झाबुआ में सांसद डामोर के गृह गाँव भाबोर-बीड फलिये में महिला बैल बनकर जोत रही खेत

झाबुआ,क्षेत्रीय सांसद गुमानसिंह डामोर के गृह ग्राम उमरकोट के भाबोर-बीड फलिये में रहने वाली रामली पति रतन भाबोर को बैल बनकर अपना खेत जोतना पड रहा है। अपने 5 छोटे-छोटे बच्चों के साथ हर पल संघर्ष के साथ जीवन आगे बढ़ रहा है। आज तक उसको किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला। 1 लाख कर्ज लेकर जैसे-तैसे कच्चा मकान बनाया तो अब कर्ज उतारने के लिए पति को गुजरात के राजकोट शहर जाकर काम करना पड रहा है। छोटे बच्चों की मदद से वह अपनी 2 बीघा जमीन में सीमित साधनों में मक्का, मुंगफली, गिल्की, मिर्च आदि की खेती कर रही है ताकि उसके परिवार का किसी तरह से पालन-पोषण हो जाए। विपरित परिस्थितियों के बावजूद सुखद पहलू यह है कि वह अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढने भेज रही है।
72 साल में भी बदलाव नहीं
आजादी के 72 साल बाद भी विकास की गंगा उमरकोट जैसे गांव में अभी नहीं पहुंच पाई है। दो बैल जोड़े 25 हजार में आते हैं। बैल नहीं होने से वहां की रामली बाई को अपने बच्चों की मदद से स्वयं बैल बनकर खेती करना पड रही है। वह कहती है कि किराए पर बैल मिलता है लेकिन पैसे ज्यादा लगते हैं। हजार रूपए प्रतिदिन देने की उसकी हेसियत नहीं है। 5 बच्चों में सबसे बडी लड़की 12 वर्षीय कविता उसकी हर कदम पर मदद करती है। संयुक्त परिवार से अलग होकर जब भाबोर-बीड फलिये में रहने आई तो साहुकारों से कर्जा लेकर जैसे-तैसे रहने लायक कच्चा मकान बनाया। ब्याज ज्यादा है इसलिए पति रतन को राजकोट काम करने जाना पडा है। वह कहती है कि ना तो उसे अनपढ होने से किसी योजना की जानकारी है और ना ही कभी कोई लाभ मिला है। सिर्फ भगवान व नसीब के सहारे अपना जीवन चला रही है।

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