नदियों का संरक्षण करने आगे आये समाज,अमरकंट में नहीं होगा अब कोई नया निर्माण

भोपाल,मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि अमरकंटक में अब कोई नया निर्माण नहीं होगा। जितने पुराने निर्माण हैं, उनके सीवेज का पानी नर्मदा नदी में न जाए इसके लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। नर्मदा नदी को बचाने के लिए कठोर कदम उठाना आवश्यक है। नर्मदा जी के किनारे बसे शहरों में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जा रहे हैं। यहाँ से निकलने वाले पानी का उपयोग खेतों में किया जाएगा। प्रगति के साथ हमने विनाश के भी कार्य किए हैं। जहाँ पहले धरती में 30 से 40 फिट पर पानी मिल जाता था, वही अब एक हजार फिट पर भी पानी नहीं निकल रहा है। इसके लिए हम सभी जिम्मेदार हैं। धरती और पर्यावरण को बचाना है तो हमें वृक्ष लगाने होंगे। वृक्षा-रोपण को हमें संस्कार और अपनी आदत के रूप में अंगीकार करना होगा।
चौहान मैपकॉस्ट में नदी उत्सव-2022 में “खेती किसानी – नदी की जुबानी” सत्र को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने नदी पुनर्जीवन कार्यक्रम पर केंद्रित प्रदर्शनी का भी शुभारंभ किया। चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में ग्लेशियर नहीं हैं। यहाँ वृक्षों द्वारा अवषोशित जल को बूंद-बूंद छोड़ने से ही माँ नर्मदा विशाल नदी का रूप लेती हैं। सतपुड़ा और विंध्याचल नर्मदा नदी के भाई के समान हैं। नर्मदा के दोनों ओर पर्याप्त जंगल विद्यमान था, परंतु खेती के विस्तार के लिए पेड़ों को हटाने की प्रक्रिया शुरू हुई और धीरे-धीरे जंगल समाप्त होने लगे। नदी के दोनों ओर पेड़ और घास नहीं रहेगी तो मिट्टी का कटाव बढ़ेगा। अत: नर्मदा नदी के दोनों ओर वृक्षा-रोपण के लिए सघन गतिविधियाँ चलाना आवश्यक है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि नर्मदा नदी के दोनों और प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इससे नदी में रसायनिक खाद और कीटनाशक के बहाव पर नियंत्रण होगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बताया कि प्रदेश में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए प्रत्येक विकास खण्ड पर 5 मास्टर ट्रेनर की सेवाएँ दी जा रही हैं।
चौहान ने कहा कि स्व.श्री अनिल माधव दवे ने जो काम अधूरे छोड़े हैं, उन्हें पूर्ण करने में हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। पर्यावरण-संरक्षण के लिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने स्तर पर कार्य करना होगा। यदि हम अपने परिवार के प्रत्येक सदस्य के जन्म-दिवस, शादी की वर्षगाँठ और परिजन के पुण्य-स्मरण में पौधे लगाने और उसकी देखभाल के लिए प्रतिबद्ध हों, तो यह पर्यावरण-संरक्षण की दिशा में हमारा महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने घर और खेत में छोटी नर्सरी विकसित करने के लिए भी प्रेरित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि नदियों को बचाने के लिए समाज को आगे आना होगा। जन-सामान्य के साथ मिलकर ही नदियों को पुनर्जीवित किया जा सकता है। प्रत्येक व्यक्ति को यह प्रयास करना होगा कि नदियों में गंदा पानी और अपशिष्ट न जाए। नदियों के दोनों ओर अधिक से अधिक पौध-रोपण हो, प्राकृतिक खेती को किसान अधिक से अधिक अपनायें और नदी संरक्षण के लिए प्रत्येक व्यक्ति संवेदनशीलता के साथ कार्य करे।
केन्द्रीय जलशक्ति राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने जल की कमी की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि जल और जीवन के बीच बढ़ती खाई को नियंत्रित करना अब आसान नहीं है। हम जितना पानी उपयोग करते हैं, उतना बचा लें, वह भी अब पर्याप्त नहीं रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि तीसरा युद्ध पानी के लिए होगा। परंतु उसका रणक्षेत्र भारत नहीं बनेगा, क्योंकि भारत में भू-जल, पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। केन्द्रीय राज्य मंत्री श्री पटेल ने कहा कि जल से संबंधित चुनौतियों का सामना करने के लिए हमें अधिक प्रभावी रूप से कार्य करना आवश्यक है। नदियों को उनकी सहायक नदियों और सहायक नदियों को जल देने वाले स्रोतों के साथ समग्र रूप से देखना आवश्यक है। प्रत्येक नदी के स्वरूप के साथ उसकी संस्कृति का संरक्षण भी जरूरी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *