बेंगलुरु, विधानसभा में लंबी बहस के बाद अंततः कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमार स्वामी बहुमत साबित करने में असफल रहे और उनकी सरकार का पतन हो गया। सरकार के पक्ष में 99 और विपक्ष में 105 वोट पड़े। सदस्यों की चर्चा के बाद स्पीकर केआर रमेश कुमार ने वोटिंग की घोषणा की थी। विश्वास के बाद भाजपा के बीएस येदियुरप्पा और अन्य विधायक विक्ट्री साइन दिखाते हुए जीत का इजहार किया। सभी सदस्यों ने खड़े होकर मतदान और विपक्ष की जीत का स्वागत किया। भाजपा के विधायकों ने एक-दूसरे को जीत की बधाई दी। इस बीच खबर आ रही है कि सीएम कुमारस्वामी ने पद से इस्तीफा दे दिया है।
ज्ञात रहे कि सत्ताधारी गठबंधन के 16 विधायकों द्वारा इस्तीफा दिए जाने के बाद ही मुख्यमंत्री कुमार स्वामी की सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे थे। जिस वक्त विधायकों ने इस्तीफा दिया उस समय कुमार स्वामी अमेरिका में थे और उन्हें अपनी यात्रा अधबीच में छोड़कर वापस लौटना पड़ा। इस माह शुरुआत से ही कर्नाटक में सत्ता का नाटक चल रहा था।
13 महीने पुरानी इस सरकार में विधायकों ने पहले 16 विधायकों इस्तीफा दिया जिसे स्पीकर ने स्वीकार नहीं किया लेकिन बाद में 10 जुलाई को पुनः बागी विधायकों ने इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष को सौंपा। सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई समय सीमा में विधानसभा अध्यक्ष ने इस्तीफे पर कोई फैसला नहीं किया। बाद में सदन में विश्वास मत पर चर्चा शुरू हो गई जो लगभग 5 दिन तक चली। बीच में रविवार और शनिवार अवकाश भी रहा। पहले विश्वास मत के लिए सोमवार का दिन तय किया गया था लेकिन बाद में मंगलवार शाम लगभग 7:00 बजे विश्वास मत पर मतदान हुआ और कुमार स्वामी सरकार अल्पमत में आ गई।
सरकार का साथ छोड़ने वाले 13 कांग्रेसी और 3 जनता दल सेकुलर के विधायक हैं। दो निर्दलीय विधायकों ने भी सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। बहुजन समाज पार्टी के एकमात्र विधायक ने यद्यपि गठबंधन का साथ नहीं छोड़ा किंतु उसके बावजूद गठबंधन बहुमत साबित नहीं कर पाया।
इससे पहले आज फिर से सदन में विश्वास मत पर लंबी-लंबी बहस चली। मुख्यमंत्री कुमार स्वामी ने अपना जीवन परिचय देते हुए कहा कि वह राजनीति में अचानक आ गए हैं। उन्होंने कहा कि मैं विधानसभा अध्यक्ष और राज्य की जनता से माफी मांगता हूं विश्वास मत की कार्यवाही को लंबा खींचने की मेरी कोई मंशा नहीं थी।
अन्य वक्ताओं ने भी राजनीति में अपने त्याग, तपस्या और परिश्रम का गुणगान किया। जनता दल एस के विधायक पी। रामास्वामी ने बागी विधायकों को चुनौती देते हुए कहा कि यदि वे स्वेच्छा से बिना किसी निहित स्वार्थ और लालच के इस्तीफा दे रहे हैं तो घोषणा करें कि भविष्य में कभी चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने मुंबई से इस्तीफा देने पहुंचे विधायकों को सेफ पैसेज देने के लिए गृहमंत्री पाटिल से भी सवाल जवाब किए।
इससे पहले बेंगलुरु में एक फ्लैट के बाहर भाजपा और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो गई। बताया जाता है कि इस फ्लैट में दो निर्दलीय विधायक ठहरे हुए थे जिनसे मिलने कांग्रेस कार्यकर्ता पहुंचे बाद में भाजपा कार्यकर्ता भी पहुंच गए और दोनों में झड़प हो गई। बाद में पुलिस ने एहतियात के तौर पर बेंगलुरु में सभी शराब की दुकानों और बाहर को अगले 48 घंटों के लिए बंद कर दिया तथा धारा 144 लगा दी।
कर्नाटक विस का गणित
कुल सीटें 224
भाजपा 105
कांग्रेस 78
जेडीएस 37
बसपा 01
निर्दलीय 02
अब आगे क्या
विधानसभा अध्यक्ष पर नजर
कर्नाटक विधानसभा में विश्वासमत हारने के बाद कांग्रेस जेडीएस सरकार गिर गई है, लेकिन अब नजर विधानसभा अध्यक्ष आर रमेश पर टिकी है। विधानसभा सत्र के दौरान इस्तीफा देने वाले 16 विधायकों का भविष्य क्या होगा इस पर एक दो दिन में फैसला संभव है। देखना यह है कि विधानसभा अध्यक्ष इन विधायकों का इस्तीफा स्वीकार करते हैं या व्हिप का उल्लंघन करने पर उन्हें अयोग्य घोषित करेंगे।
जद(एस) पर भाजपा की नजर
कांग्रेस के 13 विधायकों को वोटिंग से दूर कर भाजपा में भले ही कर्नाटक सरकार गिरा दी हो, मगर वह अभी रुकने वाली नहीं। चूंकि कांग्रेस के 13 विधायक टूट चुके हैं तो अब उसमें सेंधमारी की गुंजाइश नहीं रह गई है। ऐसे में भाजपा की नजर जद(एस) कोटे के विधायकों पर है। अभी विधानसभा में जद(एस) के 37 विधायक हैं। भाजपा की नजर 13 विधायकों पर है। अगर भाजपा 13 विधायकों को तोड़ती है तो इन विधायकों पर दलबदल कानून लागू नहीं होगा और उनकी सदस्यता भी बनी रहेगी।