मायावती के नजदीकी पूर्व आईएएस अफसर नेतराम के पास ‎मिली 225 करोड़ की बेनामी संपत्ति

लखनऊ, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा प्रमुख मायावती के करीबी माने जाने वाले पूर्व आईएएस नेतराम के ठिकानों पर इनकम टैक्स विभाग ने हाल ही में छापेमारी की थी। विभाग के सूत्रों से ‎मिली जानकारी के अनुसार ‎विभाग के आंकलन के बाद पूर्व आईएएस के पास 225 करोड़ रुपये की संपत्ति का खुलासा हुआ है। ‎इस छापे मारी में जब्त ‎किए गए दस्तावेजों में सौ करोड़ रुपये की संपत्ति दर्शाई गई है, जबकि उनकी वास्तविक कीमत 225 करोड़ रुपये है। नेतराम की इस सपंत्ति को अटैच ‎किया जा रहा है। बसपा प्रमुख मायावती सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर रहे उत्तर प्रदेश के रिटायर्ड आईएएस अधिकारी नेतराम के परिसरों पर आयकर विभाग ने बीते मंगलवार को छापेमारी की थी। छापे में उनके यहां 1.64 करोड़ रुपये कैश, 50 लाख रुपए की कीमत के पेन, चार आलीशान कारें और 225 करोड़ रुपये की बेनामी संपत्तियों के दस्तावेज जब्त किए गए। 1979 बैच के पूर्व आईएएस अधिकारी और उनके सहयोगियों ने नोटबंदी के बाद और उससे पहले कोलकाता की मुखौटा कंपनियों के नाम पर 95 करोड़ रुपये की फर्जी प्रविष्टियां दिखाई है। विभाग के सूत्रों के अनुसार मुंबई, कोलकाता और दिल्ली में खरीदी गई इन संपत्तियों को अब अटैच किया जा रहा है। ये संपत्तियां बेनामी हैं।
अधिकारियों ने 30 मुखौटा कंपनियों के कागजात भी बरामद किए हैं। इन कंपनियों में नेतराम के परिवारीजनों और ससुराल के लोगों की हिस्सेदारी है। छापेमारी में दिल्ली (केजी मार्ग और जीके-1) और मुंबई (चरनी रोड और हुगेस रोड) के पॉश इलाकों में छह संपत्तियों और कोलकाता के तीन घरों का पता चला है। इन संपत्तियों को 95 करोड़ की ब्लैकमनी से खरीदा गया था। बता दें ‎कि नेतराम 2003-05 के दौरान उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री के सचिव थे। यह अधिकारी उत्तर प्रदेश में आबकारी, गन्ना उद्योग विभाग, डाक एवं पंजीकरण, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभागों के प्रमुख रह चुके हैं। विभाग के सूत्रों के मुता‎बिक अब संपत्तियों को आईटी अधिनियम की धारा 132 (9) के तहत मंगलवार को अटैच किया है। बता दें कि यूपी में मायावती की सरकार के दौरान आईएएस नेतराम ताकतवर अधिकारियों में से एक माने जाते थे। वह 2007 से 2012 तक तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के प्रमुख सचिव भी रहे हैं। नेतराम के प्रभाव का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रमुख सचिव रहने के दौरान उनसे मिलने के लिए बड़े-बड़े नेता भी कतार में खड़े रहते थे, और अपॉइंटमेंट भी लेना पड़ता था।

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