मोहन भागवत बोले श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण निधि समर्पण अभियान में कोई घर छूटे नहीं

नई दिल्ली, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण निधि समर्पण अभियान में हमें इस बात का ध्यान रखना है कि कोई घर छूटे नहीं। उन्होंने शहर के कलमबाग चौक के निकट उत्तर बिहार प्रांत कार्यालय में शनिवार की सुबह निधि समर्पण अभियान की समीक्षा करते हुए कहा कि हमारे लिए राशि से अधिक महत्वपूर्ण है, हर परिवार से जुड़ना। सभी परिवारों से जुड़ने के लिए ही महज 10 और 100 रुपये के कूपन जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा कि अबतक जिन परिवारों तक हम नहीं पहुंच सके हैं, वहां शीघ्र पहुंचें। उन्होंने पदाधिकारियों से पूछा कि कोरोना संकट के दौरान हमारे स्वयंसेवक कितने लाख परिवारों तक पहुंच सके? संकटग्रस्त लोगों को कहां कैसा सहयोग किया? सेवा बस्तियों में संघ का काम कैसा चल रहा है? अलग-अलग सत्रों में सर संघचालक ने कोरोना संकट के साइड इफेक्ट का समाधान ढूंढ़ने और पर्यावरण रक्षा का व्रत लेने का आह्वान किया। सर संघचालक ने श्रीरामजन्म भूमि मंदिर निर्माण निधि समर्पण अभियान के प्रांत प्रमुख राज किशोर से अबतक की प्रगति की जानकारी ली। उन्होंने मुजफ्फरपुर समेत उत्तर बिहार प्रांत में अभियान की सफलता पर संतोष प्रकट किया। अभियान के सदस्यों ने बताया कि लोग खुद श्रद्धापूर्वक निधि समर्पण के लिए आगे आ रहे हैं। उत्तर बिहार प्रांत के सह प्रचार प्रमुख संजीव जी ने बताया कि निधि समर्पण के दौरान जब स्वयंसेवकों की टोली शहर के गरीब स्थान मंदिर के निकट पहुंची तो वहां बैठे भिखारी भी मंदिर निर्माण में निधि देने के लिए खुद आगे आए। हालांकि भिखारी अधिक राशि देना देना चाह रहे थे, परन्तु उनसे सिर्फ दस-दस रुपये स्वीकार किए गए। सर संघचालक ने कोरोना काल के साइड इफेक्ट का समाधान ढूंढ़ने का आह्वान किया। स्कूल और कॉलेज बंद रहे और हमारे छात्र एक साल पीछे चले गए। मोहन भागवत ने कहा कि सक्षम लोग कोचिंग-ट्यूशन के माध्यम से अपने बच्चों को हुई क्षति की भरपाई कर लेंगे। गरीब परिवारों के बच्चों के लिए स्वयंसेवक खुद नि:शुल्क कोचिंग-ट़्यूशन की व्यवस्था कर सकते हैं या दूसरे शिक्षकों को प्रेरित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में बड़े पैमाने पर लोगों का रोजगार चला गया। बेरोजगारी दूर करने और पलायन रोकने के लिए हम युवाओं को स्वरोजगार खड़े करने में सहयोग कर सकते हैं। उन्हें प्रेरित भी करना होगा। मोहन भागवत ने कहा कि हमें पर्यावरण रक्षा का व्रत लेना होगा। यह पूरे समाज की जिम्मेदारी है, लेकिन सबसे पहले स्वयंसेवकों को जिम्मेदार बनना पड़ेगा। उन्होंने स्वयंसेवकों से सबसे पहले खुद सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद करने और पानी की फिजूलखर्जी रोकने का आह्वान किया। उन्होंने कहा समाज के हर व्यक्ति को पौधे लगाने चाहिए। जिनके पास जगह नहीं है, वे गमले में पौधे लगाएं। अंतिम सत्र में उन्होंने संघ की गतिविधियों और प्रांत टोली के कार्यों की जानकारी ली। इस सत्र में गौ रक्षा, ग्राम विकास, कुटुंब प्रबोधन, सामाजिक समरसता जैसी गतिविधियों की जानकारी ली। सवाल-जवाब सत्र में कृष्ण मुरारी भरतिया ने सुझाव दिया कि गायों को मुक्त कराया जाता है, परन्तु सौदेबाज को सजा के मामले में वर्षों पुराने कानून को और सख्त बनाने की जरूरत है।

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