लखनऊ, प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निजी अस्पतालों के चिकित्सको से कहा कि वे अपने सम्बन्धित जनपदों में जिला प्रशासन के साथ समन्वय स्थापित करते हुए नाॅन कोविड इमरजेंसी सेवाएं उपलब्ध कराएं। उन्होंने जिला प्रशासन से निजी अस्पतालों, डाॅक्टरों के साथ सहयोग करने के लिए कहा है। कोरोना के खिलाफ जंग में आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) के डाॅक्टरों ने अपना योगदान दिया है। इस जंग को निजी चिकित्सकों के सहयोग से जीतने में आसानी होगी। उन्होंने कहा कि लोगों को बेहतर व गुणात्मक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना आवश्यक है।
मुख्यमंत्री योगी ने बुधवार शाम यहां आयोजित वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से विभिन्न जनपदों के इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन के सदस्यों व जिलों में तैनात चिकित्सकों से बातचीत की। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना के खिलाफ जंग में जनता ने डाॅक्टरों, पैरामेडिक्स, नर्सों तथा अन्य स्टाफ के योगदान को पहचाना और उन्हें सम्मान दिया है। उन्होंने कहा कि इमरजेंसी सेवाएं शुरू करने से पहले सभी निजी चिकित्सालय, नर्सिंग होम इत्यादि अपने-अपने डाॅक्टरों, पैरामेडिक्स, नर्सों, वाॅर्ड बाॅय तथा अन्य स्टाफ को कोरोना से बचाव के सम्बन्ध में प्रशिक्षण दिलवाएं। निजी अस्पतालों में पीपीई किट्स, एन-95 मास्क, सैनिटाइजर इत्यादि पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हों। उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत के तहत निर्धारित दरों पर मरीजों का इलाज करने वाले सूचीबद्ध अस्पतालों, नर्सिंग होम इत्यादि को राज्य सरकार पीपीई किट्स 50 प्रतिशत सब्सिडी पर उपलब्ध कराएगी। उन्होंने आयुष्मान भारत योजना के तहत रजिस्टर्ड अस्पतालों का रजिस्ट्रेशन छह माह के लिए बढ़ाने के निर्देश प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य को दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी निजी अस्पताल, नर्सिंग होम इत्यादि इमरजेंसी सेवाओं को राज्य सरकार द्वारा निर्धारित एसओपी के अनुसार संचालित करें। कोरोना से बचाव के सम्बन्ध में सभी सावधानियां बरती जाएं तथा सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन किया जाए। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को कोरोना के सम्बन्ध में निर्धारित प्रोटोकाॅल का अनुपालन करने वाले निजी अस्पतालों, नर्सिंग होम को तत्काल आॅपरेशन तथा अन्य आवश्यक चिकित्सा शुरू करने की अनुमति देने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि निजी अस्पतालों को अपने संस्थान के संचालन के दौरान कम्युनिटी स्प्रेड को हर हाल में रोकना होगा।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि निजी अस्पतालों की इमरजेंसी सेवाओं में पहुंचने वाले मरीजों की प्राॅपर स्क्रीनिंग की जाए। कोरोना की ऐसी टेस्टिंग पद्धति अपनायी जाए, जिसमें परिणाम कम समय में मिले। यदि किसी निजी अस्पताल में कोई कोरोना पाॅजिटिव मरीज पहुंचे तो ऐसी दशा में अस्पताल तुरन्त जिला प्रशासन को सूचित करे और मरीज को कोविड हाॅस्पिटल भेजने की व्यवस्था करे। इसके अलावा, निजी अस्पताल को एक दिन के लिए बंद करते हुए उसे 24 घण्टे में दो बार सैनिटाइज किया जाए। इसके बाद सेवाएं पुनः प्रारम्भ की जाएं। अस्पताल के डाॅक्टरों और स्टाफ की भी जांच की जाए।