भोपाल, विद्युत वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) की माने तो पिछले पांच सालों में पावर लॉस शासन को 25 करोड रुपए का नुकसान हुआ है। डिस्कॉम ने पावर लॉस के लिए अब कंपनियों के साथ ही उपभोक्ताओं को जिम्मेदार बनाने का प्रस्ताव मध्य प्रदेश विद्युत विनियामक आयोग को दिया है। साथ ही डिस्कॉम ने पॉवर लॉस से करोडों का नुकसान बताते हुए आयोग में याचिका दायर की है। प्रस्ताव पर आए दावे-आपत्तियों पर आयोग के सदस्यों मुकुंद धारीवाल और जस्टिस शशिभूषण पाठक ने कल जनसुनवाई की। आपत्तिकर्ता और बिजली उत्पादन कंपनी के रिटायर्ड एडिशनल चीफ इंजीनियर राजेंद्र अग्रवाल ने आयोग से कहा कि डिस्कॉम की याचिका पर सुनवाई होनी ही नहीं चाहिए। इसकी वजह है कि याचिका लगाने की जो समयसीमा होती है, वह निकल चुकी है। इसलिए यह याचिका निरस्त हो जानी चाहिए। इसी तरह पावर लॉस के लिए कंपनी के साथ उपभोक्ता को जिम्मेदार बनाने का डिस्कॉम का प्रस्ताव सही नहीं है। पावर लॉस दो वजह से होता है। एक, उपकरणों के अच्छे ढंग से कार्य नहीं करने और दूसरा, बिजली की चोरी से। इन दोनों कारणों के लिए ईमानदारी से बिजली बिल जमा करने वाले उपभोक्ताओं को कैसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
अग्रवाल ने कहा कि डिस्कॉम ने याचिका में 1400 करोड़ स्र्पए के बिजली बिल माफ करने की बात कही है। लेकिन, यह स्पष्ट नहीं किया है कि ये कौन लोग हैं, जिनके बिजली के बिल माफ किए गए हैं। अग्रवाल ने कहा कि वर्तमान में कोयले खरीदी के एवज में जो भुगतान किया जा रहा है, उसके सत्यापन की प्रक्रिया ही नहीं है। कोयला कंपनी जो बिल दे देती है, उसका भुगतान कर दिया जाता है। एक अन्य आपत्तिकर्ता सुनील जैन ने कहा कि अन्य राज्यों की तुलना में प्रदेश में वैसे ही बहुत महंगी बिजली मिल रही है। ऐसे में और दरें बढ़ाना न्यायसंगत नहीं है। डिस्कॉम ने जो दरें बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है, वह पूरी तरह काल्पनिक है। इसमें कंपनियों ने यह तक नहीं बताया कि उन्हें उपभोक्ताओं से वसूले जाने वाले फिक्स चार्ज और मीटर रेंट से कितनी आय हो रही है। उपभोक्ताओं को पावर लॉस के लिए जिम्मेदार बनाने और बिजली की दरें बढ़ाने को लेकर एक दर्जन लोगों ने आपत्तियां दर्ज कराई हैं। संभावना जताई जा रही है कि इससे उपभोक्त्ताओं पर और आर्थिक भार बढ जाएगा।