डीजल और पेट्रोल के बाद उत्तराखंड में अब बढ़ा ट्रक, बस, टैक्सी का किराया 

देहरादून, बुधवार को उत्तराखंड सरकार द्वारा डीजल पर रियायत खत्म करने और प्रति लीटर 2.50 रुपये बढ़ाने के फैसले का असर दिखने लगा है। राज्य में अब ट्रक यूनियन ने ट्रकों के माल भाड़े में पांच फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है। ट्रक के माल भाड़े में बढ़ोतरी के बाद अब बस किराए में भी बढ़ोतरी की मांग उठने लगी है।

उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र में निजी बस परिवहन सेवा कंपनियां भी किराया बढ़ने की उम्मीद लगाए हुए हैं। टीजीएमओ के अध्यक्ष प्रीतम सिंह नेगी ने बताया कि बस मालिक पहले से ही नुकसान झेल रहे हैं, ऐसे में डीजल के दाम बढ़ने से बसों का संचालन करना और कठिन हो गया है। वहीं, एसटीए से किराया बढ़ाकर इसे रोडवेज बसों के समान करने की मांग कर चुके हैं। एसटीए ने इस बारे में कमेटी का गठन किया था, लेकिन अभी तक बैठक की कोई तारीख तय नहीं हो पाई है। दूसरी तरफ देहरादून सिटी बस और टैक्सी संचालकों ने भी किराया बढ़ाने की मांग कर दी हैं। सिटी बस महासंघ के अध्यक्ष विजय डंडरियाल ने एसटीए से शीघ्र किराया बढ़ाने की मांग की है। वहीं, दून-गढ़वाल टैक्सी यूनियन के सचिव सत्यदेव उनियाल ने बताया कि डीजल के दाम बढ़ाए जाने के बाद हमें भी किराया बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। लिहाजा, ट्रक माल भाड़ा बढ़ने से आम जरूरत के चीजों के दाम भी बढ़ने लगे हैं। देहरादून ट्रक ऑपरेटर एसोसिएशन के सचिव अशोक ग्रोवर ने बताया कि उनकी एसोसिएशन के पांच हजार ट्रक हैं, जो सेलाकुई की फैक्ट्रियों से उत्पाद बाहरी प्रांतों तक पहुंचाते हैं और वहां से कच्चा माल यहां लाते हैं। इसके साथ ही उत्तराखंड में फल, सब्जी, खाद्यान्न, भवन सामग्री समेत आम जरूरत की चीजों को ट्रांसपोर्ट करते हैं।अशोक ग्रोवर ने बताया कि आम बजट में सरकार ने डीजल में 2.30 रुपये की बढ़ोतरी की। जिसके बाद सभी ट्रांसपोर्टरों से पांच फीसदी भाड़ा बढ़ाने को कहा गया। अब उत्तराखंड सरकार ने डीजल पर रियायत खत्म कर दी है, ऐसे में ट्रांसपोर्टर चार से पांच फीसदी भाड़े में और वृद्धि कर सकेंगे।

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