पत्रकार छत्रपति हत्याकांड में राम रहीम दोषी करार, 17 को सुनाई जाएगी सजा

पंचकूला,दो लड़कियों के साथ बलात्कार के आरोप में 20 साल की सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। हरियाणा के पंचकुला स्थिति सीबीआई की विशेष अदालत ने शुक्रवार को पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड मामले में अपना फैसला सुना दिया है।
इस मामले में गुरमीत मुख्य आरोपी है। इस हत्याकांड में राम रहीम को दोषी करार दिया गया है। 17 तारीख को सजा का ऐलान होगा। रामचंद्र छत्रपति वही पत्रकार थे, जिन्होंने राम रहीम का काला सच दुनिया के सामने लाया था। रामचंद्र ने ही दो साध्वियों के साथ हुए रेप की खबर को पत्र के आधार पर अपने अखबार ‘पूरा सच’ में सबसे पहले छापा था। खबर छपने के बाद गुरमीत सिंह के लोग पत्रकार को आए दिन धमकियां देते थे। धमकियों से बिना डरे रामचंद्र गुरमीत सिंह के खिलाफ खबरें लिखते रहे।
धमकियों के बीच 24 अक्टूबर, 2002 को दो अज्ञात लोगों ने छत्रपति के ऊपर हमला कर दिया था। पत्रकार की हत्या का आरोप गुरमीत सिंह पर लगा था। पूरी कहानी 17 सालों से इंसाफ का इंतजार कर रहे पत्रकार के बेटे अंशुल ने खुद बताई। उन्होंने बताया राम रहीम की राजनीतिक रसूख की वजह से हमें न्याय के लिए दर-दर भटकना पड़ा, पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर रही थी। अंशुल ने बताया सब इंसपेक्टर रामचंद्र ने हमारे सामने हमारे पिता का इकबालिया बयान दर्ज किया था।
उस बयान के अंदर उन्होंने बताया था कि वह कितने समय से खबरें लिख रहे हैं और किस तरह की खबरें लिख रहे हैं। अपने बयान में उन्होंने यह भी जिक्र किया था मुझे धमकियां मिल रही हैं। इन धमकियों के पीछे जो मुख्य साजिशकर्ता है वह डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह और किशन लाल है। अंशुल ने बताया कि साल 2001 में हमारे फादर ने डेरा सच्चा सौदा के खिलाफ खबरें छापी जिसके अंदर एक मसला यह भी था कि किस तरीके से डेरा के श्रद्धालुओं ने जमीन पर नाजायज कब्जा जमा लिया था।
पत्रकार छत्रपति के बेटे ने गुमनाम चिट्ठी की बात भी बताई। उन्होंने कहा कि गुमनाम चिट्ठी जब सामने आई थी तब उनके पिता ने पूरा सच अखबार में छापा था। जिसके बाद बहुत ज्यादा धमकियां मिलने लगीं। जिसके बाद उन पर हमला कर गोलियों से भून दिया गया। गोली लगने के बाद उन्हें इलाज के लिए दिल्ली लाया गया। दिल्ली के अपोलो अस्पताल में उनकी मौत हो गई। परिजनों ने राम रहीम के खिलाफ मामला दर्ज किया था। पत्रकार हत्याकांड की जांच नवंबर 2003 को सीबीआई के हवाले कर दी गई। 2007 में सीबीआई ने राम रहीम को हत्या की साजिश रचने का आरोपी माना था। पिछले सप्ताह इस मामले में कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर ली है, यह हत्याकांड करीब 17 साल पुराना है।

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