राम सबके भगवान हैं, जिस दिन समाधान हो जाएगा मैं खुद वहां ईंट लगाने जाऊंगा : फारुक अब्दुल्ला

नई दिल्ली,जम्मू कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारुक अब्दुल्ला ने राम मंदिर मामले पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नई तारीख मिलने पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि इस मसले को बातचीत से सुलझा लेना चाहिए था, कोर्ट तक जाना ही नहीं चाहिए था। फारुक अब्दुल्ला बोले कि भगवान राम सभी के हैं, कानून बनाकर राम मंदिर बनाना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि राम सबके भगवान हैं, जिस दिन समाधान हो जाएगा मैं खुद वहां ईंट लगाने जाऊंगा। फारुक अब्दुल्ला के अलावा भी कई नेताओं ने प्रतिक्रियाएं दी हैं। अब्दुल्ला बोले कि भगवान राम से किसी को बैर नहीं होना चाहिए।
गौरतलब है कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर नई बेंच का गठन करने को कहा है मामले की अगली सुनवाई अब 10 जनवरी को होगी। शिवसेना सांसद संजय राउत का कहना है कि इस मामले पर सुनवाई अहम है लेकिन सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से मंदिर नहीं बनेगा। उन्होंने कहा कि तारीख पर तारीख आएगी, सुनवाई भी होगी। लेकिन हमारी मांग अभी भी वही है कि अध्यादेश निकाल ही राम मंदिर बनाया जाए। संजय राउत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में तो पिछले 25 साल से मामला पड़ा है, फिर हमने खून क्यों बहाया। बाबरी के बाद मुंबई ब्लास्ट हुआ जिसमें कई लोग मारे गए। उन्होंने कहा कि न्यायालय में कई मुद्दे आते-जाते हैं।
शिवसेना सांसद ने सबरीमाला मुद्दे का भी उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि उसपर जो फैसला आया अमित शाह मानने को तैयार नहीं हैं। इसलिए हम भी चाहते हैं कि राम मंदिर पर अध्यादेश लाया जाए। शिवसेना के अलावा कांग्रेस ने भी राम मंदिर के मसले पर प्रतिक्रिया दी। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि राम मंदिर का मसला सुप्रीम कोर्ट में है, जो भी सुप्रीम कोर्ट फैसला करेगा हमें वो मंजूर होगा।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नई तारीख दिए जाने के बाद बाबरी केस के पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा कि राम मंदिर पर केंद्र सरकार को अध्यादेश नहीं लाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिल्कुल सही कहा है कि मामला सुप्रीम कोर्ट में है और हमें फैसले का इंतजार करना चाहिए। विश्व हिंदू परिषद के प्रमुख आलोक कुमार का कहना है कि मुझे डर है राम मंदिर मामले की प्रक्रिया को टाला जा रहा है। मुझे उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट जल्द ही इस मामले के लिए नई बेंच का गठन करें और जल्द ही सुनवाई शुरू हो। नई बेंच का गठन 29 अक्टूबर को ही हो जाना चाहिए था।

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