दिग्विजय ने माखनलाल चतुर्वेदी पविव में गडबडी की जांच लोकायुक्त या EOW से करने के लिए CM को लिखा पत्र

भोपाल, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल में व्याप्त अनियमितताओं की जांच लोकायुक्त, ईओडब्ल्यू से करवाने मुख्यंमत्री कमलनाथ को एक पत्र लिखा है। साथ ही उन्होंने कहा कि मामले की विभागीय जांच भी होना चाहिए। पत्र में उन्होंने लिखा है कि विवि के प्रबंधन में 2004 के बाद बड़ी संख्या में शैक्षणिक, वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितताएं कर अधिनियम, परिनियम, अध्यादेशों और निर्देशों का लगातार उल्लंघन किया गया है। भर्ती प्रक्रिया में जहां यूजीसी के अधिनियम का पालन नहीं किया गया। वहीं, साक्षात्कार के आधार पर मनमाने तरीके से चहेतों की नियुक्तियां कर दी गई। प्रोफेसरों के पद पर शिक्षकों को कैश (करियर एडवांसमेंट स्कीम) पदोन्नति का लाभ भी अनियमित रूप से दिया गया है। उन्होंने आश्चर्य जताते हुए लिखा कि विवि की स्थापना हिंदी पत्रकारिता पर विशेष फोकस के साथ पत्रकारिता, जनसंचार तथा सहबद्घ क्षेत्रों में अध्यापन, प्रशिक्षण और अनुंसधान के लिए की गई थी। लेकिन विवि में 90 प्रतिशत छात्र कम्प्यूटर कोर्स के लिए पंजीकृत है। जबकि 9 फीसदी ही मीडिया कोर्स से जुड़े हुए है। साथ ही विवि की लोकप्रियता में विगत वर्षों में काफी गिरावट देखी गई है। इन सभी गंभीर प्रकरणों को देखते हुए समय सीमा में लोकायुक्त, ईओडब्ल्यू और विभागीय स्तर पर जांच करवाई जाए, ताकि विवि की प्रतिष्ठा को धूमिल करने वाले दोषी व्यक्तियों पर काठोर कार्रवाई की जा सके। तत्कालीन कुलपति, महापरिषद के अध्यक्ष एवं सदस्य भी दोषी है इनके खिलाफ भी वैधानिक कार्रवाई होना चाहिए, चाहे वे लोग किसी भी स्तर के और कितने भी प्रभावशाली क्यों ना हो।
पूर्व सीएम ने आरोप लगाया कि विवि में जानबूझकर शासकीय ऑडिट एजेंसी से ऑडिट नहीं कराया गया। विवि में कई वर्षों से लोकल फंड ऑडिट से ही ऑडिट कराने का प्रस्ताव है लेकिन जानबूझकर इसकी उपेक्षा की गई है। मध्यप्रदेश शासन के आरक्षण नियम का पालन भी नहीं किया गया। नियुक्तियों में निर्धारित आरक्षण रोस्टर का भी पालन नहीं किया गया। इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जानी चाहिए। दिग्विजय सिंह ने कहा है कि नोएडा, ग्वालियर, दतिया, अमरकंटक, रीवा एवं खंडवा में जो केंद्र खोले गए हैं वहां भी गंभीर अनियमितताएं की गई है। नोएडा, रीवा और दतिया में स्टडी सेंटर स्थापित करने के लिए ऊंचे दामों पर जमीनें खरीदी गई। भोपाल में केंद्र के निर्माण में करोड़ों रुपए का भुगतान किया गया है। इन गए केंद्रों में तत्कालीन मंत्रियों को खुश करने के लिए ऊंचे दाम पर जमीनें खरीदकर केंद्र स्थापित किए गए थे। विवि के विकास भवन, नए कैंपस निर्माण, कन्या छात्रावास के निर्माण व अन्य कार्यों के लिए किए गए भुगतान में भी अनियमितताएं की गई। बिसनखेड़ी स्थित विवि के नवीन परिसर के निर्माण में भी अनियमित भुगतान किए जाने की जानकारी प्राप्त हुई है। इस वित्तीय अनियमितता के लिए परीक्षण उपरांत इसमें अवैधानिक एवं अनियमित कार्यों में लिप्त अधिकारियों एवं संबंधितों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की जानी चाहिए।

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