्भर करेगी।

इस तरह प्रयास करें मिलेगी सफलता
आत्मविश्वास की बदौलत ही इंसान सफलता हासिल करता है। अगर आप खुद पर विश्वास नहीं करते हैं, तो दूसरे लोग भी आपको संदेह की नजर से देखेंगे। ऐसे में इन तरीकों से आप अपने भीतर खोया हुआ आत्मविश्वास दोबारा जगा सकते हैं।
नकारात्मक सोच से बचें- नकारात्मक विचार हमेशा आपको आगे बढ़ने से रोकते हैं। ऐसे में खुद पर विश्वास रखने से आप चुनौतीपूर्ण काम भी आसानी से कर सकते हैं। अगर ऑफिस में काम ज्यादा है, तो काम से जी ना चुराएं, न ही काम के दबाव की वजह से ये कभी सोचें की आपसे ये मुश्किल काम नहीं हो पाएगा। सकारात्मक सोच रखें।
अपने लिए समय निकालें- जीवन में जब कभी निराश हो जाएं तो खुद के लिए थोड़ा समय निकालकर ये जरूर सोचें कि आप जीवन में आखिर पाना क्या चाहते हैं? भविष्य के लिए आपकी क्या योजनाएं हैं? भविष्य में अगर आपको नए मौके मिलते हैं तो क्या आप उसके लिए तैयार हैं। याद रखें आप तब तक खुद में आत्मविश्वास नहीं जगा सकते, जब तक आप खुद को अच्छी तरह न पहचानते हों। जब आप खुद के लिए समय निकालेंगे तब आपको पता लगेगा कि आप खुद के बारे में कितना कम जानते हैं।
चीजों को समझें- भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों को सोचने समझने के लिए बहुत कम वक्त मिलता है। जीवन में सही फैसले लेने के लिए हर चीज को अच्छी तरह समझने की कोशिश करें। ऐसा करने से आप जीवन में सही और गलत में फर्क आसानी से पता कर सकेंगे, जिससे आपके भीतर छिपे आत्मविश्वास को बढ़ावा मिलेगा।
चुनौतियां स्वीकार करें – हर व्यक्ति अपने कंफर्ट जोन में रहना चाहता है। ऐसे में अगर उसे कोई नया काम सौंप दिया जाए तो वो घबरा जाता है और उसे टालता रहता है! जीवन में आगे बढ़ने के लिए हमेशा चुनौतियां स्वीकार करें। आप जैसे ही नई चीजों को करने की शुरुआत करेंगे, आपके भीतर का छिपा आत्मविश्वास आपको ही नहीं बल्कि लोगों को भी दिखने लगेगा।
कॉफिडेंट लोगों से दोस्ती करें-अच्छे दोस्त की संगत का जीवन पर बहुत गहरा असर पड़ता है। अगर आपका कोई ऐसा दोस्त है, जो कोई भी काम करने के लिए बहाने बनाता रहता है या फिर उसके अंदर आत्मविश्वास की कमी है तो ऐसे दोस्तों से दूर रहना ही बेहतर है।

गेट के लिए आवेदन फॉर्म जारी
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, दिल्ली ने गेट एप्टिट्यूट टेस्ट इन इंजीनियरिंग 2020 के लिए एप्लीकेशन फॉर्म जारी कर दिए हैं। जिन उम्मीदवारों ने परीक्षा के लिए आवेदन करना है वह विभाग की वेबसाइट पर जाकर चेक कर सकते है। बता दें कि आईआईटी दिल्ली गेट 2020 की परीक्षा का आयोजन करता है। गेट परीक्षा एग्जाम आईआईएससी और सात आईआई टी की ओर से आयोजित कराया जाता है। इस एग्जाम को नेशनल को-ओर्डिनेशन बोर्ड (एनसीबी) के आधार पर आयोजित कराया जाता है।
फॉर्म जमा करने की अंतिम तिथि
आवेदन फॉर्म (बगैर लेट फीस के) जमा करने की आखिरी तारीख 24 सितंबर है।
ये है परीक्षा की तारीखें
गेट परीक्षा 1,2 और 8,9 फरवरी को होना तय हुआ है। ये परीक्षा दो शिफ्ट में होगी। सुबह की शिफ्ट की परीक्षा 9:30 से 12:30 तक होगा जबकि दोपहर की शिफ्ट की परीक्षा 2:30 pm से 5:30 तक होगी।
फीस डिटेल
गेट 2020 एप्लीकेशन फॉर्म की फीस 1500 रुपए है। यदि उम्मीदवार इसे 24 सितंबर के बाद जमा करते हैं तो उन्हें 2000 रुपए फीस देनी होगी। रिजर्व कैटेगिरी के उम्मीदवारों के लिए फीस 750 रुपए है, लेट फीस चार्ज के साथ उन्हें 1250 रुपए जमा करने होगे।
ये डॉक्यूमेंट्स हैं जरुरी
जन्म की तारीख
निवास प्रमाण पत्र
एलिजिबिलिटी डिग्री डिटेल्स
गेट विषय
गेट परीक्षा शहर
विकलांगता प्रमाण पत्र की स्कैन की गई कॉपी
आरक्षण प्रमाणपत्र की स्कैन की गई कॉपी
फोटो
डिग्रियों की स्कैन कॉपी
एनओसी की स्कैन की गई कॉपी
काम के अनुभव की स्कैन कॉपी
ऐसे करें आवेदन
जो उम्मीदवार परीक्षा में शामिल होना चाहते हैं वो आधिकारिक वेबसाइट गेट डॉट आईआईटीडी डॉट एसी डॉट इन पर जाकर लॉगइन कर आवेदन कर सकते हैं।

कैरियर का चुनाव करते समय रहे सतर्क
कैरियर जीवन में एक ऐसा महत्वपूर्ण विषय है जिसका सही चुनाव करना बहुत ही जरूरी है । सही कैरियर मार्गदर्शन से ही आप अपने इच्छा अनुसार कैरियर के बारे में जान सकते हैं और यह भी जान सकते हैं कि क्या वह व्यवसाय या कैरियर आपके लिए सही है या नहीं । गलत कैरियर मार्गदर्शन से आपका जीवन बर्बाद हो सकता है । किसी भी व्यक्ति के जीवन में व्यवसाय ही ऐसा चीज है जिसके माध्यम से अत्यधिक ज्ञान के साथ-साथ वह पैसे कमा सकता है और अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकता है।
जैसे ही हम आपसे ऊपर दिए गए प्रश्न पूछेंगे आप जरूर सोचने लगेंगे कि कौनसे कैरियर या व्यवसाय से आपको ज्यादा पैसे मिलेंगे । पर लोग यह नहीं सोचते की उस कैरियर या व्यवसाय से जुड़ने को अपनाने के बाद वह कैसे उस कैरियर के माध्यम से सफल हो सकते हैं या लक्ष्य को प्राप्त कर पाएंगे ।
बहुत सारे व्यक्ति अपना कैरियर चुनने से पहले निचे दिए गए 3 चीजों को भूल जाते हैं –
कोई भी कैरियर को चुनने के पश्चात होने वाली घटनाओं को ।
कैरियर से होने वाली मुश्किलें ।
अपने आपसे पूछना कि आखिर वह कैरियर किस पक्के कारण से उसके लिए सही है ।
सबसे मुख्य बात सही करियर को चुनने समय यह है कि आप अपने करियर से कितने खुश हैं। वाही सही है जो दिल को सुकून दे। आपके लिए सही करियर का चुनाव आप और आपका ज्ञान स्वयं है। आपको वही करियर जमेगा जिसके विषय में आपको ज्ञान है और जिस क्षेत्र में आपको ज्यादा जानकारी है।
जबरदस्ती में चुने हुए करियर से कभी भी सफलता नहीं मिलती। ऐसे चुनाव से मात्र मानसिक तनाव और जीवन बर्बाद होता है क्योंकि ऐसे लोगों को ना तो उस विषय में जानकारी होती है या ना तो वह सही तरीके से उस कार्य को कर सकते हैं।
किसी भी प्रकार के मुश्किल में शिक्षित और बड़े लोगों से पूछने में अपने आपको छोटा ना समझें। जितना हो सके अपने गुरुओं, परिवार के लोगों से या मित्रों की मदद लें। आपने के विषय में आप जितना ज्ञान बटोरेंगे उतना ही सफलता आपका करियर आपको प्रदान करेगा।

नौकरी तलाशने के लिए सोशल मीडिया की सहायता लें
आज के दौर में सोशल मीडिया भी नौकरी खोजने और पाने के मामले में यह अहम भूमिका निभाता है। इसकी पारंपरिकता में काफी बदलाव आया है। अब नियोव्ता लिंकेडिन, फेसबुक और ट्विटर के जरिए टैलेंट को ढूंढने लगे हैं और ऑन लाइन के जरिए बेहतर कर्मचारी भी मिलने लगे हैं। इसका कारण यह है कि युवाओं में ये सोशल नेटवर्किग साइट्स काफी लोकप्रिय हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि नेटवर्किग के जरिए जहां आप किसी के बारे में पूर्व जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, वहीं किसी के रिपुटेशन को लेकर सोशल मीडिया के जरिए जानकारी प्राप्त की जा सकती है। फेसबुक, लिंकेडिन और ट्विटर के जरिए कोई भी नियोव्ता संबद्ध व्यव्ति की एक्टिविटी और उसके व्यव्तित्व को आसानी से परख सकता है हालांकि किसी भी प्रेशर के लिए ऑन लाइन नौकरी पाना आसान नहीं है क्योंकि कॉलेज या संस्थान के छात्रों को इसके बारे में अधिक जानकारी नहीं होती है। यही कारण है कि एचआर प्रोफेशनल्स सोशल मीडिया के जरिए मध्य और वरिष्ठ स्तर पर नौकरी के योग्य लोगों की तलाश करते हैं हालांकि अधिकतर युवा फेसबुक का ज्यादा प्रयोग करते हैं, इसलिए इंट्री लेवल पर एचआर प्रोफेशनल्स फेसबुक को ही अपना जरिया बनाते हैं। वर्तमान में विभिन्न कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारी अपने यहां की वैकेंसीज भी इन्हीं साइटों पर डालने लगे हैं। इसलिए यदि आप किसी सोशल नेटवर्किग साइट्स पर अपना एकाउंट खोलने और नौकरी ढूंढने जा रहे हैं तो कुछ बातों का अवश्य ध्यान रखें।
यदि आप सोशल मीडिया में नए हैं तो इसकी मदद लेने का यह बेहतर समय है। इसकी सहायता से आप बेहतर मौके पा सकते हैं। ट्विटर, फेसबुक और लिंकेडिन पर प्रोफाइल बनाने के बाद आप अपने फील्ड के बेहतर लोगों के पास पहुंच सकते हैं। आपका प्रोफाइल आउटस्टेंडिंग होना चाहिए, जिसमें आपकी तस्वीर, आपके काम की जानकारी, पोजिशन के साथ हर मामले में छोटी-छोटी टिप्पणी हो। यदि कुछ लोगों का रिकमंडेशन हो तो उसे भी जरूर शामिल करें। यदि आप कुछ चीजों को सार्वजनिक नहीं करना चाहते हैं तो उसे भूल से भी साइट पर न डालें। उन्हीं मामलों को सार्वजनिक करें, जिस आप चाहते हैं कि भविष्य में होने वाले बॉस को उसकी जानकारी हो या फिर वर्तमान और पूर्व बॉस उस मामलों से अवगत हों। जब आप अपना प्रोफाइल बना लें तो लोगों को जोड़ते वव्त इस बात का ख्याल जरूर रखें कि वे प्रोफेशनल हैं या नहीं। आप हमेशा क्वालिटी पर ध्यान दें न कि क्वांटिटी पर क्योंकि अधिक लोगों से संपर्क होने से कोई फायदा नहीं बल्कि फायदा होता है अच्छे और काम के लोगों से ।
इस बात का ख्याल रखें कि आपक ई-मेल काम कर रहा है। यदि आप जानते हैं कि अमुक कंपनी में कोई काम कर रहा है, तो आप सोशल मीडिया के जरिए उससे जरूर जुड़ें और उसके सामने अपनी बातें जरूर रखें। यदि आप चाहते हैं कि आप इंटरव्यू आसानी से दे सकें इसके लिए आप अपने रिज्यूमे में ट्विटर, फेसबुक प्रोफाइल का भी जिक्र कर सकते हैं। इससे यह होगा कि नियोव्ता आपका प्रोफाइल ऑन लाइन चेक कर सकता है। यदि वह आपके रिज्यूमे में कुछ बेहतर बातें पाता है तो आपका रास्ता खुल सकता है। यदि आप ब्लॉग लिखते हैं तो उसका भी जिप्र जरूर करें।

जेईई मुख्य परीक्षा के लिए 30 सितंबर तक करें रजिस्ट्रेशन
आईआईटी में प्रवेश के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) मुख्य परीक्षा के लिए कार्यक्रम जारी हो गया है। नेशनल टेस्‍टिंग एंजेसी के अनुसार इसके रजिस्ट्रेशन 2 सितंबर से शुरू होंगे। इच्छुक छात्र एनटीए जेईई मेन की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करें। वहीं परीक्षा 6 से 11 जनवरी 2020 तक आयोजित कराई जाएगी, जबकि परीक्षा का रिजल्ट 31 जनवरी 2020 को जारी किया जाएगा। ये परीक्षा कंप्यूटर आधारित होगी। परीक्षा के लिए रजिस्‍ट्रेशन 30 सितंबर को बंद हो जाएगा और प्रवेश कार्ड 6 दिसंबर को उपलब्ध होंगे।
वहीं साल में दूसरी बार होने वाली परीक्षा का आयोजन 9 से 13 2019 अप्रैल के बीच होंगा। साथ ही इसके लिए ऑनलाइन रजिस्‍ट्रेशन 7 फरवरी से 7 मार्च 2020 तक चलेगा। प्रवेश पत्र 16 मार्च से डाउनलोड के लिए उपलब्ध होंगे और जेईई मेन का परिणाम 30 अप्रैल को आयेगा।
पहली बार जेईई मुख्य परीक्षा देने वाले छात्र जान लें कि वह दोनों परीक्षाओं की जगह सिर्फ एक परीक्षा में भी भाग ले सकते हैं। वे चाहे तो जनवरी या अप्रैल में होने वाली परीक्षा में भाग ले सकते हैं।
जनवरी और अप्रैल दोनों परीक्षा आयोजित करने के बाद पर्सेंटाइल स्कोर बनाने वाली अलग-अलग रैंक लिस्‍ट घोषित की जाएंगी। इसके तहत शीर्ष 2,45,000 में रैंक हासिल करने वाले उम्मीदवार जेईई एडवांस परीक्षा देने के योग्य होंगे।
विदेशी नागरिकों के लिए अनिवार्य होगी परीक्षा
वहीं ऐसे विदेशी छात्र जो, भारत में एनआईटी, आईआईआईटी और अन्य सरकारी सहायता प्राप्त इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिला चाहते हैं उनके लिए भी प्रवेश के लिए ये प्रवेश परीक्षा अनिवार्य रहेगी। यह परीक्षा साल में हर बार की तरह दो बार आयोजित की जाएगी। पहली जनवरी में और दूसरा अप्रैल में होगी।

ऑफिस में इन बातों का ध्यान रखें
आज के इस दौर में हर आदमी खुद को अपने ऑफिस में दूसरे से बेहतर साबित करने में लगा है। इसके लिए वह आए दिन कड़ी मेहनत करता है, लेकिन तमाम प्रयास के बाद भी उन्हें कई बार कामयाबी नहीं मिलती। इसकी एक मुख्य वजह आपकी कुछ छोटी-छोटी गलतियां होती हैं। अगर आप इन गलतियों पर ध्यान देंगे तो आपकी सारी मुश्किलें दूर हो सकती है।
बातों को नजरअंदाज करना सीखें
ऑफिस में आपके काम को लेकर आपकी आलोचना करने वाला हर आदमी जरूरी नहीं कि आपका शुभचिंतक ही हो। हो सकता है कि वह आपको तंग करने या आपको विचलित करने के लिए ऐसा कर रहा हो। ऐसे में यह जरूरी है कि आप ऐसे लोगों की बात को नजरअंदाज करें। इससे आपको ही फायदा होगा। आप व्यर्थ में ऐसे लोगों की बातों पर ध्यान देकर अपना ही नुकसान करेंगे।
अपनी गलती मानें
हो सकता है कि आपका बॉस आपके काम में कमियां निकालता हो। ऐसे में आपको चाहिए कि आप उनकी बातों पर ध्यान दें और यह जानने की कोशिश करें कि आखिर वह ऐसा क्यों कह रहे हैं। आपको चाहिए कि आप अपनी गलतियों को जान समझ सकें ताकि आगे से आप उसे न दोहराएं। ऐसा करने से आप ऑफिस मे किसी तनाव के काम कर पाएंगे।
आलोचना से घबराएं नहीं
कई बार आपके द्वारा किए गए हर काम की आलोचना होती है। ऐसे में आपको लगता है कि आपके लिए ऑफिस काम करने जैसा माहौल नहीं है। इस वजह से आप काफी दुखी भी होते हैं और आपका ध्यान आपके काम से हट जाता है। अपने कार्यक्षेत्र में बेहतर करने के लिए जरूरी है कि आप पहले आलोचनाओं को सहना सीखें। ऐसा करने से आप अपनी कमियों के बारे में जान पाएंगे और उसपर बेहतर तरीके से काम भी कर पाएंगे। आपकी सकारात्मक सोच आपकी मुसीबत को दूर कर सकती है।
काम में सुधार करते रहें
अगर आपसे कभी गलती हुई है तो उसे स्वीकार करना सीखें और उसे सुधारने का तरीका सोचें। गलती करना मानवीय स्वभाव है, लिहाजा आपसे भी अगर गलती हुई हो उसमें डरने या घबराने की जरूरत नहीं है। इससे भविष्य में आप बेहतर बनकर उभरेंगे।

कैट के लिए 18 सितंबर तक करें ऑनलाइन आवेदन
भारतीय प्रबंध संस्थान में प्रवेश के इच्छुक उम्मीदवार ध्यान दें। कॉमन एडमिशन टेस्ट 2019 (कैट 2019) के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू हो गयी है। उम्मीदवार आधिकारिक वेबसाइट के जरिए आवेदन कर सकते हैं। ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया की आखिरी तारीख 18 सितंबर है। परीक्षा 24 नवंबर को दो सत्र में करायी जाएगी। ये परीक्षा देश के 156 शहरों में करायी जाएगी।
इस परीक्षा में सफल उम्मीवारों को प्रबंधन कोर्स में प्रवेश मिलेगा। कैट परीक्षा के जरिए भारतीय प्रबंध संस्थान अपने पीजीपी प्रोग्राम्स की सीट भरता है। इस प्रवेश परीक्षा के आधार पर बहुत से बी-स्कूल भी प्रवेश देते हैं।
ये परीक्षा तीन घंटे की होगी। एक सत्र के लिए उम्मीदवार को 60 मिनट मिलेंगे। प्रश्न पत्र तीन सत्र में बंटा होगा। ये हैं ए- वर्बल एबिलिटी और रीडिंग कॉम्प्रेहेंशन बी- डाटा इंटरप्रेशन और लॉजिकल रीज़निंग व सी- क्वानटीएटिव एबीलिटी।
प्रवेश के लिए योग्यता
कैट देने वाले उम्मीवारों के पास बैचलर डिग्री में 50 फीसदी नंबर हो। रिजर्व कैटेगिरी के उम्मीदवारों के 45 फीसदी नंबर होने चाहिये।
आवेदन की की अंतिम तारीख- 18 सितंबर
प्रवेश पत्र डाउनलोड करने की तारीख- 23 अक्टूबर से 24 नवंबर
परीक्षा की तारीख- 24 नवंबर 2019
रिजल्ट की घोषणा- जनवरी 2020 का दूसरा हफ्ता

फिटनेस ट्रेनर की है अच्छी मांग
अगर आप उर्जावान युवा हैं तो फिटनेस ट्रेनिंग का क्षेत्र आपका इंतजार कर रहा है। सेहत के प्रति बढ़ती जागरुकता के कारण आजकल फिटनेस ट्रेनर की माँग जिम, बड़े होटल, हेल्थ क्लब, फिटनेस सेंटर, स्पा, टूरिस्ट रिसोर्ट आदि जगहों पर है। कुछ अनुभव लेकर आप स्वयं का फिटनेस सेंटर भी शुरू कर सकते हैं। यहाँ तक कि बड़ी-बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियाँ भी अपने कर्मचारियों के लिए समय-समय पर फिटनेस कार्यक्रम का आयोजन करती हैं, जहाँ फिटनेस ट्रेनर की जबर्दस्त माँग होती है।
फिटनेस इंडस्ट्री आज अपनी चरम पर है। आज भारत में फिटनेस उद्योग 2,000 करोड़ रुपए से भी अधिक पर हिस्सा रखता है। हाई टेक जिम और हेल्थ क्लब ने इसको युवाओं के बीच और अधिक प्रचलित बनाया है। कोर्स के बाद आप इसमें से किसी भी करियर का चुनाव कर सकते हैं। एथलीट ट्रेनर, डाइटिशियन, स्पोर्ट्स कोच, फिजिकल थेरेपिस्ट, कार्य का दायरा।
एक फिटनेस ट्रेनर के तौर पर आपको शारीरिक फिटनेस के साथ-साथ एरोबिक्स, फैलेक्सीबिल्टी ट्रेनिंग, बीएमआई, पोषण तथा ट्रेनिंग से जुड़े समस्त उपकरणों आदि का ज्ञान होना अनिवार्य है। इससे लोगों को सही सलाह देने में आसानी होती है। यदि आपको ये समस्त जानकारी है तो आप उनके शरीर के ढांचे और वजन को देखते हुए उनके लिए एक अच्छी डाइट निर्धारित कर सकते हैं और फिट रहने के लिए उपकरणों के सही प्रयोग के बारे में ज्ञान दे सकते हैं। एक फिटनेस ट्रेनर को मूलत: फिटनेस, न्यूट्रिशियन, वेट मैनेजमेंट, स्ट्रैस रिडियूशन, हेल्थ रिस्क मैनेजमेंट आदि जैसे विषयों पर ध्यान देना होता है। एरोबिक्स इंस्ट्रक्टर के तौर पर आप वर्कआउट सत्र में एरोबिक्स, स्टेचिंग तथा मसल्स एक्सरसाइस पर ध्यान देते हैं। खेल जगत में एथलीट का स्टेमिना बढ़ाने के लिए आप जॉगिंग, वेट लिफ्टिंग, पुशअप जैसे विशेष व्यायामों पर जोर देते हैं। यदि आप योग व नैचुरोपैथी एक्सपर्ट हैं तो व्यायाम से रोग-मुक्त रहने के गुर भी सीखाते हैं। फिटनेस ट्रेनर के रूप में आपको अच्छी बातचीत और व्यावहारिक कला भी आनी चाहिए क्योंकि आप कई प्रकार के लोगों के संपर्क में आते हैं हालाँकि कोर्स के तुरंत बाद अनुभव मिलने के साथ ही आप हाइट एंड फिटनेस सेंटर, स्पा और रिसोर्ट से जुड़कर अच्छी कमाई कर सकते हैं।

कैरियर अच्छा बनाने करें ये बदलाव
दूनियाभर में तेजी से हो रहे बदलावों को देखते हुए अब कैरियर बनाने के दौरान सब क्षेत्रों में पारंगत होना होगा। इसके साथ ही तकनीकी रुप से भी अपडेट रहना होगा। आज के बदलते परिवेश में अच्छा कैरियर हांसिल करने के लिए कई क्षेत्रों में पारंगत होना पड़ता है। योजना के तहत कार्य करने पर ही आपकों उम्मीद के अनुरुप सपफलता मिल पाएंगी। बेहतर कैरियर बनाने के लिए करें ये बदलाव
कौशल बढ़ाएं-
मौजूदा परिस्थिति में केवल डिग्रियों से ही सफलता की नहीं मिल सकती है। अपने अंदर झांककर अपनी प्रतिभा को टटोलें कि किन क्षेत्रों में आप अपनी दक्षता को विकसित कर बाजी मार सकते हैं। जो क्षेत्र आपको सर्वाधिक उपयुक्त लगे, उसमें विशेषज्ञों की सलाह लेकर अपना कौशल बढ़ाएं।
आत्मविश्वास बढ़ाए-
जीवन के कुरूक्षेत्र में आधी लड़ाई तो आत्मविश्वास द्वारा ही लड़ी जाती है। यदि योग्यता के साथ आत्मविश्वास विकसित किया जाए तो कैरियर के कुरूक्षेत्र में आपको कोई पराजित नहीं कर पाएगा। अध्ययन के साथ-साथ उन गतिविधियों में भी हिस्सा लें, जिनसे आपका आत्मविश्वास बढ़े। कार्यशालाओं और व्यक्तित्व विकास वाली संस्थाओं में यही सब तो किया जाता है।
अधिक से अधिक लोगों से मिलें –
याद रखें यह जमाना ही सूचना प्रौद्योगिकी का है। यहां जितनी जानकारी, जितनी संचनाएं आपके पास होंगी, कैरियरनिर्माण की राह उतनी ही आसान होगी। कूपमंडूकता छोड़ ज्यादा लोगों से मिलें, उन्हें अपनी जानकारी दें उनकी जानकारी लें। आपके जानने वालों का संजाल जितनी लंबा होगा सफलता उतनी ही आपके करीब होगी क्योंकी संपर्क सफलता में उत्प्रेरक की भूमिका निभाता है।
वास्तविक बने-
झूठ ज्यादा देर टिकता नहीं है। अपने बारे में सही आकलन कर वास्तविक तस्वीर पेश करें। निष्ठापूर्ण व्यवहार की सभी कद्र करते हैं। अपने काम के प्रति आपकी ईमानदारी आपको कैरियर निर्माण से सर्वोच्च स्थान दिला सकती है। भूलें नहीं कार्य ही पूजा है।
अतिमहत्वाकांक्षी ठीक नहीं
प्रत्येक इंसान में महत्वाकांक्षा का होना जितना अच्छा है, उसकी अतिमहत्वाकांक्षा उतनी ही नुकनानदायक होती है क्योंकि अति सर्वत्र वर्जयेत। किसी करिश्में की उम्मीद न करें। सभी चीजें समय पर ही मिलती हैं। पहले अनुभव प्राप्त करें, फिर आकांक्षा करें।
तकनीक के साथ साथ चलें –
पुराना भले ही सुहाना माना जाता हो, लेकिन आज की प्रतिस्पर्धा में नई तकनीक महत्व नकारा नहीं जा सकता है। किसी भी क्षेत्र में प्रवेश से पहले पूछा जाजा है, क्या कंप्यूटर चलाना आता है? कंम्प्यूटर के आधारभूत ज्ञान के बजाय थोड़ी प्रैटिक्ली दिलचस्पी दिखाएं क्योंकि यही वह अलादीन है, जो कैरियर निर्माण की हर मांग को पूरा कर सकता है।
तनावमुक्त होकर कार्य करें-
अक्सर देखा गया है कि कैरियर निर्माण की चिंता में लोग घर परिवार को भूल जाते हैं। परेशानी और तकलीफ के वक्त परिवार ही काम आता है। इसलिए परिवार को पर्याप्त समय दें। पारिवारिक अमोद-प्रमोद से कैरियर का संघर्ष आसान हो जाता है। तथा आप तनावमुक्त होकर कैरियर निर्माण की राह पर अग्रसर हो सकते हैं।
मिलकर काम करें
जो सभी के साथ मिलकर काम करना सीख लेता है वह पीछे मुड़कर नहीं देखता क्योंकि टीमवर्क के रूप में कार्य करना ही मैनेजमेंट का मूलमंत्र है।
वक्त के अनुसार बदलें-
आज कैरियर निर्माण बाजार में उपलब्ध उपभोक्ता वस्तुओं की तरह हो गया है। प्रतिस्पर्धा के बाजार में वही वस्तु टिक सकती है जिसमें समयानुसार ढलने की प्रवृति हो। कैरियर के बाजार में अपना मूल्य समझे और स्वयं को बिकाऊ बनाने का प्रयास करें। ध्यान रहे परिवर्तन ही संसार का नियम है।
नई तकनीक अपनायें
नई तकनीक की कैयिर निर्माण में हमेशा मांग रहती है। इससे पहले की कोई नई तकनीक पुरानी हो जाए आप उसके उस्ताद बन जाएं। जैसे-जैसे तकनीक आती जाए उससे तालमेल करना सीख लें। अपने ज्ञान को परिमार्जित करते रहें। भविष्य उसी का होता है, जो अपने श्रेष्ठतम तरीके से अनुकूल रूप से ढाल लेता है।

ऐसे पाएं प्राकृतिक चिकित्सा क्षेत्र में रोजगार
अगर आप भी प्राकृतिक तरीके से इलाज करने में विश्वास रखते हैं तो नेचुरोपैथी (प्राकृतिक चिकित्सा) में अपना भविष्य बना सकते हैं। यह एक ऐसी वैकल्पिक चिकित्सा है, जिसमें प्रकृति के पांच तत्वों की सहायता से व्यक्ति का इलाज किया जाता है। यह इलाज की एक बेहद पुरानी पद्धति है।
इस क्षेत्र में व्यक्ति को सामान्य चिकित्सा व मानव शरीर रचना विज्ञान के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त एक सफल नेचुरोपैथ बनने के लिए आपके भीतर धैर्य, बेहतर संवाद के साथ ही संयम होना चाहिये ताकि मरीज की जरूरतों को समझते हुए उसका मनोबल भी बढ़ा सकें। आपमें रोगियों के भीतर विश्वास पैदा करने का भी कौशल होना चाहिए।
कैसे होता है उपचार
एक प्राकृतिक चिकित्सक का मुख्य काम सिर्फ रोगी का इलाज करना ही नहीं होता, बल्कि उसके खानपान और उसके जीवनशैली में भी बदलाव लाना है, ताकि व्यक्ति जल्द से जल्द ठीक हो सके। इतना ही नहीं, उसे मनोविज्ञान का भी कुछ ज्ञान होना चाहिए ताकि वह रोगी की मानसिक हालत को समझकर उसे बेहतर उपचार दे सके।
योग्यता
इस क्षेत्र में आ रहे छात्रों का भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीवविज्ञान में कम से कम 45 प्रतिशत अंक होने चाहिए। इसके बाद आप बैचलर ऑफ नेचुरोपैथी और यौगिक साइंस कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त इसमें डिप्लोमा कोर्स भी करने के साथ ही एक नेचुरोपैथ वेलनेस सेंटर्स, न्यूटिशन सेंटर, हॉस्पिटल, हेल्थ केयर सेंटर आदि में भी अवसर तलाश सकते हैं। इसके अतिरिक्त आप एकेडमिक्स, कम्युनिटी हेल्थ सर्विस केयर, सोशल वेलफेयर, मैन्युफैक्चरिंग और नेचुरल प्रॉडक्ट्स कंपनी आदि में भी काम कर सकते हैं। भारत में प्राकृतिक चिकित्सक सरकारी और निजी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में नियुक्त किए जाते हैं। वैसे लग्जरी होटल व हेल्थ रिसॉर्ट में भी नेचुरोपैथ सर्विसेज दी जाती हैं, वहां पर भी नौकरी मिल सकती है। एक अनुभवी प्राकृतिक चिकित्सक खुद का सेंटर भी खोल सकता है।
आमदनी
एक नेचुरोपैथ यानी प्राकृतिक चिकित्सक का वेतन काफी हद तक उसकी लोकेशन, विशेषज्ञता, योग्यता और अनुभव पर निर्भर करता है। वैसे शुरूआती तौर पर एक नेचुरोपैथ दस हजार से बीस हजार रूपए आसानी से कमा सकता है। एक बार अनुभव प्राप्त करने के बाद आपको आकर्षक वेतन मिल सकता है।
प्रमुख संस्थान
इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ योगा एंड नेचुरोपैथी, नई दिल्ली।
प्रज्ञान इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी, रांची।
एसडीएम कॉलेज ऑफ नेचुरोपैथी एंड योगा सांइस, कर्नाटक।
हिमालयन यूनिवर्सिटी, ईटानगर।

आईटी क्षेत्र में कैरियर से पहले जाने ये बातें
अगर आपकी रूचि कप्यूंटर साइंस में है और आईटी सेक्टर में करियर बनाना चाहते हैं तो पहले इस क्षेत्र की कुछ बातों को जान लेना आपके लिए जरुरी रहेगा। इंफॉर्मेशन टेक्नॉलोजी आईटी इंजीनियर के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स विषयों का होना जरूरी है। इंफॉर्मेशन टेक्नॉलोजी ऐसा डिपार्टमेंट है, जहां कम्प्यूटर की नई जानकारी रखने वालों की हमेशा जरूरत रहती है। आई कंपनियों में दक्ष लोगों की मांग लगातार बढ़ रही है। आई टी में करियर बनाने के लिए कई रास्ते हैं। इनमें तीन इंजीनियरिंग के प्रमुख कोर्स है। जिसमें कम्प्यूटर साइंस, इलेक्ट्रानिक्स व कम्यूनिकेशन है। इसके आलावा सॉफ्टवेयर प्रोग्रामिंग में भी काफी संभावनाएं हैं। इसमें आगे बढ़ने के लिए आपकों अपडेट रहना होता है जिसके लिए लगातार नये कोर्स भी करने होंगे।
आईटी के अंतर्गत आने वाले बीटैक आईटी में आपको सिखाया जाता है कि बिजनेस को तैयार करने के लिए कैसे काम किया जाता है। इसकी सारी जानकरी दी जाती है। जिसमें डेटाबेस, बिजनेस, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि की जानकारी शामिल है।
अगर आप इंजीनियरिंग नहीं करते हैं, तो आप बीएससी आईटी और बीएससी कम्प्यूटर साइंस् भी कर सकते हैं। 12वीं कक्षा में पीसीएम विषय वाले कम्प्यूटर एप्लीकेशन कोर्स कर सकते हैं। 12वीं में गणित बिषय वाले बीएससी कम्पयूटर साइंस कोर्स कर सकते हैं। इसके अलावा मोबाइल एप्लीकेशन विकास में भी काफी रोजगार हैं। कई गैजेट्स वी‍डियो, मूवी प्लेयर और गेमिंग डिवाइस के रूप में आज मार्केट में आ रहे हैं। आईटी क्षेत्र फील्ड दिन-प्रतिदिन काफी तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में यहां छात्रों के लिए काफी अवसर हैं। इसमें आप प्रोग्रामर से डिजायरनर, डिवलपर और सिस्टम एनालिस्टा जैसे कार्य कर सकते हैं पर सभी के लिए आपको पारंगत होना जरुरी है।

