मशहूर अभिनेता,लेखक और रंगकर्मी गिरीश कर्नाड का लंबी बीमारी के बाद 81 साल की उम्र में निधन

बैंगलोर, बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता, लेखक और रंगकर्मी गिरीश कर्नाड का आज 81 साल की उम्र में बेंगलूरु में निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उन्होंने बेंगलुरु में आखिरी सांस ली। पिछले महीने ही उन्होंने 81वां जन्मदिन मनाया था। गिरीश कर्नाड ज्ञानपीठ, पद्मश्री, पद्मभूषण, फिल्मफेयर और संगीत नाटक एकेडमी अवॉर्ड जैसे तमाम पुरस्कार से सम्मानित थे। गिरीश कर्नाड ने भारतीय सिनेमा की दुनिया में एक अभिनेता, निर्देशक और पटकथा लेखक के रूप में काम किया है। कर्नाड को भारत सरकार ने पद्मश्री और पद्म भूषण से सम्मानित किया है। वह चार फिल्मफेयर अवार्ड भी जीत चुके हैं, जिनमें से उन्हें तीन अवार्ड सर्वश्रेष्ठ कन्नड़ निर्देशक के रूप में और चौथा फिल्मफेयर अवार्ड पटकथा लेखन के लिए दिया गया था।
गिरीश कर्नाड एक बेहतरीन फ़िल्म निर्देशक भी थे। उन्होंने साल 1970 में कन्नड़ फ़िल्म ‘संस्कार’ से अपने सिने कैरियर की शुरूआत की थी। इस फ़िल्म की पटकथा भी उन्होंने खुद ही लिखी थी और बाद में इस फ़िल्म को कई अवार्ड भी मिले। कर्नाड ने कई हिन्दी फ़िल्मों में भी काम किया है। इन फ़िल्मों में ‘निशांत’, ‘मंथन’ और ‘पुकार’ जैसी फिल्में उनकी कुछ प्रमुख फ़िल्में हैं। गिरीश कर्नाड ने छोटे परदे पर भी मशहूर कार्यक्रम और ‘सुराजनामा’ आदि सीरियल पेश किए हैं। गिरीश कर्नाड ‘संगीत नाटक अकादमी’ के अध्यक्ष पद पर भी रह चुके हैं। गिरीश कर्नाड सलमान खान के साथ सुपरहिट फिल्मों एक था टाइगर और टाइगर जिंदा है में भी नजर आए थे।
गिरीश कर्नाड ने अपना पहला नाटक कन्नड़ में लिखा था जिसका बाद में अंग्रेजी में अनुवाद हुआ। उनके चर्चित नाटकों में ‘यताति’, ‘तुगलक’, ‘हयवदना’, ‘अंजु मल्लिगे’, ‘अग्निमतु माले’, ‘नागमंडल’ और ‘अग्नि और बरखा’ शामिल हैं। 1960 के दशक में कर्नाड के यायाति 1961, ऐतिहासिक तुगलक 1964 जैसे नाटकों को समालोचकों ने सराहा था, जबकि उनकी तीन महत्वपूर्ण कृतियां हयवदना 1971, नगा मंडला 1988 और तलेडेंगा 1990 ने अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की। 2 पद्म सम्मानों के अलावा 1972 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी, 1994 में साहित्य अकादमी, 1998 में ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला था। कन्नड़ फिल्म ‘संस्कार’ के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था।

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