मप्र की नयी रियल एस्टेट पॉलिसी से मजबूत होगी बुनियाद

( शमशेर सिंह द्वारा ) भोपाल,मध्य प्रदेश सरकार की नयी रियल एस्टेट पॉलिसी न केवल डेव्हलपरों और आम ग्राहकों के लिए लाभप्रद है बल्कि इसके चलते आर्थिक गतिविधियों में जो तेजी आयेगी उसका लाभ संपूर्ण अर्थ-व्यवस्था को मिलेगा।
किसी भी देश या प्रदेश के आर्थिक विकास में अचल संपत्ति क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान होता है। यह बुनियादी क्षेत्र बहुत बड़ी तादाद में लोगों को रोजगार भी मुहैया कराता है, क्योंकि विनिर्माण से लेकर भवन निर्माण में लगने वाले श्रमिक और कच्चे माल तक कई क्षेत्र इस पर निर्भर हैं। इस क्षेत्र में न केवल प्रदेश बल्कि पूरे देश के आर्थिक को नयी ऊँचाइयों पर पहुँचाने की क्षमता है। यही कारण है कि मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री कमल नाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने भी अचल संपत्ति क्षेत्र को शीर्ष प्राथमिकता में रखा है।
मध्य प्रदेश सरकार की रियल एस्टेट पॉलिसी 2019 को तैयार करते हुए इस बात का खास ध्यान रखा गया है कि इस नीति का लाभ इस क्षेत्र के सभी अंशधारकों को मिले फिर चाहे वह सरकार हो, डेव्हलपर हों या आम जनता। नयी नीति पिछले कुछ वर्षों से विभिन्न समस्याओं से जूझ रहे अचल संपत्ति क्षेत्र को न केवल उबारने का काम करेगी बल्कि यह उसमे नयी ऊर्जा का संचार भी करने वाली है।
प्रदेश सरकार के कार्यकाल का एक वर्ष पूरे होने पर यह देखना उचित होगा कि आखिर सरकार को अचल संपत्ति क्षेत्र में नयी नीति की क्या आवश्यकता पड़ी और इसके क्या लाभ मिलने वाले हैं:
क्यों पड़ी नयी नीति की आवश्यकता?
अचल संपत्ति क्षेत्र में बीते दशकों में बहुत बदलाव आ चुका है। पुरानी नीति के कई प्रावधान समय के साथ पुराने पड़ चुके थे। ऐसे में लंबे समय से नयी नीति की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। पिछले एक दशक से कुछ अधिक समय में विशेष रूप से आवासीय और वाणिज्यिक क्षेत्र में काम कर रहे निजी कारोबारियों की भूमिका में व्यापक तब्दीली आई है। लोगों की आय और क्रय शक्ति में आये बदलाव के साथ ही बाजार में मांग का गणित भी बदल गया है।
इतना ही नहीं तमाम आंतरिक और बाहरी कारणों से बीते कुछ वर्षों के दौरान अचल संपत्ति क्षेत्र में जो मंदी आयी है उसने विभिन्न मौजूदा परियोजनाओं पर नकारात्मक असर डाला। ऐसे में इस क्षेत्र से संबंधित नीति में समय के अनुरूप बदलाव की आवश्यकता स्वाभाविक रूप से थी। राज्य सरकार, डेव्हलपर्स और तमाम अन्य अंशधारकों का यह मानना था कि अचल संपत्ति क्षेत्र को एक नयी नीति की आवश्यकता है।
क्या हैं प्रमुख लक्ष्य?
मुख्यमंत्री कमल नाथ इस तथ्य से भलीभांति अवगत हैं कि किसी भी प्रदेश के विकास को चहुँमुखी गति देने के लिए अचल संपत्ति जैसे बुनियादी क्षेत्र पर जोर देना आवश्यक है। यही कारण है कि रियल एस्टेट पॉलिसी 2019 के माध्यम से प्रदेश सरकार उन पहलों को अंजाम देना चाहती है जो इस क्षेत्र की व्यावहारिक बाधाओं को दूर कर सकें। उदाहरण के लिए इस कारोबार से जुड़ी विभिन्न अनुमतियों को आसान बनाना और परियोजनाओं के पूरा होने को लेकर जवाबदेही तय करना आदि। इतना ही नहीं नयी नीति इस क्षेत्र में नया निवेश आकर्षित करने और रोजगार का दायरा बढ़ाने के इरादे से भी काम कर रही है।
क्या हैं प्रमुख लाभ?