12 वीं के बाद इन कोर्स में भी दाखिला
12वीं पास करने के बाद बहुत से छात्र ऐसे होते हैं जो किसी कारण आगे की पढ़ाई नहीं कर सकते बल्कि वे कोई पेशेवर कोर्स करने के बाद नौकरी करना चाहते हैं। ऐसे में छात्रों के लिए हम कुछ कोर्सों के बारे में सुझाव दे रहे हैं जिन्हें करने के बाद वे अच्छे खासे पैसे कमा सकते हैं। ये कोर्सेस 6 माह के सर्टिफिकेट से लेकर दो साल तक के डिप्लोमा या चार साल के डिग्री कोर्स भी हैं। आप इन्हें अपनी जरूरत के अनुसार कर सकते हैं-
एनिमेशन डिजाइनिंग
इन दोनों प्रोफेशनल कोर्सेज में ड्राइंग, डिजाइनिंग और डिजाइनिंग के सॉफ्टवेयर से जुड़ी तकनीकी जानकारी का पता होना चाहिए। इसके अलावा आप बैचलर ऑफ फाइन आर्ट की भी पढ़ाई कर सकते हैं। अगर आप क्रिएटिव हैं तो आफके लिए इससे अच्छा कोर्स नहीं है। जिन लोगों की ड्राइंग अच्छी हो या चित्रकारी में उनका हाथ सधा हो ऐसे लोगों के लिए ये कोर्स बेहतर हो सकता है। एनिमेशन और ग्राफिक डिजाइन कोर्सेज के बाद तकरीबन न्यूनतम 3 लाख से 5 लाख रुपए सालाना की सैलरी मिल सकती है। नौकरी के अलावा इस क्षेत्र में फ्री लॉसिंग से भी पैसा कमा सकते हैं।
ज्वैलरी डिजाइनर का कोर्स
ज्वैलरी का शौक और जरूरत की भारत में सैकड़ों साल पुरानी रिवाज है। यहां शादी-विवाहों से लेकर हर विशेष अवसर पर लोग फैशनेबल ज्वैलरी जरूर खरीदते हैं। फैशन के शौकीन लोग जूलरी के आकर्षक डिजाइन को तरजीह देते हैं। दुनिया में भारत का सबसे बड़ा रत्न और आभूषण बाजार है लेकिन यह उद्योग ज्यादातर असंगठित क्षेत्र में है, जहां सोने पर ज्यादा तवज्जो दी जाती है। बड़ी कंपनियों के इस सेक्टर में कदम रखने के साथ अब सोने के अलावा रत्नों और पत्थरों की लोकप्रियता भी बढ़ गई है। ज्वैलरी डिजाइनिंग कोर्स में आपको पत्थरों के विभिन्न प्रकार, कलर स्कीम, डिजाइन थीम, परजेंटेशन और फ्रेमिंग, इंडिविजुअल जूलरी पीस का डिजाइन करना, पुरुषों की जूलरी, कॉस्ट्युम जूलरी, कॉस्टिंग वगैरह के बारे में बताया जाता है।
इंटीरियर डिजाइनिंग
ये कोर्स उन छात्रों के लिए अच्छा है जो क्रिएटिव तो है हीं साथ ङी उन्हें घर सजाना अच्छा लगता है। बस इंटीरियर डिजाइनिंग में उन्हें क्लाइंट की जरूरतों के हिसाब से इंटीरियर डिजाइन करना होता है। इंटीरियर डिजाइनिंग में लोग घरों, ऑफिसों में आकर्षक लुक देने के अलावा स्पेस का बेहतर इस्तेमाल करना भी बताते हैं। इसलिए इस कोर्स को करने वालों को क्रिएटिन, कम्यूनिकेट होने के साथ-साथ इमेजिनेटिव भी होना चाहिए। इंटीरियर डिजाइनिंग में कई संस्थान डिप्लोमा कोर्स मुहैया करा रहे हैं। इन पाठय़क्रमों के लिए आप 12वीं के बाद आवेदन कर सकते हैं। बतौर इंटर्न 20 हजार रुपये महीना कमा सकता है। बड़े डिजाइनर एक से दो रूम के लिए दो से तीन लाख रुपये बतौर कंसल्टेंसी मांग लेते हैं।
फैशन डिजाइनिंग
फैशन डिजाइनिंग एक आर्ट है जिसमें आप कपड़ों और एक्सेरीज की डिडाइनिंग करते हैं। इसके लिए सिर्फ स्केचिंग ही जरूरी नहीं होता बल्कि इसमें कई कोर्सेज हैं, जैसे फैब्रिक डाइंग एवं प्रिंटिंग, कम्प्यूटर एडेड डिजाइन, एक्सेसरीज एवं ज्वैलरी डिजाइनिंग, मॉडलिंग, गारमेंट डिजाइनिंग, लेदर डिजाइनिंग, इंटीरियर डिजाइनिंग, टैक्सटाइल डिजाइनिंग, टेक्सटाइल साइंस, अपैरल कंस्ट्रक्शन मेथड जैसे कोर्सेज शामिल होते हैं। फैशन डिजाइनिंग के कोर्सेज कर आफ अनुभव पाकर 25,000 से 50,000 रुपए महीना कमा सकते हैं।

सीवी में न हों गलतियां
अगर आज कहीं नौकरी के लिए जा रहे हैं तो अपने सीवी पर ध्यान दें क्योंकि इसी को देखकर नियोक्ता आपके बारे में अपनी एक राय बनाता है। इसलिए नौकरी चाहिए तो सीवी को गंभीरता से लें। एक नियोक्ता के लिए सीवी आवेदनकर्ता की पूरी पहचान होता है और उसी के आधार पर वो नियुक्ति की प्रक्रिया को भी आगे बढ़ाता है, पर लोग अकसर सीवी में कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जिसकी वजह से योग्य होने के बावजूद उन्हें कई बार नौकरी नहीं मिलती है। इसलिए जब भी सीवी बनाए इन इस प्रकार की भूल न करें।
अलग रंगों का न करें प्रयोग
ध्यान रहे जितना अहम सीवी होता है, उतना ही जरूरी उसका फॉन्ट और कलर सेलेक्शन भी होता है। सीवी में अलग-अलग तरह के फॉन्ट का इस्तेमाल करने से नियोक्ता को उसे पढ़ने में दिक्कत हो सकती है। इसके अलावा सीवी में कभी-कभी अलग-अलग तरह के रंगों का इस्तेमाल भी नहीं करना चाहिए। इससे नियोक्ता पर आपका प्रभाव खराब पड़ता है.
ज्यादा फोन नंबर न दें
सीवी में एक से ज्यादा फोन नंबर देना अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है। आप जितने ज्यादा फोन नंबर देंगे आपके अहम मैसेज को मिस करने के अवसर भी उतने ज्यादा होंगे। इसलिए सीवी में हमेशा एक ही नंबर दें और इस संशय को दूर ही रखें। सीवी में अपना मोबाइल नंबर देना सबसे ठीक रहता है, ताकि आपकी जॉब को लेकर जो भी लेटेस्ट अपडेट हो जल्द से जल्द मिल सके.
स्पेलिंग मिस्टेक न करें
सीवी में अगर आप स्पैलिंग मिस्टेक करते हैं तो जॉब मिलना संभव नहीं है। इससे नियोक्ता पर आपकी छवि एक गैरजिम्मेदार व्यक्ति की बनती है। साथ ही ये आपके लिखने की क्षमता पर भी सवाल खड़े करता है। इसलिए जब भी सीवी बनाए तो उसमें स्पैलिंग मिस्टेक्स को कई बार चेक करें.
कितना बड़ा होना चाहिए सीवी
सीवी बनाने की प्रक्रिया में उसकी लंबाई एक सबसे अहम फैक्टर होता है। जहां एक तरफ आपको सीवी में अपने हर एक अनुभव के बारे में बताना जरूरी होता है। वहीं दूसरी ओर उसकी लंबाई भी छोटी रखनी अतिआवश्यक होती है। जो सीवी ज्यादा क्रिस्पी होते हैं उनके अवसर भी ज्यादा होते हैं, लेकिन सीवी को छोटा करने के चक्कर में कभी भी अपनी किसी अहम बात को मिस न करें।
जॉब से जुड़ी उपलब्धियों के बारे में ही बतायें
नियोक्ता उन उपलब्धियों के बारे में कभी भी जानना नहीं चाहेंगे, जिनका आपकी जॉब से दूर-दूर तक कोई नाता न हो। इसलिए सीवी में हमेशा अपने जॉब से जुड़ी उपलब्धियों के बारे में बताएं। ऐसा करने से आपका सीवी छोटा और प्रभावी रहेगा।

आईडीएफसी फर्स्ट बैंक से लें एमबीए के लिए स्कॉलरशिप
आईडीएफसी फर्स्ट बैंक एमबीए कर रहे छात्रों को स्कॉलरशिप मुहैया कर रहा है। यह स्कॉलरशिप ऐकडेमिक सेशन 2019-21 के लिए दो साल के एमबीए प्रोग्राम में दाखिला ले चुके पहले साल के छात्रों के लिए है। इस स्कॉलरशिप का मकसद छात्रों के एमबीए प्रोग्राम की ट्युइशन फीस कवर करके उनकी मदद करना है।
आईडीएफसी फर्स्ट बैंक स्कॉलरशिप मुहैया करा रहा है। आईडीएफसी फर्स्ट बैंक एक भारतीय बैंकिंग कंपनी है। दिसंबर 2018 में आईडीएफसी बैंक और कैपिटल फर्स्ट के विलय से आईडीएफसी फर्स्ट बैंक का गठन है। स्कॉलरशिप बैंक की सीएसआर पहल के तहत दी जा रही है।
भारत में रहने वाले भारतीय नागरिक ही इसके लिए आवेदन कर सकते हैं।
सभी स्रोतों से परिवार की सकल वार्षिक आय 6 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
एमबीए डिग्री के 2019-21 बैच के पहले साल में दाखिला लिया हो।
करीब 155 बिजनस शैक्षिक संस्थान में पढ़ने वाले छात्र इसके लिए आवेदन कर सकते हैं। लिस्ट देखने के लिए यहां क्लिक करें
कितनी स्कॉलरशिप? चुने हुए एमबीए छात्रों को उनके एमबीए कोर्स की अवधि के दौरान 2 लाख रुपये स्कॉलरशिप दी जाएगी। 1 लाख रुपये हर साल।
कैसे करें आवेदन?
आवेदन करने के लिए यहां क्लिक करें
2 फेसबुक, जीमेल अकाउंट या ईमेल अकाउंट की मदद से लॉगिन करें
3 साइन करने के बाद फॉर्म भरना शुरू करने के लिए स्ट्रार्ट एपलीकेशन पर क्लिक करें
4 सारी डीटेल्स भर दें और जरूरी दस्तावेजों को अपलोड करें
5 आखिर में सबमिट पर क्लिक करें
जरूरी दस्तावेज आवेदक के फोटोग्राफ
आधार कार्ड की कॉपी
पते के प्रमाण की कॉपी
ऐडमिशन लेटर
फीस रिसिट की कॉपी
10वीं की मार्कशीट
12वीं की मार्कशीट
गैजुएशन की मार्कशीट
पैरंट्स की सैलरी स्लिप की कॉपी
इनकम टैक्स रिटर्न्स की कॉपी (फॉर्म 16ए)
उपयुक्त सरकारी अथॉरिटी (तहसीलदार या मैजिस्ट्रेट) द्वारा जारी आय प्रमाणपत्र
चयन की प्रक्रिया स्कॉलरशिप आवेदकों की वित्तीय आवश्यकता के आधार पर मुहैया कराई जाएगी। पहले कैंडिडेट्स की शॉर्टलिस्टिंग की जाएगी और उसके बाद टेलिफोन से या फिर निजी साक्षात्कार होगा।
अहम तारीख आवेदन की अंतिम तारीख: 31 जुलाई, 2019

शैक्षिक संस्थानों को मान्यता होगी आवश्यक
भारत में सिर्फ 20 फीसदी उच्चतर शैक्षिक संस्थान और इंजिनियरिंग, मैनेजमेंट, फार्मेसी और आर्किटेक्चर के कोर्सों को देश भर में मान्यता प्राप्त है। उसे देखते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय की प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए कई एजेंसियों को इस काम में शामिल करना चाहता है।
मंत्रालय ने प्रत्यायन (मान्यता) से जुड़े इन सुधारों पर 2024 तक 1,012 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रस्ताव रखा है। प्रत्यायन या मान्यता लेने की प्रक्रिया को सभी संस्थानों के लिए अनिवार्य बनाया जाएगा। जो संस्थान लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं उनको वित्तीय सहायता, प्रोग्रामों और स्वायत्ता में बढ़ोतरी और अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में भागीदारी जैसे प्रोत्साहन दिए जाने का प्रस्ताव है।
भारत में मौजूदा समय में प्रत्यायन देने वाले दो बड़े संस्थान हैं। नैशनल असेसमेंट ऐंड ऐक्रेडिटेशन काउंसिल (एनएएसी) और नैशनल बोर्ड ऑफ ऐक्रेडिटेशन (एनबीए)। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के मुताबिक, 42,000 से ज्यादा विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और स्टैंडअलोन संस्थानों में सिर्फ 8,700 संस्थानों को एनएएसी द्वारा मान्यता दी जाती है जबकि 15,000 तकनीकी प्रोग्रामों में से सिर्फ 3,050 तकनीकी प्रोग्रामों को एनबीए द्वारा मान्यता दी जाती है।
42,000 से ज्यादा उच्चतर शैक्षिक संस्थानों के मानक, अनुशासन और शैक्षिक संस्कृति में बड़ी विविधताओं पर गौर करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कई तरह के उपायों का प्रस्ताव रखा। उनमें सभी शिक्षण संस्थानों के लिए 2024 तक प्रत्यायन को अनिवार्य बनाने का कदम भी शामिल है।

न्यूजीलैंड है विदेश में पढ़ाई के लिए बेहतर
आजकल विदेशों में पढ़ने वालों की तादाद बढ़ती जा रही है। इसके लिए न्यूजीलैंड सबसे बेहतर स्थल है। न्यूजीलैंड के आठ बड़े संस्थान इसके दो मुख्य द्वीपों, उत्तरी और दक्षिणी द्वीपों पर स्थित हैं। यहां के संस्थानों में स्टडी और रिसर्च के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। वैसे तो सभी यूनिवर्सिटी आर्ट्स, बिजनस, साइंस में डिग्रियां ऑफर करती हैं लेकिन हर कॉलेज के पास कुछ खास कोर्स ऑफर करने के लिए हैं।
विदेश में पढ़ने वाले छात्रों की लोकप्रिय पसंदों में से एक न्यूजीलैंड भी है। कम खर्च में क्वॉलिटी शिक्षा हासिल करने वालों की चाह रखने वाले विदेशी छात्रों की यह पहली पसंद बन गया है। आइए इसके 5 कारण जानते हैं।
क्वालिटी लर्निंग एक्सपीरियंस न्यूजीलैंड का यूनिवर्सिटी सिस्टम रिसर्च आधारित है क्योंकि यह ब्रिटिश शिक्षा मॉडल को फॉलो करता है। इसलिए दोनों जगह के पढ़ाने के तरीके के अलावा कई और चीजों में समानता पाई जाती है। भारत में भी ब्रिटेन जैसे शिक्षा सिस्टम पर ही अमल किया जाता है, ऐसे में भारतीय छात्रों को वहां अजस्ट करना आसान है। ऐकडेमिक स्टाफ से रिसर्चर होने के साथ-साथ टीचर्स होने की भी उम्मीद की जाती है। इससे सीखने का काफी गुणवत्तापूर्ण अनुभव प्राप्त होता है।
पढ़ाई और रहने-सहने में कम खर्च न्यूजीलैंड में अन्य देशों के मुकाबले रहने-सहने का खर्च कम है। खाने किफायती दामों पर उपलब्ध होते हैं और छात्रों के लिए रहने के कई सारे विकल्प उपलब्ध हैं। पब्लिक ट्रांसपोर्ट का खर्च भी कम है जिससे आप खुलकर घूम सकते हैं। नदियों, झीलों, जंगलों और बीचों पर जाकर आनंद उठा सकते हैं।
एक खूबसूरत देश न्यूजीलैंड अपने खूबसूरती पर्यावरण और अडवेंचर गतिविधियों के लिए चर्चित है। सबसे बड़ी बात है कि देश की सभी आठ यूनिवर्सिटियों से वहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। वहां अडवेंचर स्पोर्ट्स और हाइकिंग आदि के लिए काफी विकल्प उपलब्ध हैं।
बाहरी छात्रों का स्वागत न्यूजीलैंड की सोसायटी विदेशी छात्रों का गर्मजोशी से स्वागत करती है। उनका मानना है कि बाहर के छात्रों के आने से सांस्कृतिक विविधता पैदा होती है और अर्थव्यवस्था को लाभ पहुंचता है। वहां के लोग विभिन्न संस्कृतियों के लोगों में दिलचस्पी लेते हैं। वहां के कैंपस में यूरोपी, दक्षिण पूर्व एशिया, यूके, एशिया समेत पूरी दुनिया के छात्र मिल जाएंगे।

मछली पालन क्षेत्र में हैं स्वरोजगार के अवसर
देश में मछली पालन में रोजगार की असीम संभावनाएं हैं। फूड एंड एग्रीकल्‍चर ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट का मानना है कि साल 2030 तक भारत में मछली की खपत चार गुणा बढ़ जाएगी। यही वजह है कि देश में मछली पालन का कारोबार भी तेजी से बढ़ रहा है। सरकार भी मछली पालन को बड़ी प्रमुखता दे रही है। केन्द्र सरकार ने राज्‍य सरकारों के साथ मिलकर एक स्‍कीम चला रही है, जिसके तहत मछली पालन का व्यवसाय करने वालों को सरकार लगभग 75 फीसदी वित्तीय समर्थन करती है। दरअसल, केन्द्र सरकार ने फार्मर्स की इनकम दोगुनी करने की घोषणा की है। यह स्‍कीम उसी घोषणा का हिस्‍सा है। सरकार का दावा है कि काफी कम जगह और कम पानी में मछली पालन की तकनीक अपनाने पर अच्छी खासी आय हो सकती है।
क्‍या है यह तकनीक
इस तकनीक को ‘रिसर्कुलर एक्वाकल्चर सिस्टम’ (आरएएस) कहा जाता है। जिसमें पानी का बहाव बना रहता है और पानी के आने-जाने की व्यवस्था की जाती है। इसमें कम जगह और कम पानी लगता है। जैसे कि अगर साधारण मछली पालन किया जाता है तो एक एकड़ तालाब में सिर्फ 15 से 20 हजार ही पंगेशियस मछली पाली जा सकती हैं, जबकि एक एकड़ में करीब 60 लाख लीटर पानी होता है। अगर तालाब में 20 हजार मछली डाली हैं तो एक मछली को 300 लीटर पानी में रखा जाता है। जबकि इस सिस्टम के जरिए एक हजार लीटर पानी में 110-120 मछली डालते है। इस हिसाब से एक मछली को केवल नौ लीटर पानी में रखा जाता है। इस सिस्‍टम में एक हेक्‍टेयर में 8 से 10 टन मछली पाली जा सकती है।
पांच लाख की लागत
अगर आप आरएएस तकनीक के अनुसार मछली पालन करना चाहते हैं तो आपको सिर्फ 5 लाख रुपए का इंतजाम करना होगा। इस राशि से आप लगभग 20 हजार किलोग्राम वजन की मछलियां पाल सकते हैं। नेशनल फिशरी डेवलपमेंट बोर्ड द्वारा तैयार की गई प्रोजेक्‍ट रिपोर्ट के मुताबिक, आप 20 हजार किग्रा कैपेसिटी वाले तालाब बनाते हैं तो आपके प्रोजेक्‍ट की कीमत 20 लाख रुपए आएगी। इसमें कैपिटल कीमत 9 लाख 64 हजार रुपए और ऑपरेशनल कीमत 10 लाख 36 हजार रुपए होगी।
सरकार कितना करेगी सहयोग
20 लाख रुपए के प्रोजेक्‍ट में से आपको केवल 5 लाख रुपए का इंतजाम करना होगा। बाकी 7 लाख 50 हजार रुपए केंद्र सरकार और 3 लाख 75 हजार रुपए राज्‍य सरकार द्वारा सब्सिडी के तौर पर दिया जाएगा। इसके अलावा सरकार 3 लाख 75 हजार रुपए का बैंक लोन भी दिलाएगी।
संभावित आय
आप 20 हजार किलोग्राम मछली पालते हैं तो इन मछली से आपकी कुल आय लगभग 15 लाख रुपए होगी और इसमें नेट इनकम 4 लाख 64 हजार रुपए हो सकती है।

एनटीए ने जारी की रिस्पॉन्स शीट
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने यूजीसी नेट (यूजीसी नेट 2019) की आधिकारिक वेबसाइट पर रिस्पॉन्स शीट शीट अपलोड कर दी। जिन उम्मीदवारों ने परीक्षा दी है वे एनटीए डॉट नेट डॉट इन पर जाकर देख सकते हैं। परीक्षा का आयोजन जून 20 से 26 तक किया गया था।
पूरे भारत में 237 शहरों में 615 केंद्रों पर कुल 9.42 लाख छात्रों ने परीक्षा दी थी। इस परीक्षा का आयोजन यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (यूजीस) की ओर से किया जाता था, लेकिन 2018 से एनटीए नेट परीक्षा का आयोजन कर रही है।
रिस्पॉन्स शीट ऐसे करें डाउनलोड
सबसे पहले आधिकारिक वेबसाइट एनटीए डॉट नेट डॉट इन पर जाएं।
‘यूजीसी नेट रिस्पॉन्स शीट पर क्लिक करें।
मांगी गई सभी जानकारी भरें।
रिस्पांस शीट स्क्रीन पर दिखने लगेगी।
आगे लिए अगर आप चाहे तो प्रिंटआउट ले सकते हैं।
यूजीसी नेट परीक्षा पास करने के लिए उम्मीदवारों को 40 प्रतिशत अंक लाने की आवश्यकता है। वहीं आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए, न्यूनतम अंक 35 प्रतिशत हैं। नेट परीक्षा का रिजल्ट 15 जुलाई को जारी किया जाएगा।

बीटेक, बीआर्क सहित संबंधित प्रोग्रामों के लिए काउंसलिंग शुरू
दिल्ली स्थित संस्थानों में बीटेक, बीआर्क और संबंधित तकनीकी प्रोग्रामों में दाखिले के लिए काउंसलिंग शुरू हो गई है। इच्छुक छात्रों को ऑफिशल वेबसाइट जेएसी दिल्ली डॉट इन पर आवेदन करना होगा। आवेदन के बाद योग्य छात्रों को दस्तावेज सत्यापन और काउंसलिंग के लिए बुलाया जाएगा।
इन संस्थानों में होगा दाखिला
जाइंट ऐडमिशन काउंसलिंग के तहत जिन संस्थानों में दाखिला होगा उनके नाम एनएसयूटी, दिल्ली टेक्नॉलजिकल यूनिवर्सिटी (डीटीयू), इंदिरा गांधी दिल्ली टेक्नॉलजकिल यूनिवर्सिटी फॉर विमिन (आईजीडीटीयूडब्ल्यू) और इंद्रप्रस्थ इंस्टिट्यूट ऑफ इन्फर्मेशन टेक्नॉलजी (आईआईआईटी), दिल्ली है। पहले राउंड की काउंसलिंग पूरी हो गयी है।
दूसरे राउंड के लिए सीट अलॉटमेंट का रिजल्ट 5 जुलाई, 2019 को आएगा। चयनित छात्रों को अपने दस्तावेज सत्यापित कराने होंगे और फीस का भुगतान करके सीट को ब्लॉक करना होगा। दिल्ली क्षेत्र के कैंडिडेट्स के लिए दस्तावेज सत्यापन 8 जुलाई को डीटीयू और एनएसयूटी कैंपसों में होगा। 9 जुलाई को दिल्ली और दिल्ली से बाहर, दोनों छात्रों के लिए डीटीयू, एनएसयूटी, आईजीडीटीयूडब्ल्यू और आईआईआईटी दिल्ली में काउंसलिंग की प्रक्रिया अंजाम दी जाएगी।
जेएसी काउंसलिंग राउंड 2: जरूरी दस्तावेजों की लिस्ट
फीस रसीद
10वीं क्लास की मार्कशीट
12वीं क्लास की मार्कशीट
जाति प्रमाणपत्र
आय प्रमाणपत्र
निवास प्रमाणपत्र
अगर लागू हो तो विकलांगता प्रमाणपत्र
जेईई मेन/अडवांस्ड ऐडमिट कार्ड
मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट्स
यूं करें रजिस्ट्रेशन
1 ऑफिशल वेबसाइट जेएसी दिल्ली डॉट इन पर जाएं।
2 रजिस्ट्रेशन डॉट इन पर क्लिक करें।
3 पे पार्टिसिपेशन फीस पर क्लिक करें और भुगतान करें।
4 नए रजिस्ट्रेशन पर क्लिक करें। फॉर्म भरें और दस्तावेज अपलोड करें।
5 कोर्स या कॉलेज का चयन करें और फॉर्म को जमा कर दें।
जेएसी दिल्ली 2019 की फीस छात्रों को 1500 रुपये फीस का भुगतान करना होगा जो रिफंड नहीं होगी। अगर सीटें खाली रहीं तो तीसरे राउंड की काउंसलिंग का भी आयोजन होगा। तीसरे राउंड की काउंसिलंग 11 जुलाई 2019 को शाम 5 बजे तक होगा। उसका रिजल्ट 13 जुलाई, 2019 को जारी कर दिया जाएगा।

इन नौकरियों के लिए स्नातक होना जरुरी नहीं
आमतौर पर माना जाता है कि कोई भी अच्छी नौकरी पाने के लिए स्नातक की डिग्री जरूरी है। इसके बाद भी कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां नौकरियां के लिए डिग्री जरुरी नहीं होती। इस क्षेत्रों में वेतन भी अच्छा खासा रहता है। इस क्षेत्रों में 15 से 20 हजार रुपये तक वेतन मिलता है जो अनुभव के साथ ही बढ़ता जाता है। इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए डिग्री की बाध्यता नहीं होती।
मार्केटिंग
एंट्री लेवल मार्केटिंग कर्मचारी को ग्राहकों की बातें सुनना, उनकी जरूरतों को समझना और उसके मुताबिक प्रॉडक्ट (उत्पाद) देना होता है। मार्केटिंग एक अच्छी जॉब है और इससे आपको कई तरह के अनुभव प्राप्त होते हैं। प्रॉडक्ट की जरूरत के मुताबिक यहां आपकों काम करन पड़ता है।
औसत वेतन: 15 हजार से लेकर 20 हजार रुपये तक
बीपीओ या कॉल सेंटर
बीपीओ या कॉल सेंटर में ग्राहकों की कॉल अटेंड करना और उनको जवाब देना होता है।
औसत वेतन: 18 हजार से लेकर 25 हजार रुपये तक जो अनुभव के साथ ही बढ़ता जाता है।
एडमिन या सपोर्ट स्टाफ
ऑफिस संचालन के लिए रोजमर्रा के कई काम होते हैं। ऑफिस के लिए जरूरी सामान जुटाने से लेकर ऑफिस की साफ-सफाई तक इस दायरे में आ जाते हैं। इस तरह के कामों को करने के लिए एडमिन या सपोर्ट स्टाफ होते हैं।
औसत वेतन: 12 हजार से 15 हजार रुपये तक
खजांची
एक खजांची का काम पैसा और ट्रांजैक्शन प्राप्त करना और उसका वितरण करना है। इसमें आम लोगों के साथ-साथ कर्मचारियों से भी लेन-देन शामिल है।
औसत वेतन: 18 हजार से लेकर 22 हजार रुपये तक
इसके अलावा कम्पयूटर ऑपरेटर के साथ ही क्लर्क के पद के लिए भी स्नातक होना जरुरी नहीं है। आप इन क्षेत्रों में दक्ष्यता और अनुभव के आधार पर आगे बढ़ते जाते हैं।

डीयू में इंग्लिश (ऑनर्स) , ह्यूमैनिटीज है पहली पसंद
दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) के कॉलेजों में अंडरग्रेजुएट कोर्सेज में प्रवेश के लिए होने वाली आवेदन की प्रक्रिया समाप्त हो गई है. दिल्ली यूनिवर्सिटी के ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार 62,000 सीटों के लिए 2,56,868 से अधिक स्टूडेंट्स ने आवेदन किए हैं। वहीं इस साल बीए इंग्लिश (ऑनर्स) में स्टूडेंट्स की रुचि काफी बढ़ी है। जिसमें सबसे ज्यादा आवेदन मिले हैं।इसी के साथ ह्यूमैनिटीज कोर्स में भी सबसे ज्यादा आवेदन हुए हैं।
बता दें, डीयू के लिए आवेदन की प्रक्रिया 22 जून को समाप्त हो गई थी। डीयू अपनी कट ऑफ 28 जून को जारी की जाएगीइस साल कुल 3,67,895 स्टूडेंट्स ने आवेदन किए हैं। जिसमें से 2,58,388 उम्मीदवारों ने फीस का भुगतान कर प्रक्रिया पूरी की है।
डीयू के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार बीए इंग्लिश (ऑनर्स) कोर्स में कुल 1,42,979 स्टूडेंटस ने आवेदन किए हैं। जिसके बाद बीए (ऑनर्स) पॉलिटिकल साइंस में 1,30,240 और बीए प्रोग्राम में 1,25,519 से ज्यादा स्टूडेंट्स ने आवेदन किए हैं। वहीं बीए (ऑनर्स) इकोनॉमिक्स चौथा सबसे लोकप्रिय कोर्स है जिसमें 1,24,538 आवेदन प्राप्त हुए हैं।
इसी के साथ बीए (ऑनर्स) इतिहास पांचवे नंबर पर है, जिसके लिए 1,20,590 आवेदन आए हैं। वहीं 10वें नंबर पर बी-कॉम सबसे लोकप्रिय कोर्स है जिसमें 106549 आवेदन प्राप्त हुए हैं। इस साल दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रवेश के लिए 2, 58,388 लाख आवेदन प्राप्त हुए हैं। जिसके आंकड़े यूनिवर्सिटी ने जारी किए हैं। जो इस प्रकार है:-
जनरल श्रेणी- 1,51,650 आवेदन प्राप्त हुए।
ओबीसी श्रेणी- 55,072 आवेदन प्राप्त हुए।
अनुसूचित जाति (एससी) श्रेणी- 34,093 आवेदन प्राप्त हुए।
अनुसूचित जाति (एससी) श्रेणी- 7,050 आवेदन प्राप्त हुए।
(ईडब्ल्यूएस) श्रेणी- 9,003 आवेदन प्राप्त हुए।
डीयू की ओर से जारी डाटा के अनुसार केवल 1 ट्रांसजेंडर ने ही आवेदन किया है। बता दें, इस साल 1.28 लाख लड़के और 1.29 लाख लड़कियों ने आवेदन किया है। इस साल लड़कियों की संख्या लड़कों से ज्यादा है। वहीं दिल्ली यूनिवर्सिटी ने स्पोर्ट्स कैटेगरी के तहत कॉलेज में एडमिशन लेने के स्टूडेंट्स के स्पोर्ट्स ट्रायल 2 जुलाई से शुरू होंगे और 6 जुलाई चलेंगे। वहीं एक्स्ट्रा करिकुलर एक्ट‍िविटी वर्ग के तहत होने वाले एडमिशन के लिए ट्रायल की तारीख 25 जून से 5 जुलाई तक तय की गई है।

खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में हैं कई अवसर
खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र (प्रोसेस्ड फूड) तैयार करने वाली मल्टीनेशनल कंपनियां बड़ी तादाद में भारत का रुख कर रही हैं। ऐसे में यह क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है। जिसको देखते हुए इस क्षेत्र में पारंगत लोगों की मांग भी बढ़ रही है। इस क्षेत्र में कभी भी मंदी नहीं हो सकती। यही कारण है कि अब युवाओं की इसमें रुचि इसमें बढ़ती जा रही है। इस क्षेत्र को युवा अब आकर्षक कॅरियर के रूप में देख रहे हैं और इसके लिए जरुरी तकनीकी शिक्षा भी हासिल कर रहे हैं। कारोबार जगत के संगठन (फिक्की) की एक रिपोर्ट के मुताबिक फूड प्रोसेसिंग के कारोबार में भारत में कुशल लोगों की बेहद कमी है। आने वाले समय में फूड टेक्नोलॉजी का भविष्य बहुत ही सुनहरा होने वाला है। अगर आंकड़ों की मानें तो आने वाले कुछ सालों में यह उद्योग इस रफ्तार से बढ़ेगा कि नौकरियों की बहार होगी।
जरुरी योग्यता
ऐसे में यदि आप इस उभरते क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं, तो फिजिक्स, केमिस्ट्री व बायोलॉजी अथवा मैथमेटिक्स विषयों के साथ 10+2 में कम से कम 50 प्रतिशत अंक जरूरी हैं। एमएससी कोर्स करने के लिए फूड टेक्नोलॉजी से संबंधित विषयों में स्नातक की डिग्री भी आवश्यक होती है।
फूड टेक्नोलॉजिस्ट का काम
फूड प्रोसेसिंग सेक्टर के तहत वे सभी कार्य शामिल हैं, जिनसे प्रोस्सेड फूड जैसे- मक्खन, सॉफ्ट ड्रिंक, जेम व जेली, फ्रूट जूस, बिस्कुट, आइसक्रीम आदि की गुणवत्ता, स्वाद और रंग-रूप बरकरार रह सके। इसके अलावा वह कच्चे और बने हुए माल की गुणवत्ता, स्टोरेज तथा हाइजिन आदि की निगरानी भी करता है। वह कंपनी के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। कच्चे माल से लेकर प्रोडक्ट तैयार होने तक कंपनी को उसकी हर स्तर पर जरूरत होती है। ग्लोबल स्तर पर कंपनी का भविष्य फूड टेक्नोलॉजिस्ट की योग्यता पर ही निर्भर रहता है।
मैनुफैक्चर्ड प्रोसेसेज : इस प्रक्रिया के जरिए कच्चे कृषि उत्पादों और मीट आदि पशु उत्पादों के भौतिक स्वरूप में बदलाव लाया जाता है। इससे यह उत्पाद खाने और बिक्री योग्य बन जाते हैं। वैल्यु एडेड प्रोसेसेज के जरिए कच्चे खाद्य उत्पादों में कई ऐसे बदलाव किए जाते हैं। जिससे वह ज्यादा समय के लिए सुरक्षित रहते हैं और कभी भी खाने लायक बन जाते हैं। उदाहरण के लिए टमाटर से बने सॉस और दूध से तैयार आईसक्रीम जैसे उत्पादों को देखा जा सकता है।
किस लिए है जरूरत
फूड टेक्नोलॉजिस्ट की जरूरत आज सभी देशों को है। इसका उदेद्श्य लोगों को ऐसी खाघ सामाग्री पहुंचाना है जो गुणवत्ता और स्वाद के साथ-साथ पोषक तत्वों से भी भरपूर हो।
इस क्षेत्र में किये जाने वाले प्रमुख कोर्स
बीएससी (ऑनर्स) फूड टेक्नोलॉजी
बीटेक फूड टेक्नोलॉजी
एमटेक फूड टेक्नोलॉजी
पीजी डिप्लोमा इन फूड साइंस एंड टेक्नोलॉजी
एमबीए(एग्री बिजनेस मैनेजमेंट
अवसर
इस कोर्स के बाद आपके पास नौकरी के कई सारे विकल्प होते हैं। आप फूड प्रोसेसिंग यूनिटों, रिटेल कंपनियों, होटल, एग्री प्रोडक्टस बनाने वाली कंपनियों से जुड़ सकते हैं। या फिर खाद्य वस्तुओं की गुणवत्ता जांचने, उनके निर्माण कार्य की निगरानी करने और खाद्य वस्तुओं को संरक्षित करने की तकनीकों पर काम करने वाली प्रयोगशालाओं से भी जुड़ सकते हैं।
वेतनमान
इस क्षेत्र में आप शुरुआती स्तर पर आप 8 से 15 हजार रुपये प्रतिमाह आसानी से कमा सकते हैं। सालों के अनुभव के बाद 30 हजार रुपये प्रतिमाह या इससे भी ज्यादा कमाया जा सकता है। यदि आप स्वरोजगार से जुड़ते हैं, तो आपकी कमाई और बढ सकती है। इस क्षेत्र में सैलरी और काम दोनों दिलचस्प होते हैं।
किस तरह की होती है पढ़ाई
जिस तरह अलग-अलग तरह के खाने को देखकर मन खुशी बढ़ती है। ठीक उसी तरह फूड टेक्नोलॉजी में पढ़ाई जाने वाली पढ़ाई भी बहुत दिलचस्प होती है। फूड टेक्नोलॉजी तथा इससे संबंधित कोर्सेज के अंतर्गत खाद्य पदार्थों के रख-रखाव से लेकर पैकेजिंग, फ्रीजिंग आदि की तकनीकी जानकारियां शामिल होती हैं। इसके अंतर्गत पोषक तत्वों का अध्ययन, फल, मांस, वनस्पति व मछली प्रसंस्करण आदि से संबंधित जानकारियां भी दी जाती है।
यहां होते हैं कोर्स
यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली
इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी
जी. बी. पंत यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रिकल्चर ऐंड टेक्नोलॉजी, पंतनगर, उत्तराखंड
बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी, झांसी
कानपुर यूनिवर्सिटी, कानपुर, उत्तर प्रदेश
कोलकाता विश्वविद्यालय, कोलकाता
गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर, पंजाब
मुंबई यूनिवर्सिटी, मुंबई
नागपुर यूनिवर्सिटी
सेंट्रल फूड टेक्नोलॉजी रिसर्च इंस्टीट्यूट, मैसूर
बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मेसरा, रांची, बिहार।

करियर को इस प्रकार बेहतर बनायें
बदलते हुए इस दौर में करियर को लेकर लंबी अवधि का नजरिया रखना जरूरी है और इस रास्ते में आपको छोटी अवधि के कई लक्ष्य बनाकर उसे पूरा करते रहने की जरूरत है। पिछले एक दशक में रोजगार के क्षेत्र में बहुत बड़े बदलाव हुए हैं। अर्थव्यवस्था की कमजोरी के दौर में नौकरियों में भी अनिश्चितता हावी हो गयी है। ऐसे में इस चुनौतीपूर्ण समय में करियर प्लानिंग पर बहुत महत्व दिया जा रहा है और अब यह बहुत जरूरी हो गया है। इस समय सबसे अधिक दवाब यह है कि किसी व्यक्ति का रोल आने वाले दिनों में सीमित किया जा सकता है। आज जो कुशलता आपके पास है, तक़रीबन हर रोज बदलते माहौल में वह तीन से पांच साल बाद प्रासंगिक नहीं रह जाएगी। करियर प्लानिंग में सबसे महत्वपूर्ण यह है कि आप जॉब मार्केट से हिसाब से ना सिर्फ नयी योग्यता हासिल करें, बल्कि उसे लगातार अपग्रेड करते रहें जिससे कि आप बाजार के लिए यूजफुल बने रहें.
करियर प्लान करते समय इन बातों का ध्यान रखें
मौजूदा जॉब प्रोफाइल का आंकलन करें
करियर गोल सेट करने के लिए जरूरी है कि आप मौजूदा जॉब प्रोफाइल का आंकलन करें। जब आप किसी फाइनेंशियल प्लानर के पास जाते हैं तो वह सबसे पहले आपके वित्तीय लक्ष्य के बारे में जानना चाहता है। इसी तर्ज पर आप अपने मौजूदा रोल और उसके भविष्य पर विचार करें। आपकी कंपनी जरूर तिमाही या छमाही समीक्षा करती होगी, आप अपने लिए चुनौतियों की जल्द-जल्द समीक्षा करें।
लंबी अवधि के करियर प्लान के हिसाब से काम करें
अगर आप अगले चार-पांच साल में लीडरशिप रोल में आना चाहते हैं तो आपका उस प्रोफाइल के बारे में स्पष्ट विचार होना चाहिए। एक बार उद्देश्य चुन लेने के बाद उस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए क्या कुशलता होनी चाहिए, इसकी पहचान करें। जो व्यक्ति इस समय उस पोजीशन पर है उसका कामकाज कैसा दिखता है. क्या उसमें कोई ऐसी कुशलता है जिसे सीखना आपके लिए मुश्किल है? क्या आपके पास कोई डिग्री होनी चाहिए? क्या आपका लीडर आपको पर्याप्त कुशलता सिखा रहा है जिससे कि आप उस रोल पर अच्छे से काम कर सकें? लंबी अवधि के लक्ष्य को पाने के लिए आपको कई विकल्पों में काम करना आना चाहिए। लंबी अवधि के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए आपको छोटे-छोटे लक्ष्य को पूरा करने की जरूरत है।
सीखें और कुशलता बढ़ाएं
जॉब मार्केट की अस्थिरता और वर्क प्लेस की लगातार बदलती परिस्थितियों के हिसाब से नई तकनीक सीखना करियर प्लानिंग का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। अब करियर में जीवन भर आपको कुछ ना कुछ सीखना पड़ता है। ऑनलाइन एजुकेशन की मदद से आप यह काम बहुत आसानी से कर सकते हैं। अगर आप हफ्ते पांच-छह घंटे का समय निकालकर आपने काम के हिसाब से आधुनिक कुशलता सीख सकें तो आप अपनी जॉब जाने के जोखिम को बहुत आसानी से पीछे छोड़ सकते हैं।आसानी से नई चीजें सीखने की आपकी क्षमता भी आपको जॉब मार्केट में बनाये रखने में मददगार साबित होती है। अनुभव लें जब आप नई कुशलता सीखते हैं तो उन्हें लागू करने के मौके तलाशें. अपने संस्थान में भावी प्रोजेक्ट में काम करने की संभावना तलाशें और उसमें अपनी कुशलता का प्रयोग करें।
विकल्प रखें
अगर आपका संस्थान मेंटरिंग पाने के मौके दे रहा है तो यह सबसे अच्छा विकल्प है। आप इसकी मदद से अपने करियर की गाडी की रफ़्तार तेज कर सकते हैं। वहीं करियर के लक्ष्य पूरा नहीं होने की स्थिति में विकल्प भी तैयार रखें। इससे आपको योजना बनाने में आसानी होने के साथ ही अचानक लगने वाले झटके भी नहीं लगेंगे।

साक्षात्कार में इस प्रकार मिलेगी सफलता
साक्षात्कार देने से पहले आप अपने कौशल की पूरी तैयारी कर लेते हैं, लेकिन बहुत कम लोग नौकरी के लिए जाने से पहले कंपनी के प्रोफाइल के बारे में जानकारी हासिल करते हैं। अगर आप कंपनी की प्रोफाइल के बारे में जानते हैं तो इससे नौकरी मिलने की गारंटी और बढ़ जाती है। आमतौर पर देखा गया है कि नियोक्ता उन्हीं लोगों को रखना करना पसंद करते हैं जो कंपनी के बारे में अधिक से अधिक जानते हैं। इससे उसे लगता है कि आप नौकरी को लेकर गंभीर है।
कंपनी की वेबसाइट को देखें : इंटरव्यू देने से पहले कम से कम एक दो बार कंपनी की वेबसाइट जरुर देख लें। इससे आपको पता चल जाएगा कि कंपनी कब बनी, इसके प्रोडक्ट्स कैसे हैं, किस दिशा में कंपनी ग्रो करना चाह रही है। इन सबकी जानकारी लेने के बाद साक्षात्कार देने में आसानी होगी।
आजकल ज्यादातर कंपनियां वेव प्रोफाइल मेंटेन करती है। इसे देखकर भी आप कंपनी के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं।
कंपनी के प्रतियोगी की जानकारी हासिल करें: आप कंपनी की अन्य विरोधी वेबसाइट से भी उस दिशा में जानकारी हासिल कर सकते हैं, जिस दिशा में कंपनी काम रही है। इससे आपको साक्षात्कार देने में आसानी होगी।
सोशल मीडिया पर भी कंपनी के बारे में देखें। जैसे ट्विटर, फेसबुक को लाइक करके, उससे जुड़ी हुई हर अपडेट की जानकारी ले सकते हैं।
कंपनी के एचआर डिपार्टमेंट के संपर्क में रहें: आप कंपनी के एचआर डिपार्टमेंट से कंपनी के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं। खास करके कंपनी के प्रोस्पेक्टस को भी हासिल कर सकते हैं जिसमें कंपनी के बारे में सबसे ज्यादा जानकारी होती है।
कंपनी के कर्मचारियों से भी बात करें: आप कंपनी में काम कर रहे लोगों से भी संपर्क करके वहां के माहौल, काम के बारे में जानकारी ले सकते हैं।

प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए इस प्रकार करें तैयारी
प्रतिस्पर्धा के इस दौर में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते समय कई बातों का ध्यान रखना जरुरी होता है। अगर आप इन बातों का ध्यान रखेंगे तो सफलता मिलने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी।
प्रतियोगी परीक्षाएं चाहे वे एसएससी की हों, रेलवे की, सिविल सर्विसेस की या फिर बैकिंग की, परीक्षा भवन में ही आपको यह निर्णय लेना होता है कि कौन-सा सवाल छोड़ कर आगे बढ़ना है और किसे हल करना।
इस प्रकार तय करें
मान लें कि आप गणित के सवालों को हल कर रहे हैं। आपके सामने कोई आराम से बनने वाला सवाल है लेकिन उसमें समय काफी लगेगा। ऐसे में आपको यह अंदाजा लग जाएगा कि यह सवाल बन तो जाएगा लेकिन काफी वक्त लगा देगा। जब भी ऐसी स्थिति बने आपको सवाल छोड़कर आगे बढ़ जाना चाहिए। सभी सवालों पर निगाह डालने के बाद आखिर जब आपके पास वक्त हो, आप आखिर में उस सवाल को हल करने की कोशिश करें।
ज्यादा समय लगने वाले सवाल कब हल करें
परीक्षा भवन में कभी-कभी ऐसा भी हो सकता है कि आपको 10 सवाल ऐसे लग जाएं कि वे वक्त ज्यादा लगा सकते हैं। इसका सीधा सा मतलब है कि आपने अभ्यास सही ढंग से नहीं किया और कम समय में हल करने का ट्रिक भी आप भूल गए हैं। ऐसे में आप उन सवालों को हल करने की कोशिश अंत में कर सकते हैं।
सेट प्रैक्टिस सबसे बेहतर
ज्यादातर विशेषज्ञों का कहना है कि सेट प्रैक्टिस से बेहतर कोई दूसरा विकल्प नहीं हो सकता। जानकार कहते हैं कि छात्रों के लिए यह जरूरी है कि वह सेट प्रैक्टिस करे। खासकर पिछले सालों में पूछे हुए प्रश्नों को जरूर बनाएं। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि आपका कॉन्सेप्ट जरूर क्लियर हो।
तेजी जरूरी
बैंकिंग परीक्षा को उत्तीर्ण करने के लिए सबसे अधिक जरूरी है कि आपकी गति बेहतर हो। इसके लिए यह जरूरी है कि आप अगर सेट प्रैक्टिस में 2 घंटा लगाते हैं तो सॉल्यूशन देखने में 4 घंटा लगाएं। ताकि अपनी कमियों को दूर करें। ट्रिक्स और शॉर्ट कट्स पर जरूर ध्यान दें। उन्हें याद करने की कोशिश करें। साथ ही सवालों के पैटर्न को भी जरूर देखें।
कोचिंग के साथ मेहनत भी जरुरी
बैंकिंग की तैयारी के लिए कोचिंग फायदेमंद जरूर होता है, पर इसके लिए यह जरूरी है कि आपकी खुद की तैयारी अच्छी हो। ताकि जब कोचिंग में जाएं तो फायदा हो। अपनी तैयारी नहीं होने से क्लासरूम में आप कई बातों को समझ नहीं पाएंगे और कोचिंग की गति से चल नहीं पाएंगे। आपका वक्त और पैसा दोनों जाया जा सकता है। वैसे यह ध्यान रहे कि कई प्रतियोगी बगैर कोचिंग के भी पास हो रहे हैं।
ऑनलाइन अभ्यास
आजकल बैंकिंग समेत कई परीक्षाओं के टेस्ट ऑनलाइन हो गए हैं, इसलिए कंप्यूटर पर सही ढंग से सेट बनाना, खासकर ऑनलाइन सेट प्रैक्टिस आपको एग्जामिनेशन हॉल में सुरक्षित करता है, आपमें विश्वास भी जगता है कि आप इसे क्वालिफाई कर सकते हैं। वैसे तो कई ऑनलाइन वेबसाइट्स हैं जो बैंक पीओ की तैयारी करवा रहें हैं।
सही तरीके से सवाल हल करें
परीक्षा हॉल में पहले उस सेक्शन को बनाएं जिसमें कम वक्त लगता हो और गलती होने की गुंजाइश कम से कम रहती है। जीएस, कंप्यूटर ऐसे ही सेक्शन हैं। इसके बाद ही इंग्लिश, मैथ्स, रीजनिंग आदि को हल करना चाहिए। सवाल बनाते समय आपको को यह पता होना चाहिए कि किस सवाल में कितना वक्त लगेगा क्योंकि दिए हुए समय में ही आपको सभी सवालों के जवाब देने हैं पर यह भी सही है कि शायद ही कोई स्टूडेंट हो जिसने सभी सवालों को हल किया हो। इसलिए आपके लिए सवाल हल करना जितना अहम है, उतना ही जरूरी समय लगाने वाले सवालों को छोड़ना। तभी आप कम समय में अधिक सवाल बना पाएंगे।
किताबें
वैसे तो बाजार में कई पुस्तकें तैयारी के लिए उपलब्ध हैं, कोचिंग के प्रैक्टिस सेट्स भी हैं। पर आपके लिए सबसे अहम है पिछले सालों के प्रैक्टिस सेट को बनाना। साथ ही कुछ बेसिक और ट्रिकी सवालों की किताबें भी जरूर पढें।

इग्नू से योग में सर्टिफिकेट कोर्स करें
इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू) ने योग में सर्टिफिकेट कोर्स की शुरुआत की है। जो छात्र योग में करियर बनाना चाहते हैं उनके लिए ये शानदार मौका है। यूनिवर्सिटी का सर्टिफिकेट कोर्स जुलाई 2019 के सत्र से शुरू होगा।
कोर्स के बारे में:
योग (सीपीवाय) में सर्टिफिकेट कोर्स के लिए वही छात्र आवेदन कर सकते हैं जिन्होंने कक्षा 12वीं पास की है। बता दें, कोर्से अंग्रेजी में पढ़ाया जाएगा।
ये सर्टिफिकेट कोर्स दिल्ली, हरिद्वार, बेंगलुरु, भुवनेश्वर, जयपुर, लाडनूं, चेन्नई, मुंबई और पुणे में उपलब्ध होगा। इस कोर्से में 16 क्रेडिट के साथ 3 पाठ्यक्रम होंगे।
क्या होगा कोर्स का समय
योग (सीपीवाय) में सर्टिफिकेट कोर्स का समय 6 महीने को होगा, पर छात्रों को कोर्स पास करने के लिए अधिकतम दो साल का समय दिया जाएगा।
क्या होगी फीस
जो छात्र इस कोर्स के लिए आवेदन करना चाहते हैं उन्हें पूरे कोर्स के लिए 10,000 रुपये फीस भरनी होगी।

एम्स में ग्रेजुएट के लिए निकली भर्ती
ऑल इंडिया इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स), पटना ने ‘स्टोर कीपर कम क्लर्क’ के पदों पर भर्ती निकाली है। जो उम्मीदवार लंबे समय से नौकरी तलाश रहे हैं उनके लिए शानदार मौका है।
पदों की जानकारी
एम्स पटना ने ‘स्टोर कीपर कम क्लर्क’ के 85 पदों पर आवेदन मांगे हैं। जिसमें जनरल- 37, ईडब्ल्यूएस- 08, ओबीसी-22, एससी-12 और एसटी- 6 के पदों पर आवेदन मांगे गए हैं।
योग्यता
नौकरी के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवारों के पास ग्रेजुएशन की डिग्री होनी अनिवार्य है। उम्मीदवारों ने किसी भी मान्यता प्राप्त संस्थान से किसी भी विषय में ग्रेजुएशन की डिग्री ली हो।
आवेदन फीस
जनरल/ओबीसी उम्मीदवारों के लिए- 1000 रुपये
एससी/ एसटी/पीडब्ल्यूडी/ईडब्लयूएस/ महिला उम्मीदवार के लिए- 200 रुपये
उम्र सीमा
जो उम्मीदवार इन पदों पर आवेदन करना चाहते हैं उनकी उम्र 30 साल से अधिक नहीं होनी चाहिए। वहीं न्यूनतम उम्र 18 साल होनी चाहिए। एससी/ एसटी/ओबीसी उम्मीदवारों को उम्र में राहत दी गई जिसके लिए उम्मीदवार आधिकारिक नोटिफिकेशन देख सकते हैं।
कैसे होगा चयन
उम्मीदवारों का चयन लिखित परीक्षा के आधार पर होगा. चयनित हुए उम्मीदवारों का वेतन 19900 से 63200 होगा।
कैसे करें आवेदन
आवेदन करने की प्रक्रिया 15 जून से शुरू हो गई है।
इच्छुक उम्मीदवार एम्स पटना की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।

स्टार्टअप के जरिये अपना कारोबार शुरु करें
देश में बढ़ती बेरोजगारी देखते हुए अब स्वरोजगार पर जोर दिया जा रहा है। ऐसे में युवा स्टार्टअप के जरिये अपना स्वयं का कारोबार शुरु कर रहें हैं। सरकार भी इसको बढ़ावा दे रही है। स्टार्टअप के तहत दूर दराज के ग्रामीण इलाकों में भी नये तरीके अपना कर कई करोबार शुरु किए जा सकते हैं। इसमें कम निवेश पर भी अच्छी खासी आय हो सकती है।आज हम आपको बात रहे है कुछ ऐसे ही व्यवसायों के बारे में जिन्हें आप कम लागत में ही शुरु कर लाखों रुपये कमा सकते हैं
डेयरी शुरु करें
गांव में रहने वाले अपने पास गाय या भैंस रखते ही हैं। बस एक या दो और गाय या भैंस खरीद कर डेयरी बिजनेस की शुरुआत कर सकते हैं। आपको एक अच्छी गाय 30 हजार रुपए तक की कीमत में और एक भैंस 50 हजार रुपए तक में मिल सकती है। शहरों में दूध की काफी मांग रहती है, इसलिए दूध का बिजनेस फायदेमंद हो सकता है। दूध 50 रुपए प्रति लीटर तक बिक जाता है। दूध की बिक्री के लिए आप डेयरी कंपनियों से संपर्क कर सकते हैं या फिर स्थानीय स्तर पर दूध बेचने वालों से भी संपर्क कर सकते हैं।
सब्जियों की खेती
धान और गेहूं उगाने के अलावा सब्जियों की खेती आपको मालामाल कर सकती है। अगर आपके पास छोटी सी जमीन भी है तो इसमें आप सब्जी उगा सकते हैं। आजकल तो भारत सरकार देश के अलग अलग हिस्सों में कृषि सेंटर भी खोल रही है जहां आपको कम जमीन में अधिक पैदावार की तकनीक आसानी से मिल जाएगी। मिर्च, गोभी, टमाटर जैसी सब्जियां जमकर मुनाफा देती हैं।
मछली पालन
मछली पालन एक अच्छा बिजनेस साबित हो सकता है। शहरों में मछली की मांग काफी ज्यादा है। आप मछली पालन के लिए छोटी जमीन से काम शुरू कर सकते हैं। जमीन खोदने के बाद निकलने वाली मिट्टी तो बेच ही सकते हैं, जो गड्ढा बनेगा उसे तालाब की शक्ल देकर जलस्तर बढ़ाने में भी मदद कर सकते हैं। ये कारोबार आपको लाखों की कमाई करा सकता है।
फूलों की खेती
आजकल हर त्योहारों, कार्यक्रमों, शादियों और पूजा-पाठ में फूलों की मांग काफी ज्यादा होती है। आप अपनी जमीन पर फूलों की खेती कर सकते हैं। सूरजमुखी, गुलाब, गेंदे की खेती बेहद फायदे की है। फूल बिक्रेता या कंपनियों से संपर्क कर आप अपने फूल बेच सकते हैं।
पेड़ लगायें
अगर आपके पास एक या दो बीघे की भी खेती है तो आप उसमें शीशम, सागौन जैसे बेशकीमती पेड़ लगा सकते हैं। अच्छे तरीके से लगाए गए ये पेड़ 8-10 साल बाद आपको करोड़पति बना सकते हैं। एक शीशम का पेड़ 40 हजार रुपए में बिक जाता है। सागौन का पेड़ तो उससे भी कीमती है।
13 जून ईएमएस फीचर
अपना कारोबार शुरु करें (13 एफटी05एचओ)
देश में बढ़ती बेरोजगारी देखते हुए अब स्वरोजगार पर जोर दिया जा रहा है। ऐसे में युवा स्टार्टअप के जरिये अपना स्वयं का कारोबार शुरु कर रहें हैं। सरकार भी इसको बढ़ावा दे रही है। स्टार्टअप के तहत दूर दराज के ग्रामीण इलाकों में भी नये तरीके अपना कर कई करोबार शुरु किए जा सकते हैं। इसमें कम निवेश पर भी अच्छी खासी आय हो सकती है।आज हम आपको बात रहे है कुछ ऐसे ही व्यवसायों के बारे में जिन्हें आप कम लागत में ही शुरु कर लाखों रुपये कमा सकते हैं
डेयरी शुरु करें
गांव में रहने वाले अपने पास गाय या भैंस रखते ही हैं। बस एक या दो और गाय या भैंस खरीद कर डेयरी बिजनेस की शुरुआत कर सकते हैं। आपको एक अच्छी गाय 30 हजार रुपए तक की कीमत में और एक भैंस 50 हजार रुपए तक में मिल सकती है। शहरों में दूध की काफी मांग रहती है, इसलिए दूध का बिजनेस फायदेमंद हो सकता है। दूध 50 रुपए प्रति लीटर तक बिक जाता है। दूध की बिक्री के लिए आप डेयरी कंपनियों से संपर्क कर सकते हैं या फिर स्थानीय स्तर पर दूध बेचने वालों से भी संपर्क कर सकते हैं।
सब्जियों की खेती
धान और गेहूं उगाने के अलावा सब्जियों की खेती आपको मालामाल कर सकती है। अगर आपके पास छोटी सी जमीन भी है तो इसमें आप सब्जी उगा सकते हैं। आजकल तो भारत सरकार देश के अलग अलग हिस्सों में कृषि सेंटर भी खोल रही है जहां आपको कम जमीन में अधिक पैदावार की तकनीक आसानी से मिल जाएगी। मिर्च, गोभी, टमाटर जैसी सब्जियां जमकर मुनाफा देती हैं।
मछली पालन
मछली पालन एक अच्छा बिजनेस साबित हो सकता है। शहरों में मछली की मांग काफी ज्यादा है। आप मछली पालन के लिए छोटी जमीन से काम शुरू कर सकते हैं। जमीन खोदने के बाद निकलने वाली मिट्टी तो बेच ही सकते हैं, जो गड्ढा बनेगा उसे तालाब की शक्ल देकर जलस्तर बढ़ाने में भी मदद कर सकते हैं। ये कारोबार आपको लाखों की कमाई करा सकता है।
फूलों की खेती
आजकल हर त्योहारों, कार्यक्रमों, शादियों और पूजा-पाठ में फूलों की मांग काफी ज्यादा होती है। आप अपनी जमीन पर फूलों की खेती कर सकते हैं। सूरजमुखी, गुलाब, गेंदे की खेती बेहद फायदे की है। फूल बिक्रेता या कंपनियों से संपर्क कर आप अपने फूल बेच सकते हैं।
पेड़ लगायें
अगर आपके पास एक या दो बीघे की भी खेती है तो आप उसमें शीशम, सागौन जैसे बेशकीमती पेड़ लगा सकते हैं। अच्छे तरीके से लगाए गए ये पेड़ 8-10 साल बाद आपको करोड़पति बना सकते हैं। एक शीशम का पेड़ 40 हजार रुपए में बिक जाता है। सागौन का पेड़ तो उससे भी कीमती है।

सही दिशा में कदम से मिलती है सफलता
हर इंसान अपनी जिंदगी में सफल होना होना चाहता है। सफलता पाने के लिए हर व्यक्ति जी तोड़ मेहनत करता है और अपनी मेहनत से ही सफलता पा भी लेते है। अपने करियर को जिंदगी में सफलता पाने के लिए सही दिशा में कदम आपको ही उठाने पड़ते है। अपनी जिंदगी को सही तरीके से चलाने के सारी चीजें आप खुद ही योजना बनाते हैं। इसलिए अपने करियर के चुनाव और करियर में आगे बढ़ने के लिए आपको स्वयं को जानने की जरुरत है ताकि आप अपनी कमियों को पहचान कर उनको दूर कर सकते है।
कुछ लोग इतने संवेदनशील होते हैं कि अगर उनका उत्साह टूट जाए तो वे हिम्मत हार जाते हैं। किसी एक क्ष्‍ोत्र में मिली हार के बाद वे प्रयत्न करना ही बंद कर देते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि योग्यता होने के बावजूद वह औसत या उससे भी निचले दर्जे के व्यक्ति बनकर रह जाते हैं। लोग यह भूल जाते हैं कि जीवन किसी एक की सफलता पर आधारित नहीं वह तो निरंतर श्रम और प्रयत्न पर निर्भर है। इसलिए हमें कभी भी अपनी परिस्थितियों के आगे घुटने नही टेकने चाहिए बल्कि उनका डट कर मुकाबला करना चाहिए और हिम्मत और धैर्य से काम लेना चाहिए।
हमें विपरीत परिस्थितियों में घबराना नहीं चाहिए, अपने पर विश्वास रखना चाहिए और धैर्यपूर्वक सही दिशा में अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए। ऐसा करने से हमें सफलता निश्चित ही मिलेगी, इसे कोई रोक नहीं सकता।
बढ़ेगी एकाग्रता
हमारे आसपास मौजूद ऊर्जा हम पर सीधा प्रभाव डालती है। अगर मन स्थिर नहीं रहता या एकाग्रता की कमी है तो कहीं न कहीं हमारे आसपास मौजूद नकारात्मक ऊर्जा इसका कारण हो सकती है और यही हमारी सफलता में बाधक हो सकती है। ऊर्जा का संतुलन बेहद आवश्यक है।
ऐसे होंगे सफल
बहाने न बनायें
अगर आप वास्तव में अपने काम को लेकर गंभीर हैं तो बहाने न बनायें। जब लोग अपना काम समय पर और सही तरीके से नहीं कर पाते तो वे दूसरों को दोष देने लगते हैं। यह बहाने सिर्फ आपके काम को ही नहीं, बल्कि आपके कॅरियर ग्राफ को भी प्रभावित करते हैं। साथ ही कुछ लोग अपने काम को दूसरों पर टालने के लिए इन बहानों का सहारा लेने लगते हैं। बाद में यह उनकी आदत में शामिल हो जाता है और वे कभी भी सफलता नहीं हासिल कर पाते।
आत्मविश्वास रखें
किसी भी काम में सफलता प्राप्त करने के लिए सबसे पहले आपको आप पर भरोसा होना चाहिये। जब आप स्वयं ही खुद पर भरोसा नहीं करेंगे तो फिर दूसरे आप पर भरोसा कैसे कर सकते हैं। अगर आपको लगता है कि आप यह काम नहीं कर पाएंगे तो अपने से कहें कि मैं यह कर सकता हूं और दूसरों से बेहतर कर सकता हूं। ऐसा करने से आपके भीतर आत्मविश्वास पैदा होगा। आत्मविश्वास ही वह गुण है जिससे आपकी क्षमताओं में भी इजाफा होता है।

12 वीं के बाद इन क्षेत्रों में भी हैं अच्छी संभावनाएं
12 वीं के बाद भी आपके पास कैरियर बनाने के कई अवसर उपलब्ध हैं। कई बार छात्रों को समझ नहीं आता कि 12वीं के बाद किस प्रकार वह रोजगार हासिल कर सकते हैं। 12 के बाद भी कई ऐसे पाठयक्रम हैं जिसमें 12 पास दाखिला लेकर अच्छे पैसे कमा सकते हैं।
टूरिज्म कोर्स
अगर आपको घूमना पसंद है तो आप यह कोर्स कर सकते हैं जिसे करने के बाद आपको पैसे कमाने के साथ साथ घूमने का भी मौका मिलेगा। 12वीं के बाद होने वाले टूरिज्म कोर्स करने के बाद अच्छे पैसे कमा सकते हैं। देश में कई कॉलेज यह कोर्स करवा रही है और इसकी फीस भी कई प्रोफेशन कोर्स के मुकाबले कम है।
इंजीनियरिंग डिप्लोमा कोर्सेस
अगर आपका सपना बचपन से ही इंजीनियर बनने का रहा है और आप कॉलेज में एडमिशन नहीं ले पा रहे हैं तो आप इंजीनियरिंग का डिप्लोमा भी कर सकते हैं। 12वीं के बाद आप पॉलिटेक्नीक डिप्लोमा करके इंजीनियरिंग की फील्ड में अच्छा पैसा कमा सकते हैं। कंपनियां भी कुशल डिप्लोमाधारियों को हायर करने में ज्यादा रूचि दिखाती हैं। इसी के साथ इस कोर्स के बाद आप कई सरकारी नौकरियों के भी काबिल हो जाते है।
होटल मैनेजमेंट
12वीं के बाद होटल मैनेजमेंट कोर्स भी अच्छा विकल्प है और आजकल युवाओं में यह काफी लोकप्रिय भी हो रहा है। 12वीं के बाद इस कोर्स को करके आप देश और विदेशों के होटलों में नौकरी कर सकते हैं और अच्छा पैसा कमा सकते हैं।
एनिमेशन एंड मल्टीमीडिया
12 वीं के बाद एनिमेशन और मल्टीमीडिया में कोर्स करके आप आप काम सीख सकते हैं। जिससे आप हजारों ही नहीं लाखों रुपये काम सकते हैं। अगर आप यह कोर्स कर लेते हैं और आप क्रिएटिव हैं तो बहुत पैसा कमा सकते हैं।
अन्य कोर्स
इन कोर्स के अलावा आप कम्प्यूटर के कई कोर्स, अकाउंटिंग कोर्स, इंटीनियर डिजाइनिंग, कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग, जिम इंस्ट्रक्टर, फूड मैनेजमेंट आदि कोर्स भी किए जा सकते हैं। इनमें दक्ष होने पर आप आसानी से करियर बना सकते हैं।

खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में हैं कई अवसर
खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र (प्रोसेस्ड फूड) तैयार करने वाली मल्टीनेशनल कंपनियां बड़ी तादाद में भारत का रुख कर रही हैं। ऐसे में यह क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है। जिसको देखते हुए इस क्षेत्र में पारंगत लोगों की मांग भी बढ़ रही है। इस क्षेत्र में कभी भी मंदी नहीं हो सकती। यही कारण है कि अब युवाओं की इसमें रुचि इसमें बढ़ती जा रही है। इस क्षेत्र को युवा अब आकर्षक कॅरियर के रूप में देख रहे हैं और इसके लिए जरुरी तकनीकी शिक्षा भी हासिल कर रहे हैं। कारोबार जगत के संगठन (फिक्की) की एक रिपोर्ट के मुताबिक फूड प्रोसेसिंग के कारोबार में भारत में कुशल लोगों की बेहद कमी है। आने वाले समय में फूड टेक्नोलॉजी का भविष्य बहुत ही सुनहरा होने वाला है। अगर आंकड़ों की मानें तो आने वाले कुछ सालों में यह उद्योग इस रफ्तार से बढ़ेगा कि नौकरियों की बहार होगी।
जरुरी योग्यता
ऐसे में यदि आप इस उभरते क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं, तो फिजिक्स, केमिस्ट्री व बायोलॉजी अथवा मैथमेटिक्स विषयों के साथ 12 वीं में कम से कम 50 प्रतिशत अंक जरूरी हैं। एमएससी कोर्स करने के लिए फूड टेक्नोलॉजी से संबंधित विषयों में स्नातक की डिग्री भी आवश्यक होती है।
फूड टेक्नोलॉजिस्ट का काम
फूड प्रोसेसिंग सेक्टर के तहत वे सभी कार्य शामिल हैं, जिनसे प्रोस्सेड फूड जैसे- मक्खन, सॉफ्ट ड्रिंक, जेम व जेली, फ्रूट जूस, बिस्कुट, आइसक्रीम आदि की गुणवत्ता, स्वाद और रंग-रूप बरकरार रह सके। इसके अलावा वह कच्चे और बने हुए माल की गुणवत्ता, स्टोरेज तथा हाइजिन आदि की निगरानी भी करता है। वह कंपनी के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। कच्चे माल से लेकर प्रोडक्ट तैयार होने तक कंपनी को उसकी हर स्तर पर जरूरत होती है। ग्लोबल स्तर पर कंपनी का भविष्य फूड टेक्नोलॉजिस्ट की योग्यता पर ही निर्भर रहता है।
मैनुफैक्चर्ड प्रोसेसेज : इस प्रक्रिया के जरिए कच्चे कृषि उत्पादों और मीट आदि पशु उत्पादों के भौतिक स्वरूप में बदलाव लाया जाता है। इससे यह उत्पाद खाने और बिक्री योग्य बन जाते हैं। वैल्यु एडेड प्रोसेसेज के जरिए कच्चे खाद्य उत्पादों में कई ऐसे बदलाव किए जाते हैं। जिससे वह ज्यादा समय के लिए सुरक्षित रहते हैं और कभी भी खाने लायक बन जाते हैं। उदाहरण के लिए टमाटर से बने सॉस और दूध से तैयार आईसक्रीम जैसे उत्पादों को देखा जा सकता है।
किस लिए है जरूरत
फूड टेक्नोलॉजिस्ट की जरूरत आज सभी देशों को है। इसका उदेद्श्य लोगों को ऐसी खाघ सामाग्री पहुंचाना है जो गुणवत्ता और स्वाद के साथ-साथ पोषक तत्वों से भी भरपूर हो।
इस क्षेत्र में किये जाने वाले प्रमुख कोर्स
बीएससी (ऑनर्स) फूड टेक्नोलॉजी
बीटेक फूड टेक्नोलॉजी
एमटेक फूड टेक्नोलॉजी
पीजी डिप्लोमा इन फूड साइंस एंड टेक्नोलॉजी
एमबीए(एग्री बिजनेस मैनेजमेंट
अवसर
इस कोर्स के बाद आपके पास नौकरी के कई सारे विकल्प होते हैं। आप फूड प्रोसेसिंग यूनिटों, रिटेल कंपनियों, होटल, एग्री प्रोडक्टस बनाने वाली कंपनियों से जुड़ सकते हैं। या फिर खाद्य वस्तुओं की गुणवत्ता जांचने, उनके निर्माण कार्य की निगरानी करने और खाद्य वस्तुओं को संरक्षित करने की तकनीकों पर काम करने वाली प्रयोगशालाओं से भी जुड़ सकते हैं।
वेतनमान
इस क्षेत्र में आप शुरुआती स्तर पर आप 8 से 15 हजार रुपये प्रतिमाह आसानी से कमा सकते हैं। सालों के अनुभव के बाद 30 हजार रुपये प्रतिमाह या इससे भी ज्यादा कमाया जा सकता है। यदि आप स्वरोजगार से जुड़ते हैं, तो आपकी कमाई और बढ सकती है। इस क्षेत्र में सैलरी और काम दोनों दिलचस्प होते हैं।
किस तरह की होती है पढ़ाई
जिस तरह अलग-अलग तरह के खाने को देखकर मन खुशी बढ़ती है। ठीक उसी तरह फूड टेक्नोलॉजी में पढ़ाई जाने वाली पढ़ाई भी बहुत दिलचस्प होती है। फूड टेक्नोलॉजी तथा इससे संबंधित कोर्सेज के अंतर्गत खाद्य पदार्थों के रख-रखाव से लेकर पैकेजिंग, फ्रीजिंग आदि की तकनीकी जानकारियां शामिल होती हैं। इसके अंतर्गत पोषक तत्वों का अध्ययन, फल, मांस, वनस्पति व मछली प्रसंस्करण आदि से संबंधित जानकारियां भी दी जाती है।
यहां होते हैं कोर्स
यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली
इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी
जी. बी. पंत यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रिकल्चर ऐंड टेक्नोलॉजी, पंतनगर, उत्तराखंड
बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी, झांसी
कानपुर यूनिवर्सिटी, कानपुर, उत्तर प्रदेश
कोलकाता विश्वविद्यालय, कोलकाता
गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर, पंजाब
मुंबई यूनिवर्सिटी, मुंबई
नागपुर यूनिवर्सिटी
सेंट्रल फूड टेक्नोलॉजी रिसर्च इंस्टीट्यूट, मैसूर
बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मेसरा, रांची, बिहार।

यूपीएससी प्रीलिम्स के लिए अपनायें ये टिप्स
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) सिविल सर्विसेज परीक्षा प्रीलिम्स (सीएसई) 2019 को अब एक सप्ताह बाकी है। यह परीक्षा 2 जून को आयोजित की जाएगी। अगर आप भी ये परीक्षा देने जा रहे हैं तो इन टिप्स की सहायता से आप आसानी से रिवीजन कर सकते हैं।
बता दें कि यूपीएससी की परीक्षा में एनसीईआरटी की किताबों से कक्षा 6 से 12वीं तक के सवाल पूछे जाते हैं। इसलिए इन किताबों को एक बार जरूर पढ़ लें। इसके अलावा आइए जानें कुछ और स्मार्ट टिप्स।
ये हैं 10 स्मार्ट टिप्स
रोज अखबार पढ़ें। इससे आप ताजा घटनाओं से परिचित रहेंगे। इसके अलावा आप करंट अफेयर्स के मैगजीन भी पढ़ सकते हैं।
परीक्षा में किस तरह के सवाल पूछे जाएंगे इसके लिए पिछली साल के पेपर्स को देखें।
सैंपल सेट हल करें और ऑनलाइन या ऑफलाइन टेस्ट सीरीज अटेंप्ट करें। इससे आपको परीक्षा पैटर्न का थोड़ा बहुत आइडिया मिल जाएगा.
रिवीजन करना ना भूलें जिन चैप्टर्स में आपको संदेह है उनका अभ्यास करें।
शॉर्ट नोट्स तैयार करें। इस तरह के री-राइटिंग से आपको मदद मिलेगी।
जरूरी सरकारी रिसोर्सेज जैसे किताब या फिर वेबसाइट्स पढ़ें। अधिक जानकारी के लिए आप सरकारी वेबसाइट्स और सरकारी टेलीविजन चैनल्स देख सकते हैं।
अपने साथियों के साथ यूपीएससी परीक्षा के सिलेबस से जुड़े विषयों पर बात करें। इससे आपकी ज्ञान क्षमता बढ़ेगी।
सोशल मीडिया दुनिया से जुड़ने का अच्छा प्लेटफॉर्म है लेकिन अगर इसका गलत इस्तेमाल किया जाए तो यह आपके लिए नुकसानदेह है, पर इसके सदुपयोग से आप देश-दुनिया की बहुत सी बातों को जान सकते हैं।
परीक्षा के लिए अपनी तैयारी को परखना जरूरी है। इसके लिए आप मॉक टेस्ट सीरीज जॉइन कर सकते हैं।

लोकलाइजेशन में करियर
कामकाज में इंटरनेट के बढ़ते उपयोग से आज लोकलाइजेशन में करियर की संभावनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। लोकलाइजेशन वह क्षेत्र है जिसके तहत विदेशी बाजारों से संपर्क स्थापित करने और बाजारों में खुद को स्थापित करने के लिए बड़ी-बड़ी कंपनियां अपने कंटेट को स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध करा रही है। गूगल, एमेजॉन और नेटफ्लिक्स सहित सभी बड़ी-बड़ी कंपनियों का वैश्विक स्तर पर तेजी से विस्तार हो रहा है। ऐसे में रोजगार के लिहाज से युवाओं के लिए लोकलाइजेशन एक उभरता हुआ क्षेत्र है।
लोकलाइजेशन के लिए इन कंपनियों को भाषा विशेषज्ञों की जरूरत पड़ती है। यही नहीं, वैश्वीकरण के इस दौर में आप किसी दूसरे देश की भाषा सीखकर भी अन्य देशों में जाकर नौकरी कर सकते हैं या भारतीय भाषाओं में पारंगत होकर विदेश जा सकते हैं हालांकि, अधिकतर कंपनियां यह काम किसी एजेंसी के माध्यम से करा रही है और एजेंसी इसके लिए अनुवादकों, प्रूफ रीडिंग करने वालों और रिव्यूयर की भर्ती करती है।
इसी वजह से अंग्रेज़ी के साथ-साथ किसी देशी भाषाओं में पकड़ रखने वाले अनुवादकों की मांग में काफी तेजी आई है और इस क्षेत्र में नौकरी के कई बेहतर विकल्प मौजूद हैं। लोकलाइजेशन के क्षेत्र में बेहतर नौकरी के साथ-साथ सैलरी पैकेज (वेतन) भी काफी अच्छा है। इस रचनात्मक क्षेत्र में करियर बनाने की इच्छा रखने वाले युवाओं के लिए ट्रांसलेटर या रिव्यूयर बनना एक बेहतर करियर विकल्प साबित हो सकता है।
लोकलाइजेशन के जानकारों का कहना है कि इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए कम से कम दो भाषाओं (सोर्स लैंग्वेज ऐंड टारगेट लैंग्वेज) पर कमांड होना चाहिए। सोर्स लैंग्वेज वह होता है जिसका आपको ट्रांसलेशन करना होता है। वहीं, टारगेट लैंग्वेज का मतलब वह भाषा है जिसमें आप अनुवाद करते हैं।
साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि अनुवादक को स्पीड, एक्यूरेसी और क्वालिटी के साथ-साथ टारगेट ऑडिएंस को ध्यान में रखकर अनुवाद करना होता है। उन्होंने कहा कि लोकलाइजेशन के लिए अंग्रेजी-हिंदी का ज्ञान ही नहीं, बल्कि देशी भाषाओं का ज्ञान भी अहम है। मराठी, बांग्ला, पंजाबी, मलयालम, तमिल जैसी कई भाषाओं का ज्ञान भी आपके करियर के लिए बेहतर हो सकता है।
इसमें अनुवाद करते समय शब्दों के विकल्पों में से सटीक शब्दों का चयन करना होता है और यह तभी संभव है जब भाषा और विषय वस्तु पर अच्छी पकड़ हो। इसके लिए व्याकरण और शब्दावली का भी ध्यान रखना होता है। जिस कंपनी के लिए लोकलाइजेशन कर रहे हों उसके प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल या उसके बारे में रिसर्च करने से काफी मदद मिल सकती है।
अनुवाद करना एक रचनात्मक प्रक्रिया है और इसमें पारंगत होने के लिए अभ्यास की जरूरत होती है। इसके तहत आप सिर्फ शब्द का नहीं, बल्कि भावानुवाद भी करते हैं और ऐसे में तब ज्यादा परेशानों का सामना करना पड़ता है, जब आपको दूसरी भाषा के मुहावरे और टोन का पता नहीं होता है।
आप अगर लोकलाइजेशन क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं तो आपके पास फुल टाइम और पार्ट टाइम नौकरी करने का विकल्प भी होगा। जो इच्छुक लोग इस क्षेत्र में घर बैठे काम करना चाहते हैं उनके लिए फ्रीलांस अनुवाद एक बेहतर विकल्प है और इसमें आप दिन में कुछ घंटे निकालने के साथ अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं।

डीयू ने बदली प्रवेश की तारीख
दिल्ली यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने वाले छात्रों को थोड़ा और इंतजार करना पड़ सकता है। डीयू के अनुसार लोकसभा चुनाव के परिणाम 23 मई को घोषित किए जाएंगे। ऐसे में अब आवेदन की प्रक्रिया 24 मई से शुरू हो सकती है हालांकि, अभी आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया है। आवेदन प्रक्रिया मई की शुरुआत में शुरू होनी थी, लेकिन “प्रवेश प्रक्रिया के लिए तैयारी ही अभी तक पूरी नहीं हुई है।”
इसमें अंडर ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्सेस के लिए प्रवेश प्रक्रिया अलग-अलग शुरू होगी। ज्यादातर यूजी कोर्सेज के लिए प्रवेश प्रक्रिया मेरिट के आधार पर होगी, विश्वविद्यालय बीए (ऑनर्स) , ) बिजनेस इकोनॉमिक्स, बैचलर ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, बैचलर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (वित्तीय निवेश विश्लेषण), बीटेक जैसे कोर्सेज के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करेगा। (आईटी और मैथमेटिकल इनोवेशन), बैचलर ऑफ साइंस इन फिजिकल एजुकेशन, हेल्थ एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स, बीए (ऑनर्स) मल्टीमीडिया एंड मास कम्युनिकेशन, 5-वर्षीय पत्रकारिता कोर्सेज होंगे।

इतिहास से स्नातक करने वालों के पास भी है कई अवसर
अगर आपने इतिहास से उच्चशिक्षा हासिल की है तो भी आप बेहतर कैरियर बना सकते हैं। यह सही है कि इतिहास से स्नातक करने वाले छात्रों के लिए रोजगार के अवसर अपेक्षाकृत कम हैं, परन्तु फिर भी कई अवसर आपके पास उपलब्ध हैं। सबसे पहले प्रतियोगी परीक्षा जैसे स्टेट सिविल सेवा, बैंक प्रोबेशनरी ऑफिसर, रेलवे, कंबाइंड डिफेंस सर्विस के रास्ते इतिहास स्नातकों के लिए खुले हैं।
आप हर उस गैर तकनीकी सेवा में जाने की योजना बना सकते हैं, जिसमें प्रवेश के लिए स्नातक की डिग्री आवश्यक है। इस प्रकार की रिक्तियों की जानकारी के लिए नियमित रूप से रोजगार समाचार देखते रहें। अन्य विकल्प के तौर पर देश के विभिन्न संग्रहालय ऐसे पोस्ट-ग्रेजुएट्स को खोजते हैं, जिन्होंने इतिहास या संग्रहालय विज्ञान में स्नातकोत्तर की पढ़ाई की है। ऐसे छात्रों को संग्रहालयों और आर्ट गैलरी में रिकॉर्ड इन्फॉर्मेशन ऑफिसर, म्यूजियम क्यूरेटर, रिकॉर्ड मैनेजर, आर्किविस्ट जैसे पदों पर नियुक्त किया जाता है। इस प्रकार की रिक्तियों की जानकारी के लिए नियमित रूप से देश भर के विभिन्न संग्रहालयों की वेबसाइट देखते रहें।
इसके अलावा ट्रेवल एंड टूरिज्म का क्षेत्र करियर के लिहाज से हिस्ट्री ग्रेजुएट्स के लिए अधिक कारगर है, क्योंकि ऐसे छात्रों को देश के विभिन्न ऐतिहासिक स्थानों की गहन जानकारी होती है और वे उन जगहों के बारे में अपेक्षाकृत अधिक विस्तार से पर्यटकों को बता सकते हैं। भारतीय इतिहास की अच्छी जानकारी रखने वाले छात्र को जहां एक ओर ट्रैवल एंड टूरिज्म कंपनियों में ट्रिप एडवाइजर की नौकरी आसानी से मिल जाती है, वहीं दूसरी ओर स्वरोजगार में रुचि रखने वाले स्नातक अपनी स्वयं की भी टूर एंड ट्रैवल एजेंसी स्थापित कर सकते हैं। इनके अतिरिक्त टीचिंग, लॉ, एमबीए, पब्लिक रिलेशन, इवेंट मैनेजमेंट और पत्रकारिता – ये कुछ अन्य ऐसे सामान्य करियर विकल्प हैं, जो इतिहास में स्नातक कारने वालों के लिए खुले हुए हैं।

तेजी से बढ़ रहा सैलून का कारोबार
इन दिनों ब्यूटी एंड कॉस्मेटिक प्रोडक्ट के बाद सैलून का कारोबार सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है। जो लोग अपना खुद का व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं वे इस क्षेत्र में आ सकते हैं।
देश में 49 प्रतिशत लोग 25 वर्ष की उम्र के हैं। ये ऐसी उम्र है जब लोग अपनी सुंदरता और खान-पीन पर ज्यादा ध्यान देते हैं और मोटी रकम अदा करने तैयार रहते हैं। इसका बड़ा कारण सोशल मीडिया भी है।
आज इस क्षेत्र में काफी अवसर सामने आ रहे हैं, इसलिए इस काम में रोजगार के काफी अवसर पैदा हो गए हैं। अब पार्लर से अच्छी खासी कमाई हो जाती है।
कैसे करें अपने बिजनेस की शुरुआत-
सैलून एट होम कमाई का एक अच्छा जरिया बन सकता है। आजकल बड़े शहरों में अर्बन क्लैप, यस मैडम, ऐट होम जैसे कई ऐप्स काम कर रहे हैं। सैलून एट होम उन लोगों को नौकरी देता है जिन लोगों को पार्लर का काम आता है। घर पर ही सैलून ऐट होम सर्विस के लिए संबंधित कंपनियों के ऐप डाउनलोड करने होंगे उसके बाद उनकी वेबसाइट पर जाकर बुकिंग करनी होगी। इससे हर महीने कम से कम 40 से 50 हजार रुपए तक कमाए जा सकते हैं और जिनके पास अनुभव ज्यादा हैं वे और ज्यादा पैसे कमा सकते हैं। इस कारोबार में नुकसान की संभावना बेहद कम है बशर्ते आप आपने काम में बेहतर हों। ये बिजनेस दिन प्रतिदिन बढ़ेगा ही।

जेईई एडवांस के लिए घट रहा रजिस्ट्रेशन
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)। में दाखिला लेना अब हर इंजीनियरिंग का सपना नहीं रहा है। दरअसल जेईई एडवांस के चेयरपर्सन एमएल शर्मा की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, हर साल की तरह इस साल भी कई छात्रों ने जेईई एडवांस क्वालिफाई किया, लेकिन जहां आईआईटी में दाखिले लेने के लिए जेईई एडवांस की परीक्षा देना अनिवार्य है, वहीं जेईई मेन परीक्षा पास करने वाले छात्रों ने जेईई एडवांस परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं किया।
आपको बता दें, साल 2019 में, 11.47 लाख जेईई मेन उम्मीदवारों में से, 2.45 लाख छात्रों ने जेईई एडवांस के लिए क्वालीफाई किया, लेकिन केवल 1.73 लाख ने ही इस परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन किया है। वहीं 2018 में, 2.31 लाख छात्रों जेईई एडवांस परीक्षा के लिए अनिवार्य थे. जिनमें से 1.65 लाख उम्मीदवारों ने इस परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन किया था. ऐसे में आंकड़ों के मुताबिक जेईई एडवांस की परीक्षा में लगातार दूसरे साल छात्रों ने रुचि नहीं दिखाई है।
आईआईटी में दाखिले के लिए जेईई एडवांस परीक्षा का दूसरा चरण है क्योंकि जेईई मेन के के स्कोर के आधार पर ही कुछ छात्रों को इस परीक्षा को देने का मौका मिलता है।
जेईई एडवांस परीक्षा में छात्र क्यों नहीं कर रहे रजिस्ट्रेशन
इंजीनियरिंग के लिए आईआईटी छात्र और अभिभावकों की पहली पसंद है पर सभी आईआईटी के पक्षधर नहीं हैं।
इसी के साथ अब कई छात्र आईआईटी में जाने के इच्छुक नहीं है। वे आईआईटी की तुलना में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) का चयन करना चाहते हैं। वहीं इन दिनों इंजीनियरिंग के इच्छुक उम्मीदवार अन्य चीजों जैसे इंटर्नशिप आदि करने के लिए भी उत्सुक रहते हैं।
छात्र अक्सर जेईई मेन को एनालिटिक्स-आधारित विषयों की तुलना में अधिक रचनात्मक के लिए चुनते हैं, जिसमें जेईई मेन स्कोर के आधार पर आईआईटी द्वारा प्रदान किए गए डिजाइन आदि कार्यक्रम शामिल हो सकते हैं।
भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बंगलौर भी छात्रों की प्रमुख पसंद बनकर उभर रहा है।
शिक्षाविदों के अनुसार यदि किसी छात्र ने जेईई मेन परीक्षा में 2000 रैंक हासिल की है, तो उसे जो भी प्रोग्राम चाहिए वह एनआईटी में मिलेगा, लेकिन यदि वे जेईई एडवांस में उपस्थित होते हैं और क्लियर करते हैं, तो उन्हें अपनी पसंद के आईआईटी में अपना पसंदीदा कोर्स मिलने में परेशानी हो सकती है।
जेईई एडवांस की परीक्षा 27 मई, 2019 को आयोजित की जाएगी। परीक्षा का आयोजन दो शिफ्ट में किया जाएगा. जिसमें पहली शिफ्ट सुबह 9 बजे से 12 बजे तक, दूसरी शिफ्ट दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक होगी। ये परीक्षा तीन घंटे की होगी।

बायोडाटा में न करें ये गलतियां
अगर आज कहीं नौकरी के लिए जा रहे हैं तो अपने बायेडाटा पर ध्यान दें क्योंकि इसी को देखकर नियोक्ता आपके बारे में अपनी एक राय बनाता है। इसलिए नौकरी चाहिए तो सीवी को गंभीरता से लें। एक नियोक्ता के लिए बायोडाटा आवेदनकर्ता की पूरी पहचान होता है और उसी के आधार पर वो नियुक्ति की प्रक्रिया को भी आगे बढ़ाता है, पर लोग अकसर बायोडाटा में कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जिसकी वजह से योग्य होने के बावजूद उन्हें कई बार नौकरी नहीं मिलती है। इसलिए जब भी बायोडाटा बनाए इन इस प्रकार की भूल न करें।
ध्यान रहे जितना अहम बायोडाटा होता है, उतना ही जरूरी लिखावट और शैली भी होती है। इसमें अलग-अलग तरह के फॉन्ट का इस्तेमाल करने से नियोक्ता को उसे पढ़ने में दिक्कत हो सकती है। इसके अलावा सीवी में कभी-कभी अलग-अलग तरह के रंगों का इस्तेमाल भी नहीं करना चाहिए। इससे नियोक्ता पर आपका प्रभाव खराब पड़ता है.
ज्यादा फोन नंबर न दें
बायोडाटा में एक से ज्यादा फोन नंबर देना व्यवहारिक नहीं माना जाता। आप जितने ज्यादा फोन नंबर देंगे आपके अहम संदेश को मिस करने के की आशंका भी बढ़ जाएगी। इसलिए बायोडाटा में हमेशा एक ही नंबर दें और इस संशय को दूर ही रखें। बायोडाटा में अपना मोबाइल नंबर देना सबसे ठीक रहता है, ताकि आपकी जॉब को लेकर जो भी लेटेस्ट अपडेट हो जल्द से जल्द मिल सके.
स्पेलिंग मिस्टेक न करें
बायोडाटा में अगर आप स्पैलिंग मिस्टेक करते हैं तो जॉब मिलना संभव नहीं है। इससे नियोक्ता पर आपकी छवि एक गैरजिम्मेदार व्यक्ति की बनती है। साथ ही ये आपके लिखने की क्षमता पर भी सवाल खड़े करता है। इसलिए जब भी बायोडाटा बनाए तो उसमें स्पैलिंग को सही प्रकार से देख लें।
कितना बड़ा होना चाहिए बायोडाटा
बायोडाटा बनाने की प्रक्रिया में उसकी लंबाई एक सबसे अहम फैक्टर होता है। जहां एक तरफ आपको सीवी में अपने हर एक अनुभव के बारे में बताना जरूरी होता है। वहीं दूसरी ओर उसकी लंबाई भी छोटी रखनी अतिआवश्यक होती है। जो बायोडाटा ज्यादा बड़े नहीं होते हैं उनके अवसर भी ज्यादा होते हैं, पर इसे छोटा करने के चक्कर में कभी भी अपनी किसी अहम बात को न छोड़ें।
जॉब से जुड़ी उपलब्धियों के बारे में ही बतायें
नियोक्ता उन उपलब्धियों के बारे में कभी भी जानना नहीं चाहेंगे, जिनका आपकी जॉब से दूर-दूर तक कोई नाता न हो। इसलिए बायोडाटा में हमेशा अपने जॉब से जुड़ी उपलब्धियों के बारे में बताएं। ऐसा करने से आपका सीवी छोटा और प्रभावी रहेगा।

विदेश जाने वाले छात्रों की तादाद लगातार बढ़ रही
भारतीय छात्रों के विदेश जाकर पढ़ने की तादाद तेजी से बढ़ रही है। हर साल लाखों विद्यार्थी विदेशी संस्थानों में प्रवेश ले रहे। विदेशी संस्थानों में दाखिले की होड़ के पीछे कई वजहें हैं। उनमें एक तो यह कि भारत में अभी तक पर्याप्त संख्या में विश्वस्तरीय संस्थान नहीं खड़े हो पाए हैं। दूसरा, कि भारतीय संस्थानों में पढ़ाई के बाद रोजगार के अवसर बहुत सीमित हैं। विदेशों में रोजगार की संभावनाएं अधिक हैं हालांकि भारतीय छात्रों की इसी ललक का लाभ उठाते हुए कई ऐसी एजेंसियों ने अपने पांव पसार लिए हैं, जो रोजगार का झांसा देकर फर्जी और कम गुणवत्ता वाले विश्वविद्यालयों में दाखिले का कारोबार चलाती रहती हैं। ऐसे में अगर आप विदेश पढ़ने जा रहे हैं तो पूरी छानबीन के बाद ही प्रवेश लें।
ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, कनाडा, न्यूजीलैंड, ब्रिटेन जैसे देश भारतीय छात्रों की पहली पसंद हैं। दूसरे क्रम में चीन और जर्मनी जैसे देश अपनी बढ़त बनाए हुए हैं। इस सूची में अमेरिका सबसे ऊपर है, जहां के विश्वविद्यालय और शैक्षिक संस्थान भारतीय छात्रों से भरे रहते हैं। 2010 से 2017 के बीच यूएस जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में बयालीस फीसदी की बढ़त आंकी गई। इसी तरह अन्य देशों में भी भारतीय छात्रों की लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है। वर्ष 2013-14 के दौरान लगभग चौंतीस हजार भारतीय छात्रों को ऑस्ट्रेलियाई वीजा जारी किए गए। अन्य यूरोपीय देशों में भी भारतीय छात्रों के पलायन की दर कमोबेश यही रही। गौरतलब है कि 2009 में ऑस्ट्रेलिया में भारतीय छात्रों पर हुई नस्ली हिंसा की घटनाओं ने पलायन के सिलसिले को थोड़ा कमजोर जरूर किया, लेकिन छात्रों की आवाजाही यथावत बनी रही।
पलायन के कारण
छात्रों के देश छोड़ कर बाहर जाने के कई कारण हैं, जिनमें देश में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कमी, व्यावहारिक प्रयोग के संसाधनों की कमी, आधारभूत संरचना और डिग्री के बाद भी रोजगार की अनुपलब्धता आदि प्रमुख हैं।
वहीं भूमंडलीकरण ने भारतीय छात्रों के लिए विदेशी शिक्षा की राह आसान कर दी है। यूनेस्को के आंकड़ों के मुताबिक 2013 तक विदेशों में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों की संख्या करीब एक लाख बयालीस हजार थी। इसमें वर्ष 1999 से 2006 के बीच भारी इजाफा दर्ज किया गया। एसोचैम के मुताबिक देश की लगभग पंद्रह अरब मुद्रा परोक्ष रूप से हर साल विभिन्न माध्यमों से विदेशी खातों में जा रही है। इतने बड़े पैमाने पर पलायन स्वाभाविक रूप से भारतीय कॉलेजों की क्षमता और गुणवत्ता पर सवाल खड़े करता है। विश्व की बड़ी शैक्षिक आधारभूत संरचना वाला देश, जहां छह सौ विश्वविद्यालय और चौंतीस हजार कॉलेज हैं और जहां हर साल लगभग सत्रह करोड़ विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जाता है। करीब पांच करोड़ छात्र स्नातक की डिग्री लेकर हर साल बाहर निकलते हैं। वहां इतने व्यापक स्तर पर छात्रों का पलायन देश की शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
एक अनुमान के अनुसार आने वाले दशक में लगभग सौ करोड़ भारतीय छात्रों के पलायन की संभावना है। शैक्षिक संस्थानों की भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां सत्तर प्रतिशत से ज्यादा कॉलेज गुणवत्ता के मानकों पर खरे नहीं उतरते। ऐसे में अगर हालान ठीक नहीं होते तो प्रतिभा पलायन रोकना आसान नहीं होगा।

गार्डन डिजाइनिंग में भी हैं अवसर
अगर आप प्रकृति के करीब हैं और आपकी रुचि पेड़ पौधों को लगाने और बगीचों को संवारने में है तो आप गार्डन डिजाइनिंग में भी अपना करियर बना सकते हैं। आज के दौर में युवाओं के सामने करियर बनाने के काफी विकल्प मौजूद हैं। अगर आपको प्रकृति से बेहद प्रेम हैं, तो यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें करियर बनाकर अच्छी खासी कमाई हो सकती हैं। गार्डन डिजाइनिंग की मांग लगातार बढ़ रही है। गार्डन डिजाइनिंग में करियर के लिए होनी चाहिये ये योग्यताएं।
क्रिएटिव होना जरुरी
गार्डन डिजाइनर्स बनने के लिए क्रिएटिव होना बेहद जरूरी है। इसके लिए आपको प्रकृति से प्रेम तथा लगाव होना आवश्यक है, क्योंकि इसमें ज्यादा समय प्रकृति के बीच ही बीतता है। साथ ही गार्डन डिजाइनिंग में धैर्य की बहुत जरूरत होती है।
अधिकांश वे लोग इस पेशे में आते हैं, जिनके पास जिनके पास लैंडस्केप आर्किटेक्चर, हॉर्टीकल्चर, गार्डनिंग आदि में डिग्री होती है। भारत में कुछ इंस्टीट्यूट्स गार्डनिंग और लैंडस्केपिंग में शॉर्ट ऑर लॉन्ग टर्म कोर्स करवाते हैं। वहीं अगर आप कुछ एडवांस करना चाहते हैं, तो फ्लोरीकल्चर और लैंडस्केप गार्डनिंग में सर्टिफिकेट कोर्स करने के अलावा लैंडस्केपिंग में मास्टर्स कर सकते हैं। सर्टिफिकेट कोर्स लिए स्टूडेंट्स का हायर सेकंडरी, जबकि मास्टर्स के लिए आर्किटेक्चर में ग्रेजुएट होना जरूरी है।
किसी भी गार्डन या लैंडस्केप की आर्ट डिजाइनिंग को गार्डन डिजाइनिंग कहते हैं। इस क्षेत्र में धैर्य की बहुत जरूरत होती है। इसमें आपको शारीरिक रूप से भी सक्षम होना होगा, क्योंकि आठ से दस घंटे मैदान में काम करना पड़ सकता है। इसके अलावा, अपने कस्टमर्स से अच्छे संबंध होने चाहिए, ताकि वे बार-बार आपकी सेवा लेने आएं।
विदेश में अच्छी संभावनाएं
भारत में एक गार्डन डिजाइनर 1.5 से 4 लाख रुपए के बीच आसानी से कमा सकता है। वहीं अनुभव होने पर तो और भी अधिक कमाई होती है। वैसे ऑस्ट्रेलिया या ब्रिटेन जैसे देशों में इससे ज्यादा पैकेज पर काम करने के विकल्प होते हैं। वहीं धीरे-धीरे भारत में इसका मार्केट अभी विकसित हो रहा है। कॉर्पोरेट कंपनीज भी वर्किंग प्लेस को एनवायर्नमेंट फ्रैंडली बनाने पर जोर देनी लगी हैं। गार्डन डिजाइनर्स लैंडस्केप कॉन्ट्रैक्टिंग, गार्डन कंसल्टेंसी, गार्डन राइटिंग और रिटेल नर्सरी जैसे सेक्टर्स में काम कर सकते हैं। अगर गार्डन डिजाइनर्स बनकर बाग -बगीचों की दुनिया में छाना चाहते हैं तो आप सिर्फ अपनी किएटिविटी पर ध्यान दें। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें क्रिएटिविटी ही सबसे अहम होती है।

