भोपाल, कैबिनेट बैठक में मंत्रियों की आपत्ति के बाद सरकार ने नया रास्ता खोजा है। अब आबकारी विभाग शराब दुकानों के छोटे-छोटे क्लस्टरों के स्थान पर बड़े क्लस्टर बनाकर शराब दुकानों की नीलामी करने की तैयारी कर रहा है। इसको लेकर अपर मुख्य सचिव वाणिज्यिक कर और आबकारी आयुक्त ने 22 व 23 फरवरी को संभागीय आबकारी अधिकारियों की बैठक बुलाई है। बैठक में उनसे जिला स्तर पर शराब दुकानों के क्लस्टर बनाकर नीलामी के संबंध में चर्चा की जाएगी। बता दें कि मुख्यमंत्री कमलनाथ की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में आबकारी नीति के प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कुछ मंत्रियों ने छोटे क्लस्टर बनाकर शराब दुकानों की नीलामी करने और उप दुकानों खोले जाने के प्रावधानों पर आपत्ति जताई थी। सूत्रों का कहना है कि आबकारी विभाग अब जिला स्तर पर क्लस्टर बनाकर शराब दुकानों की नीलामी करने पर विचार कर रहा है। जिलों में शराब दुकानों के दो और बड़े शहरों में तीन क्लस्टर बनाए जा सकते हैं। वर्तमान में आबकारी नीति में तहसील स्तर पर शराब दुकानों का लस्टर बनाने का प्रावधान किया गया है। शराब दुकानों को रीन्यू नहीं करने और उप दुकानें खोले जाने के प्रावधान में किसी तरह का संशोधन नहीं किए जाने की बात कही जा रही है।
4 हजार करोड़ अतिरिक्त राजस्व का अनुमान
सूत्रों का कहना है कि नई आबकारी नीति में शराब दुकानों की नीलामी प्रक्रिया में बदलाव से सरकार को 4 हजार करोड़ अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होने का अनुमान है। प्रदेश में शराब की करीब 3600 दुकानें हैं। इनमें 1060 विदेशी शराब दुकानें और करीब 2544 देसी शराब दुकानें हैं। सूत्रों का कहना है कि नई आबकारी नीति में शराब ठेकेदारों को गोदामों में शराब राने की अनुमति देने के अधिकार कलेटरों को सौंपे जाने का प्रावधान किया गया है। कलेक्टर को आवेदन देने के सात दिन के अंदर इसकी अनुमति मिल जाएगी। यदि सात दिन में अनुमति नहीं मिलती है, तो आठवें दिन आवेदक बिना अनुमति के गोदाम में शराब रा सकता है। वर्तमान व्यवस्था में आवेदन जिलों से भोपाल ोजा जाता है और वहां से कार्यालय आबकारी आयुक्त ग्वालियर भेजा जाता है। इसमें काफी समय लगता है। इसलिए व्यवस्था में बदलाव किया जा रहा है।
मंत्रियों को यह थी आपत्ति
कैबिनेट बैठक में खनिज मंत्री प्रदीप जायसवाल का कहना था कि छोटे लस्टर बनाकर शराब दुकानों के आवंटन से शराब निर्माता कंपनियों को फायदा होगा और स्मगलिंग भी बढ़ेगी। बड़े शहरों में एक क्लस्टर शराब निर्माता ने ले लिया, तो छोटी दुकानों की नीलामी में कोई नहीं आएगा। तहसील स्तर पर भी ऐसी स्थिति बनेगी, जहां ठेकों की कीमत ज्यादा होने से नीलामी प्रक्रिया में हिस्सा लेने कोई नहीं आएगा। मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर व ओमकार सिंह मरकाम ने नई दुकानें खुलने से पार्टी को नुकसान होने की बात कही थी। इस पर सीएम ने कहा था कि वे खुद आबकारी नीति के मिनट्स चेक करेंगे। कैबिनेट बैठक में आबकारी नीति को सैद्धांतिक सहमति दे दी गई थी, लेकिन उसे जारी नहीं किया गया था।
आय का अनुमान लगा रहे अफसर
मुख्यमंत्री के निर्देश पर आबकारी विभाग के आला अफसर इस बात का गुणा भाग लगा रहे हैं कि सरकार को बड़े क्लस्टर में फायदा होगा या छोटे। अधिकारी पूरा खाका तैयार कर मुख्यमंत्री के सामने रखेंगे। मुख्यमंत्री फैसला करेंगे कि प्रदेश के हित में या बेहतर रहेगा।