HC ने पूछा क्या पटना-गया हाइवे पर लोग अब बैलगाड़ी से चलने लगे?

पटना,पटना से गया के बीच बने नेशनल हाइवे की दुर्दशा को लेकर पटना हाई कोर्ट ने पूछा कि क्या अब लोग इन सड़कों पर बैलगाड़ी से चलने लगें? चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एस. कुमार की बेंच ने पीआईएल पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। कोर्ट ने नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) को आदेश दिया है कि वह बिहार में नेशनल हाइवे और उनकी स्थिति का पूरा ब्योरा अगली सुनवाई में पेश करे। हाई कोर्ट ने पटना-गया नेशनल हाइवे की मरम्मत की धीमी रफ्तार पर भी नाराजगी जाहिर की। इस मामले पर अगली सुनवाई 27 फरवरी को होगी।
गौरतलब है ‎कि चीफ जस्टिस संजय करोल ‎पिछले वर्ष 18 दिसंबर को गया गए थे। सड़क की बदहाली को देखकर चीफ जस्टिस इतने परेशान हो गए कि उन्होंने पटना से गया वापसी के लिए ट्रेन को चुना और अपनी गाड़ी गया में ही छोड़ दी। उन्होंने इस सड़क की दुर्दशा पर नाराजगी जताई और कहा कि सड़क ऐसी थी कि मेरी हिम्मत जवाब दे गई कि मैं गया से पटना गाड़ी से लौट पाऊं। दूसरे दिन 19 दिसंबर उन्होंने कोर्ट रूम में इस सड़क को लेकर अपने अनुभव बताए और इसकी दुर्दशा पर गहरी नाराजगी जताई। उनका कहना था कि एनएचएआई ने इस सड़क के बारे में हमें जो बताया, वह सच से कोसों दूर है। तब से कोर्ट में इस मामले की लगातार सुनवाई हो रही है। जानकारी के मुताबिक 127 किलोमीटर लंबी इस सड़क के लिए 2015 में टेंडर हुआ था। तब लागत 1,232 करोड़ रुपए थी। जिस कंपनी को काम मिला वह दिवालिया हो गई। इसके बाद यहां अक्टूबर 2018 से काम पूरी तरह बंद है। सड़क को तीन हिस्सों में बांटकर नए सिरे से टेंडर हुआ। अब लागत 1,795 करोड़ रुपए बताई गई है।

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