सेना के अधिकारियों को 12 लाख से ज्यादा की कारों पर दी जा रही छूट खत्म

नई दिल्ली, सैन्य अफसरों को एसयूवी सहित महंगी कारों पर मिलने वाली छूट अब नहीं मिल पाएगी। केन्द्र सरकार ने सुरक्षाबलों को मिलने वाली यह सुविधा वापस ले ली है। अभी तक सैन्य अधिकारियों को महंगी कारें खरीदने पर कैंटीन स्टोर्स डिपार्टमेंट (सीएसडी कैंटीन) से भारी छूट मिला करती थी। अब सेवानिवृत्त हो चुके और सेवारत अधिकारियों को आठ साल में एक बार सब्सिडी वाली कार लेने की इजाजत होगी। आर्मी क्वार्टर मास्टर जनरल (क्यूएमजी) ब्रांच ने 24 मई को निर्देश दिए हैं कि एक जून से सैन्य अधिकारी सीएसडी कैंटीन से 12 लाख रु तक की कीमत वाली कार, जिसकी इंजन क्षमता 2500 सीसी तक होगी उस पर ही छूट ले सकेंगे, इसमें जीएसटी शामिल नहीं होगा। ठीक इसी तरह का आदेश रक्षा प्रतिष्ठानों में सेवारत सिविलियन अधिकारी पर भी लागू हैं।
इसके अलावा दूसरी रैंक के जवान अब 5 लाख रु और 1400 सीसी इंजन क्षमता वाली कार खरीद सकते हैं। इसमें जीएसटी शामिल नहीं है। वह एक कार अपने सेवा कार्यकाल के दौरान और दूसरी सेवानिवृत्ति पर ही खरीद सकते हैं। सीएसडी कैंटीन से कार खरीदने पर एक शख्स को 50,000 से डेढ़ लाख रुपये का फायदा होता है। यह चार पहियों की सीएसडी कैंटीन में कीमतों के आधार पर निर्भर करता है क्योंकि सरकार जीएसटी पर 50 प्रतिशत की छूट देती है और ऑटोमोबाइल निर्माता कंपनी के साथ बातचीत करके सीएसडी में बिक्री के लिए आने वाली कारों की कीमत बाजार को भाव से पहले ही कुछ कम कर दी जाती है।
सेना के अधिकारियों को सरकार का यह आदेश रास नहीं आ रहा है। इससे युवा अधिकारियों और वरिष्ठों में खासा रोष है। एक मेजर ने कहा, ‘सीएसडी के जरिए मैं अब एक जीप कंपास (इसकी मूल कीमत 15-16 लाख रु से शुरू) क्यों नहीं खरीद सकता, जैसा कई वरिष्ठ अधिकारी खरीद चुके हैं? एक ब्रिगेडियर ने कहा कि नए नियम आधारहीन हैं। इससे पहले कीमत और इंजन क्षमता को लेकर कोई प्रतिबंध नहीं था और अधिकारी हर 4-5 साल में नई कार खरीद सकते थे। हां उसका कुछ दुरुपयोग होता था लेकिन इसके लिए ऐसे आदेशों की बजाए निगरानी प्रणाली को मजबूत करने की जरुरत है।

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