ग्वालियर, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिंधिया राजपरिवार के बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने परंपरा के अनुसार दशहरा पर्व पर मांढरे माता के मंदिर की पूजा की। मंदिर में स्थित शमी के वृक्ष की पूजा भी परंपरागत तरीके से राजसी पोशाक में की गई।
सिंधिया परिवार के राज पुरोहितों ने विधि-विधान के साथ वृक्ष का पूजन कराया। उसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शमी के वृक्ष पर तलवार चलाकर उसकी पत्तियों को गिराया।
सिंधिया राजपरिवार के सरदारों और वंशजों ने पत्तियों को लूटा। इसके पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने पुत्र महाआर्यमन के साथ गोरखी स्थित देवघर पहुंचे। जहां पर उन्होंने राजसी चिन्हों का भी पूजन किया। मान्यता है, कि महाभारत युद्ध से पहले पांडवों ने शमी वृक्ष के ऊपर अपने हथियार छुपाए थे । उसके बाद इन्हीं हथियारों से कौरवों का वध किया था। इस पेड़ के पत्तों को सोना पत्ती भी कहा जाता है। पूजन के पश्चात इसकी पत्तियों को एक-दूसरे को बांटने की मान्यता है। यह भी मान्यता है कि शमी वृक्ष का पूजन करने से धन, वैभव, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है । राजा और प्रजा की खुशहाली इससे बनी रहती है।