इन्दौर, भीमसिंह पिता खुसरिया अपने नुक्ते (तेरहवीं) के बारह वर्ष बाद जिन्दा लौट आया, परिजनों की आखें भीग गई खुशी के मारे शब्द नहीं निकल रहें उनकी जुबां से। और ये खुशी मिली उन्हे इन्टरनेट की बदौलत।
मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के ग्राम काठियाबंधान का भीमसिंह पिता खुसरिया 12 वर्ष पूर्व लापता हो गया था भीमसिंह मानसिक रूप से पूर्ण स्वस्थ नहीं है। परिजनों ने बहुत कोशिश की ढूंढने की पर असफल रहे, आखिरकार उसे मृत मान उसके अन्तिम संस्कार की सभी क्रिया कर तेरहवीं भी कर दी थी लेकिन दिल में आशा जगा रखी थी। भीमसिंह के गुम होने और घर लौटने की घटना उसके भाई मदन के अनुसार ऐसी हे कि भीम झिरन्या खरगोन के हाट में गुम हो गया था वहां से वह कोटा राजस्थान पहुंच गया जहां किसान बृजमोहन मीणा ने उसे अपने बेटे की तरह रखा मानसिक रूप से पूर्ण रूप से विकसित नहीं भीमसिहं आदिवासी लोक गीत बहुत ही सुंदर गाता था एक दिन गीतों में ही उसने अपने गांव और झिरन्या हाट का उल्लेख किया तो बृजमोहन मीणा ने इन्टरनेट पर इन दोनों जगह को सर्च कर सीईओ श्रीवास्तव जी को फोन कर भीमसिहं के बारे में बताया श्रीवास्तव जी भीमसिहं के घर पहुंचे और उसके गुम होने और पहचान की जानकारी की तपसीश करने के पश्चात भीम के परिजनों और गांव के कुछ लोगों को साथ लेकर कोटा के निकट ग्राम मामोर में बृजमोहन मीणा के घर गये जहां से भीमसिहं को लिवा लाये। मदनसिंह के अनुसार उसके साथ हमीर वास्कले, लक्ष्मण गटू और पंचायत सचिव लालू पवार व कमल खांडे गये थे।
भीमसिहं की माँ जानूबाई खुशी से रोते हुए कहने लगी कि बेटे के गुमने के दुख में इतने सालों से हमने कोई खुशी कोई त्योहार नहीं मनाया था अब सभी त्योहार धूमधाम से मनाऐगे वहीं पिता खुसरिया ने बताया कि हमने बेटे को ढूंढने कोई कसर नहीं छोड़ी थी जहां जहां सम्भव हो सका गये इस हेतु तकरीबन पन्द्रह बकरियां भी बेचना पड गई थी पर हमनें कोशिश जारी रखी थी परन्तु कुछ सफलता नहीं मिली थी।
इस पूरे खुशी और गम के एपिसोड के मुख्य किरदार रहे राजस्थान कोटा के किसान जिन्होंने करीब आठ वर्षों तक भीमसिहं को बेटे की तरह अपने पास रख इन्टरनेट पर खोजबीन कर उसे उसके परिजनों से मिलवाया को ग्राम सरपंच गोरेलाल वास्केल ने अपने गाँव बुला सम्मानित किया।