राफेल की नोकझोंक भोजनावकाश के बाद दोनों सदन स्थगित

नई दिल्ली, राफेल विमान डील को लेकर शुक्रवार को संसद के शीतकालीन सत्र में सत्तापक्ष एवं कांग्रेस के सदस्यों के बीच जोरदार बहस के चलते भारी हंगामे का नजारा रहा। जिसके कारण राज्यसभा की कार्यवाही भी बाधित हुई और बैठक को एक बार के स्थगन के बाद महज एक घंटे के भीतर ही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया। वहीं लोकसभा में भी भोजनावकाश के बाद होने वाला गैर सरकारी कामकाज भी हंगामे की भेंट चढ़ गया।
राज्यसभा में हंगामे के बीच वित्त मंत्री अरूण जेटली ने राफेल मुद्दे पर सदन में तुरंत चर्चा कराये जाने की मांग की जबकि विपक्षी कांग्रेस सदस्य इसकी जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने की मांग कर रहे थे। सदन के नेता जेटली ने कहा कि विपक्षी पार्टी राफेल सौदे पर चर्चा की मांग कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रश्नकाल स्थगित कर इस मुद्दे पर तत्काल चर्चा शुरू की जाए। उन्होंने कांग्रेस से कहा कि वह तुरंत इस मुद्दे पर चर्चा शुरू करे।
उच्च सदन में राफेल के अलावा कावेरी नदी पर बांध सहित अन्य मुद्दों पर भी अलग अलग दलों ने हंगामा किया। सुबह उच्च सदन की बैठक शुरू होते ही सदन में हंगामा शुरू हो गया और सपा सदस्यों ने बुलंदशहर से जुड़ा मुद्दा उठाने का प्रयास किया। इसी दौरान अन्नाद्रमुक के सदस्य कावेरी नदी पर बांध का मुद्दा उठाते हुए आसन के समक्ष आ गए। माकपा सहित कई अन्य दलों के सदस्य भी अपने स्थानों से आकर अलग अलग मुद्दे उठा रहे थे। उपसभापति हरिवंश ने हंगामा कर रहे सदस्यों से अपने स्थानों पर जाने की बार-बार अपील की और हंगामा थमते नहीं देख उन्होंने करीब 11:10 बजे बैठक 11:30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
एक बार के स्थगन के बाद बैठक शुरू होने पर भी सदन में हंगामा जारी रहा और उपसभापति ने शून्यकाल चलाने का प्रयास किया। शोर-शराबे के बीच ही जदयू के रामनाथ ठाकुर, राकांपा की वंदना चव्हाण, तृणमूल कांग्रेस के नदीमुल हक आदि ने अपने अपने मुद्दे उठाए। हालांकि हंगामे के कारण उनकी बात ठीक से सुनी नहीं जा सकी। उपसभापति ने एक बार फिर सदस्यों से शांत होने की अपील की और कहा कि सदन में नारेबाजी और हंगामे से देश में अच्छा संदेश नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि सदस्यों को अपने स्थानों पर लौटकर सदन को सुचारू रूप से चलने देना चाहिए। लेकिन उनकी अपील का कोई असर नहीं हुआ और उन्होंने करीब 11:40 बजे बैठक पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी।
संसद के मंगलवार से शुरू हुए शीतकालीन सत्र के पहले दिन दोनों सदनों की बैठक पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और दिवंगत केन्द्रीय मंत्री अनंतकुमार के सम्मान में पूरे दिन के लिए स्थगत कर दी गयी थी। दोनों सदनों में विभिन्न मुद्दों पर हंगामे के चलते अब तक प्रश्नकाल और शून्यकाल सुचारू रूप से नहीं चल पाया है।
-हंगामे के बीच ही लोकसभा में दो विधेयक पेश :
लोकसभा में विभिन्न मुद्दों पर हंगामे के बीच ही सरकार ने शुक्रवार को दो विधेयक पेश किये जिनमें एमसीआई विधेयक का संशोधन करने वाला विधेयक और केंद्रीय विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक हैं। एक बार के स्थगन के बाद दोपहर 12 बजे सदन की बैठक पुन: शुरू होने पर लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने आवश्यक कागजात सदन के पटल पर रखवाए। इस दौरान भाजपा सदस्य राफेल सौदे में अदालत के फैसले के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे, वहीं तेलुगूदेसम पार्टी के सदस्य आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जे की मांग को लेकर तथा अन्नाद्रमुक के सदस्य कावेरी पर बांध के निर्माण का विरोध करते हुए आसन के समीप खड़े होकर नारेबाजी कर रहे थे।
हंगामे के बीच ही स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने ‘भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (संशोधन) विधेयक, 2018’ पेश किया। विधेयक में 1956 के एमसीआई कानून में संशोधन का प्रावधान है। मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ‘केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2018’ पेश किया जिसमें केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 का और संशोधन करने का प्रस्ताव है।

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