केंद्र की कोयला नीति से भूपेश ने जताई असहमति, पीएम मोदी को खत लिख बोले होगा करोड़ों का नुकसान

रायपुर, प्राकृतिक और नैर्सिग संपदा से भरपूर छत्तीसगढ़ में कोयला काले सोने के रूप में प्रसिद्ध है। लेकिन केंद्र सरकार की कोयला नीति को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल असहमति जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। चिट्ठी में कहा गया है कि 2014 में बनाई गई नीति से छत्तीसगढ़ राज्य को 30 वर्षो में 9 लाख करोड़ की हानि होगी। न तो राज्य के लिए कोल ब्लॉक में न तो आरक्षण की व्यवस्था है न ही सस्ती दर पर उपयोग की व्यवस्था। बल्कि राज्य के हिस्से में खनन से होने वाली समस्याओं को डाल दिया गया है।
भूपेश बघेल इस बात पर भी आपत्ति जताई है कि कोल ब्लॉक आवंटन वाली कमेटी में राज्य के किसी प्रतिनिधि को जगह नहीं मिली है। तीन पेज के पन्ने में भूपेश बघेल ने विस्तार से बताया है कि कैसे राज्य को 2014 में बनी मोदी की कोल नीति से नुकसान हो रहा है। भूपेश बघेल ने लिखा है कि पांच साल से कोयला नीति से छत्तीसगढ़ को भारी नुकसान हो रहा है। 2014 से पहले राज्य में 42 कोल ब्लॉक थे। 7 छत्तीसगढ़ 9 दूसरे राज्य 26 निजी और सार्वजनिक उपक्रमो को आवंटित थे। लेकिन 2014 के बाद केवल 15 कोल ब्लॉक ही नए नियम से आवंटित हुए जिसमे 3 छत्तीसगढ़ के पास है बाकी सार्वजनिक जिसमें से एक निरस्त हो गया। उन्होंने कहा कि 2014 में आवंटन रद्द होने के बाद ब्लॉक आवंटन और रायल्टी के अतरिक्त प्रीमियम की व्यवस्था की गई। छत्तीसगढ़ को नई व्यवस्था में केवल 3 कोल ब्लॉक आवंटित किए गए। जिसकी रिजर्व क्षमता पूर्व में आंवटित भंडार का केवल एक चौथाई है।
अन्य राज्यों को आवंटित राजस्व में एकतरफा निर्णय भारत सरकार ने लिया और 100 रुपये मीट्रिक टन का प्रीमियम राज्य सरकार को देने का प्रावधान किया गया। उन्होने लिखा है कि आवंटन हेतु गठित समिति में कोई छत्तीसगढ़ राज्य का प्रतिनिधि नहीं है। ऐसी स्थिति में राज्य सरकार स्थानीय परिस्थिति के हिसाब से निर्णय नहीं ले सकती कि कहां खनन किया जाए और कहां नहीं। उन्होंने इसे बढ़ाने की मांग भी की है। उन्होंने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि जो राज्य छत्तीसगढ से कोयला बना रहे हैं। उससे सस्ती बिजली का प्रावधान राज्य को देने का प्रावधान नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य में होने वाली 30 वर्षो में नीलामी से छत्तीसगढ़ को 9 लाख करोड़ की हानि होगी। भूपेश बघेल ने कहा कि इसके एवज में विस्थापन, प्रदूषण, जनआक्रोश एवं अन्य सामाजिक एवं आर्थिक समस्याएं छत्तीसगढ़ के निवासियों के हिस्से में डाल दी गई हैं।

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