नयी रियल एस्टेट नीति में प्रस्तुत सिंगल विंडो प्रणाली इस क्षेत्र के सभी अंशधारकों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है। नयी नीति को मंजूरी मिलने के बाद अब डेव्हलपर्स और कॉलोनाइजर्स की मुसीबतें भी कम हो गयी हैं। पहले जहाँ परियोजना मंजूर कराने के लिए इन्हें 27 तरह के दस्तावेज पेश करने होते थे वहीं अब महज 5 दस्तावेजों से काम हो जायेगा। इतना ही नहीं उन्हें एक बार लाइसेंस हासिल करने के बाद 5 वर्ष तक दोबारा अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी।
नयी नीति में कारोबारियों को दो हेक्टेयर से कम भू-भाग पर भी आवासीय कॉलोनी बनाने की इजाजत दी गई है जो इस नीति की एक बड़ी विशेषता है। कॉलोनाइजर को ग्रामीण या शहरी इलाके मे कॉलोनी बनाने के लिए अलग-अलग अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी। नजूल अनापत्ति प्रमाण-पत्र के लिए आवदेन करने पर यदि एक माह में मंजूरी नहीं मिलती तो उसे स्वत: मंजूरी मान लिया जायेगा।
कलेक्टर गाइड लाइन दर में भी 20 फीसदी की गयी कमी से भी अचल संपत्ति क्षेत्र को जरूरी प्रोत्साहन मिला है। माना जा रहा है कि इसका असर प्रॉपर्टी की कीमतों पर पड़ेगा और कीमतें कम होने से बिक्री बढ़ेगी। भारी-भरकम इन्वेंटरी वाले प्रदेश के अचल संपत्ति क्षेत्र के लिए यह बहुत सुखद समाचार है।
अचल संपत्ति क्षेत्र से जुड़ा प्रदेश सरकार का एक निर्णय ऐसा भी है जिसे महिला सशक्तीकरण की दिशा में बड़ी पहल माना जा सकता है। प्रदेश सरकार के नये नियम के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति अपनी प्रॉपर्टी में पत्नी या बेटी को हिस्सेदार बनाना चाहता है तो मात्र 1100 रुपये का सांकेतिक शुल्क जमा करके वह ऐसा कर सकता है।
अचल संपत्ति क्षेत्र के डेव्हलपरों की एक बड़ी शिकायत यह थी कि नीति के तहत उन्हें अपनी हर कॉलोनी में निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए सस्ते आवास बनाने पड़ते हैं जो अंतत: अनबिके ही रह जाते हैं। रियल एस्टेट नीति में एक बड़ा बदलाव करते हुए सरकार ने इस समस्या का भी समाधान निकाला है। नयी नीति के मुताबिक कॉलोनाइजर एक निश्चित आश्रय शुल्क जमा करके वंचित वर्ग के लिए सस्ते आवास बनाने की आवश्यकता से निजात पा सकते हैं। सरकार इस शुल्क से स्वयं अल्प आय वाले आवासों का निर्माण करेगी। सरकार की योजना अगले चार वर्ष में छह लाख ऐसे आवास बनाने की है।
कारोबारी सुगमता सुनिश्चित करना मुख्यमंत्री कमल नाथ के प्रमुख लक्ष्यों में शामिल है। वह बार-बार इसका जिक्र भी करते हैं। प्रदेश की नयी रियल एस्टेट पॉलिसी में भी सरकार इस बात का पूरा ख्याल रख रही है। इसके अलावा प्रदेश के प्रमुख शहरों के आसपास जो सैटेलाइट टाउनशिप विकसित की जानी हैं वे भी प्रदेश के आर्थिक और औद्योगिक विकास में मददगार साबित होंगी।

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