छिंदवाड़ा, गर्मी के साथ ही जिले के शहरी और ग्रामीण अंचलों में पेयजल संकट की दस्तक होने लगी है। जिले की 800 से ज्यादा ग्राम पंचायतों में करीब 300 ग्राम पंचायतें ऐसी है जहां अभी से नलजल योजनाओं के साथ नलकूप साथ छोड़ रहे है। इनमें जनपद तामिया, हर्रई, जुन्नारदेव, परासिया, बिछुआ, सौंसर, पांढुर्णा, छिंदवाड़ा, चौरई, अमरवाड़ा की ग्राम पंचायतें शामिल है। हर साल ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल त्रोंतों और नलजल योजनाओं के संधारण के लिए करोड़ों का बजट खर्च होता है इसके बावजूद भी छिंदवाड़ा पेयजल मुक्त जिला नहीं है। जिले में न केवल ग्रामीण बल्कि शहरी क्षेत्रों में भी पेयजल संकट पैर पसार रहा है। पेयजल संकट को लेकर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी और पंचायतों की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल है और यह सवाल किसी दाग से कम नहीं है कि हर साल पानी के लिए पानी की तरह रुपया बहाने के बावजूद भी जिले का आमजन पेयजल संकट से दो-चार हो रहा है।
सात शहरों में दो दिन में एक बार मिल रहा है पानी
जिले के सात शहर ऐसे है जहां अभी गर्मी की दस्तक में ही पेयजल संकट के हालात खड़े हो गए है। शहरों में नागरिकों को दो दिन में बार पेयजल की आपूर्ति की जा रही है। इन शहरों में पांढुर्णा, जुन्नारदेव, चांदामेटा, हर्रई, बड़कुही, न्यूटन, बिछुआ शामिल है। जबकि अन्य छिंदवाड़ा, पिपला, लोधीखेड़ा, मोहगांव, चांद, दमुआ, परासिया में भी हालात ठीक नहीं है। छिंदवाड़ा माचागोरा बांध के भरोसे है तो कुछ राहत है।
छिंदवाड़ा जल अभावग्रस्त क्षेत्र घोषित
कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन ने म.प्र. पेयजल परिरक्षण अधिनियम-1986 की धारा 3 में छिन्दवाड़ा जिले को पेयजल अभाव ग्रस्त क्षेत्र घोषित कर दिया है। यह आदेश 15 जून तक लागू रहेगा। इस दौरान जिले के सभी नदी नालों, स्टाप डेम, सार्वजनिक कुओं और अन्य जल त्रोतों का उपयोग केवल पेयजल एवं घरेलू प्रयोजन के लिये ही रहेगा। जिले में कहीं भी बिना अनुमति के नलकूप खनन नहीं होगा और न ही प्राइवेट एजेंसियों को निर्माण कार्यों के लिए पानी दिया जा सकेगा। नलकूप खनन के लिए एसडीएम से परमिशन लेनी होगी।