कोरोना महामारी को समझने में नाकाम रहने पर हटाए गए स्वास्थ्य आयुक्त संजय गोयल

भोपाल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोरोना महामारी की दूसरी लहर रोकने के लिए जिन अफसरों को जिम्मेदारी दी थी, वे महामारी का आकलन करने में पूरी तरह विफल रहे। इस कारण प्रदेशवासी स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे हैं। इसी लापरवाही के चलते सोमवार को सरकार ने स्वास्थ्य आयुक्त तथा लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव डा. संजय गोयल को इस जिम्मेदारी से हटा दिया। उनकी जगह आकाश त्रिपाठी को जिम्मेदारी सौंपी गई है। वहीं हाल फिलहाल के लिए स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान को अभयदान मिल गया है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने कोरोना पर नियंत्रण करने के लिए अफसरों को फ्री हैंड कर दिया था। लेकिन अफसर अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा सके। अफसरों की परफॉर्मेंस से नाराज मुख्यमंत्री ने सोमवार को ही मंत्रियों को जिलावार जिम्मेदारी सौंप दी है। वहीं अफसरों पर गाज गिरानी शुरू कर दी है। इस कड़ी में स्वास्थ्य आयुक्त तथा लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव डा. संजय गोयल को हटा दिया गया है। डा. गोयल को मंत्रालय में सचिव नियुक्त किया गया है। वहीं, अभी तक त्रिपाठी मप्र पावर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड, जबलपुर में प्रबंध संचालक और ऊर्जा विभाग के सचिव थे। उनके पास पूर्व की जिम्मेदारी बतौर अतिरिक्त प्रभार रहेगी। वहीं स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान को सरकार ने अभयदान दे दिया। माना जा रहा था महामारी की पूर्व तैयारियां नहीं करने के लिए सुलेमान भी बराबरी से जिम्मेदार हैं।
महामारी से निपटने में नाकाम स्वास्थ्य विभाग
स्वास्थ्य आयुक्त होने के नाते डा. गोयल के पास महामारी की दूसरी लहर से निपटने के इंतजाम करने का पर्याप्त समय था, लेकिन वे नाकाम रहे। अस्पतालों में बिस्तर, इंजेक्शन और आक्सीजन की उपलब्धता का निर्णय समय रहते किया जाना था। अब, जबकि प्रदेश में संक्रमण दर काफी ज्यादा हो गई है, तब इनके इंतजाम के लिए आपाधापी मची है। कोविड केयर सेंटर बनाने जैसी मूलभूत आवश्यकता पर भी अब काम किया जा रहा है। डा. गोयल को इन सभी व्यवस्थाओं के लिए सचेत रहते हुए भविष्य के संकट से निपटने के लिए कार्ययोजना बनाने थी, लेकिन वे काम नहीं कर सके। वहीं, त्रिपाठी को तेजतर्रार अधिकारी माना जाता है। उनकी छवि नतीजे देने वाले अधिकारी की है। संकट व्यापक होने के चलते सरकार ने उन्हें स्वास्थ्य की व्यवस्थाएं सुधारने की जिम्मेदारी सौंपी है।
कुछ और पर गिर सकती है गाज
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कोरोना संक्रमण की दर कम करने के लिए व्यक्तिगत तौर पर सक्रिय हैं। वे इस मामले में आवश्यकताओं की अनदेखी करने वाले अधिकारियों की कार्यप्रणाली से नाराज हैं। गंभीर संकट के बीच राहत के उपाय करने की जगह चलताऊ बयान देने वाले अधिकारी भी निशाने पर हैं। स्वास्थ्य विभाग के और बड़े अधिकारियों की भी छुट्टी की जा सकती है। मालूम हो, आक्सीजन और रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी की खबरें आते ही हाल ही में पी. नरहरि को नियंत्रण खाद्य व औषधि प्रशासन व आयुक्त खाद्य सुरक्षा का जिम्मा सौंपा गया था। इससे पहले यह जिम्मेदारी भी डा. गोयल के पास बतौर अतिरिक्त प्रभार थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *