फडणवीस ने संतों, धर्मगुरुओं और कीर्तनकारों का लिया आशीर्वाद

पुणे,मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि भारतीय संस्कृति दुनिया की सबसे प्राचीन संस्कृति है और संतों द्वारा लोगों में पैदा की गई निष्पक्ष जागरूकता के कारण भारतीय संस्कृति जीवित रही है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने श्रीक्षेत्र आलंदी स्थित वेदश्री तपोवन परिसर में आयोजित संत कृतज्ञता संवाद कार्यक्रम में शामिल होकर संतों, धर्मगुरुओं और कीर्तनकारों का आशीर्वाद लिया। विधान परिषद के सभापति प्रो. राम शिंदे, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन, पशुपालन मंत्री पंकजा मुंडे, ए. उमा खापरे, ए. महेश लांडगे, ए. शंकर जगताप, ए. अमित गोरखे, आचार्य स्वामी गोविंददेव गिरि महाराज, एच.बी.पी. ब्रह्मगिरि इस अवसर पर मारोती महाराज कुसेकर, भास्करगिरी महाराज, जगद्गुरु संत तुकाराम महाराज संस्थान के अध्यक्ष पुरुषोत्तम महाराज मोरे, श्री विठ्ठल रुक्मिणी मंदिर संस्थान के अध्यक्ष गहिनीनाथ महाराज औसेकर और मारुति महाराज कुरेकर उपस्थित थे।
फडणवीस ने कहा कि भारतीय सभ्यता विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता है। पांच हजार साल पुरानी सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष अभी भी पूरी तरह विकसित हैं। यह संस्कृति इसलिए बची रही क्योंकि संतों और धार्मिक नेताओं ने निष्पक्ष रूप से लोगों में जागरूकता पैदा की। हमारी संस्कृति को कोई नष्ट नहीं कर सका क्योंकि संतों के विचारों ने भ्रष्ट राजतंत्र को उखाड़ फेंका।
यह बर्दाश्त न कर पाने के कारण कि हमारा देश प्रगति के साथ-साथ मजबूत होता जा रहा है, देश के भीतर और विदेश में विध्वंसकारी ताकतें एक साथ आ गईं और उन्होंने एक षड्यंत्र रचा और देश में अराजकता पैदा करने की कोशिश की। हालाँकि, संतों ने समाज में जागरूकता पैदा करके इन प्रयासों को विफल कर दिया। जब भारत की संस्कृति और विचार कमजोर हुए तो हम गुलामी में फंस गए। यहां के बच्चों ने समाज को जागृत किया, एकजुट समाज का निर्माण किया और हमें विजयी भारत देखने को मिला।
हिंदू जीवन पद्धति में निर्गुण निराकार है, जबकि सगुण साकार है। भले ही सबकी जीवन-शैली अलग-अलग है, लेकिन भारत इसी जीवन-शैली के कारण एकजुट है। पूज्य गोविंददेव गिरि महाराज और उनके सहयोगियों ने समाज में जागरूकता पैदा करने का महान कार्य किया है। उन्होंने वसुधैव कुटुम्बकम का विचार प्रस्तुत किया, इस विचार से कि सम्पूर्ण समाज एक है, देश एक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे समाज में जागरूकता आई है।

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