पेशेवरों के लिए आईटी क्षेत्र में हैं आसीम संभावनाएं
दुनिया भर में आईटी सेक्टर यानी सूचना-प्रौद्योगिकी क्षेत्र लगातार निखर रहा है। इसमें भारत भी पीछे नहीं है। देश में आधी से ज्यादा आबादी 27 साल से कम उम्र की है। इसके साथ ही भारत में अंग्रेजी बोलने और इंटरनेट चलाने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है।
सूचना प्रौद्योगिकी दरअसल संचार सूचना और इसकी प्रौद्योगिकी से जुड़ी है। इसमें कंप्यूटर-आधारित सभी सूचनाओं का प्रबंधन करना पड़ता है। ऐसे में एक अच्छा आईटी इंजीनियर बनने के लिए जरूरी है कि आप कंप्यूटर की बारीक जानकारियों से परिचित हों, साथ ही इससे जुड़े शोध, क्रियान्वयन, विकास और प्रबंधन पर भी आपकी नजर हो।
योग्यता
आईटी इंजीनियर बनने के लिए कम्पयूटर साइंस में बीई या बीटेक करना फायदेमंद है। यह चार वर्षों का कोर्स है, जिसमें आठ सेमेस्टर होते हैं। किसी प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय से आईटी इंजीनियरिंग में डिग्री करियर के लिहाज से काफी अच्छी मानी जाती है। डिप्लोमा हासिल करके भी आईटी इंजीनियर बना जा सकता है, जो अमूमन छह सेमेस्टर का कोर्स होता है। किसी प्रतिष्ठित कॉलेज में दाखिला लेने के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर विभिन्न बोर्ड द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षा में सफलता पाना जरूरी है। आईटी में मास्टर डिग्री भी हासिल की जा सकती है, लेकिन इसके लिए स्नातक के बाद अगले दो साल तक पढ़ाई जारी रखनी होगी।
किसी अच्छे कॉलेज में दाखिले के लिए 12वीं में अच्छे अंक लाने अनिवार्य हैं। इसमें भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित मुख्य विषय होने चाहिए। डिप्लोमा तो 10वीं पास करके भी हासिल किया जा सकता है। मगर करियर के लिहाज से ये ज्यादा बेहतर नहीं मानी जाती। सूचना प्रौद्योगिकी पाठ्यक्रमों में कंप्यूटर विज्ञान, डेटाबेस और सूचना प्रणाली, नेटवर्किंग और संचार, सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग, एंबेडेड सिस्टम, भौगोलिक सूचना विज्ञान (जीआईएस) और आईटी व सोसाइटी जैसे क्षेत्रों में स्पेशलाइजेशन हासिल की जा सकती है।.
संभावनाएं
आईटी स्नातकों के लिए कई तरह की संभावनाएं हैं। कई कंपनियां हैं, जो सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर डेवलपमेंट, एप्लिकेशन और टेस्टिंग से जुड़ी हैं। वे ऐसे स्नातकों की भर्ती खूब करती हैं। इसके अलावा, कई दूसरे क्षेत्रों में भी वे काम कर सकते हैं। वे सॉफ्टवेयर इंजीनियर, हार्डवेयर इंजीनियर, ई-कॉमर्स के प्रोग्रामर, वेब डेवलपर आदि के रूप में अपना करियर बना सकते हैं। दूरसंचार, एरोस्पेस, ऑटोमोटिव सेक्टर, कंप्यूटर नेटवर्किंग जैसे तमाम क्षेत्रों से भी वे जुड़ सकते हैं। गूगल, इंफोसिस, एडोब माइक्रोसॉफ्ट, टीसीएस, बीएसएनएल, विप्रो, एचसीएल टेक्नोलॉजीज, ओरेकल फाइनेंशियल सर्विस जैसी तमाम नामी-गिरामी कंपनियों के दरवाजे आईटी इंजीनियरों के लिए खुले रहते हैं। आप चाहें तो शोध व अनुसंधान का रास्ता भी चुन सकते हैं।
सरकारी-गैर सरकारी कई कंपनियां शोध-कामों के लिए आईटी इंजीनियरों को नियुक्त करती हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि आईटी सेक्टर एक ऐसा सेक्टर है, जिसमें लगातार ग्रोथ की संभावनाएं हैं, क्योंकि इंटरनेट पर हमारी निर्भरता लगातार बढ़ती जा रही है, इसलिए स्किल्ड यानी कुशल पेशेवर लोगों की इसमें काफी जरूरत होगी।
आउटसोर्सिंग
आज वक्त नॉलेज प्रोसेस आउटसोर्सिंग का है, यानी हम कहीं अधिक स्पेशलाइज्ड और ज्ञान-आधारित कामों में विदेशी कंपनियों की मदद करने लगे हैं। इसी का परिणाम है कि यहां आधार, यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई), ई-साइन, ई-नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट (ई-नाम), गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जेम) जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किए गए हैं।
डेटा एनालिटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बौद्धिकता) के माध्यम से लोगों को बुनियादी सुविधाएं पहुंचाने की कोशिश हो रही है। बिग डेटा, प्रोग्रेमेटिक, पैटर्न एनालिसिस, क्लाउड कम्युनिकेशन, रोबोटिक्स और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) जैसे शब्द बोलचाल का हिस्सा बनने लगे हैं।
आय
स्नातक के बाद आईटी इंजीनियर की आमतौर पर 15 से 20 हजार रुपये प्रति महीने की नौकरी लग जाती है। इसके बाद अनुभव और काम करने की दक्षता से उसकी तरक्की सुनिश्चित होती है। मैनेजमेंट स्तर पर पहुंचने के बाद सैलरी प्रति महीने लाख रुपये से भी अधिक हो सकती है।
प्रमुख संस्थान
धीरूभाई अंबानी इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी, गांधीनगर
बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान, रांची और पटना
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कर्नाटक सुरत्कल
मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान इलाहाबाद, प्रयागराज
मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मणिपाल
जादवपुर विश्वविद्यालय, कोलकाता
वीरमाता जीजाबाई टेक्नोलॉजिकल इंस्टीट्यूट, मुंबई

संगीत में भी हैं कई संभावनाएं
संगीत अब केवल शौक नहीं रहा यह एक बाजार के रुप में विकसित हो गया है। तेजी से बदलते परिदृश्य में संगीत का क्षेत्र एक महत्वपूर्ण पेश बन गया है। युवाओं में इस क्षेत्र का रुझान तेजी से बढ़ता जा रहा है। संगीत को अपना करियर बनाने की इच्छा रखने वाले युवाओं के लिए संगीत में रुचि रखना ही काफी नहीं है। इसके अलावा उन्हें सृजनात्मक प्रतिभा का धनी, धुन का पक्का, मेहनती, संगीत की समझ होने के साथ ही वाद्ययंत्रों की की जानकारी होनी चाहिये।
इसके लिए ट्रेनिंग के साथ ही ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन के अतिरिक्त सर्टिफिकेट डिप्लोमा एवं पार्ट टाइम प्रकार के कोर्स किये जा सकते हैं। नामी विश्वविद्यालयों से लेकर संगीत अकादमियों तक में इस प्रकार के ट्रेनिंग कोर्सेज स्कूली बच्चों और युवाओं के लिए उपलब्ध हैं।
वर्तमान में देश-विदेश में युवाओं में म्यूजिक बैंड बनाने और परफॉर्म करने का चलन बढ़ता जा रहा है। इस प्रकार के बैंडस में वोकल आर्टिस्ट (गायक) और इंस्टूमैंट्रल आर्टिस्ट (वाद्ययंत्र कलाकार) दोनों का ही समन्वयन होता है। स्कूलों, कॉलेजों और अन्य छोटे स्तरों पर इस प्रकार के सैकड़ों हजारों बैंडस आज अस्तित्व में आ चुके हैं।
आम तौर पर यही माना जाता है कि संगीत को करियर का आधार बनाकर ज्यादा कुछ करने की संभावनाएं सीमित हो जाती हैं पर वास्तविकता पर बात करें तो कम से कम आज के संदर्भ में स्थितियां बहुत भिन्न हैं और तमाम नए विकल्प उबरकर सामने आ रहे हैं।
म्यूजिक इंडस्ट्री : इस उद्योग में कई प्रकार के म्यूजिक आधारित प्रोफेशनलों की अहम भूमिका होती है, इनमें विशेष तौर पर म्यूजिक सॉफ्टवेयर प्रोग्रामर, कंपोजर, म्यूजिशियन, जैसे कार्यकलापों के अलावा म्यूजिक बुक्स की पब्लिशिंग, म्यूजिक अलबम रिकार्डिंग म्यूजिक डीलर, म्यूजिक स्टूडियो के विभिन्न विभागों इत्यादि का उल्लेख किया जा सकता है।
टेलीविजन : साउंड रिकार्डिस्ट, म्यूजिक एडिटर, प्रोडक्शन, आर जे एवं डीजे म्यूजिक लाइसेंस में ऐसे जानकार और अनुभवी लोगों की जरूरत प़ड़ती है।
स्टेज परफार्मेंस : म्यूजिक शो, टेलीविजन म्यूजिक प्रोग्राम, म्यूजिक कंपीटिशन आर्म्ड फोर्सेज बैंडज, सिंफनी आर्केस्ट्रा, डांस बैंड, रॉक और जैज ग्रुप इत्यादि में भी इनकी भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
म्यूजिक थेरेपिस्ट : विकलांगता के शिकार बच्चों और लोगों के अलावा मानसिक तनाव से ग्रस्त व्यक्तियों के उपचार में आजकल संगीत को काफी महत्वपूर्ण माना जाने लगा है। इस प्रोफेशन में सफल होने के लिए संगीत, अध्यायन और थेरेपी का जानकार होना जरूरी है। इनके लिए हॉस्पीटलों, मेंटल टैम्थ सेंटरों, नर्सिंग होम्स इत्यादि में रोजगार के अवसर हो सकते हैं।
स्टूडियो टीचिंग : म्यूजिक टीचर के रूप में स्कूलों कॉलेजों और अन्य संगीत प्रशिक्षण संस्थाओं में करियर बनाने के बारे में भी सोचा जा सकता है। इनमें भी विशेषतता प्राप्त टीचर का खासा महत्व होता है। विशेषताओं में खासतौर पर म्यूजिक थ्यरी, म्यूजिक हिस्ट्री एंड लिट्रेचर, म्यूजिक एजुकेशन, म्यूजिकोलॉजी, इलेक्ट्रॉनिक म्यूजिक, कंपोजिशन अथवा म्यूजिक थेरेपी की बात की जा सकता है।
इन सबके अतिरिक्त फिल्म इंडस्ट्री, चर्च म्यूजिशियन म्यूजिक लाइब्रेरियन, म्यूजिक अरेंजिंग, म्यूजिक सॉफ्टवेयर, प्रोडेक्शन म्यूजिक, वर्चुअल रिअल्टी साउंड एंवायरनमेंट इत्यादि जैसी विधाओं में भविष्य बनाया जा सकता है।

सेफोलॉजिस्ट की मांग बढ़ी
आजकल जिस प्रकार लोग चुनाव और उसके परिणामों को जानने के लिए उत्साहित रहते हैं। उसको देखते हुए चुनाव विश्लेषकों के लिए भी बेहतर संभावनाएं नजर आती हैं। एग्जिट पोल के परिणामों की सार्थकता को देखते हुए इनके काम की हर जगह पूछ है तथा लगभग सभी पार्टियां इनकी सेवाएं लेने में दिलचस्पी दर्शा रही हैं। एग्जिट पोल अथवा प्री पोल सर्वे का काम इतना आसान भी नहीं होता। यह एक खास लोगों की लगातार कई दिनों तक की मेहनत का ही परिणाम होता है। ऐसे लोग चुनाव विश्लेषक या सेफोलॉजिस्ट कहलाते हैं। एक पूरे क्षेत्र का अध्ययन जिस शाखा के अंतर्गत किया जाता है, उसे सेफोलॉजी कहते हैं। जिस तेजी से लोगों की चुनाव में दिलचस्पी बढ़ रही है, उसी तेजी से देश में चुनाव विश्लेषकों की मांग भी बढ़ रही है।
क्या है चुनाव विश्लेषकों का काम
इस क्षेत्र में आंकड़ों और लोगों के नजरिए को परखना होता है। बतौर चुनाव विश्लेषक इसमें जानकारियों एवं तथ्यों का जमकर दोहन किया जाता है। चुनाव के पहले से ही पूर्व के आंकड़ों को परखने, चुनाव के दौरान मत-प्रतिशत और फिर उसके बाद लाभ-नुकसान, गठबंधन से फायदा आदि का विधिवत अध्ययन किया जाता है। काम के सिलसिले में पेशेवरों को चुनावी क्षेत्रों का दौरा भी करना पड़ता है।
पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स होता है बेहतर
चुनाव विश्लेषक बनने के लिए किसी खास कोर्स का संचालन नहीं किया जाता लेकिन पोस्ट ग्रेजुएशन में राजनीति शास्त्र, समाजशास्त्र अथवा सांख्यिकी की डिग्री रखने वाले छात्र इसके लिए उपयुक्त समझे जाते हैं। इस क्षेत्र की कार्यशैली व गंभीरता को देखते हुए इसमें पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स को ही बेहतर माना जाता है। यदि छात्र के पास राजनीति शास्त्र व समाजशास्त्र अथवा सांख्यिकी में से किसी एक में डॉक्टरेट की डिग्री है तो उन्हें वरीयता दी जाती है। हालिया एक-दो वर्षों में कुछ विश्वविद्यालयों ने सेफोलॉजी में सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किए हैं, जिनके जरिए वे विश्लेषकों की टीम तैयार कर रहे हैं।
ये कोर्स होंगे सहायक
बीए इन पॉलिटिकल साइंस
बीए इन सोशियोलॉजी
बीए इन स्टैटिस्टिक्स
एमए इन पॉलिटिकल साइंस
एमए इन सोशियोलॉजी
एमए इन स्टैटिस्टिक्स
पीएचडी इन पॉलिटिकल साइंस
राजनीतिक हलचलों से अपडेट रहें
इसमें राजनीतिक आंकड़ों का ताना-बाना बुनने के साथ ही जनसांख्यिकी पैटर्न को गहराई से समझना जरूरी होता है। साथ ही उन्हें जातिगत समीकरणों व राजनीतिक हलचलों से खुद को अपडेट रखना पड़ता है।
एक अच्छा चुनाव विश्लेषक बनने के लिए यह आवश्यक है कि प्रोफेशनल्स जातिगत एवं मतों के धु्रवीकरण को बखूबी समझे, अन्यथा वह एक स्वस्थ व निर्विवाद निष्कर्ष पर कभी नहीं पहुंच सकता। इन प्रमुख गुणों के साथ-साथ उसे परिश्रमी व धैर्यवान भी बनना होगा। उसके पास पिछले कुछ चुनावों के आंकड़े भी होने चाहिए। कंप्यूटर व इंटरनेट की जानकारी उसे कई तरह से लाभ पहुंचा सकती है।
रोजगार के असीम अवसर
इसमें पेशेवरों को सरकारी व प्राइवेट दोनों जगह पर्याप्त अवसर मिलते हैं। यदि छात्र ने सफलतापूर्वक कोर्स किया है तो उसे रोजगार के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। चुनावी सर्वे या रिसर्च कराने वाली एजेंसियों, टेलीविजन चैनल, समाचार पत्र-पत्रिकाओं, प्रमुख राजनीतिक दलों व एनजीओ आदि को पर्याप्त संख्या में इनकी जरूरत होती है। इसके अलावा पॉलिटिकल एडवाइजर, टीचिंग, संसदीय कार्य तथा पॉलिटिकल रिपोर्टिंग में इन लोगों की बेहद मांग है।
यदि प्रोफेशनल किसी संस्था अथवा बैनर से जुड़कर काम नहीं करना चाहता तो वह स्वतंत्र रूप से बतौर कंसल्टेंट अथवा अपनी एजेंसी खोलकर भी कार्य कर सकता है।
आकर्षक वेतन
इसमें वेतन की कोई निश्चित रूपरेखा नहीं होती। चुनावी दिनों में वे एक मोटे पैकेज पर एक प्रोजेक्ट विशेष के लिए अपनी सेवा देते हैं। जबकि प्रोफेसर व एनालिस्ट के रूप में वे 35-40 हजार रुपए प्रतिमाह आसानी से कमा सकते हैं। यदि वे विश्लेषक के तौर पर काम कर रहे हैं तो उनके लिए आमदनी के कई रास्ते होते हैं। अच्छी शुरुआत कर आपकी आमदनी भी अच्छी हो सकती है।

डीयू में एक मई से शुरू होंगे प्रवेश
दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) में अगले महीने एक मई से प्रवेश शुरु होंगे। डीयू का कहना है कि अभी कुछ मामलों पर काम होना बाकी है, ऐसे में 1 मई से ही प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो पाएगी। इससे पहले ये प्रक्रिया इसी माह शुरु होने वाली थी पर प्रवेश प्रक्रिया में होने वाले बदलावों के कारण संभव नहीं हो पायी। डीयू की प्रवेश कमिटी की उम्मीद है कि अप्रैल आखिरी हफ्ते तक तैयारी हो जाएगी।
डीयू के अनुसार कहा, इन दिनों ऐडमिशन कमिटी शेड्यूल पर काम कर रही है।
अधिकारियों का कहना है कि रजिस्ट्रेशन विंडो अप्रैल आखिर में खुलेगी, इसके बाद सीबीएसई के रिजल्ट (संभावित मई तीसरे हफ्ते) के आसपास इसे खोला जाएगा, ताकि नंबर अपडेट किए जा सकें। ऐसा पहली बार हो रहा है कि डीयू का ऐडमिशन पोर्टल स्टूडेंट्स के मार्क्स और कोर्स अपडेट करने के लिए दोबारा भी खोला जाएगा। प्रशासन सीबीएसई से भी स्टूडेंट्स का डेटाबेस साझा करने की मांग कर रहा है, ताकि रोल नंबर डालने ही नंबर खुद अपलोड हो जाएं। इससे वेरिफिकेशन में डीयू को काफी आसानी होगी, क्योंकि यूनिवर्सिटी में 80 फीसदी छात्र सीबीएसई से ही होते हैं।
पोर्टल इस माह के अंत में खुलेगा
डीयू में करीब 66,000 सीटों के लिए प्रवेश प्रक्रिया के लिए रजिस्ट्रेशन दो स्टेप में खोलने का इरादा है। प्रशासन ने पहले इसे 15 अप्रैल से 7 मई और फिर 20 मई से खोलने का प्लान बनाया था, मगर अब यह तारीखें आगे बढ़ेंगी। एक अधिकारी का कहना है कि अब पोर्टल अप्रैल आखिर में खुलेगा, ताकि छात्र रिजल्ट से पहले बाकी डॉक्युमेंट्स की व्यवस्था कर लें। खासतौर पर एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटी (ईसीए) और स्पोर्ट्स कोटे के लिए डॉक्युमेंट की आवश्कता होती है। इस पर दोनों कैटिगरी के ट्रायल भी जल्द 20 मई के आसपास शुरू होंगे। पिछले साल यह जून में हुए हैं।

भारतीय छात्रों को ऑस्ट्रेलिया से मिला प्रस्ताव
ऑस्ट्रेलिया पढ़ने जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में पिछले साल भारी बढ़ोतरी हुई है। साल 2018 के दौरान ऑस्ट्रेलिया के शैक्षिक संस्थानों में एक लाख से ज्यादा भारतीय छात्रों ने दाखिला लिया है। भारतीय छात्रों के कुल अंतरराष्ट्रीय दाखिले का यह 12.4 फीसदी है। पिछले साल के मुकाबले इस साल दाखिलों में 25 फीसदी इजाफा हुआ है। इसका कारण यह है कि ऑस्ट्रेलिया के क्षेत्रीय संस्थानों में पढ़ने वाले को वहां की सरकार जबर्दस्त सुविधा दे रही है। पढ़ाई के बाद एक साल ज्यादा काम के मौके के साथ-साथ उनको हर साल करीब 7 लाख रुपये की स्कॉलरशिप भी मिलेगी।
इसलिए बढ़ रहे छात्र
ऑस्ट्रेलिया ने ‘अडिशनल टेंपररी ग्रैजुएट’ वीजा की घोषणा की थी। इसमें किसी रजिस्टर्ड यूनिवर्सिटी के क्षेत्रीय कैंपस से ग्रैजुएशन करने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों को पढ़ाई के बाद ऑस्ट्रेलिया में एक साल अतिरिक्त काम का अधिकार मिलता है। मौजूदा समय में जो नियम है उसके मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया में बैचलर या मास्टर डिग्री तक की पढ़ाई करने वाले छात्रों को पढ़ाई के बाद 2 सालों तक काम के लिए वीजा मिलता है लेकिन नए नियम में अब उनको तीन साल मिलेंगे।’
20 मार्च को जारी एक अलग रिलीज में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने एक नई स्कॉलरशिप स्कीम की घोषणा थी। यह स्कीम ऑस्ट्रेलिया के अन्य क्षेत्रों में पढ़ाई के लिए ऑस्ट्रेलियाई और अंतरराष्ट्रीय छात्रों को आकर्षित करने के लिए थी। हर साल स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय छात्रों को करीब 15,000 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (करीब 7 लाख रुपये) मिलेंगे।

कनाडा में पढ़ाई के लिए एसडीएस स्कीम लागू
भारत से विदेश पढ़ने जाने वाले छात्रों के लिए कनाडा फेवरिट पसंदीदा स्थलों में से एक है। हर साल लाखों स्टूडेंट्स कनाडा की यूनिवर्सिटीज में पढ़ने के लिए अप्लाई करते हैं। कनाडा की सरकार ने आवेदन प्रक्रिया में कुछ बदलाव किए हैं। सरकार ने स्टूडेंट डायरेक्ट स्ट्रीम (एसडीएस) लागू किया है।
एसडीएस कनाडा में स्टडी परमिट के लिए आवेदन करने वालों के लिए एक नई ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया है। एसडीएस दस्तावेजों की चेकलिस्ट मेनटेन रखेगा और वेबसाइट के जरिए आवेदक और यूनिवर्सिटी के संवाद कराएगा। एसडीएस से रजिस्ट्रेशन करने के लिए पहले स्टूडेंट का किसी कनाडाई यूनिवर्सिटी से मंजूरी लेनी होगी।
जरूरी दस्तावेज
आवेदक को कनाडा के किसी शिक्षण संस्थान में पहले साल की फीस की रसीद जमा करनी होगी। इसके साथ ही उन्हें मेडिकल सर्टिफिकेट भी जमा करना होगा। एसडीएस की प्रक्रिया के जरिए आवेदन करने के लिए स्टूडेंट को आईईएलटीएस में कम से कम 6 और टीईएफ में 7 स्कोर होना चाहिए।

इन क्षेत्रों में अपना काम शुरु करें
अगर आप कारोबार करना चाहते हैं पर आपके पास बजट कम है तो आप इन क्षेत्रों में अपना स्वयं का काम शुरु कर अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं। इसमें निवेश भी कम करना होगा और आप अच्छा पैसा भी कमा सकते हैं। अगर आप इन कारोबारों में मेहनत से काम करेंगे तो आगे बढ़ने की अच्छी खासी संभावनाएं हैं।
इवेंट मैनेजमैंट – आजकल इवेंट का काम बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। खास बात ये है कि इसमें आपको किसी खास डिग्री की आवश्यकता नहीं है और आप क्रिएटिव तरीके से काम करके इसमें पैसा कमा सकते हैं। इवेंट में आप वेडिंग, ऑफिशियल प्रोग्राम, पार्टी आदि की अरेजमेंट कर सकते हैं और इसमें आपको निवेश नहीं करना होता, सिर्फ इवेंट की व्यवस्था करनी होती है। आप अच्छे संपर्क बनाकर इसमें पैसे कमा सकते हैं।
ऑटो गैराज- आपको सुनकर भले ही ये अजीब लगे, लेकिन कई लोग इससे अच्छा पैसा कमा रहे हैं। यह गैराज किसी एक दुकान पर नहीं होगा, बल्कि यह डिमांड पर कहीं जाएगा। मतलब आजकल गाड़ियों की संख्या अधिक हो गई और बीच रास्ते में गाड़ी खराब हो जाने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में आप ऐसे लोगों की मदद कर पैसे कमा सकते हैं।
ड्राइविंग स्कूल – देश में कारों की बढ़ती संख्या को देखते हुए ड्राइविंग सीखने वालों की संख्या भी बड़ी है। ऐसे में ड्राइविंग स्कूल चलाना भी एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। इस काम को करने के लिए शुरुआती तौर पर आपके पास सिर्फ एक कार होना जरूरी है। जिससे आप दूसरों को ड्राइविंग सिखा सकें।
टिफिन सेंटर – घर से बाहर दूसरे शहरों में रह रहे लोगों के लिए घर का खाना एक सपने जैसा होता है। इसलिए आप इन शहरों में टिफिन आदि का कारोबार करके आप कम इनवेस्ट में अधिक पैसे कमा सकते हैं। इसकी पब्लिसिटी के लिए आप सोशल मीडिया या किसी ऐप का सहारा ले सकते हैं।
क्लिनिंग सर्विस- इस क्लिनिंग सर्विस में आप कपड़ों से लेकर घर,गाड़ी आदि तक का काम कर सकते हैं क्योंकि लोगों के पास काम की व्यस्तता की वजह से यह सब काम करने का वक्त नहीं होता है। ऐसे में आप उनके लिए ऑनलाइन रुप से ये काम करके अच्छे पैसे कमा सकते हैं। विदेशों और मेट्रो सिटी में कई लोग इस तरह से कमाई कर रहे हैं।
ट्रांसलेटर- यह एक फ्रीलांस काम की तरह है। इस काम को आप किसी बिजनेस या नौकरी के साथ भी कर सकते हैं। आप यह भाषाओं के लिए कर सकते हैं। आजकल कई क्षेत्रीय भाषाओं के लिए भी कई लोगों की मांग है।
सोशल मीडिया कंसलटेंट- आज प्रचार करने का सबसे अच्छा साधन है सोशल मीडिया। हर कोई खुद के लिए या अपनी संस्था के लिए सोशल मीडिया का सहारा ले सकते हैं। ऐसे में आप सोशल मीडिया से संबंधित कोई कोर्स करके या इसके बारे में पढ़कर आप पैसे कमा सकते हैं। इसके लिए आपको कई लोगों के सोशल अकाउंट संभालने होंगे।

ऑफिस में न करें ये गलतियां
अगर आप केरियर में आगे बढ़ना चाहते हैं तो अपने कार्यस्थल पर कुछ बातों का हमेशा ध्यान रखें। सबसे पहले समय पर काम करने की आदत डालें। हर काम को समय पर करें और आपसे जो अपेक्षा है, उसे करने के लिए तैयार रहें। अगर आप काम में देरी करेंगे तो इससे आपकी छवि नकारात्मक बनेगी।
आपकी आदतों से आपकी छवि पर बहुत असर पड़ता है। इसलिए इन आदतों को जितनी जल्दी को सके छोड़ दें।
लेट-लतीफ न बनें
समय का पाबंद होना बहुत जरूरी है। हर काम को समय पर करें और आपसे जो अपेक्षा है, उसे करने के लिए तैयार रहें। अगर आप काम में देरी करेंगे तो इससे आपकी छवि लापरवाह की बनेगी।
मीटिंग के बीच कहीं और खो जाना
मीटिंग के दौरान वहां हो रही गतिविधियों पर ध्यान दें। मोबाइल या लैपटॉप खोलकर कुछ और न करने लग जाएं या किसी और सोच में न डूब जाएं। इससे आसपास बैठे लोगों और बॉस की नजर में आपकी छवि खराब होगी।
किसी काम को लेकर सवाल पर सवाल खड़ा करना
अगर आपको कोई काम सौंपा जाता है और आप उसको लेकर तरह-तरह के सवाल उठाते हैं तो यह समझा जाएगा कि आप काम करना नहीं चाहते हैं। सवाल उठाने में कोई दिक्कत नहीं है लेकिन गैरजरुरी सवाल आपके लिए परेशानी पैदा कर सकते हैं।
हर समय नकारात्मक न रहें
वैसे तो हर किसी को बॉस, सहकर्मी या किसी काम को लेकर शिकायत रहती है लेकिन अगर आप मुखर होकर इसके खिलाफ बोलते हैं तो यह आपके खिलाफ जाता है। हमेशा बॉस की या सहकर्मियों के खिलाफ कुछ भी नकारात्मक बोलने से परहेज करें।
मीटिंग में देर से पहुंचने की आदत छोड़ें
मीटिंग में अगर आप हमेशा देर से पहुंचते हैं तो इसका मतलब है कि न तो आप अपने सहकर्मियों का सम्मान करते हैं औ न ही मीटिंग के आयोजकों का। इस आदत को छोड़ना ही आपके लिए फायदेमंद होगा।
बीमार होने का बहाना न बनाएं
अगर आप हर हफ्ते बीमार होने का बहाना बनाकर छुट्टी ले लेते हैं तो इससे आपकी बॉस के नजर में गलत छवि बनेगी और प्रमोशन में इसका नुकसान उठाना पड़ेगा।

लेखन में भी है रोजगार
अगर आपको किताबें पढ़ना और अपने मन की बात को डायरी में लिखना पसंद है तो आप लेखन में भी अच्छा करियर बना सकते हैं, और खूब सारे पैसे भी कमा सकते हैं। लेख्नन में करियर बनाना चाहते हैं तो बस इन तीन बातों को अपने दिमाग में रख लें।
क्रिएटिव बने
लेखन के लिए क्रिएटिव दिमाग का होना बहुत जरूरी है। जिसे किसी भी राइटिंग कोर्स के जरिए सीखा नहीं जा सकता जिस भाषा में आप लिखना चाहते हैं उसमें पकड़ लाने के लिए आपको अखबार, नॉवल, कहानियों को लगातार पढ़ते रहना होगा तभी आप लिखने में महारत प्राप्त कर पाएंगे। एक बाद याद रखें कोई भी लेखन लिखते वक्त जितनी बढ़िया वर्तनी होगी उतना ही मजबूत आपका लेख होगा।
सीधे तरीके से लिखे
अक्सर पाठक घुमावदार तरीके से लिखे हुए लेखन को पढ़ने से बचते हैं। उन्हें वहीं पढ़ना पसंद है जिसमें बात साफ और सीधे तरीके से लिखी गई हो। इसलिए स्पष्ट लिखने की आदत डालें, ताकि आप कम वाक्य में ज्यादा से ज्यादा जानकारी दें सकें।
एक लेखक को सफलता तभी मिलती है जब वह ताजा मामलों पर लिखता है। ऐसा ना हो कि देश और दुनिया में कुछ और बात चल रही है और आप अपने पाठकों को कोई और बात परोस रहे हैं। दुनिया में क्या चल रहा है इसके लिए आपको सोशल मीडिया पर अपडेट रहना होगा। ताकि आप वही लिखें जो पाठक पढ़ना चाहतें हैं।

फॉरेंसिक साइंस में रोजगार के कई अवसर
अपराधों की जांच में फॉरेंसिक विज्ञान के बढ़ते उपयोग को देखते हुए इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़े हैं। हाल के दिनों में फॉरेंसिक साइंस का उपयोग तेजी से बढ़ा है। इसके प्रयोग को देखते हुए इस क्षेत्र में रोजगार की काफी संभावनाएं पैदा हुई हैं।
जानें क्या है फॉरेंसिक विज्ञान
किसी अपराध की जांच के लिए वैज्ञानिक सिद्धांतों का उपयोग फॉरेंसिक विज्ञान कहलाता है। इस क्षेत्र में काम करने वाले पेशेवर फॉरेंसिक साइंस विज्ञानी होते हैं।
ये पेशेवर नई तकनीकों का इस्तेमाल कर सबूतों की जांच करते हैं और अपराधियों को पकड़ने में मदद करते हैं। ये क्राइम लैबोरेटरी आधारित जॉब है, जिसमें सबूतों की समीक्षा करना होता है.
इस क्षेत्र में प्रवेश लेने के लिए फिजिक्स, केमेस्ट्री और बायोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, मेडिकल टेक्नोलॉजी या जेनिटिक्स जैसे विषयों में बैचलर डिग्री होनी चाहिए। वहीं, कुछ दूसरे जॉब में लैब अनुभव भी मांगा जाएगा। बैचलर डिग्री के अलावा आप मास्टर डिग्री या डिप्लोमा फॉरेंसिक साइंस में कर सकते हैं।
इस क्षेत्र में ज्यादातर जॉब सरकारी सेक्टर में है। यहां पुलिस, लीगल सिस्टम, इंवेस्टिगेटिव सर्विस जैसे जगहों पर जॉब मिल सकती है। वहीं, प्राइवेट एजेंसी भी फॉरेंसिक साइंटिस्ट्स को हायर करती है। ज्यादातर फॉरेंसिक साइंटिस्ट इंटेलि‍जेंस ब्यूरो और सीबीआई की ओर से हायर किए जाते हैं। इसके अलावा एक टीचर के रूप आप फॉरेंसिक साइंस को किसी इंस्टीट्यूट में पढ़ा कर अच्छा खासा कमा सकते हैं। योग्यता के आधार पर आपका वेतन 20-50 हजार रुपये तक या उससे ज्यादा भी हो सकती है।
जरुरी योग्यताएं
बातचीत करने में कुशल हो क्योंकि कोर्ट में अपनी बातों को साबित करने के लिए बेहतर संवाद के तरीके आना जरूरी हैं। कई तरह के टेस्ट रिपोर्ट लिखने होंगे, इसलिए राइटिंग स्किल भी अच्छी होनी चाहिए।
फॉरेंसिक साइंस कोर्स के लिए शीर्ष संस्थान
इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिमिनोलॉजी एंड फोरेंसिक साइंस, नई दिल्ली
लोक नायक जयप्रकाश नारायण नेशनल इंस्टीट्यूट
ऑफ क्रिमिनोलॉजी एंड फोरेंसिक साइंस, दिल्ली
अन्ना यूनिवर्सिटी, चेन्नई
सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेट्री, हैदराबाद
नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, भोपाल
गर्वेमेंट इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंस, भोपाल

12वीं के बाद कर सकते हैं ये कोर्स
12वीं पास करने के बाद बहुत से छात्र ऐसे होते हैं जो आगे की पढ़ाई की जगह कोई पेशेवर कोर्स करने के बाद सीधे नौकरी या कोई कारोबार करना चाहते हैं। ऐसे में छात्रों के लिए हम कुछ कोर्सों के बारे में सुझाव दे रहे हैं जिन्हें करने के बाद वे अच्छे खासे पैसे कमा सकते हैं। ये कोर्स किसी अच्छे संस्थान से करें। ये कोर्सेस 6 माह के सर्टिफिकेट से लेकर दो साल तक के डिप्लोमा या चार साल के डिग्री कोर्स भी हैं। आप इन्हें अपनी जरूरत के अनुसार तय कर सकते हैं।
एनिमेशन डिजाइनिंग
इन दोनों प्रोफेशनल कोर्सेज में ड्राइंग, डिजाइनिंग और डिजाइनिंग के सॉफ्टवेयर से जुड़ी तकनीकी जानकारी का पता होना चाहिए। इसके अलावा आप बैचलर ऑफ फाइन आर्ट की भी पढ़ाई कर सकते हैं। अगर आप क्रिएटिव हैं तो आपके लिए इससे अच्छा कोर्स नहीं है। जिन लोगों की ड्राइंग अच्छी हो या चित्रकारी में उनका हाथ सधा हो ऐसे लोगों के लिए ये कोर्स बेहतर हो सकता है। एनिमेशन और ग्राफिक डिजाइन कोर्सेज के बाद तकरीबन न्यूनतम 3 लाख से 5 लाख रुपए सालाना की सैलरी मिल सकती है। नौकरी के अलावा इस क्षेत्र में फ्री लॉसिंग से भी पैसा कमा सकते हैं।
ज्वैलरी डिजाइनर का कोर्स
ज्वैलरी का शौक और जरूरत की भारत में सैकड़ों साल पुरानी रिवाज है। यहां शादी-विवाहों से लेकर हर विशेष अवसर पर लोग फैशनेबल ज्वैलरी जरूर खरीदते हैं। फैशन के शौकीन लोग जूलरी के आकर्षक डिजाइन को तरजीह देते हैं। दुनिया में भारत का सबसे बड़ा रत्न और आभूषण बाजार है लेकिन यह उद्योग ज्यादातर असंगठित क्षेत्र में है, जहां सोने पर ज्यादा तवज्जो दी जाती है। बड़ी कंपनियों के इस सेक्टर में कदम रखने के साथ अब सोने के अलावा रत्नों और पत्थरों की लोकप्रियता भी बढ़ गई है। ज्वैलरी डिजाइनिंग कोर्स में आपको पत्थरों के विभिन्न प्रकार, कलर स्कीम, डिजाइन थीम, परजेंटेशन और फ्रेमिंग, इंडिविजुअल जूलरी पीस का डिजाइन करना बताया जाता है।
टॉप संस्थान-
एनआईएफटी कैंपस, गुलमोहर पार्क के सामने, हौज खास, नई दिल्ली
श्रीमती नाथीबाई दामोदर ट्रेनिंग (एसएनडीटी) विमिन यूनिवर्सिटी, मुंबई
जेम ऐंड जूलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल, राजस्थान भवन, जयपुर
ज्यूलरी डिजाइन एंड टेक्नोलॉजी इंस्टिट्यूट, स्मॉल इंडस्ट्रीज सर्विस इंस्टिट्यूट, चेन्नै
इंटीरियर डिजाइनिंग
ये कोर्स उन छात्रों के लिए अच्छा है जो क्रिएटिव तो है हीं साथ ङी उन्हें घर सजाना अच्छा लगता है। बस इंटीरियर डिजाइनिंग में उन्हें क्लाइंट की जरूरतों के हिसाब से इंटीरियर डिजाइन करना होता है। इंटीरियर डिजाइनिंग में लोग घरों, ऑफिसों में आकर्षक लुक देने के अलावा स्पेस का बेहतर इस्तेमाल करना भी बताते हैं। इसलिए इस कोर्स को करने वालों को क्रिएटिन, कम्यूनिकेट होने के साथ-साथ इमेजिनेटिव भी होना चाहिए। इंटीरियर डिजाइनिंग में कई संस्थान डिप्लोमा कोर्स मुहैया करा रहे हैं। इन पाठय़क्रमों के लिए आप 12वीं के बाद आवेदन कर सकते हैं। बतौर इंटर्न 20 हजार रुपये महीना कमा सकता है। बड़े डिजाइनर एक से दो रूम के लिए दो से तीन लाख रुपये बतौर कंसल्टेंसी मांग लेते हैं।
फैशन डिजाइनिंग
फैशन डिजाइनिंग एक आर्ट है जिसमें आप कपड़ों और एक्सेरीज की डिडाइनिंग करते हैं। इसके लिए सिर्फ स्केचिंग ही जरूरी नहीं होता बल्कि इसमें कई कोर्सेज हैं, जैसे फैब्रिक डाइंग एवं प्रिंटिंग, कम्प्यूटर एडेड डिजाइन, एक्सेसरीज एवं ज्वैलरी डिजाइनिंग, मॉडलिंग, गारमेंट डिजाइनिंग, लेदर डिजाइनिंग, इंटीरियर डिजाइनिंग, टैक्सटाइल डिजाइनिंग, टेक्सटाइल साइंस, अपैरल कंस्ट्रक्शन मेथड जैसे कोर्सेज शामिल होते हैं। फैशन डिजाइनिंग के कोर्सेज कर आफ अनुभव पाकर 25,000 से 50,000 रुपए महीना कमा सकते हैं।

8 अप्रैल को जारी होगी एनआईआरएफ रैंकिंग
नेशनल इंस्टीट्यूट रैंकिग फ्रेमवर्क ( एनआईआरएफ) की रैकिंग की घोषणा 8 अप्रैल को होगी। पिछले साल 2018 रैंकिंग में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बंगलूरू (आईआईएससी) को भारत में सर्वश्रेष्ठ यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया गया था।
2016 से ही देश में कॉलेजों और यूनिवर्सिटी की रैंकिंग उनके अलग अलग फील्ड के कोर्सेज के अनुसार की गई है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ये रैकिंग 9 वर्ग में जारी की जाती है। ये रैंकिंग टीचिंग, लर्निंग ,रिसर्च और पेशेवर अभ्यास के आधार पर जारी की जाती है।
पिछले साल मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने ये रैंकिंग जारी की थी जिसमें इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी) और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी मद्रास (आईआईटी-एम) को सर्वश्रेष्ठ इंजीनियरिंग कॉलेज घोषित किया गया था। वही इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट अहमदाबाद को सर्वश्रेष्ठ मैनेजमेंट इंस्टीटूशन का दर्जा दिया गया था।
अब संयुक्त अरब अमीरात में भारतीय डिग्री को समान दर्जा
संयुक्त अरब अमीरात और खाड़ी देशों में नौकरी तलाश रहे भारतीय उम्मीदवारों को अब और आसानी होगी। इन देशों में भारतीय युवाओं को आसानी से नौकरी मिल जाएगी। भारत में पढ़ाई करने वाले युवा आसानी से खाड़ी देशों में नौकरी हासिल कर सकेंगे। दरअसल यूएई सरकार निर्धारित मानदंड पूरा करने वाली सभी भारतीय डिग्री के लिए समान दर्जा जारी करेगी। इस कदम से खाड़ी देश में नौकरी तलाश रहे लोगों को बड़ी राहत मिलने की संभावना है।
इससे पहले बाहरी या आंतरिक अंकों को लेकर अस्पष्टता के कारण भारतीय डिग्री को समान दर्जा नहीं था।
अब संयुक्त अरब अमीरात ने प्रमाणपत्र को लेकर सभी समान मापदंड पूरा करने वाली डिग्री को समान दर्जा देने का फैसला किया है। वहीं जिन आवेदनों को पहले खारिज कर दिया गया था, उनकी समीक्षा की जाएगी। साथ ही प्रमाणपत्र से जुड़ी शर्तें पूरी करने के बाद उन्हें समतुल्यता का पत्र जारी कर दिया जाएगा। यूएई में भारतीय समुदाय सबसे बड़ा प्रवासी समूह है। तकरीबन 33 लाख प्रवासी भारतीय यहां रहते हैं। खाड़ी देश की कुल आबादी का यह 30 फीसदी है।

सर्वश्रेष्ठ देने वाला होता है सफल
कभी-कभी केरियर में संघर्ष के दौरान हमें वो काम भी करने पड़ते हैं जो पसंद नहीं होते ऐसे में संयम से काम करने से ही सफलता मिलती है। इस मामले में कहा जाता है कि काम के साथ जब मर्जी जुड़ी होती है, तो दिमाग और हाथ दोनों तेज चलने लगते हैं पर हर बार काम मन का ही हो जरूरी नहीं। समय और जगह बदलते ही काम की जरूरत बदल जाती है। एक एचआर विशेषज्ञ के अनुसार आप काम को किस नजरिए से स्वीकार करते हैं यह अहम होता है। जरूरी मौकों पर काम को मना कर देना, काम देखकर घबरा जाना, बहाने बनाना या फिर अपनी बढ़ती अहमियत को देखते हुए अकड़ से तरक्की में रुकावट आती है।
कॉरपोरेट दुनिया हो या फिर कोई और काम, माहिर वही होता है, जो मन न होने पर भी सर्वश्रेष्ठ देने में कामयाब होता है। और जैसे-जैसे काम पूरे होने लगते हैं, ये समझ आने लगता है कि काम का ज्यादा होना हमें परेशान नहीं करता, जितना कि चिंता और बेचैनी परेशान कर रही होती है। काम जब ज्यादा हो तो इस बेचैनी को संभालना सीख जाना ही कामयाबी देता है। हो सकता है कि काम वाकई बहुत ज्यादा हो। पर तब यह भी देखना जरूरी होता है कि क्या अकेले आपको ऐसा लग रहा है या दूसरे भी काम में जुटे हैं? कई बार काम से पूरी टीम, अधिकारी व संस्थान की प्रतिष्ठा जुड़ी होती है, ऐसे में यह विश्वास होना चाहिए कि आपको सहयोग भी अवश्य मिलेगा। इसलिए जरूरी समय में तिल का ताड़ न बनाना ही बेहतर होता है।
काम के स्थल पर ज्यादातर लोग इस बात की शिकायत करते हैं कि उन्हें काम करने के मौके नहीं मिलते या फिर जरूरी काम करने को नहीं दिए जाते। सच यह है कि ज्यादातर ऐसे मौकों को समझ ही नहीं पाते। जो समय जोश से काम करने का होता है, वे उलझे रह जाते हैं। बीती बातों को याद करके काम से बचने लगते हैं।
ज्यादा काम, ज्यादा आराम
सफल लोगों की मानें तो हमेशा काम में व्यस्त रहने वालों के पास हमेशा समय होता है। काम जब ज्यादा हो तो शिकायत व बहानों में उलझने की जगह सही योजना बनाकर जुटना ही अच्छा होता है। अगर काम दूसरों से भी करवाना है तो आपका हिम्मत बनाए रखना, सबके साथ खड़े होना और जरूरी हो जाता है।
काम को सीधे ना कहने की बजाय यह स्पष्टता होना जरूरी है कि काम ज्यादा क्यों लग रहा है? काम महत्वपूर्ण है और आपकी चिंता के कारण भी सही हैं, जो दूसरों को भी समझ आ रहे है, तो फिर घबराना कैसा खुशी-खुशी सबके साथ जुड़ते हुए थोड़ा ज्यादा करने के लिए तैयार रहें। ध्यान रखें कि काम न करना शरीर को तोड़ सकता है, काम करते रहना नहीं। काम मिल रहा है यही सबसे बढ़िया है।
ऐसे दें कामों को अंजाम
जो काम सबसे जरूरी है, पहले उसे चुनें। जिस काम के लिए दूसरे आप पर निर्भर हैं, उन्हें पहले निपटा दें।
बदलते समय के साथ काम के तरीकों को बदलने के लिए तैयार रहें। छोटे-बड़े, किसी काम में आनाकानी न करें।
दूसरों का काम में सहयोग लें और दूसरों को सहयोग दें।
कम से कम गलती की गुंजाइश रखते हुए काम करें।
काम में बाधा पहुंचाने वाले लोगों, बिखरे कागज, सोशल मीडिया, फोन व संदेश आदि से कुछ समय दूरी बना लें। काम के साथ-साथ तरोताज होने के लिए बीच में कुछ समय ब्रेक भी लें।

विदेशी भाषाओं में भी हैं कई संभावनाएं
आजकल विदेशी भाषा के क्षेत्र में भी काफी संभावनाएं हैं, ऐसे में युवा फ्रेंच, स्पेनिश और जर्मन जैसी विदेशी भाषाओं में खासी रुचि दिखा रहे हैं और इस क्षेत्र में भी केरियर बनाना चाहते हैं। अगर आप भी विदेशी भाषा सीख कर अच्छी खासी कमाई करना चाहते हैं तो
इन बातों का ध्यान रखें।
जैसे कि भाषा पर अच्छी पकड़ होनी चाहिए ताकि भाषा से संबंधित चीजों को समझने में आसानी हो सके। इसके अलावा प्रेज़ेंस ऑफ माइंड, सकारात्मक रुख, टीमवर्क और नई चीजें सीखने की ललक जैसी कुछ बातें हैं जो आप में होनी चाहिए।
विदेशी में सर्टिफिकेशन
विदेशी भाषा में बेसिक सर्टिफिकेशन ए 1 स्तर का होता है। इसके बाद थोड़ा अडवांस कोर्स ए2 सर्टिफिकेशन के लिए किया जाता है। यह सर्टिफिकेशन उस भाषा से जुड़े दूतावास से मिलता है। ए1 और ए2 सर्टीफिकेशन किसी बहुराष्ट्रीय कंपनी में नौकरी के आवेदन के लिए सबसे बेहतर माना जाता है। वहीं अगर आप विदेशी भाषा पढ़ाना चाहते हैं तो आपके पास इसके और अडवांस लेवल कोर्स बी1 और बी2 का सर्टिफिकेशन होना चाहिये।
ध्यान रखें
अगर आपने विदेशी भाषा का बेसिक समझ और सीख लिया है तो उसका अडवांस भी साथ ही सीख लें। अगर आपने अडवांस कोर्स सीखने में देर कर दी तो आप कई बातों को भूल जाएंगे। इससे आपने जो मेहनत की है वह सब बेकार ही चली जाएगी। ऐसे में बेहतर होगा कि विदेशी भाषा के कोर्स करने के बाद भी आप अभ्यास करते रहें। इसके लिए आप गूगल ट्रांसलेट और ऐसे ऐप्स की मदद ले सकते हैं जो भाषा समझने में सहायता करें।

स्टार्टअप-ईकॉमर्स कंपनियों में बढ़ रहे अवसर
आजकल जिस तेजी से स्टार्टअप-ईकॉमर्स कंपनियां बढ़ रही हैं उसी तादाद में इनमें निकलने वाले अवसर भी। ऐसे में अगर आप प्रबंधन क्षेत्र में हैं तो आपके पास अच्छे अवसर हैं। देश के टॉप बिजनस स्कूलों को इस साल ई-कॉमर्स कंपनियां और स्टार्टअप की ओर से भारी संख्या में प्लेसमेंट ऑफर्स मिल रहे हैं। ये कंपनियां तकनीकी जानकारी रखने वाले ऐसे मैनेजर तलाश रही हैं, जो इन्हें अगले दौर में ले जा सकें।
बेंगलुरु, कोलकाता और कोझीकोड स्थित आईआईएम और दिल्ली स्थित फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (एफएमएस) के अनुसार पिछले साल के मुकाबले इस प्लेसमेंट सीजन में ई-कॉमर्स कंपनियों और स्टार्टअप की ओर से ज्यादा जॉब ऑफर्स देखने को मिल रहे हैं। सबसे ज्यादा मांग उन मैनेजमेंट स्टूडेंट्स की है, जिन्होंने इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया है। ज्यादातर स्टार्टअप और ई-कॉमर्स कंपनियां हाई ग्रोथ फेज में हैं। उन्हें इसे मेंटेन रखने और बढ़ाने के लिए तकनीकी स्किल रखने वाले अच्छे मैनेजरों की तलाश है। वहीं पिछले साल की तुलना में इस साल ये कंपनियां ज्यादा सैलरी पैकेज भी दे रहीं हैं।
माना जा रहा है कि ये पैकेज 14 लाख रुपए से लेकर 40 लाख रुपए सालाना का है।
स्टार्टअप्स पर निवेशकों का मुनाफा बढ़ाने का दबाव है। ऐसे में उन्हें कारोबार बढ़ाने बेहतर प्रतिभाएं चाहिये इसलिए उन्होंने बिजनस स्कूलों का रुख किया है।
एफएमएस दिल्ली में इस साल ई-कॉमर्स और स्टार्टअप्स ने लगभग दोगुने जॉब ऑफर्स दिए हैं।

कैरियर का चयन करते समय इन बातों का ध्यान रखें
जीवन में कैरियर मार्गदर्शन सबसे अहम है। इसके जरिये ही हम सही राह पकड़ पाते हैं। यह एक ऐसा महत्वपूर्ण विषय है जिसका सही चयन करना बहुत ही जरूरी है। सही कैरियर मार्गदर्शन से ही आप अपने इच्छा अनुसार कैरियर के बारे में जान सकते हैं और यह भी जान सकते हैं कि क्या वह व्यवसाय या कैरियर आपके लिए सही है या नहीं। गलत कैरियर मार्गदर्शन से आपका जीवन बर्बाद हो सकता है। किसी भी व्यक्ति के जीवन में व्यवसाय ही ऐसा चीज है जिसके माध्यम से अत्यधिक ज्ञान के साथ-साथ वह पैसे कमा सकता है और अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकता है।
आप जरूर सोचने लगेंगे कि कौनसे कैरियर या व्यवसाय से आपको ज्यादा पैसे मिलेंगे। पर लोग यह नहीं सोचते की उस कैरियर या व्यवसाय से जुड़ने को अपनाने के बाद वह कैसे उस कैरियर के माध्यम से सफल हो सकते हैं या लक्ष्य को प्राप्त कर पाएंगे ।
बहुत सारे व्यक्ति अपना कैरियर चुनने से पहले ही अहम बातों को भूल जाते हैं –
अपने आपसे पूछना कि आखिर वह कैरियर किस पक्के कारण से उसके लिए सही है ।
सबसे मुख्य बात सही करियर को चुनने समय यह है कि आप अपने करियर से कितने खुश हैं। वाही सही है जो दिल को खुशी दे। आपके लिए सही करियर का चुनाव आप और आपका ज्ञान स्वयं है। आपको वही करियर जमेगा जिसके विषय में आपको ज्ञान है और जिस क्षेत्र में आपको ज्यादा जानकारी है।
जबरदस्ती में चुने हुए करियर से कभी भी सफलता नहीं मिलती। ऐसे चुनाव से मात्र मानसिक तनाव और जीवन बर्बाद होता है क्योंकि ऐसे लोगों को ना तो उस विषय में जानकारी होती है या ना तो वह सही तरीके से उस कार्य को कर सकते हैं।
किसी भी प्रकार के मुश्किल में शिक्षित और बड़े लोगों से पूछने में न झिझकें। जितना हो सके अपने गुरुओं, परिवार के लोगों से या मित्रों की मदद लें। आपने के विषय में आप जितना ज्ञान बटोरेंगे उतना ही सफलता आपका करियर आपको प्रदान करेगा।

सफलता के लिए जरुरी हैं ये बातें
अगर आप जीवन में सफलता हासिल करना चाहते हैं तो आपको योजना के अनुसार काम करते हुए अपनी ताकत और कमजोरियों का सही आंकलन करना होगा। इसके अलावा लक्ष्य हासिल करने के दौरान धैर्य बनाये रखना होगा। इसके साथ ही सहनशीलता और विनम्रता को व्यवहार का हिस्सा बनाना होगा। अगर आप में विनम्रता हैं तो सभी आपकी सहायता करेंगे। ऐसे में नौकरी और कारोबार के दौरान बेहतर व्यवहार जरुरी है।
ऐसा कुछ न करें जिससे आप को बाद में पछताना पड़े।
हर अवसर का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाना चाहिए। आपके पास कोई छोटा मौका हो तो उसका भी सही समय पर लाभ उठाएं। इसी तरह यदि आपके पास कम संसाधन भी हों तब भी आप सफल रहेंगे।
इस एक कहानी के माध्यम से समझें एक कारोबारी के चार पुत्र थे। जब चारों बड़े हो गए तो व्यापारी ने संपत्ति की जिम्मेदारी अपने बेटों को सौंपने का विचार किया। वह ऐसे पुत्र को सारी संपत्ति देना चाहता था, जो उसकी अहमियत समझे। कारोबारी ने सभी चारों को अपने पास बुलाया और सभी को पांच—पांच धान के बीज दिए। उन्होंने कहा कि वह पांच साल बाद इसके बारे में पूछेंगे और जिसके जवाब से संतुष्ट होंगे उसे संपत्ति दी जाएगी।
पहले बेटे ने उन बीजों को थोड़ी देर बाद ही फेंक दिया। उसने सोचा कि जब पिता पांच साल बाद इसके बारे में पूछेंगे तो वह दूसरे धान के बीज दिखा देगा। आखिर कोई अंतर कैसे कर पाएगा। दूसरे बेटे ने उसमें से चावल के दाने निकाल कर खा लिया। उसने भी यह फैसला किया जब पांच साल बाद मांगा जाएगा तो वह अन्य दाने दे देगा।
तीसरे बेटे ने उसे एक चांदी के डिब्बे में पैक करके रख दिया। वह रोज इस डिब्बे की पूजा करता। उसने सोचा कि जब पिता जी इसके बारे में पूछेंगे तो वह उन्हें निकालकर दिखा देगा। वह लगातार पांच साल तक ऐसा करता रहा।
अब आई चौथे बेटे की बारी। वह उन धान के बीज को अपने खेत में लेकर गया और उसे बो दिया। जितनी भी फसल होती, वह उसे दोबारा बो देता और इस तरह पांच साल बाद काफी मात्रा में चावल इकट्ठा हो गया।
पांच साल पूरे होने के बाद पिता ने चारों बेटों को अपने पास बुलाया और धान के बीज के बारे में पूछा। सभी के जवाब सुनने के बाद पिता ने तय कि वह अपनी संपत्ति चौथे बेटे को दी क्योंकि उसने उन धान के बीजों का सही तरीके से इस्तेमाल कर उन्हें काफी बढ़ा दिया था। आशय ये है कि छोटे से काम को भी आप लगन और मेहनत से आगे बढ़ा सकते हैं।

वायुसेना में महिलाओं को स्थाई कमीशन
अब वायुसेना में महिलाओं को परमानेंट कमीशन यानी स्थाई कमीशन भी मिलेगा। शॉर्ट सर्विस कमीशन से चयनित होने वाली महिलाओं के लिए वायुसेना की और से स्थायी कमीशन का प्रस्ताव भी लाया गया है। वायुसेना में महिलाओं के लिए स्थायी कमीशन दो बातों पर निर्भर करता है। पहला- पदों की संख्या और दूसरा- मेरिट। नियम है कि स्थायी कमीशन के लिए चयन होने से पहले महिला ऑफिसर ने 13 साल तक वायुसेना में अपनी सेवा दी हो। जिसके बाद उनका चयन स्थाई कमीशन लागू कर किया जाएगा। अब तक महिलाएं शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत एयरफोर्स में नियुक्त की जाती रही हैं।
यह होगा फायदा
महिलाओं के लिए स्थाई कमीशन लागू होने की वजह से महिला उम्मीदवार ज्यादा समय तक सेना में काम कर सकेंगी और उन्हें कई अन्य सुविधाएं भी मिलेंगी। स्थाई कमीशन से महिलाएं 20 साल तक काम कर सकेंगी और इसे बढ़ाया भी जा सकता है।
पहले क्या थे नियम
इससे पहले शॉर्ट सर्विस कमीशन के अधिकारी 10 साल की सर्विस के बाद स्थाई कमीशन के लिए योग्य होते हैं, लेकिन उनका सालाना रिपोर्ट में ट्रैक अच्छा होना चाहिए। वहीं स्थाई कमीशन के आधिकारी शॉर्ट सर्विस कमीशन में शिफ्ट नहीं हो सकते हैं। अगर कोई जाना चाहता है तो उसे रिटायरमेंट लेना होगा।

नई नौकरी पर जा रहे हैं तो रखें इन बातों का ध्यान
अगर आप पढ़ाई के बाद पहली बार नई जगह नौकरी पर जा रहे हैं या नौकरी बदल कर पहली बार ऑफिस जा रहे हैं तो आपको कई बातों का ध्यान रखना होगा। अगर आप ऑफिस के शुरुआती दिनों में इन बातों का ध्यान रखेंगे तो आपको नई जगह पर तालमेल बैठाने में आसानी होगी।
कॉलेज और ऑफिस में अंतर होता है। यह जान लें कि ऑफिस में लोग एक डेकोरम का पालन करते हैं। उनके खाने और चाय पीने का वक्त तय होता है। कुछ हद तक काम के लिए समय सीमा भी तय होती है। इसलिए पहले जॉब में खुद को साबित करने के लिए यह जरूरी है कि पहले आप किसी भी संस्थान के कायदे-कानून को अच्छी तरह समझ लें। आजकल हर दफ्तर में यह माना जाता है कि आप में इंटेलीजेंस कोशेंट (आईक्यू) और इमोशनल कोशेंट (ईक्यू) के साथ-साथ कल्चरल कोशेंट (सीक्यू) भी होना चाहिए। कोई व्यक्त‍ि यदि आपको ज्यादा पसंद नहीं आ रहा है तो भी आप उसके साथ भी काम करने के लिए मानसिक रूप से तैयार रहें।
ज्यादा ना बोलें
हो सकता है आप बहुत अच्छा जोक क्रैक करते हों और आपके दोस्त आपकी इस अदा पर फिदा हों। पर ऑफिस में हो सकता है यह पसंद न किया जाए. अगर आप बहुत ज्यादा बोलते हैं और दूसरों की बात काटने की आपकी आदत है तो इसे भी बदल लें क्योंकि ऑफिस में आपसे इतनी गंभीरता की उम्मीद की जाती है कि आप पहले दूसरे की बात सुनेंगे और फिर उसका जवाब देंगे। मीटिंग के दौरान भी बार-बार बीच में न बोलें। अगर कोई बहुत अच्छा आइडिया है तो उसे जरूर शेयर करें, पर मीटिंग में यह न लगे कि आप अतिउत्साहित हो रहे हैं.
परफॉर्मेंस के साथ पोलाइटनेस भी
ये बात ठीक है कि ऑफिस में खुद को कार्यकुशल दिखाना जरूरी है, पर इसके साथ-साथ यह भी जरूरी है कि आप सीनियर्स और अपने कलीग्स के साथ ठीक से बात करें। काम के दौरान यदि कोई गलती पर टोके तो उस पर तीव्र प्रतिक्रिया देने की बजाय अपनी गलती की जिम्मेदारी लें। इस तरह आप सीनियर्स का दिल भी जीत लेंगे।
संतुलित जवाब दें
ऑफिस में आप नये-नये हैं तो सबसे पहले अपने कलीग्स के मिजाज को समझ लें क्योंकि हो सकता है कि आपके किसी जोक पर उन्हें गुस्सा आ जाए या वो नाराज हो जाएं। इसलिए हंसी-मजाक करने से पहले लोगों के व्यक्त‍ित्व को जान लेना सबसे जरूरी है। इसके अलावा अगर आपसे कुछ पूछ जाए तो उसका जवाब बढ़ा-चढ़ाकर देने की बजाय टू द प्वॉइंट दें। अपनी योग्यता को बहुत ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर बताने के बाद यदि आप उस पर खरे नहीं उतर पाए तो इससे आपके सहयोगियों के साथ आपका पेशेवर रिश्ता कमजोर हो जाएगा।
सोशल मीडिया से दूरी
कॉलेज में आप हो सकता है, पूरे दिन में कई बार सोशल मीडिया पर चैट करते हों या अपडेट्स करते हों। ऑफिस में यह नहीं चलता। कुछ संस्थानों में तो सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर प्रतिबंध रहता है। ऐसे में आप अगर ऑफिस समय में अपने फोन या ऑफिस पीसी पर सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं तो यह माना जाएगा कि आप काम को लेकर गंभीर नहीं हैं।

12वीं के बाद बैंक में करियर
अगर आप 12वीं पास हैं और बैंकिंग क्षेत्र में आना चाहते हैं तो आपके पास अच्छे अवसर हैं। बैंकिंग सेक्टर में हर साल हजारों उम्मीदवारों को नौकरी मिलती है। इस सेक्टर में सरकारी बैंको के साथ-साथ प्राइवेट बैंकों में भी नौकरी की अपार संभावनाएं हैं। बैंकिंग फील्ड में भर्ती के लिए सबसे बड़ी परीक्षा आईबीपीएस की ओर से आयोजित होती है। यह परीक्षा 19 राष्ट्रीयकृत बैंकों में क्लर्क और पीओ भर्ती के लिए होती है। आईबीपीएस 12वीं पास उम्मीदवारों के लिए क्लर्क कैडर परीक्षा का आयोजन कराता है।
12वीं के बाद बैंकिंग फील्ड के लिए अवसर
12वीं पास उम्मीदवारों के लिए बैंक में ज्यादातर नौकरियां क्लर्क कैडर की होती है. क्लर्क के अलावा असिस्टेंट लेवल और डेटा एंट्री की भी जॉब भी 12वीं पास उम्मीदवारों के लिए एक बड़ा विकल्प है। इन पदों पर नौकरी के लिए कंप्यूटर की जानकारी होनी आवश्यक है। बैंको में अकाउंट से संबंधित काम-काज होने के कारण एनालिटिकल स्किल्स अच्छे होने चाहिए।
बैंक अपने वेबसाइट पर भर्ती के लिए नोटिफिकेशन जारी करते हैं। वहीं से उम्मीदवार ऑनलाइन आवेदन भी कर सकते हैं। अलग-अलग बैंकों में आवेदन फीस अलग होती है।
12वीं के बाद नौकरी देने वाले बैंक:
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया एण्ड एसोसिएट्स
बैंक ऑफ इंडिया
साउथ इंडियन बैंक
बैंक ऑफ महाराष्ट्र
सिटी यूनियन बैंक
आईसीआईसीआई बैंक
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया
पंजाब नेशनल बैंक
इंडियन बैंक
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया
विजया बैंक
इंडियन ओवरसीज बैंक
यूको बैंक
आईडीबीआई बैंक
एचडीएफसी बैंक
पंजाब एंड सिंध बैंक
और अन्य कई बैंक
परीक्षा में सफलता इस प्रकार मिलेगी
बैंकिंग सेक्टर में नौकरी पाने के लिए एनालिटिकल स्किल्स, जल्द से जल्द कैल्कुलेशन करने की क्षमता और कंप्यूटर का ज्ञान बेहद जरूरी है। इन सभी चीजों की तैयारी करने के लिए उम्मीदवारों को विस्तृत तैयारी कर सकते हैं। बैंकिंग की तैयारी करते वक्त सबसे ज्यादा ध्यान टाइम मैनेजमेंट यानी आप किसी सवाल को कितने कम समय में हल कर सकते हैं।

आईटी क्षेत्र में हैं कई संभावनाएं
अगर आपकी रूचि कप्यूंटर साइंस में है और आईटी सेक्टर में करियर बनाना चाहते हैं तो पहले इस क्षेत्र की कुछ बातों को जान लेना आपके लिए जरुरी रहेगा। इंफॉर्मेशन टेक्नॉलोजी आईटी इंजीनियर के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स विषयों का होना जरूरी है। इंफॉर्मेशन टेक्नॉलोजी ऐसा डिपार्टमेंट है, जहां कम्प्यूटर की जानकारी रखने वालों की हमेशा जरूरत रहती है। आई कंपनियों में दक्ष लोगों की मांग लगातार बढ़ रही है। आई टी में करियर बनाने के लिए कई रास्ते हैं। इनमें तीन इंजीनियरिंग के प्रमुख कोर्स है। जिसमें कम्प्यूटर साइंस, इलेक्ट्रानिक्स व कम्यूनिकेशन है। इसके आलावा सॉफ्टवेयर प्रोग्रामिंग में भी काफी संभावनाएं हैं।
आईटी के अंतर्गत आने वाले बीटैक आईटी में आपको सिखाया जाता है कि बिजनेस को तैयार करने के लिए कैसे काम किया जाता है। इसकी सारी जानकरी दी जाती है। जिसमें डेटाबेस, बिजनेस, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि की जानकारी शामिल है।
अगर आप इंजीनियरिंग नहीं करते हैं, तो आप बीएससी आईटी और बीएससी कम्प्यूटर साइंस् भी कर सकते हैं। 12वीं कक्षा में पीसीएम विषय वाले कम्प्यूटर एप्लीकेशन कोर्स कर सकते हैं। 12वीं में गणित बिषय वाले बीएससी कम्पयूटर साइंस कोर्स कर सकते हैं। इसके अलावा मोबाइल एप्लीकेशन विकास में भी काफी रोजगार हैं। कई गैजेट्स वी‍डियो, मूवी प्लेयर और गेमिंग डिवाइस के रूप में आज मार्केट में आ रहे हैं। आईटी क्षेत्र फील्ड दिन-प्रतिदिन काफी तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में यहां छात्रों के लिए काफी अवसर हैं।

फाइन आर्ट के क्षेत्र में भी हैं आसीम संभावनाएं
अगर आप कल्पना शील और क्रिएटिव होने के साथ साथ परिश्रमी भी हैं तो फाइन आर्ट यानि कला का क्षेत्र आपके लिए बेहतरीन कैरियर विकल्प बन सकता है। तकनीक के इस दौर में भी कला का क्षेत्र तेज से विकसित हो रहा है।
फाइन आर्ट एक बेहतरीन करियर फील्ड है। इसमें सफलता के लिए होना भी जरूरी है। अच्छी पेंटिंग्स लाखों-करोड़ों में बिक रही हैं तथा कलाकारों को उसका पूरा फायदा भी मिल रहा है। इस तरह अच्छे कलाकार को पैसे तो मिलते ही हैं, साथ ही लोकप्रियता भी मिलती है। आजकल कई आर्ट एग्जिबिशन एवं गैलरी खुल गयीं हैं जहां अपनी कला को पेश कर सकते हैं।
कौन आ सकता है इस क्षेत्र में
यह क्षेत्र ऐसा है, जो परिश्रम एवं समय मांगता है। अचानक कोई अचानक ही अच्छा कलाकार नहीं बन सकता। इसमें यह देखा जाता है कि छात्र अपनी भावनाओं एवं कल्पनाओं को किस हद तक कैनवस एवं कागज पर उकेर पा रहा है। इसके लिए कल्पनाशील व अपनी सोच से कुछ नया गढ़ने का गुण होना आवश्यक है। इसमें महारथ हासिल करने के लिए क्रिएटिव माइंड होना चाहिए, ताकि आप अपने आर्ट में वह रंग भर दें कि लोगों को वह आकर्षित कर सके।
बारहवीं के बाद ले सकते हैं प्रवेश
फाइन आर्ट से संबंधित कई तरह के पाठ्यक्रम मौजूद हैं। इसके लिए न्यूनतम योग्यता 12वीं तय की गई है। कुछ संस्थान 10वीं के बाद ही कई तरह के डिप्लोमा एवं सर्टिफिकेट कोर्स कराते हैं, पर वह अधिक कारगर नहीं होते। बारहवीं के बाद जब छात्र के अंदर कला को समझने का कौशल विकसित हो जाता है तो उसे इस क्षेत्र में कदम रखना चाहिए। बैचलर ऑफ फाइन आर्ट (बीएफए) में एडमिशन 12वीं के पश्चात मिलता है। यह चार वर्ष का पाठ्यक्रम होता है। बैचलर कोर्स में प्रवेश परीक्षा के बाद दाखिला मिलता है। कई संस्थान मेरिट के आधार पर दाखिला देते हैं। बीएफए के बाद मास्टर डिग्री के रूप में 2 वर्षीय मास्टर ऑफ फाइन आर्ट (एमएफए) किया जाता है। यदि मास्टर कोर्स में 50 प्रतिशत अंक हैं तो पीएचडी का रास्ता भी खुल जाता है।
काफी बड़ा है क्षेत्र
फाइन आर्ट में आजकल काफी प्रयोग देखने को मिल रहे हैं, जिसका सकारात्मक फायदा इस क्षेत्र में कदम रखने वाले लोगों को मिल रहा है। यही कारण है कि इसमें रोजगार की संभावना सदैव बनी रहती है। पाठ्यक्रम के पश्चात कई तरह के विकल्प जैसे पत्र-पत्रिकाओं व विज्ञापन एजेंसियों में विजुअलाइजर, स्कूल-कॉलेज में आर्ट टीचर, बोर्ड डायरेक्टर आदि सामने आते हैं।
कमाई
कमाई का सारा दारोमदार अनुभव एवं कलाकृति की अपील पर टिका होता है। वहीं यदि छात्र नौकरी करना चाहते हैं तो उनके लिए कई विकल्प हैं, जहां उन्हें 10-15 हजार की नौकरी मिल जाती है जबकि अनुभवी लोग अपने कारोबार के बल पर अच्छी खासी रकम वसूल रहे हैं। इसके लिए एक लंबे अनुभव एवं बाजार की जरूरत पड़ती है। जैसे-जैसे भारत में आर्ट एग्जिबिशन एवं कला से संबंधित अन्य गैलरी का चलन बढ़ रहा है, वैसे ही कमाई, खासकर खुद का रोजगार करने वाले एवं फ्रीलांसरों की कमाई बढ़ती जा रही है।
इन पदों पर कर सकते हैं काम
विजुअलाइजिंग प्रोफेशनल
इलस्ट्रेटर
आर्ट क्रिटिक
आर्टिस्ट
आर्ट प्रोफेशनल्स
डिजाइन ट्रेनर
यहां हैं अवसर
एनिमेशन इंडस्ट्री ’विज्ञापन कंपनी
आर्ट स्टूडियो
फैशन हाउस
पत्र-पत्रिकाएं
स्कल्पचर
पब्लिशिंग इंडस्ट्री
ग्राफिक आर्ट
पाठय़क्रम वाले प्रमुख संस्थान
कॉलेज ऑफ आर्ट (दिल्ली विश्वविद्यालय), नई दिल्ली
डिपार्टमेंट ऑफ फाइन आर्ट (जामिया मिल्लिया इस्लामिया विवि), नई दिल्ली
फैकल्टी ऑफ फाइन आर्ट (बीएचयू), वाराणसी
राजस्थान विश्वविद्यालय (डिपार्टमेंट ऑफ फाइन आर्ट), राजस्थान
सर जेजे इंस्टीटय़ूट ऑफ एप्लाइड आर्ट्स, मुंबई
भारती कला महाविद्यालय, महाराष्ट्र ।

कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में हैं आसीम संभावनाएं
अब कृषि क्षेत्र भी तेजी से आगे बढ़ रहा है और इसमें भी रोजगार की संभावनाएं बढ़ गयी हैं। इस क्षेत्र में नई तकनीक के इस्तेमाल के बाद वेतन भी तेजी से बढ़ा है। इसलिए अब युवाओं के लिए यह भी पसंदीदा क्षेत्र बनकर उभरा है। आधुनिकता के इस दौर में कृषि के प्रति युवाओं का आना भविष्य के लिए एक अच्छा संकेत भी है। अगर आप भी कृषि अनुसंधान के क्षेत्र से जुड़कर कृषि वैज्ञानिक या फिर एक बेहतर किसान बनना चाहते हैं तो फिर इसके लिए आपको 12वीं की परीक्षा अच्छे अंकों से पास कर बीएससी एग्रीकल्चर या फिर बीएससी एग्रीकल्चर ऑनर्स की डिग्री हांसिल करनी होगी। यह डिग्री एग्रीकल्चर, वेटनेरी साइंस, एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग, फॉरेस्टरी, हॉर्टीकल्चर, फूड साइंस और होम साइंस में से किसी भी एक विषय में ले सकते हैं। अपनी पढ़ाई पूरी करके आप सीधे खेती और इससे संबंधित गतिविधियों से जुड़कर कृषि क्षेत्र में देश के विकास में अपना अहम योगदान दे सकते हैं।
कृषि क्षेत्र में करियर की संभावनाएं
आज भी भारत की करीब 70 फीसदी जनसंख्या जीविका के लिए पूरी तरह से कृषि पर निर्भर है। ऐसे में कृषि क्षेत्र में पढ़े लिखे किसानों की सख्त जरूरत है।कृषि क्षेत्र में आप मार्केटिंग, एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग या मैनेजमेंट के क्षेत्र में अपना सुनहरा करियर बना सकते हैं। इसके अलावा आप नेशनेलाइज्ड बैंकों में बतौर कृषि विस्तार अधिकारी, ग्रामीण विकास अधिकारी, फील्ड ऑफिसर बनकर अपना शानदार करियर बना सकते हैं।इसके साथ ही राज्यों के विभिन्न कृषि विभागों में आपके लिए रोजगार की अपार संभावनाएं मौजूद हैं। कृषि महाविद्यालयों में प्रवेश पाने के लिए युवाओं के बीच मची होड़ से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन युवाओं के सिर पर कृषि क्षेत्र में करियर का जुनून किस कदर हावी है।
इन संस्थानों से ले सकते हैं प्रशिक्षण
अगर आप भी कृषि क्षेत्र में करियर तलाश रहे हैं तो इसके लिए बेहतरीन संस्थानों के बारे में जानकारी भी हासिल कर लें।
आप हैदराबाद, पुणे, ग्वालियर, इंदौर और पालमपुर स्थित कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर से कृषि के क्षेत्र में प्रशिक्षण ले सकते हैं।
कोलकाता और भुवनेश्वर के यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर से भी आप डिग्री हांसिल कर सकते हैं।
उदयपुर के राजस्थान एग्रीकल्चर युनिवर्सिटी में कृषि के क्षेत्र में प्रशिक्षण के साथ डिग्री भी पा सकते हैं।
इलाहाबाद स्थित इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट से प्रशिक्षण लेकर आप कृषि क्षेत्र में अपना करियर बना सकते हैं।
अलीगढ़ विश्वविद्यालय के सेंटर ऑफ एग्रीकल्चर में दाखिला लेकर आप कृषि क्षेत्र की बारीकियों को समझ सकते हैं।

इग्नू के टर्म-एंड परीक्षा के परिणाम होंगे घोषित

इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू) कुछ ही दिनों में दिसंबर 2018 टर्म-एंड परीक्षा के परिणाम घोषित करने वाला है1 यूनिवर्सिटी ने कहा था कि दिसंबर परीक्षा के परिणाम फरवरी के मध्य तक घोषित कर दिए जाएंगे। है। यूनिवर्सिटी ने उन उम्मीदवारों के लिए परिणाम पहले ही जारी कर दिया है जिन्होंने प्रारंभिक परिणाम के लिए आवेदन किया था। जिन उम्मीदवारों ने प्रारंभिक परिणामों के लिए आवेदन किया था, वे आधिकारिक वेबसाइट  पर जाकर अपना परिणाम देख सकते हैं.वहीं बाकी बचे उम्मीदवार रिजल्ट फरवरी में आने के बाद आधिकारिक वेबसाइट पर अपने परिणाम देख सकेंगे।  वहीं इससे पहले इग्नू ने  दिसंबर में होने वाली परीक्षा का रिजल्ट जारी कर दिया था।

अच्छे अंकों के लिए सही तरीके से उत्तर लिखें
बोर्ड परिक्षाएं करीब हैं और ऐसे में छात्र तैयारियों में लगे हैं। परिक्षाओं में अच्छे अंकों के लिए सही तरीके से जवाब देना भी बेहद अहम होता है। इसके साथ ही समय प्रबंधन का भी ध्यान रखें। सवाल का जवाब अंकों के अनुसार दें। जैसे जीव विज्ञान में अच्छे अंक पाने के लिए छात्रों को डाइग्राम पर ज्यादा जोर देने की जरूरत है। विषय विशेषज्ञों की मानें तो, जब भी उत्तर लिखें उसके साथ डाइग्राम जरूर बनाएं। इससे 30 से 40 प्रतिशत तक अतिरिक्त अंक प्राप्त कर सकेंगे। डाइग्राम के अकेले प्रश्न भी आ सकते हैं। इन्हें बनाकर लेबलिंग भी करें। रंग वाली पेंसिलों का उपयोग कर सकते हैं पर ध्यान रहे कि लाल रंग उपयोग न करें। जवाब देने में यदि लगता है कि इसमें डाइग्राम है तो जरूर बनाएं। हर विषय में उत्तर सटीक लिखें। जरुरत से ज्यादा लिखने में समय प्रबंधन बिगड़ सकता है।
जीव विज्ञान में कुछ महत्वपूर्ण यूनिट : आनुवंशिकी और विकास को अच्छे से तैयार करें। इसमें भी वंशागति और विविधता, मेंडलीय वंशागति, मेंडलीय अनुपात से विचलन आसानी से तैयार किया जा सकता है। वंशागति का आणविक आधार में डीएनए और आरएनए की संचरचना, डीएनए फिंगर प्रिंटिंग के साथ डीएनए प्रतिकृतियन महत्वपूर्ण है। .
इन विषयों को भी जरूर पढ़ें : विकास में जीवन की उत्पत्ति, जैव विकास एवं जैव विकास के प्रमाण को ठीक ढंग से तैयार करना चाहिए। इसमें डार्विन का योगदान और मॉडर्न सिंथेटिक थ्योरी के साथ उत्परिवर्तन एवं पुनर्योजन खास है। जीव विज्ञान और मानव कल्याण में मानव स्वास्थ्य और रोग को जरूर तैयार करें।
विशेषज्ञों की सलाह-
डायग्राम सबसे ज्यादा अहम हैं। तैयारी के दौरान बार-बार इन्हें बनाकर अभ्यास करें। प्रश्नों के उत्तर में तथ्य होने चाहिए। बिना वजह से उत्तरों को खींचने से सिर्फ समय बर्बाद होगा। परिभाषा के रूप में सवाल पूछे जाते हैं। जवाब में जो खास लगे उसके नीचे लाइन खींच सकते हैं। पेपर हल करने में 15 मिनट का जो अतिरिक्त समय मिलता है। उसमें सवालों को समझें। तय करें कि किस प्रश्न में कितना समय देना है। किसी भी सवाल के जवाब में अतिरिक्त समय बर्बाद न करें। 15 मिनट पहले पेपर पूरा कर लें और रिवीजन करें।
पहले नौ अंक के प्रश्न 20 मिनट में करें। दो अंकों के प्रश्न को अधिक तीन मिनट दें। एक से डेढ़ लाइन लिखनी होती है। तीन अंकों वाले प्रश्न को अधिकतम 6 से 8 मिनट का समय दें। विस्तृत उत्तर में 20 मिनट तक का समय लें। अनुवांशिकी, जैव प्रोद्योगिकी, प्रदूषण एवं उससे होने वाले पर्यावरिणीय असंतुलन, मानव स्वास्थ्य के विषय से विस्तृत सवाल पूछे जाते हैं।

बोर्ड परिक्षाओं में बेहतर अंकों के लिए ऐसे करें तैयारी
सीबीएसई बोर्ड की परीक्षाएं शुरु होने में कुछ ही समय बाकी है। इस बार की बोर्ड परीक्षाएं जल्दी शुरु हो रही है। इसलिए छात्रों के पास अब तैयारियों के काफी कम समय बचा है। वहीं जैसे जैसे परिक्षाएं नजदीक आते है तो कुछ छात्र पढ़ाई को लेकर इतना दबाव ले लेते है कि सब कुछ आने के बाद भी वह परीक्षा में उतना अच्छा प्रर्दशन नहीं कर पाते। ऐसे में जरुरी है कि जो आपने पूरे साल में पढ़ा है उसको बेहतर समय प्रबंधन और सही तरीकों के साथ दोहराया जाये। विशेषज्ञों का कहना है कि परीक्षा से ठीक पहले सिर्फ पढ़ाई ही नहीं, बल्कि आपका शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहना भी बेहद जरूरी है। इन तरीकों को अपना कर छात्र परीक्षा के समय में आपके स्वास्थ्य को ठीक रखने के साथ ही बेहतर अंक भी हासिल कर सकेंगे।
अपने मन को संतुलन में रखें। बोर्ड परीक्षा को अपने दिलोदिमाग में हावी न होने दें। इसे पहले की कक्षाओं में दी गई सामान्य परीक्षा जैसा ही समझें।
दिन में समय निकालकर आधे घंटे जरूर टहलें।
पढ़ाई पर केंद्रित रहने के लिए पांच मिनट का ध्यान करें।
एक साथ कई घंटे तक एक ही विषय पढ़ने से बचें।
रात में खाना खाने के आधे घंटे बाद पढ़ाई शुरू करें
कई घंटों तक एक ही मुद्रा में बैठकर न पढ़ें।
अपने मनोरंजन और लोगों से बातचीत का समय भी निकालें।
परीक्षा की तैयारी के दौरान अपने खान-पान का खास ख्याल रखें।
परीक्षा की तैयारी के दौरान आपका खानपान संतुलित हो।
हल्का खाना खायें और छह घंटे नींद के अलावा पानी की पर्याप्त मात्रा लें।

एमबीए एडमिशन फॉर्म आधिकारिक वेबसाइट पर जारी
स्कूल ऑफ मैनेजमेंट एंड एंटरप्रेन्योरशिप के एमबीए एडमिशन 2019 के पहले बैच के लिए फॉर्म आधिकारिक वेबसाइट पर जारी हो गए हैं। जिसके साथ ही प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो गयी है।
एमबीए कोर्स के पहले बैच के लिए उम्मीदवारों को आवेदन पत्र भरते समय कैट (कॉमन एडमिशन टेस्ट ( द्वारा आयोजित) का रजिस्ट्रेशन नंबर जमा करना होगा। बता दें ऑनलाइन आवेदन जमा करने के लिए पोर्टल 1 मार्च तक खुला रहेगा।
फीस
जनरल/ओबीसी- 2000 रुपये।
एससी/एसटी/- 1000 रुपये।
जेएनयू प्रवेश 2019: साक्षात्कार की तारीख
एमबीए में एडमिशन लेने वाले उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट किया जाएगा जिसके बाद चयन साक्षात्कार के आधार पर होगा। बता दें, साक्षात्कार 15, 16 और 18 अप्रैल को आयोजित होगा जिसके बाद फाइनल सूची 26 अप्रैल 2018 को जारी की जाएगी।
जेएनयू एमबीए प्रोग्राम के लिए उम्मीदवारों के चयन के लिए कैट स्कोर के आधार पर होगा। वहीं चयन प्रक्रिया में या कार्यक्रम के संचालन में आईआईएम की कोई भूमिका नहीं है। कैट क्वालिफाई करने पर एमबीए प्रोग्राम में आवेदन करने वालों को शॉर्टलिस्ट किया जाएगा और फिर साक्षात्कार के लिए आमंत्रित किया जाएगा।

न्यूजीलैंड में प्रवेश लेने से पहले इन बातों का रखें ध्यान
अगर आप विदेश में पढ़ना चाहते हैं तो न्यूजीलैंड सबसे अच्छा विकल्प है। यहां पढ़ाई सस्ती होने के साथ ही भारतीयों के लिए माहौल भी अच्छा है।
न्यूजीलैंड में कई प्रसिद्ध यूनिवर्सिटीज हैं, जिनकी दुनियाभर में काफी मान्यता है। अगर आप इस बार वहां पर कॉलेज में प्रवेश लेने के बारे में सोच रहे हैं, तो पहले वहां की शिक्षा व्यवस्था के बारे में कुछ अहम चीजें जान लें।
भारत में स्कूल की पढ़ाई करने के बाद अगर आप डिग्री कोर्स के लिए न्यूजीलैंड के किसी कॉलेज में अप्लाई करने जा रहे हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि वहां और हमारे देश की शिक्षा व्यवस्था में अंतर है। डिग्री के लिए आवेदन करने से पहले वहां की शिक्षा व्यवस्था के बारे में कुछ चीजें पहले से जान लेना बेहद जरूरी है।
ऑनर्स के लिए करनी होगी एक साल और पढ़ाई
न्यूजीलैंड में बैचलर या मास्टर्स डिग्री की पढ़ाई के दौरान आपक एक साल की पढ़ाई और करनी पढ़ेगी। बैचलर डिग्री कोर्स तीन साल का होता है। इसके बाद ऑनर्स पाने के लिए एक साल और कोर्स की पढ़ाई होती है। हालांकि, कुछ कोर्स में बैचलर डिग्री चार साल की भी है, ऐसे में आप किस कोर्स के लिए आवेदन कर रहे हैं, इसके अनुसार चीजों को तय करें।
अगर आप बैचलर डिग्री में ऑनर्स नहीं करते हैं तो मास्टर्स डिग्री कोर्स में इसके लिए एक साल की और पढ़ाई करते हुए ऑनर्स लेना होगा। बैचलर्स की स्टडी के दौरान अगर आपने ऑनर्स का कोर्स पूरा कर लिया है तब आप मास्टर्स डिग्री एक साल में पूरी कर सकते हैं।
कब करें अप्लाई
न्यूजीलैंड में डिग्री कोर्स करने के लिए कम से कम 6 महीने पहले तैयारी करें। यहां पर ज्यादातर इनटेक प्रोसेस जनवरी और जुलाई के महीने में होता है। प्रवेश की तैयारी के दौरान भाषा, ऐप्टिट्यूड टेस्ट आदि पहले ही क्लियर कर लें। इसके बाद फॉर्म को भरने व उसमें लगने वाले दस्तावेजों को अच्छे से तैयार कर लें, ताकि अंत में कोई दिक्कत न आए। कुछ यूनिवर्सिटीज सितंबर, अक्टूबर में भी प्रवेश देती हैं। वहीं वोकेशनल कोर्स के लिए कुछ कॉलेज मार्च, अप्रैल, मई या जुलाई में प्रवेश देते हैं।

डेटा साइंटिस्ट बने और पायें शानदार वेतन
तकनीक के इस युग में नये क्षेत्र आते जा रहे हैं जिनमें काफी अच्छा वेतन है। जिस प्रकार तकनीक के माध्यम से दुनिया सिमट रही है उससे डेटा सबसे अहम हो गया है। ऐसे में डेटा साइंटिस्ट की मांग बढ़ती जा रही है। डेटा साइंटिस्ट डेटा को व्यवस्थित करने में अहम योगदान देंते हैं। बैंकों से लेकर ई-कॉमर्स फर्मों के यहां तक कि दवा उद्योग और कई दूसरे उद्योगों में कारोबार को गति प्रदान करने के लिए हर दिन डेटा का उपयोग किया जा रहा है। ऐसे में इस क्षेत्र में पेशेवरों की मांग बढ़ती जा रही है। ऐसे में आज के दौर में डेटा साइंटिस्ट एक आकर्षक करियर विकल्प के रूप में उभरा है।
आपको बताते चलें कि देश में भले ही तमाम सेक्टर्स में नौकरियों की कमी दिखती हो, लेकिन डेटा साइंस पेशेवरों की मांग में 400 फीसदी का इजाफा हुआ है। यही नहीं, टैलेंट सप्लाई इंडेक्स से भी इसी तरह के संकेत मिल रहे हैं। कमाई के मामले में करियर का यह विकल्प सीए और इंजीनियर्स को भी पीछे छोड़ता दिख रहा है।
साधारण तरीके से समझें, तो डेटा साइंडिस्ट मुख्य रूप से डेटा से खेलते हैं। डेटा में अपनी गहरी समझ के साथ ही कंपनियों को कारोबार में आगे बढ़ने में सहायता प्रदान करते हैं। इस दौरान वे डेटा को मैनेज करने के लिए गणित, सांख्यिकी और प्रोग्रामिंग के जरिए अपनी कुशलता का परिचय देते हैं। एक डेटा साइंटिस्ट से यह उम्मीद की जाती है कि वह कंपनी में रहते हुए कारोबार के हर एक पहलुओं को अच्छी तरह से समझे और आवश्यक डेटा के माध्यम से कंपनी को चीजों को समझने में सहायता प्रदान करे। इसलिए अपने जॉब प्रोफाइल के अंतर्गत वह कंपनी को डेटा के जरिए चीजों को समझने के लिए विकल्प प्रदान करता है। वह कंपनी में डेटा साइंटिस्ट की जिम्मेदारी निभाते हुए कई भूमिकाओं में दिखता है। आईटी क्रांति के बाद कारोबार क्षेत्र में डेटा की मांग बहुत बढ़ गई है। हर कोई कारोबार को मजबूत आधार प्रदान करना चाहता है। सोशल मीडिया के दौर में कस्टमर तक अपनी पैठ को मजबूत करने के मकसद से डेटा साइंटिस्ट की मदद ली जाती है।
बनें मैथ्स में माहिर
इसे करियर के लिए जरूरी है कि आप गणित के माहिर बनें। जब आप डेटा के साथ जीचों को समझने की ओर कदम बढ़ाते हैं, तो गणित की जरूरत होती है। एक डेटा साइंटिस्ट को इसके अलावा तकनीकी और मशीनों के बारे में भी जानकारी रखनी होती है। इसलिए गणित के साथ-साथ कंप्यूटर साइंस, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, अप्लाइड साइंस, मेकेनिकल इंजीनियरिंग के बारे में भी गहरी समझ होनी चाहिये।
रणनीति में गहरी समझ
एक डेटा साइंटिस्ट को डेटा के साथ ही बिजनेस की गहरी समझ होनी चाहिए। उसे इस आधार पर डेटा उपलब्ध कराना होता है। इसलिए इसके साथ एमबीए की डिग्री वाले लोगों को अहमियत मिलने लगी है।
शानदार जॉब प्रफाइल और सैलरी
डेटा साइंटिस्ट की बढ़ती डिमांड के पीछे इनकी सैलरी स्ट्रक्चर को भी अहम माना जा रहा है। यहां पर आप सालाना 80 लाख तक कमा सकते हैं। आपको विभिन्न कंपनियों में अडवांस्ड एनालिटिक्स और ऑप्टिमाइजेशन कंसल्टेंट, डेटा एनालिटिक्स और डेटा मैनेजर या साइंटिस्ट के तौर पर अपनी कुशलता को दिखाने का अवसर मिल सकता है। इसकी स्टडी के लिए आप इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टीटयूट, कोलकाता, इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट, बेंगलुरु, इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मुंबई, इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नॉलजी, खड़गपुर, इंटरनैशनल स्कूल ऑफ बिजनेस, हैदराबाद की ओर रुख कर सकते हैं।

बैंकिंग और बीमा क्षेत्र में आये हैं ये बदलाव
बैंकिंग और बीमा क्षेत्र में कैरियर बनाने वालों के लिए इस साल और भी बेहतर संभावनाएं हैं पर इस क्षेत्र में जो बदलाव लागू हुए हैं उनकी जानकारी भी आपको होनी चाहिये तभी आप बीमे के लिए आने वालों को बेहतर तरीके से समझा पायेंगे। बैंकिंग और वाहन बीमा क्षेत्र में बदलाव के नियामक संस्था (इरडा) के कई फैसले एक जनवरी से ही लागू हो गये हैं। इनमें थर्ड पार्टी बीमा 15 लाख रुपये होना और निजी वाहन दुर्घटना बीमा का गाड़ी खरीदते वक्त अनिवार्य न होना शामिल है। विशेषज्ञों का कहना है कि बीमा में हुए बदलावों को लेकर अगर आपको कोई संदेह है तो आप ऑनलाइन बीमा या बैंकिंग उत्पादों की तुलनात्मक जानकारी देने वाली कंपनियों से संपर्क कर सकते हैं।
निजी दुर्घटना बीमा अनिवार्य नहीं होगा।
अब वाहन खरीद के दौरान निजी दुर्घटना बीमा अनिवार्य नहीं होगा। आपको सिर्फ थर्ड पार्टी बीमा लेना जरूरी होगा। इरडा के नए दिशानिर्देशों के मुताबिक, अगर आपके पास पहले से ही निजी दुर्घटना बीमा कवर है तो आपको गाड़ी खरीद के साथ इसे लेना अनिवार्य नहीं होगा। आपके पास पहले से कोई वाहन है तो दूसरी गाड़ी की खरीद पर भी पर्सनल एक्सीडेंट कवर लेने की आवश्यकता नहीं है। इससे वाहन मालिकों पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा।
थर्ड पार्टी बीमा का कवर का दायरा भी बढ़ा
इरडा ने अदालती आदेश के बाद थर्ड पार्टी का बीमा कवर भी बढ़ा दिया है और नए साल से यह दो लाख की जगह 15 लाख रुपये होगा हालांकि थर्ड पार्टी इंश्योरेंस दोपहिया के लिए पांच साल और कारों के लिए तीन साल का एकसाथ लेने के नियम से बीमा महंगा हो गया है।
बीमा उत्पादों की तुलना कर कंपनी चुनें
पर्सनल एक्सीडेंट कवर अनिवार्य न होने के बाद कंपनियां प्रीमियम बढ़ाने के लिए कुछ उपाय जरूर करेंगे। वे कुछ एड ऑन पैकेज उसमें जोड़ सकती हैं, यह आपको देखना होगा कि इनकी आपको जरूरत है या नहीं। जैसे इंजन के लिए एड ऑन कवर की आवश्यकता है या नहीं। ऐसे में सभी कंपनियों के उत्पादों की ऑनलाइन तुलना कर लेना बेहतर है।
बैंकिंग और बीमा कंपनियों ने अपने ग्राहकों को चैटबोट या वॉयस असिस्टेंट जैसे एलेक्सा की सौगात भी दी है। एलेक्सा से किसी भी बीमा या बैंकिंग उत्पादों की विस्तृत जानकारी ली जा सकती है।
1000 सीसी से कम वाहनों का बीमा प्रीमियम घटेगा
थर्ड पार्टी बीमा प्रीमियम बढ़ने से नो क्लेम बोनस पर असर नहीं
नए निर्णयों से वाहन के बीमित मूल्य में भी कमी या वृद्धि नहीं

गगनयान प्रोजेक्ट के लिए बैंगलोर में खोला जाएगा ट्रेनिंग सेंटर
केन्द्र ने आज 10 हजार करोड़ की महत्वाकांक्षी गगनयान परियोजना को दी मंजूरी दे दी। अगर यह मिशन कामयाब हुआ तो अंतरिक्ष पर मानव मिशन भेजने वाला भारत दुनिया का चौथा देश होगा। यह मिशन 2022 तक पूरा होगा। इस प्रोजेक्ट में मदद के लिए भारत ने पहले ही रूस और फ्रांस के साथ करार किया है।
इसके तहत तीन सदस्यीय दल को कम से कम सात दिनों के लिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इस महत्वाकांक्षी परियोजना में मदद के लिए भारत ने पहले ही रूस और फ्रांस के साथ समझौते किए हैं। ट्रेनिंग का खाका
अंतरिक्ष में जाने वाले एस्ट्रोनॉट्स को ट्रेनिंग देने के लिए बैंगलोर में ट्रेनिंग सेंटर खोला जाएगा। पहले इसका लक्ष्य 2012 तय किया गया था। अब इसरो एक स्थायी सेंटर खोलने की योजना बना रहा है। बताया जा रहा है कि गगनयान मिशन के लिए चुने जाने वाले लोगों को विदेशी सेंटर में ट्रेनिंग दी जाएगी। इन्हें करीब दो साल तक शून्य गुरुत्वाकर्षण पर ट्रेनिंग दी जाएगी ताकि वह अंतरिक्ष में होने वाले अनुभवों से दो चार हो जाएं। ट्रेनिंग का कुछ हिस्सा बैंगलोर में वायु सेना के इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसीन में पूरा कराया जाएगा। अभी तक उम्मीदवारों के चयन का काम शुरू नहीं हुआ है।
चंद्रयान-मंगलयान से भी बड़ा है मिशन
मानव अंतरिक्ष मिशन बाकी मिशनों से बिल्कुल ही अलग तरह का है जो इसरो ने अब तक पूरा किया है। चंद्रयान और मंगलयान भी इसी तुलना में छोटे नजर आते हैं। इसरो के सामने सबसे बड़ी चुनौती ये है कि उसे न सिर्फ अंतरिक्ष में धरती जैसे वातावरण वाले यान को तैयार करना है बल्कि इसे वापस पृथ्वी पर लाने की चुनौती भी होगी। पिछले कई सालों में इसरो अब तक कई तकनीक ईजाद की है लेकिन अभी भी बहुत कुछ हासिल किया जाना बाकी है।
इसरो की ताकत
तीन दशकों की कोशिशों के बाद इसरो ने दिसंबर 2014 में जीएसएलवी एमके- III का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था जिसे अब एलवीएम -3 (लॉन्च व्हीकल मार्क 3) के नाम से जाना जाता है। पिछले साल जून में इसरो ने एलवीएम -3 को लॉन्च किया जो अपने साथ जीसैट -19 लेकर अंतरिक्ष गया था।
एलवीएम -3 ही वो यान है जो मानव को अंतरिक्ष में लेकर जाएगा। अगले कुछ सालों में जीएसएलवी की कई उड़ानें प्रस्तावित हैं। इससे इसरो को क्रायोजेनिक तकनीक को और मजबूत करने में मदद मिलेगी जिससे अंतरिक्ष में और भारी पेलोड्स भेजे जा सकेंगे। 6 जून को सरकार ने जीएसएलवी एमके- III की 10 उड़ानों के लिए 4338.2 करोड़ का बजट रखा था। साल 2024 में जीएसएलवी एमके- III मिशन के मद्देनजर यह बजट तय किया गया था।
जीएसएलवी एमके- III की पहली प्रायोगिक उड़ान 18 दिसंबर 2014 को सफलतापूर्व अंजाम दिया गया था। अंतरिक्ष में 126 किमी. ऊंचाई पर उड़ान भरने के बाद यह वापस धरती पर लौट आया था। इसे क्रू मॉड्यूल एटमोस्फेरिक रीएंट्री एक्सपेरीमेंट (केयर) नाम दिया गया था, ये यान अंदमान निकोबार द्वीप में उतारा गया था।

स्टार्ट-अप से करें कमाई
अगर आप कारोबार करना चाहते हैं पर आपके पास बजट कम है तो आप स्टार्ट-अप से अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं। इसमें निवेश भी कम करना होगा और आप अच्छा पैसा भी कमा सकते हैं। अगर आप इन बिजनेस में क्रिएटिव और मेहनत से काम करेंगे तो आप जल्द ही हर महीना लाखों रुपये कमा सकते हैं।
इवेंट मैनेजमैंट – आजकल इवेंट का काम बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। खास बात ये है कि इसमें आपको किसी खास डिग्री की आवश्यकता नहीं है और आप क्रिएटिव तरीके से काम करके इसमें पैसा कमा सकते हैं। इवेंट में आप वेडिंग, ऑफिशियल प्रोग्राम, पार्टी आदि की अरेजमेंट कर सकते हैं और इसमें आपको निवेश नहीं करना होता, सिर्फ इवेंट की व्यवस्था करनी होती है। आप अच्छे संपर्क बनाकर इसमें पैसे कमा सकते हैं।
मूविंग ऑटो गैराज- यह गैराज किसी एक दुकान पर नहीं होगा, बल्कि यह डिमांड पर कहीं जाएगा। मतलब आजकल गाड़ियों की संख्या अधिक हो गई और बीच रास्ते में गाड़ी खराब हो जाने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में आप ऐसे लोगों की मदद कर पैसे कमा सकते हैं।
ड्राइविंग स्कूल – देश में कारों की बढ़ती संख्या को देखते हुए ड्राइविंग सीखने वालों की संख्या भी बड़ी है। ऐसे में ड्राइविंग स्कूल चलाना भी एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। इस काम को करने के लिए शुरुआती तौर पर आपके पास सिर्फ एक कार होना जरूरी है। जिससे आप दूसरों को ड्राइविंग सिखा सकें।
होम बेस्ड फूड सर्विस- घर से बाहर दूसरे शहरों में रह रहे लोगों के लिए घर का खाना एक सपने जैसा होता है। इसलिए आप इन शहरों में टिफिन आदि का कारोबार करके आप कम इनवेस्ट में अधिक पैसे कमा सकते हैं। इसकी पब्लिसिटी के लिए आप सोशल मीडिया या किसी ऐप का सहारा ले सकते हैं।
क्लिनिंग सर्विस- इस क्लिनिंग सर्विस में आप कपड़ों से लेकर घर,गाड़ी आदि तक का काम कर सकते हैं क्योंकि लोगों के पास काम की व्यस्तता की वजह से यह सब काम करने का वक्त नहीं होता है। ऐसे में आप उनके लिए ऑनलाइन रुप से ये काम करके अच्छे पैसे कमा सकते हैं। विदेशों और मेट्रो सिटी में कई लोग इस तरह से कमाई कर रहे हैं।
अनुवादक- यह एक फ्रीलांस काम की तरह है। इस काम को आप किसी बिजनेस या नौकरी के साथ भी कर सकते हैं। आप यह भाषाओं के लिए कर सकते हैं। आजकल कई क्षेत्रीय भाषाओं के लिए भी कई लोगों की मांग है।
सोशल मीडिया कंसलटेंट- आज प्रचार करने का सबसे अच्छा साधन है सोशल मीडिया। हर कोई खुद के लिए या अपनी संस्था के लिए सोशल मीडिया का सहारा ले सकते हैं। ऐसे में आप सोशल मीडिया से संबंधित कोई कोर्स करके या इसके बारे में पढ़कर आप पैसे कमा सकते हैं। इसके लिए आपको कई लोगों के सोशल अकाउंट संभालने होंगे।

इन पेशेवरों की रहेगी मांग
साल 2019 में नौकरियों को लेकर काफी उम्मीदें हैं। आने वाले साल में कुछ पेशेवरों के लिए खूब मौके होंगे। हाल में आई एक रिपोर्ट में भी कहा गया है कि नये साल में युवाओं को काफी अवसर मिलेंगे और इसके लिए वे अभी से तैयार रहें। इन क्षेत्रों में रहेगा जोर
बैंकिंग
सार्वजनिक और निजी सभी बैकों में इस साल युवाओं को जमकर नौकरियां मिलने की संभावनाएं हैं। इसलिए आप इसके लिए तैयारियां शुरु कर दें।
डेटा पर जोर
आप आपरेशंस, सेल्स, फाइनैंस या टेक्नॉलजी किसी भी फंक्शन में कार्य करें, आपके डेटा स्किल्स के आधार पर आपके योगदान बढ़ या घट सकते हैं। आपके एंप्लॉयर बड़ी मात्रा में डेटा प्रोड्यूस करते हैं और आपसे उसे डेटा का इस्तेमाल आइडिया पेश करने या नतीजों की निगरानी के लिए करने की उम्मीद रखते हैं।
प्रॉडक्ट सलूशन
प्रॉडक्ट डिजाइन आइडिया को उन प्रॉडक्ट्स में बदलना है जो बिजनस मुनाफे के साथ बेचते हैं। आप बड़ी समस्याओं का हल निकालने, कस्टमर की जरूरतों, बिजनस मॉडल और कॉस्ट को समझने के साथ अच्छी वैल्यू बनाते हैं।
कॉस्ट और रेवेन्यू घटाने पर जोर
जब कंपनी पर आर्थिक दबाव हो तो उसे ऐसे जरूरतें होती है जिनसे लागत कम हो और परिणाम बेहतर रहें। इसके लिए आपको लागत और राजस्व की बेहतर जानकारी होनी चाहिए। अपनी कंपनी की वेरिएबल कॉस्ट और फिक्स्ड कॉस्ट के बारे में जानें। प्रत्येक प्रोसेस में समय या धन के लिहाज से सोचें।
बेचने की कला को अपनाएं
यह स्वीकार करें कि आप जन्म से ही सेल्स से जुड़े हैं। यह जानें कि कौन सी चीज सबसे बेहतर है और अपने सेल्स स्किल्स में सुधार करना जारी रखें। आपके एंप्लॉयर को इंटरनल टीमों, मैनेजर, क्लाइंट्स और वेंडर के साथ बेहतर डील के लिए आपके सेल्स स्किल्स की जरूरत है।
विजुअल असिसटेंट
अगर आपको बाहर जाकर काम करने के बजाय घर पर ही काम करना अच्छा लगता है, तो आपको बस एक कंप्यूटर और इंटरनेट कनेक्शन कि जरूरत है। वर्चुअल असिस्टेंट की तरह आप घर बैठे ही अपने क्लाइंट्स से डील कर सकते हैं और कमा सकते हैं लाखों रुपए कमा सकते हैं।
जेनेटिक काउंसलर
अगर आपने अपनी पढ़ाई बायोलॉजी या हेल्थकेयर में की है तो आप जेनेटिक काउंसलर
के रूप में भी अपना करियर उभार सकते हैं. जेनेटिक काउंसलर
ऐप डिवलपर
स्मार्टफोन का बाजार जिस तेजी से बड़ा है उसमें तकनीकी रुप से दक्ष ऐप डिवलपर की मांग लगातार बढ़ रही है। आप यह काम कहीं से भी कर सकते हैं। इसमें भी अच्छी खासी कमाई है।

