सड़क, भवन बनाने वालों को दी फ्लाईओवर के निर्माण की जिम्मेदारी

जबलपुर,जबलपुर में दमोह नाका से रानीताल, मदन महल मेडिकल रोड के फ्लाई ओवर निर्माण को लेकर जिस तरह की तकनीकी अनदेखी की जा रही है।उसके गंभीर परिणाम न सिर्फ इस प्रोजेक्ट को भुगतने पड़ंगे। शहर में बहुत मुश्किल के बाद एक ऐसा प्रोजेक्ट मंजूर हुआ है, जिसे कहा जा सकता है कि यह प्रोजेक्ट शहर विकास में मील का पत्थर साबित होगा। प्रदेश में निजाम बदलने के साथ ही इस प्रोजेक्ट की नोडल एजेंसी बदल दिए जाने से बंदर के हाथ में उस्तरा थमा दिए जाने जैसी बात सामने आ रही है। इसकी वजह सियासत है या लालफीताशाही, यह विवाद का विषय हो सकता है। सेतु निर्माण का कार्य सेतु विभाग के बजाए अब सड़क और भवन बनाने वाले विभाग के अधिकारियों के हाथ में थमा दिया जाए, तो यह आश्चर्य ही कहा जाएगा। जानकारों का कहना है कि अकुशल हाथों में इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट की बागडोर सौंपे जाने से न केवल प्रोजेक्ट का समय और लागत बढ़ेगी। बल्कि फ्लाईओवर की गुणवत्ता भी प्रभावित होगी। आखिर इन सब बातों की जिम्मेवारी कौन लेगा।
कमलनाथ सरकार में सेतु विभाग को दिया था फ्लाईओवर बनाने का काम
सूत्रों के अनुसार वर्तमान शिवराज सरकार ने 700 करोड़ के फ्लाई ओवर का निर्माण कार्य भवन विभाग के कार्यपालन यंत्री को सौंप दिया है। केंद्रीय सड़क निधि से निर्मित होने वाले निर्माण को इस योजना में दलाली कमीशन की आस लगाए लोगों की नजर लग गई। ज्ञात हो कि शहर में 700 करोड़ की लागत से दमोहनाका से रानीताल और मदन महल से मेडिकल रोड तक केंद्रीय सड़क निधि से एलिवेटेड कोरिडोर(फ्लाई ओवर) का टैंडर तत्कालीन कमलनाथ सरकार के समय निकाल था। जिसमें ईएफसी के अनुबंध के अनुसार 700 करोड़ रुपए के अति महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट का जिम्मा मुख्य अभियंता लोक निर्माण विभाग सेतु परिक्षेत्र भोपाल के अधीनस्थ अधीक्षण यंत्री कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण विभाग सेतु संभाग को करना था। यह प्रोजेक्ट सेतु विभाग के ही इंजीनियर तकनीकी तौर पर पूरा करने में सक्षम होते हैं। दलाली के चक्कर में 700 करोड़ के सेतु फ्लाई ओवर की परियोजना को पूरा कर के लिए सेतु विशेषज्ञों की सेवाएं न लेकर भवन विशेषज्ञों यानि कार्यपालन यंत्री जबलपुर संभाग भवन रोड-२ को सौंप दिया गया है। सरकार द्वारा अनुमोदित मंत्री समूह की समिति ने यह सिफारिश की थी, कि इस एलिवेटेड फ्लाई ओवर का काम लोक निर्माण विभाग सेतु संभाग द्वारा कराया जाए।
शिवराज सरकार ने पलटा आदेश
सत्ता बदलने के बाद शिवराज सरकार ने इस आदेश में परिवर्तन कर मदन महल, रानीताल मेडिकल रोड पर बनने वाले फ्लाईओवर प्रोजेक्ट के कार्य के निर्माण की जिम्मेदारी २४ अप्रैल २०२० को प्रमुख अभियंता मेहरा द्वारा आदेश निकालकर यह जताने की कोशिश की है, इस सरकार में भ्रष्टाचार की कोई गुंजाईश नहीं है। २४ अप्रैल २०२० को मेहरा द्वारा निकाले गए आदेश में स्पष्ट था कि प्रोजेक्ट मुख्य अभियंता लोक निर्माण सेतु परिक्षेत्र भोपाल के अंतर्गत अधीक्षण यंत्री एवं कार्यपालन यंत्री सेतु संभाग लोक निर्माण विभाग जबलपुर द्वारा संपादित किया जाएगा। परंतु भ्रष्टाचार की गति कितनी तेज होती है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि इस आदेश के जारी होने के महज चार दिन बाद २९ अप्रैल को उपरोक्त आदेश निरस्त कर दिए गए। नए आदेश में कहा गया कि दमोहनाका रानीताल से मेडिकल रोड पर बनने वाले एलिवेटेड फ्लाई ओवर का काम अब भवन सड़क संभाग २ के अधीक्षण यंत्री द्वारा संपादित किया जाएगा। ६ मई २०२० को रातों रात चार्ज भी हैंड ओवर करने के आदेश भी जारी कर दिए गए।
