वामपंथियों और अंग्रेज इतिहासकारो को दोष देने के बजाय नया इतिहास लिखो

वाराणसी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि भारत के दृष्टिकोण से इतिहास के पुर्नलेखन की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वीर सावरकर न होते तो 57 की क्रांति इतिहास न बनती उसको भी हम अंग्रेजो की दृष्टि से ही देखते। वीर सावरकर ने ही 57 की क्रांति को पहला स्वतंत्रता संग्राम का नाम देने का काम किया वरना आज भी हमारे बच्चे उसे विद्रोह के नाम से जानते। उन्होंने कहा कि वामपंथियों को अंग्रेज इतिहासकारो को दोष देने से कुछ नही होगा हमें अपने दृष्टिकोण को बदलना होगा। हमें हमारी मेहनत करने की दिशा को केंद्रित करना होगा। क्या हमारे देश के इतिहासकार 25 साम्राज्य का इतिहास नहीं बना सकते है। 25 साम्राज्यों ने अपने कालखंड के अंदर दुनिया को बहुत कुछ दिया है। क्या इतिहासकार पुर्नलेखन नहीं कर सकते है। कोई नहीं रोकता है। कब तक वामपंथियों को गाली देंगे कब तक हम अंग्रेज इतिहासकारों की नजर से देश को देखेंगे उनके गये हुये 70 साल साल हो गये और अब समय आया है हमारे देश के इतिहासकारो को एक नये दृष्टिकोण के साथ इतिहास को लिखने का और मैं अभी भी कहता हूं कि पहले जिसने लिखा है इसके साथ विवाद में न पड़ो, इन्होंने जो लिखा है वह लिखा है हम सत्य को ढूंढकर सत्य को लिखने का काम करें। मैं मानता हूं कि नया जो लिखा जायेगा वह सत्य होगा और लंबा भी चलेगा चिरंजीव होगा, उस दिशा में हमें आगे बढ़ना होगा।
बनारस हिन्दू विश्वविदयालय में आयोजित संगोष्ठी का उद्घाटन करने के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने गुप्तवंशैक-वीर-स्कंदगुप्त विक्रमादित्य का ऐतिहासिक पुर्नस्मरण एवं भारत राष्ट्र का राजनीतिक भविष्य विषय पर बोलते हुये कहा कि हमारे देश के साम्राज्यों का इतिहास हम बनाएं। महाभारत काल के 2000 वर्ष बाद 800 वर्ष का कालखंड दो प्रमुख शासन व्यवस्थाओं के कारण जाना गया। मौर्य वंश और गुप्त वंश। दोनों वंशों ने भारतीय संस्कृति को तब के विश्व के अंदर सर्वोच्च स्थान पर प्रस्थापित किया। उन्होंने कहा है कि मोदी जी के नेतृत्व में आज देश फिर से एक बार अपनी गरिमा प्राप्त कर रहा है, आज पूरी दुनिया के अंदर भारत का सम्मान मोदी जी के नेतृत्व में बढ़ा है। पूरी दुनिया के अंदर भारत एक दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है इसकी स्वीकृति आज जगह-जगह पर दिखाई पड़ रही है। पूरी दुनिया आज भारत के विचार के महत्तव देती है। दुनिया के किसी भी कोने में कुछ भी हो जाये भारत के प्रधानमंत्री क्या बोलते है इसका एक महत्व दुनिया के अंदर प्रस्थापित करने का काम हमारे प्रधानमंत्री और आपके सांसद नरेंद्र मोदी जी ने किया है।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि स्कंदगुप्त के समय भारत में अफगानिस्तान से लेकर संपूर्ण भारत में स्वर्णकाल रहा। सैन्य, साहित्य, कला आदि के क्षेत्र में विश्वस्तरीय सुविधाएं मयस्सर हुईं। सेना को समृद्ध करने के साथ ही अखंड भारत का निर्माण किया और एकता के सूत्र में पराक्रम से पिरोया था। चीन की दीवार का निर्माण हूणों के आक्रमण को रोकने के लिए बनी थी, ताकि सभ्यता और संस्कृति बनी रहे। मगर देश में उस काल में सैन्य ताकत के बल पर भारतीय संस्कृति सुरक्षित रही। उस काल में कई ज्योतिषाचार्य मिले और साहित्य का सृजन हुआ और हूणों का सामना भी उस काल में भारत ने किया। कश्मीर से कंधार तक हूणों के आतंक से देश को मुक्त कराया। उन्हांेने कहा कि विश्व में पहली बार स्कंदगुप्त से हूणों को पराजय मिली और बर्बर आक्रमण को खत्म करने के साथ सुखी और समृद्ध भारत का निर्माण किया। उस समय दुनिया के कई विद्वानों ने यशगान किया। उस वजह से भारत के राजदूत को हूणों को स्कंदगुप्त द्वारा खत्म करने के लिए प्रशस्तिपत्र दिया था। सम्राट स्कंदगुप्त के पराक्रम और उनके शासन चलाने की कला पर चर्चा की जरूरत है। स्कंदगुप्त के इतिहास को पन्नों पर स्थापित कराने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि पंडित मदन मोहन मालवीय ने जब काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की तब उनकी सोच चाहे जो भी रही हो, लेकिन स्थापना के इतने वर्षों बाद भी यह विश्वविद्यालय हिंदू संस्कृति को बनाए रखने के लिए अडिग खड़ा है और हिंदू संस्कृति को आगे बढ़ा रहा है।आशान्वित हूं कि बीएचयू ही वह जगह है जहां भारत और भारतीयता का विकास हुआ, हमारे पास विश्व की समस्या का समाधान करने के लिए महामना ने इसकी स्थापना की है। जिन्होंने हूणों के बर्बर हमले से बचाने का काम किया उनको महत्व दिया और उन पर बात करने का मौका मिला। हमारी संस्कृति दुनिया का मार्गदर्शन करने को तैयार है क्योंकि प्रचंड पराक्रम किया था। उनकी व्यवस्था के प्रमाण आज भी पूर्वांचल के गाजीपुर में मिलते हैं। आज इस संगोष्ठी के आयोजन के लिए आपका साधुवाद कि उनके जीवन को पुस्तक के रूप में संजोने का काम किया है।

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