खराब जीवनशैली, तंबाकू और ओबेसिटी का शरीर पर होता है नकारात्मक प्रभाव, इन संकेतों पर हो जाएँ सतर्क

नई दिल्ली,विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर वर्ष कैंसर के 1.4 करोड़ नए मामले सामने आ रहे हैं। भारत में लगभग 7 लाख मौतें कैंसर से हो रही हैं। 50 प्रतिशत मामलों में खराब जीवनशैली, तंबाकू और ओबेसिटी के कारण कैंसर हो रहा है। पिछले कुछ वर्षों से गले या मुंह के कैंसर के मामले भी बहुत बढ़ गए हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में ऑन्कोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ. जी.के. रथ के अनुसार मिजोरम में कैंसर पीडि़त लोगों की संख्या सर्वाधिक है। वहां प्रति लाख व्यक्तियों में 273 लोग कैंसर से ग्रस्त हैं।
भारत में स्तन या सर्वाइकल कैंसर से भी ज्य़ादा मौतें मुंह या गले के कैंसर के कारण होती हैं। महानगरों, छोटे शहरों, गांवों तक कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। हाल के वर्षों में 20-25 वर्ष की आयु वालों को भी यह बीमारी अपनी चपेट में ले रही है। इसका सबसे बड़ा कारण है तंबाकू सेवन और धूम्रपान की लत।
कैंसर में असामान्य कोशिकाएं शरीर में दुगनी गति से फैलने लगती हैं और इन पर नियंत्रण मुश्किल हो जाता है। गले का कैंसर वॉयस बॉक्स, वोकल कॉर्ड और मुंह के अन्य हिस्सों जैसे टॉन्सिल्स में भी हो सकता है। जानकारी और जागरूकता किसी समस्या से बचने की जरूरी शर्त है। शरीर के प्रति सजग रहने से कई समस्याएं हल हो सकती हैं।कारण इस प्रकार के हैं
धूम्रपान या तंबाकू का सेवन करने वाले लोगों को गले का कैंसर ज्य़ादा होता है। इसमें वे लोग भी आते हैं जो अप्रत्यक्ष रूप से धूम्रपान करने वालों के संपर्क में आते हैं। स्त्रियों में भी इसके लक्षण दिखाई देते हैं। तंबाकू के सेवन से श्वास नली की कार्य प्रणाली पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
यदि कोई व्यक्ति शराब के साथ धूम्रपान भी करता है तो उसे मुंह का कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। एल्कोहॉल और निकोटिन का एक साथ सेवन नुकसानदेह है। इसके अलावा सड़क पर उडऩे वाली धूल, वुड डस्ट या केमिकल डस्ट के कारण भी यह कैंसर हो सकता है।
सल्फर डाइऑक्साइड, क्रोमियम और आर्सेनिक भी कैंसर का खतरा बढ़ाते हैं। पिछले कुछ वर्षों से धूम्रपान न करने वाले लोगों में भी मुंह या गले के कैंसर के लक्षण दिखाई देने लगे हैं। दांतों की उचित देखभाल न करने या दांतों में होने वाली समस्या को टालने से भी भविष्य में यह समस्या हो सकती है। विटमिन ए की कमी भी इसका एक कारण है। इसके अलावा कैंसर आनुवंशिक भी हो सकता है।
क्या हैं लक्षण
गले के कैंसर के लक्षण आसानी से पकड़ में नहीं आते। यदि इनमें से एक या अधिक लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं
आवाज बदल रही हो या भारी हो रही हो।
मसूड़ों में सूजन, दांतों में दर्द
गले में गांठें महसूस हों
मुंह में लगातार दर्द रहे, खून निकले
गले में जकडऩ, सांस लेने में तकलीफ
खाना खाने में परेशानी
लगातार थकान, नींद कम आना
मुंह के अंदर लाल, सफेद या गहरे रंग के पैचेज बनना
खाना चबाने या जीभ को हिलाने में दर्द का अनुभव
सांस से दुर्गंध महसूस होना या कान में अकारण दर्द
कफ आना और इसमें कई बार रक्त के धब्बे दिखना
लगातार वजन कम होना।

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