शहद में हो रही मिलावट की आप खुद कर सकते हैं जांच

नई दिल्ली, फूड सेफ्टी की सबसे बड़ी बॉडी एफएसएसएआई का मानना है कि शहद में मिलावट हो रही है। मिलावटखोरी के धंधे को देखते हुए एफएसएसएआई ने बाजार में बिक रहे कई ब्रांड की टेस्टिंग भी कराई है, लेकिन रिपोर्ट पर कुछ नहीं कहा है। एफएसएसआई के रेगुलेशन और कॉडेक्स विभाग के एडवाइजर सुनील बक्शी ने कहा कि पुराने मानकों में मिलावट का प्रावधान नहीं था, इसलिए पिछले दिनों मिलावट की शिकायतें बहुत बढ़ गई थी। हमारे पास जो नया स्टैंडर्ड रिवाइज हुआ है उसमें मिलावट को लेकर कई पैरामीटर पर काम हुआ है। जैसे एक्ट्रा सीरप, शुगर या पानी अगर मिला होगा, तो पता चल जाएगा क्योंकि अब शहद में सबकी मात्रा निश्चित होगी। पोलन नेक्टर की मात्रा भी निश्चित होगी, 25 हजार के आस-पास। मतलब असली शहद में फूलों के पोलर नेक्टर होंगे अगर ऐसा नहीं होता है, तो वो शहद नकली माना जाएगा।
हालांकि स्टैंडर्ड केवल मैन्यूफ्रेक्चरर या हनी मेकर के लिए हैं, लेकिन कंज्यूमर के लिए हमने कुछ टिप्स अपनी वेबसाइट पर डाले हैं। जिससे वो खुद घर पर हनी की प्योरिटी चेक कर पाएंगे। एफएसएसआई ने इस नए स्टैंडर्ड आने के तुरंत बाद डाबर, पतंजलि, झंडू जैसे बडे ब्रांड की टेस्टिंग की बात कही। टेस्टिंग पूरी हो चुकी है। दरअसल, शहद में शुगर सीरप की मिलावट होती है इस शक के आधार पर ये टेस्टिंग कराई गई है। यही नहीं नया स्टैंडर्ड भी इसलिए ही लाया गया है, क्योंकि शहद के जो पुराने मानक थे उनमें मिलावट यानी सी3 के प्रावधान का जिक्र ही नहीं था। ऐसे में कंपनियां बहुत ही आसानी से ये गोरखधंधा चला रही थी। पिछले दिनों बाजार में शहद के जमने और मिलावट की शिकायतें बहुत ज्यादा बढ़ गई। हम जब नोएडा के बाजारों में गए तो दुकानदारों और खरीददारों का कहना था कि शहद बहुत बेकार आ रहे हैं। किसी भी कंपनी का शहद शुद्ध नहीं है। सब बड़े बड़े दावें करते हैं। शहद सेहत के लिए रामबाण माना जाता है। शहद के औषधीय गुणों के चलते इसका सेवन बहुत आम बात है। लेकिन शहद अपनी शुद्धता खो रहा है, क्योंकि इसमें मिलावट बढ़ गई है।

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