बिलासपुर में एल्डरमैन की नियुक्ति से कांग्रेस में खींचतान, आईटी सेल के अध्यक्ष सहित दर्जनों कार्यकर्ताओं का इस्तीफा

बिलासपुर, नगर निगम एल्डरमैन के नामों की सूची जारी होते ही एक बार फिर से कांग्रेस में घमासान तेज हो गया है। शायद यही वजह थी कि पार्टी के बड़े नेता इस विषय को इतने दिनों तक टाल रहे थे। बिलासपुर कांग्रेस में मौजूद गुटबाजी किसी से छुपी नहीं है। विधानसभा चुनाव से लेकर नगर निगम चुनाव तक हर बार सभी स्तर पर गुटबाजी नजर आई है। भले ही प्रदेश के बड़े नेता इससे इंकार करते रहे हो। अब इस बार एल्डरमैन के नाम घोषित होने के बाद अटल श्रीवास्तव गुट फैसले से बेहद खफा है। कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष अटल श्रीवास्तव ने तो यहां तक कह दिया कि कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ताओं के साथ नाइंसाफी की गई है।
कांग्रेस भवन में लाठी खाने वालों की बजाए चाटूकारों को सूची में स्थान मिला है। उन्होंने इस बात पर गुस्सा जाहिर करते हुए इस्तीफा देने तक की चेतावनी दे दी। देखा यही जा रहा है कि नगर निगम चुनाव में जिन्हें टिकट नहीं दिया गया था या जिनका टिकट आखिरी वक्त पर काट दिया गया था उनको एल्डरमैन बनाकर मनाने की कोशिश की गई है। अटल श्रीवास्तव गुट इस बात से खफा है कि इस बार शैलेश पांडे की चल गई है। 11 नाम में से 6 को उनके गुट का बताया जा रहा है। इनमें से एक एल्डरमैन रश्मि सिंह के करीबी है। अटल श्रीवास्तव गुट से एक भी कैंडिडेट को मौका ना मिलने से यह गुट आग बबूला है और विरोध प्रदर्शन की शुरुआत भी हो चुकी है। शुक्रवार को कांग्रेस आईटी सेल के 2 दर्जन से अधिक कार्यकर्ताओं ने विधायक के कार्यालय पहुंचकर अपना इस्तीफा सौंप दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के कई पुराने और समर्पित नेताओं को उम्मीद थी कि उन्हें अवसर मिलेगा लेकिन इसकी बजाय अयोग्य और चाटुकारों को ही अवसर मिला है। सूची में शैलेंद्र जयसवाल का भी नाम शामिल है जो विधायक के करीबी है और वे पिछला चुनाव हार चुके है। सूची में काशी रात्रे और दीपांशु श्रीवास्तव के साथ अजरा खान का भी नाम शामिल है जिनका टिकट आखिरी वक्त पर काटा गया था, इसलिए माना जा रहा है कि इनको एल्डरमैन बनाकर उस वक्त किए गए वायदे को पूरा किया जा रहा है। सुबोध केसरी और अखिलेश गुप्ता अप्रत्याशित नाम है जिन्हें विधायक कोटे से अवसर मिला है। शैलेश पांडे गुट की एक तरफा जीत से खफा प्रदेश उपाध्यक्ष अटल श्रीवास्तव और उनके करीबी अब अपने रणनीति पर काम भी करने लगे हैं। विरोध की चिंगारी को हवा देते हुए शुरुआत आईटी सेल से की गई है।
आपको याद होगा कि बिलासपुर विधानसभा से अटल श्रीवास्तव चुनाव लडऩा चाहते थे लेकिन उनके इस सपने पर शैलेश पांडे ने पानी फेर दिया था। मुख्यमंत्री भी चाहते थे कि शैलेश पांडे कोटा से चुनाव लड़े लेकिन आलाकमान का हस्तक्षेप होने से शैलेश पांडे ना सिर्फ बिलासपुर से चुनाव लड़े बल्कि उन्होंने बड़ी जीत भी दर्ज की। हालांकि उसके बाद लोकसभा चुनाव में अटल श्रीवास्तव को टिकट मिला लेकिन यह चुनाव उनके लिए कठिन था और वे हार गए। नगर निगम चुनाव के दौरान अटल श्रीवास्तव अपने करीबियों को टिकट दिलाने में कामयाब हुए थे। यहां तक कि महापौर भी उन्हीं के करीबी बने ।इसलिए उम्मीद की जा रही थी कि एल्डरमैन चुनाव में भी उनकी ही चलेगी, लेकिन शायद पार्टी में उनका कद कम हो रहा है या फिर शैलेश पांडे का कद बढ़ रहा है। इसी की बेचैनी अब अटल गुट में नजर आने लगी है। कांग्रेस में गुटबाजी और व्यक्तिवाद हमेशा से हावी रही है ,लेकिन यह भी सच है कि यहां आलाकमान जो फैसला कर लेता है वह अकाट्य होता है ।इसलिए केवल शक्ति प्रदर्शन के लिए इस तरह के विरोध और इस्तीफे की राजनीति अभी कुछ दिन चलेगी। इस सूची के बाहर आने के बाद कांग्रेस पार्टी में बवाल मचा हुआ है। सूची के बाद ही पता चला कि ना जाने कितने लोग एल्डरमैन बनने की उम्मीद पाले हुए थे। अब उन्हें मनाने की कोशिश हो रही है। एक कांग्रेस नेता से जब कहा गया कि उन्हें अगली बार एल्डरमैन बना दिया जाएगा तो उन्होंने तपाक से कहा कि प्रदेश में कांग्रेस की वापसी दोबारा नहीं होगी इसलिए इस तरह का झुनझुना ना दिया जाए । एल्डरमैन बनाए गए अधिकांश कांग्रेसी नेताओं का निगम में खास अनुभव नहीं है। इनमें से शैलेंद्र जयसवाल ही अनुभवी है।

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