नई दिल्ली, सामान्य वर्ग के गरीब लोगों को दस फीसदी आरक्षण देने का संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा के बाद राज्यसभा ने भी मंजूरी प्रदान कर दी है। इससे पहले लोकसभा ने मंगलवार को एकदिवसीय बहस के बाद विधेयक को हरी झंडी दिखा दी थी।
राज्यसभा में देर रात तक चली बहस के बाद मत विभाजन किया गया, जिसमें उपस्थित सदस्यों में से 165 ने विधेयक के पक्ष में और 7 ने विधेयक के विरोध में मतदान किया। अब इस विधेयक को राष्ट्रपति के समक्ष मंजूरी के लिए भेजा जाएगा, तत्पश्चात यह कानून की शक्ल ले सकेगा।
क्योंकि यह विधेयक पूरी प्रक्रिया के बाद दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया है इसलिए इस बात की संभावना बहुत कम है कि इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। वैसे भी इस विधेयक के समर्थन में पक्ष-विपक्ष के तकरीबन सभी राजनीतिक दल थे, इसलिए भविष्य में इसे लेकर कोई शंका उभरने की संभावना नहीं है। विधेयक को भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव से पूर्व मास्टर स्ट्रोक मान रही है। पार्टी का विश्वास है कि जो सवर्ण तबका एट्रोसिटी एक्ट पर संसद द्वारा सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटने के बाद उससे रूठ गया था वह अब फिर से भाजपा के पक्ष में आ जाएगा। उधर विपक्ष के समक्ष भी इस विधेयक को समर्थन करने की मजबूरी थी, क्योंकि सवर्ण वोट बैंक से कोई भी चुनाव से पहले दुश्मनी मोल नहीं लेना चाहता। हालांकि विपक्ष ने सरकार द्वारा लाए गए इस विधेयक की टाइमिंग पर भरपूर सवाल उठाए।
कांग्रेस के कपिल सिब्बल ने कहा कि इस विधेयक को लागू करने में कई बाधाएं हैं, इसे प्रस्तुत करने से पहले जिन चीजों के बारे में विचार किया जाना चाहिए था वह विचार नहीं किया। उन्होंने कहा कि हार्दिक पटेल भी इसी तरह के आरक्षण की मांग कर रहा था लेकिन सरकार ने उसे देशद्रोह के आरोप में जेल भेज दिया। सिब्बल ने यह भी कहा कि इस विधेयक के आने से पहले ना कोई आंकड़े जुटाए गए ना ही कोई रोडमैप प्रस्तुत किया गया। उन्होंने सवाल उठाया कि जब देश में नौकरियां ही नहीं हैं, तो इस विधेयक का क्या औचित्य है।
केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने विधायक के समर्थन में कहा कि पहले 50% तक की आरक्षण सीमा थी, लेकिन संवैधानिक संशोधन के बाद यह सीमा खत्म हो जाएगी। वही शिरोमणि अकाली दल के नरेश गुजराल ने कहा कि आरक्षण से हमारा युवा संतुष्ट नहीं होगा हमें और ज्यादा नौकरियां पैदा करने की आवश्यकता है। बहुजन समाज पार्टी के सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष कई बार कह चुकी हैं कि गरीबों को आरक्षण मिलना चाहिए, इसलिए हम इस बिल का समर्थन कर रहे हैं। हालांकि उन्होंने यह सवाल उठाया कि आरक्षण देने के बाद नौकरियां कहां से आएंगी।
एनसीपी के प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि यह बिल जल्दबाजी में लाया गया है, इसके परिणाम तो बाद में ही पता चलेंगे। कांग्रेस, द्रमुक और वामदलों सहित कुछ दलों ने इस विधेयक को सिलेक्ट कमेटी के पास भेजने की बात भी कही। लेकिन सरकार ने इस मांग को ठुकरा दिया। सरकार का पक्ष रखते हुए केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह विधेयक अच्छे मन से, सच्चे मन से सामान्य तबके के गरीबों के लिए प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि यह सदन ऐतिहासिक और क्रांतिकारी निर्णय लेने जा रहा है। केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने कहा कि मायावती भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बन चुकी हैं इसलिए भाजपा को दलित विरोधी कहना उचित नहीं होगा।