नई दिल्ली,आजकल बच्चों के साथ दुष्कर्म होने के कई मामले सामने आ रहे हैं। कई मामलों में तो हैवानियत के सारे स्तर टूट जाते हैं। जो लोग बच्चों का शोषण करते हैं, विज्ञान की भाषा में उन्हें पीडोफाइल कहा जाता है। ये छोटे लड़कियां-लड़कों दोनों को अपना शिकार बनाते हैं। इससे अभिभावकों में डर बना रहता है और वह अपने बच्चों को स्कूल या कहीं भी भेजने में डरते हैं।
इन्हें कहते हैं पीडोफाइल
साइकलॉजिकल असोसिएशन के मुताबिक, अगर किसी बच्चे और उसके साथ दुष्कर्म करने वाले व्यक्ति के बीच 5 साल या इससे ज्यादा का अंतर होता है, तो इस स्थिति में दुष्कर्म करने वाले व्यक्ति को पीडोफाइल कहा जाता है। यह लोग बच्चों के साथ यौन शोषण के लिए अट्रैक्ट होते हैं। ऐसे व्यक्तियों में इसे मानसिक बीमारी के तौर पर भी परिभाषित किया जाता है।
इसलिए बन जाते हैं पीडोफाइल
साइकायट्रिस्ट और साइकलॉजिस्ट्स के मुताबिक, अक्सर वे पीडोफाइल बनते हैं, जिनके साथ बचपन में किसी तरह का दुष्कर्म हुआ हो। किसी ने कोई गंदा काम किया हो। ऐसी घटनाओं के बाद अक्सर लोगों के दिल-दिमाग में वह चीजें बैठ जाती हैं, जिनका परिणाम यह होता है कि या तो वह व्यक्ति हमेशा डर में जीता है या फिर वह दूसरे बच्चों के साथ भी वैसा ही करने की कोशिश करता है। कुछ लोगों में यह जेनेटिक भी होता है। इसके अलावा हार्मोन्स का असामान्य होना और किसी तरह की दिमागी बीमारी भी पीडोफाइल बनने का कारण हो सकती है।
पीडोफाइल के लक्षण
बड़ों के बजाय बच्चों के साथ घुलने-मिलने की ज्यादा कोशिश करते हैं
इनका व्यवहार दूसरों से थोड़ा अजीब होता है
बच्चों को हाथ लगाने का मौका ढूंढते नजर आते हैं
अगर बच्चा संपर्क में आया तो आ सकते हैं ये लक्षण
बच्चा शांत हो जाएगा और कम बातचीत करेगा
अकेला रहेगा और किसी के सामने आने से डरता है
बच्चा छोटी-छोटी बात पर रोने लगता है
अपनी बातों को दूसरों के सामने ठीक ढंग से नहीं रख पाएगा
अगर बच्चे के साथ ज्यादा दुर्व्यवहार हुआ है, तो वह टॉयलेट जाते वक्त रोएगा या ज्यादा समय लगेगा
पेट या बॉडी में दर्द
इनसे सावधान रहें
स्कूल बस ड्राइवर
स्कूल बस कंडक्टर
स्कूल का पियॉन या स्वीपर
घर में रहने वाले नौकर ट्यूटर्स (हालांकि साइकेट्रिस्ट्स का कहना है कि यह सभी लोग ऐसे नहीं होते, लेकिन इनमें से कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो बच्चों की तरफ आकर्षित होते हैं और उनके साथ गलत काम करते हैं)
ऐसे बच सकते हैं पीडोफाइल से
बच्चे को कभी किसी के सहारे अकेला ना छोड़ें
बच्चों की निगरानी करें कि वह कब कहां जा रहे हैं और क्या कर रहे हैं
यदि कभी आपको ऐसा लगता है कि किसी की आपके बच्चे पर बुरी नजर है, तो हल्के में ना लें
स्कूल स्टाफ से निरंतर संपर्क बनाए रखें।