बच्चों को डे-केयर में भेजने से पहले उसके नफे और नुकसान का आंकलन होता है बेहद जरुरी

नई दिल्ली,कामकाजी अभिभावकों को अपने बच्चों को डे केयर में भेजना पड़ता है। डे केयर में बच्चों को पढ़ाने, खेलने के साथ ही खाना भी मिलता है पर अगर आपने अपनी ऐसी सोच बना रखी है कि डे केयर से अच्छा कुछ नहीं है या यहां बच्चों को भेजना सही है तो यह आपके गलतफहमी है। बच्चों को कहीं भी भेजने से पहले आपको उसके फायदे और नुकसान के बारे में पता होना चाहिए। जिन लोगों की आय कम है वे डे-केयर खोलकर बच्चों की अच्छी देखभाल करते हैं पर सभी के साथ ऐसा नहीं है। डे-केयर में बच्चों को डालने से पहले इसके नुकसान पर ही विचार करना जरूरी है।
डे-केयर के फायदे
अगर आपको बच्चों की देखभाल के लिए कोई सहायता चाहिए तो आया और डेयकेयर जैसे विकल्प होते हैं। एक आया को रखने के मुकाबले बच्चों को डे-केयर में भेजना ज्यादा सस्ता होता है। इसलिए ज्यादातर माता-पिता बच्चों को डे केयर में भेजने का निर्णय लेते हैं।
डे-केयर के नियम हर माता-पिता के लिए एक जैसे होते हैं जिनका पालन करना जरूरी है जैसे बच्चे को छोड़ना और ले जाने के समय में कोई फेरबदल। इसके अलावा अभिभावकों के पास अन्य अभिभावकों से मिलने का मौका भी होता है जिससे वे एक दूसरे का सहयोग ले सकें।
डे-केयर की सुविधा शुरु करने से पहले लाइसेंस की जरूरत होती है। इसलिए आपके बच्चे की सुरक्षा तो निश्चित है। डे-केयर में बच्चों की जरूरत की हर चीज मौजूद होती है जिससे बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास अच्छे से होता है। डेयकेयर में मौजूद लोग बच्चों की देखभाल में अनुभवी और प्रशिक्षित होते हैं।
डे-केयर में बच्चों को विभिन्न तरह का ज्ञान दिया जाता है जैसे गाना, डांस और कहानी सुनना आदि। ज्यादातर माता-पिता को अच्छा लगता है कि उनके बच्चे इस तरह की गतिविधि में भाग ले रहे हैं। बच्चों को हर तरह का ज्ञान देने के लिए वहां प्रशिक्षित लोग मौजूद होते हैं।
डे-केयर में भेजने के नुकसान
बच्चों को डे-केयर में भेजने पर उन्हें कई तरह के संक्रमण होने का खतरा हो सकता है। वहां मौजूद कई बच्चों के बीच में कब आपके लाडले को कौन सा संक्रमण हो जाए इसके बारे में कहना कठिन है। कई बच्चों के एक साथ खेलने-खाने के दौरान बीमार बच्चे के कीटाणु स्वस्थ बच्चे को भी बीमार कर देते हैं। ऐसे में आया का विकल्प ज्यादा अच्छा हो सकता है।
आमतौर पर डे-केयर आपके बच्चों की देखभाल के निर्णय को प्रभावित करते हैं जैसे कब आपके बच्चे को दूध छोड़ना है, कब सोना है आदि। हो सकता है कि कुछ माता-पिता को इससे समस्या ना होती हो लेकिन कुछ को हो सकती है।

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