घर बैठे अंग्रेजी सीखकर बनायें केरियर
आजकल हर क्षेत्र में बेहतर नौकरी के लिए अंग्रेजी आना जरुरी है। ऐसे में जो लोग अंग्रेजी नहीं बोल पाते उनके लिए आगे बढ़ना आसान नहीं होता। ऐसे में कुछ आसान टिप्स अपनाकर आप कुछ ही समय में अंग्रेजी सीख सकते हैं।
यह है तरीका
अगर हम कुछ नया सीखने की कोशिश करते हैं तो उसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि आपको पहले उस माहौल में रहना पड़ेगा। अपने आस-पास हर जगह अंग्रेजी को सुनें। भले समझ आए या नहीं। इसके लिए आप गानों का इस्तेमाल कर सकते हैं। ये एक बेहद आसान तरीका है अंग्रजी सीखने का।
ये नया तरीका अपनाएं-
किसी भी चीज को सीखने के सबसे ज्यादा जरूरी है उसे शुरुआत से सीखना। बेसिक से शुरू करेंगे तो आगे परेशानी नहीं होगी। आप अपने सोच में अंग्रेजी को जगह देनी होगी। इस तरीके से भी आपको जरूर फायदा मिलेगा।
कोशिश करें खुद अनुवाद करने की-
रोज सुबह उठकर एक विषय लें और उसका अनुवाद करें। जो शब्द समझ नहीं आ रहा है उसका अर्थ गूगल या डिशनरी में देखें। ऐसा करने से आपका शब्दकोश मजबूत होगा जिससे बोलने में आसानी होगी।
अभ्यास सबसे ज्यादा जरूरी-
सिर्फ सीखे लेने से अंग्रेजी नहीं आती जब तक आप उसे अपने रोज की दिनचर्या में इस्तेमाल नहीं करेंगे। घर पर अपने परिवार के साथ, अपने दोस्तों के साथ अंग्रेजी में बात करें। इससे आपकी झिझक भी मिटेगी और आत्मविश्वास भी बढ़ेगा।

लिखावट पढ़ने में माहिर हैं तो बनें हैंडराइटिंग विशेषज्ञ
अगर आप लिखावट से किसी के बार में जान सकते हैं तो आप हैंडराइटिंग विशेषज्ञ बन सकते हैं। हैंडराइटिंग विशेषज्ञ किसी की लिखावट पढ़कर ही उसके व्यक्तित्व के बारे में बता सकता है।
इसका मुख्य काम लोगों की लिखावट को पहचान कर व समझ कर उस व्यक्ति के व्यक्तित्व का आंकलन करना होता है। वह अपने काम के दौरान बेहद बारीकी से किसी व्यक्ति की लिखावट का अध्ययन करता है। वह न सिर्फ व्यक्ति के हस्ताक्षर, बल्कि उसके लिखने के स्टाइल, शब्दों को बनाने का तरीका व शब्दों के बीच अंतर आदि जैसी छोटी बातों को भी ध्यान में रखता है और उस व्यक्ति के बारे में वह सब जानकारी मुहैया कराता है, जिसे आसानी से पता लगा पाना लगभग असंभव होता है।
स्किल्स
एक बेहतरीन हैंडराइटिंग विशेषज्ञ बनने के लिए व्यक्ति का अपने काम में माहिर होना बेहद आवश्यक है। साथ ही उसके भीतर साइकोलॉजिकल सेंस भी होनी जरूरी है। इसके अतिरिक्त अपने काम की बारीकियों को सीखने में अच्छी कम्युनिकेशन स्किल, इंटेलिजेंस व छोटी से छोटी बात को नोटिस करने की क्षमता व लोगों का आंकलन करना आना चाहिए।
योग्यता
इस क्षेत्र में कदम बढ़ाने के लिए यूं तो अलग से कोई पेशेवर कोर्स उपलब्ध नहीं है। यह विधा फोरेंसिक साइंस के भीतर ही सिखाई जाती है लेकिन आजकल इनकी बढ़ती मांग को देखते हुए बहुत से संस्थानों में हैंडराइटिंग विधा को सिखाने के लिए शॉर्ट टर्म व डिप्लोमा कोर्स करवाया जाता है। इन कोर्स के माध्यम से आप हैंडराइटिंग की बारीकी को आसानी से सीख सकते हैं।
अवसर
हैंडराइटिंग विशेषज्ञ के लिए काम की कोई कमी नहीं है। सबसे पहले तो कॉरपोरेट सर्विसेज में
सेवाएं ली जाती हैं ताकि वह कंपनी के लिए एक सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति की पहचान कर सकें। इसके अतिरिक्त फोरेंसिक डिपार्टमेंट में मामलों को सुलझाने में भी इनकी अहम भूमिका होती है। वहीं कोर्ट, पुलिस डिपार्टमेंट, स्कूल्स, कॅरियर गाइडेंस सेक्टर यहां तक कि सही लाइफ पार्टनर चुनने में भी काफी हद तक सहायक होते हैं क्योंकि वह अपने स्किल्स का प्रयोग करके व्यक्ति स्वभाव व उसके व्यक्तित्व के बारे में गहराई से पता लगा सकते हैं।
आमदनी
एक हैंडराइटिंग विशेषज्ञ की आमदनी मुख्य रूप से उसके स्किल्स पर निर्भर करती है। अगर आप अपने काम में अभ्यस्त हैं तो आप प्रतिघंटे 500 रूपए तक कमा सकते हैं। इसके अतिरिक्त शुरूआती दौर में ही 20000 से 40000 रूपए प्रतिमाह की आमदनी कर सकता है।
प्रमुख संस्थान जहां से कर सकते हैं कोर्स
हैंडराइटिंग एनालिस्ट ऑफ इंडिया, विशाखापट्टनम
इंस्टीट्यूट ऑफ हैंडराइटिंग रिसर्च, मुंबई
वर्ल्ड स्कूल ऑफ हैंडराइटिंग, मुंबई
हैंडराइटिंग इंस्टीट्यूट इंडिया, बैंगलोर ।

कृषि वैज्ञानिक बनकर दें देश के विकास में योगदान
अब कृषि क्षेत्र भी तेजी से आगे बढ़ रहा है और इसमें भी रोजगार की संभावनाएं बढ़ गयी हैं। इस क्षेत्र में नई तकनीक के इस्तेमाल के बाद वेतन भी तेजी से बढ़ा है। इसलिए अब युवाओं के लिए यह भी पसंदीदा क्षेत्र बनकर उभरा है।
आधुनिकता के इस दौर में कृषि के प्रति युवाओं का आना भविष्य के लिए एक अच्छा संकेत भी है।
अगर आप भी कृषि अनुसंधान के क्षेत्र से जुड़कर कृषि वैज्ञानिक या फिर एक बेहतर किसान बनना चाहते हैं तो फिर इसके लिए आपको 12वीं की परीक्षा अच्छे अंकों से पास कर बीएससी एग्रीकल्चर या फिर बीएससी एग्रीकल्चर ऑनर्स की डिग्री हांसिल करनी होगी। यह डिग्री एग्रीकल्चर, वेटनेरी साइंस, एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग, फॉरेस्टरी, हॉर्टीकल्चर, फूड साइंस और होम साइंस में से किसी भी एक विषय में ले सकते हैं। अपनी पढ़ाई पूरी करके आप सीधे खेती और इससे संबंधित गतिविधियों से जुड़कर कृषि क्षेत्र में देश के विकास में अपना अहम योगदान दे सकते हैं।
कृषि क्षेत्र में करियर की संभावनाएं
आज भी भारत की करीब 70 फीसदी जनसंख्या जीविका के लिए पूरी तरह से कृषि पर निर्भर है। ऐसे में कृषि क्षेत्र में पढ़े लिखे किसानों की सख्त जरूरत है।कृषि क्षेत्र में आप मार्केटिंग, एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग या मैनेजमेंट के क्षेत्र में अपना सुनहरा करियर बना सकते हैं।
इसके अलावा आप नेशनेलाइज्ड बैंकों में बतौर कृषि विस्तार अधिकारी, ग्रामीण विकास अधिकारी, फील्ड ऑफिसर बनकर अपना शानदार करियर बना सकते हैं।इसके साथ ही राज्यों के विभिन्न कृषि विभागों में आपके लिए रोजगार की अपार संभावनाएं मौजूद हैं।
कृषि महाविद्यालयों में प्रवेश पाने के लिए युवाओं के बीच मची होड़ से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन युवाओं के सिर पर कृषि क्षेत्र में करियर का जुनून किस कदर हावी है।
इन संस्थानों से ले सकते हैं प्रशिक्षण
अगर आप भी कृषि क्षेत्र में करियर तलाश रहे हैं तो इसके लिए बेहतरीन संस्थानों के बारे में जानकारी भी हासिल कर लें।
आप हैदराबाद, पुणे, ग्वालियर, इंदौर और पालमपुर स्थित कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर से कृषि के क्षेत्र में प्रशिक्षण ले सकते हैं।
कोलकाता और भुवनेश्वर के यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर से भी आप डिग्री हांसिल कर सकते हैं।
उदयपुर के राजस्थान एग्रीकल्चर युनिवर्सिटी में कृषि के क्षेत्र में प्रशिक्षण के साथ डिग्री भी पा सकते हैं।
इलाहाबाद स्थित इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट से प्रशिक्षण लेकर आप कृषि क्षेत्र में अपना करियर बना सकते हैं।
अलीगढ़ विश्वविद्यालय के सेंटर ऑफ एग्रीकल्चर में दाखिला लेकर आप कृषि क्षेत्र की बारीकियों को समझ सकते हैं।

बीएससी हिन्दी माध्यम के छात्रों के लिए विशेष कोर्स
हिन्दी भाषी या हिन्दी मीडियम से बीएससी कर रहे छात्रों को अब अच्छी पुस्तकों की कमी नहीं खलेगी। इन छात्रों के लिए ऑनलाइन वीडियो कोर्स शुरू हो गया है। हिन्दी में यह ऑनलाइन वीडियो आईआईटी और गैर सरकारी संस्था ‘शिक्षा सोपान’ ने तैयार किया है। इस क्रम में पहला कोर्स स्वयं सापेक्षिकता के मूल सिद्धांत (बेसिक्स ऑफ स्पेशल थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी) पर तैयार किया गया है। 25 लेक्चरों के इस कोर्स में देश के सभी हिन्दी भाषी छात्र व शिक्षक पंजीकरण करा सकते हैं।
कोर्स की खास बातें
छात्र इंटरनेट सुविधा वाले मोबाइल, लैपटॉप और कम्प्यूटर के माध्यम से यह कोर्स कर सकते हैं।
हर मंगलवार, गुरुवार व शनिवार को लेक्चर अपलोड होगा।
कोर्स के दौरान प्रतिभागी अपने सवाल पूछ सकेंगे जिनके जवाब कोर्स के शिक्षक या अन्य प्रतिभागी देंगे।
कोर्स के बीच बहुविकल्पीय प्रश्न आधारित टेस्ट होंगे, सीडीटीई, आईआईटी, कानपुर सर्टिफिकेट देगा।
कोर्स के लिए किसी तरह का कोई शुल्क नहीं है। कुछ सफल प्रतिभागियों को विशेष शिविरों में बुलाया जाएगा।

जेएनयू में परीक्षा का आयोजन एनटीए करेगा
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में प्रवेश के लिए आयोजित होने वाली परीक्षा का आयोजन मई में किया जाएगा और इस परीक्षाएं एनटीए की ओर से करवाई जाएंगी। जेएनयू ने घोषणा की है कि अंडरग्रेजुएट्स, पोस्टग्रेजुएट, एमफिल और पीएचडी कोर्ड के लिए होने वाली कम्प्यूटर आधारित परीक्षा का आयोजन मई 2019 में किया जाएगा हालांकि अभी तक परीक्षा की तारीख जारी नहीं की गई है।
हर साल यह परीक्षा दिसंबर के आखिरी में आयोजित की जाती थी, लेकिन इस बार परीक्षा का आयोजन ऑनलाइन माध्यम से होगा, जिसकी वजह से परीक्षा का आयोजन मई में किया जाएगा।
साथ ही इस बार परीक्षा को लेकर कई परिवर्तन किए गए हैं, जिसमें परीक्षा पैटर्न, परीक्षा करवाने का तरीका आदि शामिल है। इस नए पैटर्न का कई शिक्षकों ने विरोध भी किया है। साथ ही इस बार परीक्षा का आयोजन अधिक शहरों में किया जाएगा। खास बात ये है कि इस बार परीक्षा की जिम्मेदारी एनटीए के हाथों में है, जो देश में कई एंट्रेस परीक्षाओं का आयोजन करता है। ऐसा करने वाला जेएनयू देश का पहला केंद्रीय विश्वविद्यालय है।
वहीं सीटों की संख्या में भी इजाफा किया गया है। रिपोर्ट्स के अनुसार पिछले साल एमफिल और पीएचडी के लिए 723 छात्रों का दाखिला हुआ था, लेकिन इस बार 1080 सीटों के लिए प्रवेश परीक्षा कराई जाएगी।

नई वीजा पॉलिसी से बढ़ेंगे स्टार्ट अप और रोजगार के अवसर
कारोबार करने वालों के लिए नई वीजा नीति बेहद लाभदायक साबित हो सकती है। इससे कारोबार के क्षेत्र में स्टार्ट अप के साथ उतरने वाले युवाओं को नयी राह मिलेगी। केंद्र सरकार ने विदेशी व्यापार और पर्यटन के जरिए अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए नई उदार वीजा नीति को मंजूरी दी है। इसके तहत पर्यटन, कारोबार, स्वास्थ्य आदि को मिलाकर एक मल्टी-पर्पज एंट्री वीजा बनाया है। ई-टूरिस्ट वीजा की सुविधा से आठ और देशों को जोड़ने का फैसला हुआ है। अब ऐसा वीजा पा सकने वाले देशों की संख्या बढ़कर अब 158 हो जाएगी।
सिर्फ 60 दिन रुके तो वीजा शुल्क माफ
पर्यटन, कारोबार और निर्यात को फायदा
नई वीजा नीति से विदेशियों को पर्यटन, कारोबार और स्वास्थ्य के उद्देश्य से देश में प्रवेश करने वालों को आसानी होगी। इससे देश की आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन मिलने और पर्यटन, स्वास्थ्य इत्यादि सेवाओं के निर्यात से आय बढ़ने की उम्मीद है। इससे आम लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
सरकारी योजनाओं को मिलेगा बूस्ट
नई नीति से ‘स्किल इंडिया’, ‘डिजिटल इंडिया’, ‘मेक इन इंडिया’ जैसी सरकार की प्रमुख योजनाओं के तहत कारोबार के लिए प्रवेश करने में भी आसानी होगी। प्रस्ताव के मद्देनजर पर्यटक, कारोबारी और इलाज एवं सम्मेलन इत्यादि में भाग लेने भारत आने वाले लोगों को वीजा नई श्रेणी के तहत दिया जाएगा।’
सभी के लिए नहीं 10 साल का वीजा
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, ‘लंबी अवधि वाले बहुउद्देशीय प्रवेश वीजा को 10 वर्ष के लिए जारी किया जाएगा लेकिन इस श्रेणी के वीजा के तहत विदेशी व्यक्ति को यहां काम करने और स्थाई रूप से रहने की अनुमति नहीं होगी।

कोर्स का चयन करते समय रखें इन बातों का ध्यान
कोर्स का चयन करते समय कई बातों का ध्यान रखना चाहिये क्योंकि अगर एक बार गलत राह पकड़ ली तो फिर पछताने के सिवा कुछ नहीं मिलता। कोर्स का चयन करते समय अपनी योग्यता, क्षमताएं और रुचि को ध्यान में रखें। किसी को अच्छे वेतन के साथ ही बेहतर जिंदगी और ग्लैमरस जीवन बिताते देखकर ही प्रभावित न हों। हर इंसान की अपनी क्षमताएं होती हैं।
अगर आप किसी आम कोर्स के माध्यम से करियर बनाना चाहते हैं तो आपको कई बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। दरअसल आम कोर्स करने से कई बार कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। किसी भी फील्ड में करियर बनाने से पहले उसके लिए सही कोर्स का चयन करना सबसे अहम है। कोर्स चयन के समय नामी या आम कोर्स से बचें, क्योंकि इससे आपको करियर में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
कई बार चलन में ऐसे कोर्स होते हैं, जिसमें आपको बिल्कुल भी रुचि नहीं होती है, लेकिन आप सामाजिक दबाव में आकर यह कर लेते हैं और आगे दिक्कत होती है। रुचि के विपरीत होने से आप ना मन लगाकर काम नहीं कर पाएंगे और यह आपकी तरक्की में बाधा बनेगा।
वर्क कल्चर हो सकता है अलग- अगर आप अपने स्वभाव के विपरीत वर्क कल्चर में काम कर रहे हैं तो आपके लिए यह गलत है। आप भले ही अच्छी सैलरी प्राप्त कर रहे हो, लेकिन इससे आपको सुकून नहीं मिलेगा। पुरे दिन का एक बड़ा हिस्सा इसी वर्क कल्चर में काम करते हुए बीतना है, इसलिए इसका ध्यान रखें।
ये है ऑनलाइन कोर्सेज को चुनने का सही तरीका
कम सैलरी- आम कोर्स करने से सैलरी कम होने की संभावना बढ़ सकती है। दरअसल इन कोर्स के कई उम्मीदवार नौकरी ढूंढते हैं और ज्यादा उम्मीदवार होने की वजह से सैलरी पर काफी असर पड़ता है।
करियर ग्रोथ के कम अवसर- कुछ आम करियर विकल्प में शुरुआत में आपको अच्छा वेतन मिलता है, लेकिन करियर ग्रोथ के अवसर ज्यादा नहीं होते हैं। इससे उच्च पदों के लिए सीमित अवसर हैं। ऐसे में आम करियर विकल्प चुनने पर आपको करियर ग्रोथ के सम्बन्ध में निराश होना पड़ सकता है।
ऐसे करें चयन- किसी कार्य को करने की अच्छी काबिलियत होने पर भी यदि आपको उस कार्य में रूचि नहीं है और वह काम करने पर आप बोरियत महसूस करते हैं तो आप उस कार्य से संबंधित करियर में तरक्की नहीं कर पायेंगे। इसलिए अपनी रूचि के अनुसार कोर्स का चयन कर करियर बनाएं।

विदेश में पढ़ना है तो पीटीई टेस्ट जरुरी
अगर आप विदेश में पढ़ने जाना चाहते हैं तो पीटीई टेस्ट की तैयारी कर लें। पहले अंग्रेजी की योग्यता परखने के लिए सिर्फ आईईएलटीएस था लेकिन अब पीटीई को भी मान्यता मिल गई है। पीटीई का फुल फॉर्म पीयरसन टेस्ट ऑफ इंग्लिस है। पीटीई पूरी तरह से कंप्यूटराइज्ड टेस्ट है। इसका रिजल्ट बहुत जल्द यानी आमतौर पर 5 काम के दिनों में आ जाता है। जो छात्र जल्दी में हैं, उनके लिए यह टेस्ट ज्यादा उपयुक्त होता है।
तीन घंटे लंबे टेस्ट के दौरान रोजाना के इस्तेमाल में आने वाली इंग्लिश का टेस्ट लिया जाता है। इसमें ज्यादा हाई लेवल की इंग्लिश के सवाल नहीं होते हैं। इसमें छात्रों की बोलने और समझने की योग्यता परखी जाती है।
पीटीई परीक्षा शुल्क
पीटीई परीक्षा की स्टैंडर्ड फीस 11,271 रुपये और 18 फीसदी जीएसटी है। जीएसटी के साथ कुल 13,300 रुपये देना होगा।
अगर आप परीक्षा के लिए देर से आवेदन करेंगे तो लेट बुकिंग फीस 14,089 रुपये के साथ 18 फीसदी जीएसटी देना होगा यानी आपको कुल 16,625 रुपये का भुगतान करना होगा।
पीटीई के लिए रजिस्ट्रेशन कैसे करें?
पीटीई की ऑफिशल वेबसाइट पर जाएंगे और क्रीऐट एकाउंट पर क्लिक करें।
पासपोर्ट के मुताबिक अपनी पर्सनल डीटेल डालें।
ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन प्रोसेस पूरा होने के बाद दो दिनों के अंदर आपको मेल आएगा जिसमें लॉगिन डीटेल होगा।
लॉगिन डीटेल मिलने के बाद पीटीई की वेबसाइट पर जाएं और साइन इन पर क्लिक करकें लॉगिन डीटेल्स डालें। उसके बाद सिडूयल पर क्लिक करें।
अपने लोकेशन के मुताबिक, अपना मनपसंद टेस्ट सेंटर चुनें।
उसके बाद उपयुक्त तारीख और समय चुनें।
अपना लोकेशन, डेट और टाइम कन्फर्म करने के बाद आपसे कुछ सवाल पूछे जाएंगे।
अगले स्टेप में भुगतान करें।
आपकी बुकिंग पूरी होने पर आपको एक मेल आएगा जिसमें टेस्ट सेंटर के स्थान का उल्लेख होगा।
योग्यता: आपको पीटीई ऐकडेमिक टेस्ट देने के लिए आपकी उम्र कम से कम 16 साल होनी चाहिए।

फॉरेंसिक साइंस और साइबर सेल में रोजगार के कई अवसर
अपराधों की जांच में फॉरेंसिक विज्ञान के बढ़ते उपयोग को देखते हुए इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़े हैं। हाल के दिनों में फॉरेंसिक साइंस का उपयोग तेजी से बढ़ा है। इसके प्रयोग को देखते हुए इस क्षेत्र में रोजगार की काफी संभावनाएं पैदा हुई हैं। वहीं इंटरनेट और मोबाइल तकनीक के इस युग में साइबर अपराध भी बढ़ रहें हैं और ऐसे में उनसे निपटने साइबर सेल भी बनायी गयी हैं। इसमें आईटी तकनीक के विशेषज्ञ जानकारों की जरुरत होती है जिनकी वर्तमान में काफी कमी है। ऐसे में अगर आप इंटरनेट और साइबर तकनीक में निपुण हैं तो आपके पास इस क्षेत्र में रोजगार के बेहद अवसर हैं।
जानें क्या है फॉरेंसिक विज्ञान
किसी अपराध की जांच के लिए वैज्ञानिक सिद्धांतों का उपयोग फॉरेंसिक विज्ञान कहलाता है। इस क्षेत्र में काम करने वाले पेशेवर फॉरेंसिक साइंस विज्ञानी होते हैं।
ये पेशेवर नई तकनीकों का इस्तेमाल कर सबूतों की जांच करते हैं और अपराधियों को पकड़ने में मदद करते हैं। ये क्राइम लैबोरेटरी आधारित जॉब है, जिसमें सबूतों की समीक्षा करना होता है.
इस क्षेत्र में प्रवेश लेने के लिए फिजिक्स, केमेस्ट्री और बायोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, मेडिकल टेक्नोलॉजी या जेनिटिक्स जैसे विषयों में बैचलर डिग्री होनी चाहिए। वहीं, कुछ दूसरे जॉब में लैब अनुभव भी मांगा जाएगा। बैचलर डिग्री के अलावा आप मास्टर डिग्री या डिप्लोमा फॉरेंसिक साइंस में कर सकते हैं।
इस क्षेत्र में ज्यादातर जॉब सरकारी सेक्टर में है। यहां पुलिस, लीगल सिस्टम, इंवेस्टिगेटिव सर्विस जैसे जगहों पर जॉब मिल सकती है। वहीं, प्राइवेट एजेंसी भी फॉरेंसिक साइंटिस्ट्स को हायर करती है। ज्यादातर फॉरेंसिक साइंटिस्ट इंटेलि‍जेंस ब्यूरो और सीबीआई की ओर से हायर किए जाते हैं। इसके अलावा एक टीचर के रूप आप फॉरेंसिक साइंस को किसी इंस्टीट्यूट में पढ़ा कर अच्छा खासा कमा सकते हैं। योग्यता के आधार पर आपका वेतन 20-50 हजार रुपये तक या उससे ज्यादा भी हो सकती है।
जरुरी योग्यताएं
बातचीत करने में कुशल हो क्योंकि कोर्ट में अपनी बातों को साबित करने के लिए बेहतर संवाद के तरीके आना जरूरी हैं। कई तरह के टेस्ट रिपोर्ट लिखने होंगे, इसलिए राइटिंग स्किल भी अच्छी होनी चाहिए।
फॉरेंसिक साइंस कोर्स के लिए शीर्ष संस्थान
इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिमिनोलॉजी एंड फोरेंसिक साइंस, नई दिल्ली
लोक नायक जयप्रकाश नारायण नेशनल इंस्टीट्यूट
ऑफ क्रिमिनोलॉजी एंड फोरेंसिक साइंस, दिल्ली
अन्ना यूनिवर्सिटी, चेन्नई
सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेट्री, हैदराबाद

इन्वेस्टमेंट बैंकर के लिए हैं असीम संभावनाएं
ग्लोबलाइजेशन के इस युग में जिस प्रकार बहुराष्ट्रीय कंपनियां का करोबार बढ़ता जा रहा है, उससे इन्वेस्टमेंट बैंकर की मांग बेहद बढ़ी है। हर कंपनी को इन्वेस्टमेंट बैंकर (निवेश कराने वाले) की जरुरत होती है। ऐसे में अगर आपको बैंकिंग या वित्त सेक्टर से लगाव है तो आप इन्वेस्टमेंट बैंकर के क्षेत्र में नाम और पैसा कमा सकते हैं। इन्वेस्टमेंट बैंकर किसी भी कंपनी के लिए बेहद अहम होता है।
इन्वेस्टमेंट बैंकर का काम
वह कंपनी की वित्तीय मामलों से जुड़ी हर जिम्मेदारी को पूरा करने का काम करता है। आर्थिक योजना से लेकर कंपनी के इससे जुड़े काम उसके पास होते हैं। बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन या फाइनेंस में बैचलर डिग्री वालों के लिए ये क्षेत्र है। अगर आप कुछ अलग हटकर करना चाहते हैं तो यह आपके लिए सबसे बेहतर क्षेत्र है।
शैक्षणिक योग्यता
एमबीए इन इन्वेस्टमेंट बैंकिंग
बीए इन फाइनेंस एंड इन्वेस्टमेंट बैंकिंग
पीजी डिप्लोमा इन बैंकिंग एंड फाइनेंस
पीजी डिप्लोमा इन ग्लोबल इन्वेस्टमेंट
डिप्लोमा इन इन्वेस्टमेंट बैंकिंग एंड इक्विटी रिसर्च
यूजी प्रोग्राम इन पोर्टफोलियो मैनेजमेंट एंड इन्वेस्टमेंट बैंकिंग
किसी भी सरकारी अथवा प्राइवेट कंपनी में इन्वेस्टमेंट बैंकरों की एक भूमिका होती है। उन्हें संस्थान के फाइनेंशियल डिपार्टमेंट का बोन माना जाता है। इन्वेस्टमेंट बैंकर का काम आर्थिक लेन-देन से जुड़े रिकॉर्ड का रख-रखाव, मॉडिफिकेशन, टेस्टिंग, डिवैलपमेंट, कंपनी कैपिटल, लोन, स्टॉक आदि पर काम करना होता है। उन्हें कंपनी के क्लाइंट को लोन और निवेश कराने में सहयोग देना होता है। इन्वेस्टमेंट बैंकर अपनी बैंकिंग टीम के साथ वित्तीय रणनीति की रूपरेखा भी बनाते हैं।
ये बन सकते है इन्वेस्टमेंट बैंकर
बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन और बैचलर ऑफ फाइनेंस इस जॉब के लिए शुरुआती योग्यता मानी जाती है लेकिन ज्यादातर कंपनियां मास्टर डिग्री के बाद ही जॉब देती हैं। ऐसे में वे एमबीए, चार्टर्ड एकाउंटेंसी, कॉस्ट एंड मैनेजमेंट एकाउंटेंसी, कंपनी सेक्रेटरी, सीएफए वालों को पसंद किया जाता है।
इन योग्यताओं का होना भी बहुत जरूरी
इस फील्ड में गणित का अच्छा होना तो सबसे जरूरी है। साथ ही बेहतर कम्युनिकेशन स्किल और नए अवसरों को पहचानने का गुण होना जरूरी है।
यहां हैं अवसर
कमर्शियल बैंक इन्वेस्टमेंट बैंकिंग का सबसे बड़ा जॉब सोर्स है। ट्रेडिंग फर्म, कैपिटल मार्केट, लोन देने वाली कंपनियों में इन्वेस्टमेंट बैंकर के लिए नौकरी समय-समय पर निकलती रहती है। यहां पेशेवर पोर्टफोलियो मैनेजर और फाइनेंशियल की पोस्ट पर काम कर सकते हैं। इसके अलावा कई और फर्म अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग, खर्च, प्रोजेक्शन प्लानिंग व एसेट प्लानिंग के लिए ऐसे प्रोफेशनल्स को अपने यहां रखती हैं। हेल्थकेयर, टेक्नोलॉजी और एनर्जी जैसी इंडस्ट्री के अलावा मल्टीनेशनल कंपनियां आजकल इन्वेस्टमेंट बैंकरों को तलाश रही हैं। आप खुद की कंसल्टेंसी भी शुरू कर सकते हैं।
कमाई
शुरुआती वेतन 35-40 हजार रुपए हो सकता है लेकिन अगर आपके पास अच्छा अनुभव है तो आप लाखों रुपये कमा सकते हैं।

मूर्तिकला क्षेत्र में भी हैं अवसर
देश में साल भर चलने वाले धार्मिक व सांस्कृतिक आयोजनों को देखते हुए मूर्ति निर्माण उन युवाओं के लिए लाभदायक हो सकेगा जो इस क्षेत्र में अपना भविष्य बनाना चाहते हैं। मूर्तिकला त्रिआयामी, ठोस और मूर्त (साकार) रूप में अभिव्यक्ति का एक माध्यम है। यह राउण्ड व रीलिफ आकार में हो सकता है, जिसका प्रयोग अनादिकाल से भारतीय सभ्यता में प्रचलित है। मूर्तियों का प्रयोग अभिव्यक्ति, पूजन-उपासना, सजावट, भय,स्मृति और पहचान आदि हेतु सहस्त्राब्दियों से होता रहा है। भारत के साथ विदेशों में भी अनेकानेक मन्दिर और कला मण्डप उपलब्ध हैं, जो मूर्तिकला के शाशवत अवदान का वर्णन प्रस्तुत करते हैं। भारतीय इतिहास का मध्यकाल इस प्रकार के अनेकों उदाहरण को समेटे हुए है। हमारे देश में वर्ष भर सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन होता रहता है, जिनमें अवसर अनुरूप मूर्तियों के प्रयोग का प्रचलन है। मन्दिर और पूजागृह की मूर्तियां स्थायी होती हैं, जबकि सामयिक और अवसर विशेष – उत्सव आदि के लिए प्रयुक्त मूर्तियां अस्थायी होती हैं। भारतीय धर्म में क्षेत्रानुसार हजारों व्रत व पूजा का उल्लेख मिलता है जिनमें भिन्न प्रकार के मूर्ति निर्माण की व्यवस्था दी गई है। ऐसे लाखों देवी-देवताओं का उल्लेख भारतीय शास्त्रों में मिलता है जिनकी पूजा-अर्चना व्रत और अनुष्ठान के अनुरूप की जाती है।
मूर्ति निर्माण व सृजन हेतु कई माध्यम व प्रक्रिया का प्रचलन है जिसमें विभिन्न प्रकार की सामग्रियों का प्रयोग किया जाता है। मूर्ति निर्माण के लिए जिन माध्यमों का सहारा लिया जाता है उनमें पाषाण, काष्ठ, धातु, मृण्मूर्ति महत्वपूर्ण हैं. इन माध्यमों से निर्मित आकृतियों में जन-सामान्य विशेष की संस्कृति का आभास होता है। आज यह कला मृण्मूर्ति, पाषाण, काष्ठ, धातु की यात्रा से गुजरते हुए कांच, फाइबर ग्लास, प्लास्टिक एवं अन्य सृजनात्मक माध्यम तक पहुंच चुकी है।
वर्गीकरण :
मूर्तिकला का वर्गीकरण कई मापदण्डों पर किया जा सकता है।
क. स्थायित्व के आधार पर –
1 स्थायी 2 अस्थायी
ख आकार व स्वरूप के आधार पर-
1 राउण्ड 2 रीलिफ
ग साधन व सामग्री के आधार पर-
1 मिट्टी-मृण्मूर्ति 2. प्लास्टर ऑफ़ पेरिस
3 धातु, 4 सीमेण्ट, 5 पाषाण, 6 काष्ठ,
7 फाइबर ग्लास/सिन्थेटिक स्टोन,
8 मोम व लाख आदि, 9 एसेम्बलिंग विद
मिक्स मिडिया आदि।
घ पद्धति के आधार पर- 1 मॉडलिंग,
2. मोल्डिंग-कास्टिंग, 3 कार्विंग,
4 प्रतिस्थापन (इन्स्टॉलेशन) आदि।
हम मूर्तिकला में बाहरी और अंदरूनी मूर्तिकला के रूप में भी भेद कर सकते हैं। सजावट, उपासना तथा जीवन एवं चित्र आदि के लिए मूर्तिकला।