एस जयशंकर की मोदी सरकार के संकटमोचक की रही है पहचान

नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने अपनी नई कैबिनेट में उन सबको स्थान दिया जो उनके करीबी और विश्वसनीय थे। इस बार सबसे चौंकाने वाला नाम पूर्व विदेश सचिव रहे सुब्रमण्यम जयशंकर का रहा। गुरुवार शाम तक किसी को जयशंकर के मंत्री पद की शपथ लेने की कोई भनक तक नहीं थी। लेकिन अपने फैसलों से सबको चौंकाने वाले पीएम नरेंद्र मोदी ने जयशंकर पर भरोसा जताया और उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया है। जयशंकर अमेरिका, चीन समेत आसियान के विभिन्न देशों के साथ कई कूटनीतिक बातचीत का हिस्सा रह चुके हैं। इन्हें मोदी के करीबी और चीन एक्सपर्ट के रूप में जाना जाता है। एस जयशंकर का जन्म 15 जनवरी 1957 को दिल्ली में हुआ। वह जाने-पहचाने इतिहासकार संजय सुब्रमण्यम और भारत के पूर्व ग्रामीण विकास सचिव एस विजय कुमार के भाई हैं। परिवार में पत्नी क्योको और तीन बच्चे हैं। फिलहाल जयशंकर टाटा समूह के वैश्विक कॉरपोरेट मामलों के प्रमुख थे।
जयशंकर और मोदी की जान-पहचान उनके पीएम बनने से पहले से है। 2012 में जब मोदी गुजरात सीएम के रूप में चीन के दौरे पर थे, उसी दौरान जयशंकर उनसे मिले थे। कहा जाता है कि मनमोहन सिंह 2013 में ही उन्हें विदेश सचिव बनाना चाहते थे, लेकिन फिर उन्होंने सुजाता सिंह को चुना। मोदी ने पीएम बनने के बाद सुजाता के बाद जयशंकर को ही उस पोस्ट के लिए चुना। एस जयशंकर जनवरी 2015 से जनवरी 2018 तक विदेश सचिव रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल के बाद जयशंकर की नियुक्ति हुई थी। जयशंकर ने विदेश सचिव के रूप में अमेरिका, चीन समेत बाकी देशों के साथ भी महत्वपूर्ण बातचीतों में हिस्सा लिया। चीन के साथ 73 दिन तक चले डोकलाम विवाद को सुलझाने में भी जयशंकर का अहम रोल बताया जाता है। इससे पहले 2010 में चीन द्वारा जम्मू कश्मीर के लोगों को स्टेपल वीजा दिया जाता था। इस पॉलिसी को बदलवाने में भी जयशंकर का अहम रोल रहा। जयशंकर 1977 बैच के आईएफएस अधिकारी हैं। भारत और अमेरिका के बीच हुए परमाणु समझौते में भी उनकी अहम भूमिका रही है। जयशंकर उन राजनयिकों में से हैं, जिन्हें चीन, अमेरिका और रूस तीनों ही मुल्कों में काम करने का अनुभव है।

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