अब सेतु निर्माण का काम सेतु के इंजीनियर के बजाए भवन सड़क के कार्यपालन यंत्री गोपाल गुप्ता के मार्गदर्शन में हैदराबाद की नागार्जुन कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा किया जाएगा।जबकि यह कार्य नियम और अनुभव के अनुसार लोक निर्माण विभाग के सेतु निर्माण शाखा को नोडल एजेंसी बनाना था। सूत्रों की मानें तो विभाग की बागडोर संभालने वाले अखिलेश अग्रवाल के करीब माने जाने वाले गोपाल गुप्ता जो पहले सेतु विभाग में ही थे। गुप्ता के सड़क विभाग में जाने के बाद विशेष तौर पर इन्हें उपकृत करने के लिए आदेश में परिवर्तन किया गया।
बार बार आदेश में परिवर्तन से हड़कंप
एलिवेटेड फ्लाई ओवर के आदेश को बदलने पर हड़कंप मचा हुआ है। मुख्य अभियंता सेतु परिक्षेत्र लोक निर्माण विभाग मध्यप्रदेश शासन ए.आर. सिंह ने कहा कि जो भी आदेश सरकार से आता है।हम उसका पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह स्वीकार किया,कि यह प्रोजेक्ट सेतु संभाग लोक निर्माण विभाग जबलपुर द्वारा ही किया जाना था। पूर्व में ऐसे आदेश 24-04-2020 को हुए थे। जिसे तत्कालीन अभियंता मेहरा के आदेश उपरांत बदल दिया गया है।
सेतु विभाग ने ही तैयार की डीपीआर
एलिवेटेड फ्लाई ओवर प्रोजेक्ट की डीपीआर सेतू विभाग द्वारा पूर्व में भाजपा सरकार के कार्यकाल में तैयार की गई थी। उस वक्त भी यह कार्य सेतु विभाग को दिये जाने का निर्णय हुआ था। अचानक कार्य सड़क निर्माण विभाग के पास आ गया। कांग्रेस सरकार के दौरान क्षेत्रीय विधायक एवं वित्त मंत्री तरुण भानोट ने इस विषय में प्रयास किया था। सत्ता परिवर्तन के बाद जब सरकार बनी तो क्षेत्रीय विधायक ने पूरी ताकत लगाई थी। उसमें वे सफल भी हो गये थे।
चर्चाओं में यह कहा जा रहा है सांसद राकेश सिंह के कहने पर सेतु निर्माण विभाग से यह जिम्मेदारी सड़क और भवन विभाग को देखकर कार्यपालन यंत्री गुप्ता को उपकृत किया गया है इसके पीछे राजनीतिक कारण और कमीशन का खेल बताया जा रहा है।
नींद में हूं कुछ बता नहीं सकता
इस संदर्भ में लोनिवि संभाग क्रमांक 2 में करीब १५ वर्षो से कुंडली जमाए बैठे कार्यपालन यंत्री गेापाल गुप्ता से रात करीब ९ बजकर ५८ मिनट पर चर्चा हुई।उन्होंने बताया कि वे इस समय कुछ भी बता पाने की स्थिति में नहीं, गहरी नींद में सो चुके हैं। इस समय कुछ कहना उचित नहीं होगा। वे सुबह पूरी जानकारी दे देंगे।
कोई फर्क नहीं पड़ता
सेतु और सड़क विभाग लोक निर्माण विभाग की ही शाखाएं हैं दोनों के अनुभव एक से हैं।
जीपी वर्मा, मुख्य अभियंता, सड़क निर्माण विभाग
सांसद से नहीं हो पाया संपर्क
इस महत्वपूर्ण विषय पर सांसद राकेश सिंह सेे संपर्क करने का प्रयास किया गया। उनके पीए ने पूरा विषय समझने के बाद सांसद का वक्तव्य जल्द देने की बात कही। लेकिन अभी तक उनका इस विषय में कोई कथन नहीं आया

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