गलवान घाटी में गतिरोध थमना शुरू, सैटलाइट तस्वीरों में चीनी सेना पीछे हटती दिखी

नई दिल्ली, भारत और चीन के बीच लद्दाख की गलवान घाटी में गतिरोध थमता नज़र आ रहा है। ताजा सैटलाइट तस्वीरों में दिखाई दिया है कि चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी पहले जहां थी, वहां से हट चुकी है।
लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून को भारत और चीन की सेनाओं के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद से एक ओर चीनी नेता शांति की बात कर रहे थे, तो दूसरी ओर चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) अपनी मजबूती बढ़ाती जा रही थी।
अमेरिका की स्पेस टेक्नॉलजी कंपनी मैक्ज़ार ने गलवान घाटी की जो ताजा सैटलाइट तस्वीरें जारी की हैं उन्हें ओपन सोर्स इंटेलिजेंस अनैलिस्ट डेटरेस्फा ने ट्वीट किया है। इनमें दिखाई दे रहा है कि जहां पहले सैनिक मौजूद थे और सेना ने पोजिशन लेकर रखी थी, वहां से उनका पीछा हटना शुरू हो चुका है। भारत और चीन के बीच बातचीत के बाद इस पर सहमति जताई गई थी। सैटलाइट तस्वीरों के आधार पर कहा जा सकता है कि चीन का बेड़ा 1.2 किमी तक पीछे हट गया है।
ज्ञात रहे कि 5 जुलाई को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीन के विदेश मंत्री के बीच हुई बातचीत के बाद चीन के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा था कि दोनों देश अब ऐसा कोई कदम नहीं उठाएंगे जिससे विवाद आगे बढ़े और हालात जटिल हों। उन्होंने सेनाओं के पीछे जाने पर भी सहमति जताई थी। वहीं, चीन के एक्सपर्ट्स ने इसके बाद भी तंज कसा था कि दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच हुई सहमति की डीटेल्स को चुपचाप लागू करना चाहिए ताकि लोगों का ‘तर्कहीन राष्ट्रवाद, खासकर भारत में’ न भड़के।
गलवान में रविवार रात से डिसइंगेजमेंट शुरू हुआ और सोमवार को गोगरा और हॉट स्प्रिंग एरिया में भी मूवमेंट हुई है। हालांकि अभी भी पैन्गॉन्ग एरिया दिक्कत का पॉइंट बना हुआ है। सूत्रों के मुताबिक चीन यहां फिंगर-4 के पास है। यहां पर भारत और चीन के सैनिक एकदम आमने सामने हैं। चीन इस शर्त पर पीछे जाने को तैयार है कि दोनों देश यहां पर 2-3 किलोमीटर का बफर जोन बनाएं। यानी दोनों देशों के सैनिक करीब एक डेढ़ किलोमीटर पीछे जाएं। हालांकि, यह भारत को मंजूर नहीं है क्योंकि यहां पर पीछे जाने का मतलब है कि फिंगर-4 से पीछे जाना, जबकि फिंगर-4 हमेशा से भारत के कंट्रोल में रहा है।
उधर, भारत के सैन्य सूत्रों ने बताया है कि समझौते के तहत दोनों पक्ष विवादित इलाकों से 1 से 1.5 किमी पीछे हटेंगे और जब यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी तो दोनों देशों की सेना आगे की दिशा तय करने के लिए दोबारा बातचीत करेगी। 15 जून को हुए संघर्ष की जगह के आसपास 3.5 से 4 किमी इलाके को बफर जोन घोषित कर दिया गया है। इसलिए, अब गलवान में दोनों देशों की तरफ से 30 से ज्यादा सैनिक तैनात नहीं रह सकते हैं।

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