गुजरात में कांग्रेस विधायक भगवान बारड के सस्पैंशन को लेकर राजनीति गरमाई

अहमदाबाद, खनिज चोरी केस में कांग्रेस विधायक भगवान बारड को सस्पैंड किए जाने के बाद गुजरात की राजनीति गरमा गई है| गुजरात विधानसभा के अध्यक्ष राजेन्द्र त्रिवेदी ने भगवान बारड को सदन की सदस्यता से निलंबित कर दिया है. लेकिन विधानसभा अध्यक्ष के इस फैसले से कांग्रेस भड़क उठी और आरोप लगाया कि भगवान बारड को राजनीतिक द्वेष के चलते सदन से सस्पैंड किया गया है.
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अमित चावडा और नेता प्रतिपक्ष परेश धानाणी ने कहा कि खनिज चोरी के मामले में सजा सुनाए जाने के बाद कोर्ट ने भगवान बारड को ऊपरी अदालत में अपील करने का समय दिया है, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने अदालती फैसले की अवगणना करते हुए उन्हें सस्पैंड कर दिया| दूसरी ओर भाजपा ने कांग्रेस के आरोपों का आधारहीन करार देते हुए कहा कि अब तक कोर्ट ने भगवान बारड को समय दिया था, लेकिन यह कोर्ट का फैसला है| अमित चावडा ने कहा कि भाजपा और सरकार भय का माहौल बनाकर अपनी सत्ता बरकरार रखना चाहती है. गुजरात कांग्रेस भगवान बारड के खिलाफ जिस प्रकार असंवैधानिक कार्यवाही की गई है, उसके खिलाफ राज्यव्यापी धरना-प्रदर्शन कर कलेक्टर को ज्ञापन देगी.
बता दें कि तालाला के विधायक भगवान बारड को सूत्रापाडा की कोर्ट ने खनिज चोरी के मामले में सजा सुनाई है. यह मामला वर्ष 1995 का है जिसमें सूत्रापाडा की सरकारी गोचर जमीन से रु. 2.83 करोड़ की खनिज चोरी केस में 1 मार्च 2019 को सूत्रापाडा की कोर्ट ने कांग्रेस विधायक भगवान बारड को 2 साल 9 महीने की सजा सुनाई थी. उन्होंने कहा कि भगवान बारड के सस्पैंशन की जानकारी केन्द्र और राज्य चुनाव आयोग को भेज दिया है. भगवान बारड अब विधायक नहीं है और तालाला सीट रिक्त है.
गुजरात विधानसभा अध्यक्ष राजेन्द्र त्रिवेदी ने कहा कि सूत्रापाडा कोर्ट ने भगवान बारड को 2 वर्ष 9 महीने की सजा सुनाई है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक 2 वर्ष से अधिक सजा होने पर विधायक की विधानसभा की सदस्यता रद्द हो जाती है. राजेन्द्र त्रिवेदी ने कहा कि इस संदर्भ में विधानसभा अध्यक्ष को जानकारी मिलने पर उनके पास विधायक को सदस की सदस्यता से सस्पैंड करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं रहता. दूसरी ओर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष जीतु वाघाणी ने दावा किया कि अदालत ने भगवान बारड को ऊपरी अदालत में अपील करने का समय दिया था| भगवान बारड को सस्पैंशन कोर्ट का ही फैसला है.

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