EOW ने ई-टेंडरिंग घोटाले में ऑस्मो कंपनी के तीन डायरेक्टरों को भोपाल से किया गिरफ्तार

भोपाल, तीन हजार करोड़ के ई-टेंडरिंग घोटाले में पहली एफआईआर दर्ज करने के बाद गुरुवार को ईओडब्ल्यू ने ताबडतोड कार्यवाही करते हुए ऑस्मो कंपनी के ऑफिस की जांच की। टीम ने यहां कंपनी से जुड़े दस्तावेजों की जांच की इसके साथ ही महत्वपूर्ण कागजातो को जप्त करते हुए कंपनी के तीन डायरेक्टरो को गिरफ्तार कर लिया है। जानकारी के अनुसार भोपाल के मानसरोवर कॉम्प्लेक्स में कंपनी का दफ्तर है।
ईओडब्ल्यू टीम के दो डीएसपी के साथ 15 कर्मचारियों की टीम मौके पर कंपनी से जुड़े दस्तावेजों की जांच कर रही है। शुरुआती जानकारी सामने आ रही है कि ये कंपनी केवल डिजिटल सिग्नेचर ही नहीं बनाती है, बल्कि अखबार भी निकालती है। जिसमें टेंडर्स की जानकारी दी जाती है। जांच के लिए पहुंचीं टीम को देखते ही यहॉ मौजूद लोग घबरा गए ओर आनन-फानन में ऑफिस की लाइट बंद कर दी गई। मिली जानकारी के अनुसार ई-टेंडरिंग घोटाले में राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो की टीम ने ऑस्मो कंपनी के तीन डायरेक्टर विनय चौधरी, वरुण चौधरी और सुमित गोलवलकर (मार्केटिंग) को विन को गिरफ्तार कर लिया है। जानकारी के अनुसार कंपनी के विनय चौधरी, सुमित गोलवलकर, वरुण चतुर्वेदी से टीम ईटेंडर में छेड़छाड़ मामले में पूछताछ कर रही है। सुत्रो का कहना है की टीम को छेड़छाड़ के पुख्ता सबूत हाथ लगे है, जिसके बाद इस कंपनी के अधिकारियो पर शिकंजा कसा गया है। बताया जा रहा है कि टेम्परिंग की जांच में एक आईपी एड्रेस मिला है,जो ओस्मो कंपनी का है।इस कंपनी और इसके करता धरता का उल्लेख करते हुए विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था। गौरतलब है की आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने बुधवार को इस मामले में मध्य प्रदेश सरकार के पांच विभागों के अधिकारियों-कर्मचारियों और दस निजी कंपनियों के संचालकों-मार्केटिंग अधिकारियों सहित अज्ञात नौकरशाहों और नेताओं के खिलाफ धोखाधड़ी और आईटी व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में केस दर्ज कर कार्रवाई शुरू की है। दरअसल, इस पूरे खेल में ई पोर्टल में टेंपरिंग से दरें संशोधित करके टेंडर प्रक्रिया से बाहर आने वाली कंपनी को टेंडर दिला दिया जाता था और मनचाही कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट दिलाने का काम बहुत ही सुव्यवस्थित तरीके से अंजाम दिया जाता था। वहीं इस घोटाले को सरकारी अफसरों के डिजिटल सिग्नेचर में छेड़छाड़ करके ही अंजाम दिया गया था।

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