मुंबई, महाराष्ट्र में कोरोना ने ऐसा कहर मचा रखा है कि हर कोई भयभीत है. लेकिन आप ये जानकर हैरान हो जायेंगे कि महाराष्ट्र सरकार ने जब केंद्र की ओर से राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लागू करने के एक दिन पहले 23 मार्च को लॉकडाउन किया था तो राज्य में कोरोना के महज 97 मामले थे. गौरतलब हो कि दुबई में छुट्टियां मनाकर लौटे एक पुणे के दंपत्ति के राज्य में कोरोना वायरस के सामने आने के 96 दिनों बाद महाराष्ट्र ने कोविड-19 मामलों का एक लाख आंकड़ा तब पार किया, जब राज्य में शुक्रवार को 3,493 ताजा मामले सामने आए. जबकि शुक्रवार तक 40,698 मामलों के साथ, तमिलनाडु मामलों की संख्या में अभी दूर, दूसरे स्थान पर है. यदि महाराष्ट्र एक देश होता, तो कुल 1,01,141 मामलों के साथ वह वैश्विक कोविड-19 मीटर पर कनाडा और चीन जैसे देशों से आगे 17 वें स्थान पर होता.
राज्य को अपने पहले 50,000 मामलों तक पहुंचने में 77 दिन लगे थे क्योंकि पहला मामला ९ मार्च को दर्ज किया गया था. वहीं अंतिम 50,000 मामलों को सिर्फ 19 दिनों में चिंताजनक गति से बढ़ते देखा गया. अकेले जून के 12 दिनों में, राज्य में 30,000 नए मामले सामने आए. शुक्रवार को मुंबई में हुए 127 मौतों के साथ, राज्य की मौतें कुल मिलाकर 3,717 हो गईं, जो कई देशों से बहुत ज्यादा मौतों की संख्या को दिखाती है.
– मुंबई, ठाणे और पुणे कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित
महाराष्ट्र में पूरे देश के एक-तिहाई कोरोना वायरस संक्रमण के मामले हैं, मुंबई मेट्रोपॉलिटन इलाके में ही राज्य के कुल मामलों का 75 प्रतिशत है. मुंबई, जो कि 55,451 मामलों के साथ भारत में कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित शहर बना हुआ है, जहां राज्य की कुल मौतों में से 55 प्रतिशत कोरोना वायरस संक्रमण से हुई मौतें हुई हैं. इसके अलावा 16,443 मामलों के साथ ठाणे और 11,281 संक्रमणों के साथ पुणे भी राज्य के सर्वाधिक मामलों में योगदान करते हैं.