महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, राजस्थान और हरियाणा के बाद अब ओडिशा में कोरोना वैक्सीन की कमी

 

नई दिल्ली/ रायपुर/ मुंबई/ भुवनेश्वर,देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर बेकाबू हो गई है। गुरुवार को रिकॉर्ड 1,26,789 कोरोना के मरीज मिले हैं। महामारी के बढ़ते प्रकोप के बीच कई राज्य कोरोना मरीजों को बचाने के लिए दवाएं और ऑक्सीजन की किल्लत से जूझ रहे हैं। कहीं अस्पतालों में बेड की कमी हैं, तो कहीं वेंटिलेटर कम पड़ गए हैं। कई राज्यों में वैक्सीन का स्टॉक खत्म होने के चलते टीकाकरण अभियान थम गया है। इसके इतर केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच वैक्सीन पॉलिटिक्स जारी है। ऐसे स्थिति में सवाल ये है कि चिकित्सा उपकरणों की कमी से जूझते ही देश कोरोना के खिलाफ लड़ाई कैसे जीतेगा?
देश में कोरोना का संकट लगातार बढ़ रहा है। भारत में कोरोना संकट में टीके की बड़ी उपयोगिता बताई जा रही है और सरकार का अनुमान है कि टीका लगाने का अभियान तेज होने से कोरोनावायरस के मामलों में कमी आ सकती है। इस बीच 4 राज्यों ने कहा है कि उनके पास सिर्फ 1 दिन का कोरोना टीका बचा है। महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, झारखंड और ओडि़शा जैसे राज्यों ने केंद्र से कहा है कि उनके पास टीके की इन्वेंटरी बिल्कुल नहीं बची है। हरियाणा ने प्रदेश में लोगों को टीका लगाने की रफ्तार कम कर दी है। भारत बायोटेक के वैक्सीन की उपलब्धता हरियाणा में भी कम है।
-महाराष्ट्र के कई जिलों में वैक्सीनेशन थमा
महाराष्ट्र सरकार की ओर से वैक्सीन का स्टॉक खत्म होने की शिकायत करने के बाद केंद्र सरकार और उद्धव सरकार के बीच टकराव बढ़ गया है। महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने केंद्र से हर महीने 1.6 करोड़ वैक्सीन की मांग की है। प्रदेश में हर दिन 6 लाख लोगों का टीकाकरण किया जा रहा है, ऐसे में हमें हर हफ्ते 40 लाख वैक्सीन की जरूरत है। इस बीच, महाराष्ट्र के पनवेल, सतारा में वैक्सीन की कमी का हवाला देते हुए टीकाकरण रोक दिया गया है। वहीं पुणे में टीके की कमी के चलते 109 टीकाकरण केंद्रों को बंद कर दिया है। महाराष्ट्र के कोल्हापुर, नवी मुंबई और वाशिम में एक दिन का स्टॉक बचा हुआ है। सतारा-सांगली-चंद्रपुर में स्टॉक खत्म हो गया है।
-दिल्ली में भी कोरोना वैक्सीन की कमी
दिल्ली में भी वैक्सीन स्टॉक की कमी का दावा किया गया है। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि दिल्ली में भी अब 4 से 5 दिन का वैक्सीन स्टॉक बचा हुआ है। सत्येंद्र जैन ने कहा कि दिल्ली में केंद्र सरकार के अस्पतालों में टीका लगाने की रफ्तार धीमी है। केंद्र के अस्पतालों में सिर्फ 30 से 40 फीसदी वैक्सीन लगाई गई है। इसी वजह से दिल्ली में आंकड़े कम दिख रहे हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि यह वक्त राजनीति करने का नहीं है बल्कि एक साथ मिलकर कोरोना के खिलाफ लडऩे का है।
ओडिशा में 700 टीकाकरण केंद्र बंद
महाराष्ट्र के बाद ओडिशा ने भी अपने यहां वैक्सीन का डोज खत्म होने का दावा किया है। ओडिशा के स्वास्थ्य मंत्री नबा किशोर दास ने कहा कि हमारे पास सिर्फ दो दिन का स्टॉक बचा हुआ है। वैक्सीन नहीं मिली, तो आने वाले समय में लोगों को केंद्रों से वापस लौटाना होगा। उन्होंने कहा कि 1400 टीकाकरण केंद्रों में से 700 केंद्रों को तो बंद कर दिया गया है। हर रोज ढाई लाख टीका लगाया जा रहा है। फिलहाल स्टॉक में 5,34 लाख वैक्सीन बची है। उन्होंने कहा कि वैक्सीन स्टॉक कमी के बारे में केंद्र को पत्र लिखकर अवगत कराया है। हमने उनसे 25 लाख वैक्सीन की मांग की है।
झारखंड ने भी खड़े किए हाथ
झारखंड की सरकार के मुताबिक, उनके पास वैक्सीन का सिर्फ दो दिन का स्टॉक बचा है। हालांकि, राज्य सरकार के दावों से इतर केंद्र की ओर से कहा गया है कि हर राज्य को वैक्सीन पर्याप्त मात्रा में दी जा रही है।
राजस्थान को मिले खराब वेंटिलेटर!
राजस्थान ने भी केंद्र से वैक्सीन और वेंटिलेटर को लेकर मदद मांगी है। साथ ही राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से राज्य को 1000 वेंटिलेटर भेजे गए थे, लेकिन इन्होंने दो-ढाई घंटे बाद ही काम करना बंद कर दिया। मुख्यमंत्री गहलोत ने समीक्षा बैठक के दौरान यह मुद्दा उठाया था। केंद्र को इसकी जानकारी होनी चाहिए थी और हमने उन्हें सूचित कर भी दिया है। इसमें कोई राजनीति नहीं है, हम उन्हें तकनीकी खामी के बारे में बता रहे थे।
हर्षवर्धन ने कहा- वैक्सीन पर सवाल उठाना गलत
डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि महाराष्ट्र सरकार ने केवल 86 प्रतिशत हेल्थ वर्कर्स को कोरोना वैक्सीन की पहली डोज दी। दिल्ली में में 72 प्रतिशत और पंजाब में केवल 64 प्रतिशत स्वास्थ्यकर्मियों को वैक्सीन लगाई गई। दूसरी ओर 10 अन्य राज्य और केंद्र शासित राज्यों में 90 प्रतिशत से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मियों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है। इसी तरह फ्रंट लाइन वर्कर्स को भी वैक्सीन लगाने में ये तीनों सरकार फेल रहीं हैं। महाराष्ट्र में अब तक केवल 73 प्रतिशत, जबकि दिल्ली में 71 प्रतिशत और पंजाब में 65 प्रतिशत फ्रंट लाइन वर्कर्स को वैक्सीन की पहली डोज दी गई। ये आंकड़े नेशनल एवरेज से भी कम है। उन्होंने छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री को भी कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने कोवैक्सिन को अपने राज्य में लगाने से मना कर दिया था। वह लगातार ऐसे बयान दिए जा रहे थे जिनकी मंशा टीकाकरण के बारे में दुष्प्रचार और घबराहट फैलाना है। इससे कोरोना के खिलाफ चल रही लड़ाई कमजोर हुई है।
इनका कहना है
-कई सारे वैक्सीनेशन सेंटर बंद कर दिए गए हैं। फिलहाल हमारे पास 2 दिन का डोज है। हमने हर सप्ताह के लिए 40 लाख वैक्सीन डोज की मांग की है। मैं ये नहीं कह रहा हूं कि केंद्र सरकार हमें वैक्सीन नहीं दे रही है, लेकिन यह काफी धीमी है।
राजेश टोपे, स्वास्थ्य मंत्री महाराष्ट्र
-राज्य में कई जगह वैक्सीनेशन का काम रोक दिया गया है, हमारे पास सिर्फ दो दिन का ही स्टॉक बचा है। ऐसे में नया स्टॉक नहीं आता है, तो पूरे राज्य में वैक्सीनेशन ठप हो जाएगा। केंद्र को 15 लाख वैक्सीन देने की पहले भी अपील की थी, लेकिन कोई जवाब ही नहीं आ पाया।
नब किशोर दास, स्वास्थ्य मंत्री ओडिशा
-हमारे पास सिर्फ 3 दिन की जरूरत का कोरोनावायरस टीका बचा है। इसके बाद राज्य में टीकाकरण अभियान नहीं चल पाएगा।
ई राजेंद्र, स्वास्थ्य मंत्री तेलंगाना
– छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण बढऩे को देखते हुए जरूरत इस बात की है कि केंद्र सरकार प्रदेश में पर्याप्त वैक्सीन भेजे। कई जगह टीका लगाना बंद करना पड़ा है। टीकाकरण में उम्र की सीमा भी समाप्त की जाए। टीका सबको उपलब्ध कराया जाए।
शैलेश नितिन त्रिवेदी,संचार प्रमुख छग कांग्रेस

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