अखिलेश और मायावती की चुनाव लड़ने पर चुप्पी से सस्पेंस

लखनऊ, आगामी लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। तो इस चुनाव में गठबंधन के दो बड़े चेहरे सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा प्रमुख मायावती के चुनाव लड़ने पर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। सूत्रों के अनुसार अखिलेश और मायावती दोनों ही चुनाव न लड़ने का भी फैसला ले सकते हैं। इसके पीछे कई अहम वजह बताई जा रही है। सूत्रों के मुताबिक दोनों ही नेता मौजूदा समय में दो पहलुओं पर गंभीरता से मंथन कर रहे हैं। दोनों नेताओं के चुनाव लड़ने और न लड़ने के पीछे कई अहम वजह बताई जा रही हैं। पहली स्थिति यह है कि अगर दोनों नेता चुनाव लड़ते हैं तो उनका पूरा ध्यान खुद की सीट पर रहेगा। यह स्थिति भाजपा के ‎लिए बेहतर सा‎बित होगी। दूसरी स्थिति में दोनों नेता चुनाव लड़कर गठबंधन के लिए बड़ा संदेश देंगे। अगर दूसरी स्थिति की बात करें तो अखिलेश यादव अपने पिता मुलायम सिंह यादव की सीट आजमगढ़ से चुनाव लड़ सकते हैं। जबकि मायावती अम्बेडकरनगर या फिर बिजनौर की नगीना सीट से चुनावी मैदान में उतर सकती हैं। दरअसल सपा ने अब तक 9 प्रत्याशियों का ऐलान किया है। इसमें मैनपुरी से पिता मुलायम सिंह यादव और कन्नौज से पत्नी डिंपल यादव चुनाव लड़ेंगी। हालांकि पहले अखिलेश ने कहा था कि वह कन्नौज से चुनाव लड़ेंगे। लेकिन अब पत्नी डिंपल को मैदान में उतारकर अखिलेश ने असमंजस की स्थिति पैदा की है।
कहा जा रहा है कि अगर अखिलेश चुनाव लड़ने का फैसला लेते हैं तो वह आजमगढ़ सीट से अपने पिता की विरासत संभालेंगे। ‎पिछले चुनाव में मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी के साथ-साथ आजमगढ़ लोकसभा सीट भी जीती थी लेकिन उन्होंने मैनपुरी से इस्तीफा देकर आजमगढ़ सीट अपने पास रखी थी। सपा की अब तक नौ प्रत्याशियों में पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव का नाम नहीं है। माना जा रहा है कि वह अपने पिता की सीट आजमगढ़ चुनाव लड़ सकते हैं। बसपा और रालोद के साथ गठबंधन होने से अखिलेश के लिए आजमगढ़ सीट भी सुरक्षित मानी जा रही है। यहां यादव, मुस्लिम व दलित वोट भारी संख्या में हैं।फिलहाल अखिलेश न लोकसभा में हैं और न राज्यसभा में। वह इस समय विधानसभा व विधान परिषद के भी सदस्य नहीं हैं। आजमगढ़ से चुनाव लड़कर वह अपने पिता की विरासत का संदेश दे सकते हैं।

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