मप्र क्या बाघों के लिए सुरक्षित पनाहगार नहीं रहा ? यहां हर माह हो रही औसतन तीन बाघों की मौत

भोपाल,मध्यप्रदेश में बीते कुछ समय में औसतन हर माह कम से कम तीन बाघों की मौत हो रही है। इससे माना जाने लगा है कि अब प्रदेश में बाघ सुरक्षित नहीं रह गए हैं। अगर वन विभाग के आंकड़ो को देखें तो बीते तीन माह में ही 10 बाघों की मौत हो चुकी है। उधर बीते दिन भी पन्ना टाइगर रिजर्व में रेडियो कॉलर युक्त 10 वर्षीय एक बाघिन मौत का शिकार हो चुकी है। इसका बाघिन का शव पन्ना कोर क्षेत्र के तालगांव सर्किल में ट्रेकिंग दल को मृत हालत में मिला है। फिलहाल बाघिन की मौत कैसे व किन परिस्थितियों में हुई, अभी पता नही चल सका है। यह मृत बाघिन पी213 के नाम से चहचानी जाती थी। तालगांव रेस्ट हाउस में आराम फरमाते हुए इस बाघिन की फोटो बीते माह सुर्खियों में रह चुका है। स्वभाव से बेहद सीधी और पर्यटकों को सहजता से दिख जाने वाली इस बाघिन को लोग पन्ना की रानी कहकर पुकारते थे। इससे पूर्व बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में एक बाघ शावक का शव मिल चुका है। उसकी उम्र आठ माह थी। यहां बीते कुछ समय में तीन बाघों की मौत हो चुकी है। इनमें एक बाघ की मौत की वजह अपनी टेरटरी को लेकर दूसरे बाघ से हुई लड़ाई की वजह बताई गई है। इसके अलावा दो बाघों की मौत की वजह बीमारी बताई जा रही है। इसके बाद बाघों के जो शव मिले हैं, वे सड़ी- गली हालत में मिले हैं।
अप्रैल में ही हुई आठ बाघों की मौत
खास बात यह है कि इस साल मरने वाले बाघों की उम्र 10 साल या इससे कम रही है। इस साल के शुरुआती तीन माह में एक भी बाघ की मौत नहीं हुई थी, लेकिन इसके बाद अप्रैल में 8 बाघों की यकायक मौत हुई थी। इसके बाद से ही वन अमलें में चिंता देखी जा सकती है। गौरतलब है कि इनमें भी सर्वाधिक मौते बांधवगढ़ नेशनल पार्क में हुई हैं, जबकि दूसरो नंबर कान्हा नेशनल पार्क का है। एक बाघ की मौत महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश की सीमा में बुरहानपुर के सामान्य वन मंडल में हुई है। बताया जाता है कि बांधवगढ़ में जहां बाघ ने एक किशोरी पर हमला कर उसे मौत के घाट उतारा था, वहीं बाघ भी मृत हालात में मिला है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *