भोपाल, प्रदेश में कांग्रेस सरकार के गठन के साथ ही किसानों को कर्जमाफी का लाभ भी मिलना शुरु हो जाएगा। सबसे बड़ी कर्जमाफी खरगोन जिले के किसानों को मिल सकती है। यहां सहकारी बैंक का ढाई हजार करोड़ रुपए से ज्यादा कर्ज बंटा है। इसमें मौजूदा और कालातीत कर्ज शामिल है। प्रदेश में कर्ज माफी का सबसे ज्यादा फायदा इंदौर संभाग के किसानों को मिलेगा। यहां के पांच जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों ने छह लाख से ज्यादा किसानों को सवा छह हजार करोड़ रुपए से अधिक का अल्पावधि कर्ज दिया है। कुल मिलाकर देखा जाए तो 31 अक्टूबर की स्थिति में सहकारी बैंकों के किसानों पर 18 हजार करोड़ रुपए (कालातीत और नियमित) से ज्यादा का कर्ज है। सूत्रों के मुताबिक, प्रदेश में किसानों को खेती के लिए अल्पावधि कर्ज सवा चार हजार से ज्यादा प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के माध्यम से जिला सहकारी बैंक देते हैं। करीब 34 लाख किसानों को 38 जिला बैंकों के माध्यम से सवा अठ्ठारह हजार करोड़ का कर्ज बांटा है। संभाग के हिसाब से देखा जाए तो जबलपुर में दो हजार 333 करोड़, ग्वालियर में एक हजार 650 करोड़, इंदौर में छह हजार 300 करोड़, भोपाल में चार हजार 497 करोड़, रीवा में 830 करोड़, सागर में एक हजार 247 करोड़ और उज्जैन संभाग के सहकारी बैंकों ने पांच हजार 123 करोड़ रुपए से ज्यादा रिकवरी की मांग निकली है। इसमें तीन हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की वसूली हो चुकी है।
कृषि, वित्त और सहकारिता विभाग के अधिकारियों का कहना है कि राष्ट्रीयकृत बैंक, ग्रामीण विकास बैंक और निजी बैंकों के दो लाख रुपए तक के कर्ज (कालातीत और नियमित) को देखें तो कर्ज का आंकड़ा करीब 30 हजार करोड़ रुपए हो सकता है। कर्ज के लिए कट ऑफ डेट क्या रखी जाती है, इस पर कुल राशि निर्भर करेगी। साथ ही यह भी देखना होगा कि चालू कर्ज की माफी होती है या फिर यूपीए सरकार के समय कर्ज माफी और राहत योजना में प्रोत्साहन देने का जो प्रावधान था, वैसा ही प्रदेश में किया जाता है। कर्नाटक सरकार ने 25 हजार रुपए बतौर प्रोत्साहन किसानों को देने का निर्णय किया है। सूत्रों का कहना है कि मनोनीत मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृह जिले छिंदवाड़ा में सहकारी बैंक की किसानों से डिमांड 602 करोड़ रुपए ही है। इसमें भी 99 करोड़ रुपए से ज्यादा जमा हो चुके हैं। कर्ज माफी की मांग के बीच मुख्यमंत्री ऋण समाधान योजना लागू की। इसके दायरे में उन 17 लाख किसानों को रखा गया, जिन्होंने सहकारी बैंकों से लगभग आठ हजार करोड़ रुपए का कर्ज लेने के बाद नहीं चुकाया। इन किसानों को बैंकों ने डिफाल्टर घोषित कर दिया पर शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर कर्ज देना भी बंद कर दिया। इन किसानों को मुख्यधारा में लाने के लिए सरकार ने ऋण समाधान योजना लागू की। इसमें शर्त रखी गई थी कि जो किसान मूलधन दो किस्तों में चुकाएगा उसे ब्याज माफी दी जाएगी। कर्ज माफी करने की सूरत में सरकार को बैंकों को राशि देनी होगी। इस रकम को जुटाने के लिए कृषि कार्यों के लिए कर्ज देने वाली संस्थाओं से संपर्क साधा जाएगा। राष्ट्रीय सहकारी वित्त विकास निगम और राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) जैसी संस्थाओं से सरकार की गारंटी पर ऋण लिया जा सकता है। पांच लाख से ज्यादा किसानों ने 1,600 करोड़ रुपए बैंकों में जमा कर दिए और 900 करोड़ रुपए ब्याज माफी पाई। हालांकि, यह राशि सरकार की उम्मीद से कम रही। कर्ज माफी का असर सरकार के खजाने पर पड़ना तय है। अभी प्रदेश पर पौने दो लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज है।