क्लीनिकल ट्रायल में पास होने के बाद इबोला वैक्सीन से कांगो ने दो जिलों में शुरु किया टीकाकरण

नई दिल्ली, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो के अधिकारियों ने बताया कि इबोला से मुकाबले के लिए हाल में विकसित इबोला वैक्सीन का इस्तेमाल शुरू कर दिया गया है। कांगो देश लंबे समय से मानव जाति को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाने वाले इबोला वायरस से जूझ रहा है। नई वैक्सीन का निर्माण जॉन्सन एंड जॉन्सन ने किया है। इबोला वायरस से मुकाबले के लिए इस डोज को 2 इंजेक्शन प्रतिदिन के हिसाब से 8 सप्ताह लेना होगा है। डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में स्वास्थ्य अधिकारियों ने घातक इबोला वायरस के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए एक नए टीके का उपयोग करना शुरू कर दिया है। वैश्विक स्वास्थ्य गैर सरकारी संगठन मेडिसिन सेन्स फ्रंटियर्स (एमएसएफ) ने गुरुवार को इस बारे में जानकारी दी। एमएसएफ के अनुसार, एडी26 जेडईबीओवी/एमवीए-बीएन-फिलो वैक्सीन की 50,000 डोजेज गोमा शहर में दो जिलों के स्वास्थ्य केंद्रों में दी जाएंगी।
जानकारी के अनुसार, एमएनएफ रोलआउट को लागू करने में अफ्रीकी राष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्रालय की सहायता कर रहा है। संगठन ने कहा रोलआउट का प्राथमिक उद्देश्य वास्तविक दुनिया की सेटिंग में प्रयोगात्मक टीके की प्रभावशीलता पर डेटा प्राप्त करना है। नए टीके का क्लीनिकल परीक्षण तो चुका है लेकिन वास्तविक दुनिया में मरीजों पर इसके नतीजों का इंतजार है। लैब टेस्ट्स में यह बात साबित हो चुकी है कि यह वैक्सीन इबोला वायरस से लड़ने के लिए एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली का निर्माण करती है। एमएसएफ का कहना है कि इबोला एक महामारी की तरह हमारे यहां फैला है और इससे बचने के लिए बेहतर से बेहतर वैक्सीन उपलब्ध कराना ही एकमात्र विकल्प वर्तमान समय में है।

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