खर्च घटाने मप्र सरकार मेडिकल रिपोर्ट की आड़ लेकर होमगार्ड की कम करेगी संख्या

भोपाल, आर्थिक तंगी से जूझ रही कांग्रेस सरकार अब खर्च बचाने होमगार्ड जवानों की छंटनी करेगी। सरकार ने इन्हें बाहर करने का रास्ता भी खोज लिया है। सरकार मेडिकल को आधार बनाएगी। चूंकि सुप्रीम कोर्ट की ओर से छंटनी पर रोक है, इसलिए नया रास्ता निकाला गया है। खुद को सेवा के योग्य बताने के लिए जिला मेडिकल बोर्ड का प्रमाण पत्र पेश करना होगा।
होमगार्ड के सीनियर स्टाफ आफिसर एमएस चौहान ने इस संबंध में सभी संभागीय और जिला कमांडेंट को पत्र लिखा है। इस संबंध में जो आदेश जारी किया गया है, उसमें भी उन्हें स्वयंसेवी बताया गया है। सुप्रीमकोर्ट की गाइड लाइन के अनुसार उन्हें आरक्षक के समान वेतन और सुविधाएं मिलनी चाहिए। शीर्ष अदालत ने उनकी छंटनी पर भी रोक लगा रखी है। लिहाजा मेडिकल को हथियार बनाया जा रहा है। बताते हैं कि कई सैनिक अधिकारियों के बंगले में झाडू-पोछा और बर्तन धुलने से मना कर देते हैं, ऐसे में उन्हें इसके माध्यम से मोहरा बनाया जाएगा। मजेदार बात तो यह कि जिला सेनानी सैनिकों की ड्यूटी दूसरी जगह पर लगाते हैं और फिर पांच में से एक- दो सैनिकों को निकाल कर अधिकारियों के बंगले में ड्यूटी के लिए भेज देते हैं, जहां पर उनसे झाड़ू पोछा कराया जाता है। बताया जा रहा है कि सैनिकों के छंटनी करने की सबसे बड़ी वजह वेतनमान की दिक्कत भी है। यह दिकत होमगार्ड के एक पूर्व आला अफसर के कारण निर्मित हुई है। ऐसा इसलिए कि पद के विरुद्ध उन्हें भर्ती कर लिया गया है। दरअसल 11 हजार सैनिक पहले से थे और तीन हजार सैनिक सिंहस्थ के लिए भर्ती किए गए थे। उनकी सेवाएं सिर्फ सिंहस्थ के लिए थी, लेकिन बाद में उन्हें भी नियमित करने का फैसला कर लिया गया। अब जब सैनिकों की कुल संख्या 14 हजार हो गई है। ऐसे में वेतन के लाले पड़ रहे हैं। चूंकि शासन से वेतन 11 हजार का निकल रहा है और सैनिक 14 हजार हैं। लिहाजा उन्हें वेतन नहीं मिल रहा है। सुप्रीमकोर्ट की गाइड लाइन के अनुसार उनकी सेवा में ब्रेक भी नहीं दिया सकता है। लिहाजा अब मेडिकल को आधार बनाकर छंटनी की तैयारी की जा रही है। जारी आदेश के अनुसार सैनिकों को मेडिकल बोर्ड के समक्ष उपस्थित होना होगा और उनका प्रमाण पत्र पेश करना होगा। उसी प्रमाण पत्र के आधार पर यह तय किया जाएगा कि उन्हें सेवा में रखा जाए या नहीं।
सैनिकों ने जताया विरोध
सैनिकों ने इस आदेश का विरोध करना भी शुरू कर दिया है। बताते हैं कि सैनिक दो दिन पहले मुयालय में जमा हुए थे। उन्होंने नारेबाजी की और कहा कि सरकार हटाना चाहती है, तो वैसे हटा दे, मेडिकल को जबरन आधार यों बना रही है। जिन सैनिकों का रिटायरमेंट करीब है, उनका भी मेडिकल कराया जा रहा है, यह गलत है।
तीसरी बार जमा हुए सैनिक
सैनिकों ने तीसरी बार विरोध जताया है। इससे पहले भी सैनिक दो बार भोपाल में जमाकर होकर प्रदर्शन कर चुके हैं। मध्यप्रदेश सरकार भी दावा कर चुकी है कि किसी का भी रोजगार नहीं छीना जाएगा। सरकार ने बल्कि सुविधाएं देने का वादा भी कर चुकी है। आदेश में भी लिखा है कि जिला मेडिकल बोर्ड के समक्ष अपनी उपस्थित प्रस्तुत करें, ताकि योग्य और अयोग्य की पुष्टि की सके।

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