CBI vs CBI 3 माह पुरानी लड़ाई में रातों रात फैसला क्यों लिया – SC

नई दिल्ली, सीबीआई में अफसरों के विवाद मामले पर सुनवाई करते हुए गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार से कड़ाई से पूछा कि सीबीआई बनाम सीबीआई विवाद दो आला अफसरों के बीच की ऐसी लड़ाई नहीं थी जो रातों रात सामने आई। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि यह ऐसा मामला नहीं था कि सरकार को सिलेक्शन कमिटी से बातचीत किए बिना सीबीआई निदेशक की शक्तियों को तुरंत खत्म करने का फैसला लेना पड़ा। बता दें कि सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा से अधिकार वापस लेने और उन्हें छुट्टी पर भेजने के सरकार के फैसले के खिलाफ उनकी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई की।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की नेतृत्व वाली बेंच ने कहा कि केंद्र ने खुद माना है कि ऐसी स्थितियां पिछले 3 महीन से पैदा हो रही थीं। सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि अगर केंद्र सरकार ने सीबीआई डायरेक्टर की शक्तियों पर रोक लगाने से पहले चयन समिति की मंजूरी ले ली होती तो कानून का बेहतर पालन होता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार की कार्रवाई की भावना संस्थान के हित में होनी चाहिए गुरुवार को सीबीआई विवाद की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के तेवर सख्त नजर आए। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि सरकार ने 23 अक्टूबर को सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा की शक्तियां वापस लेने का फैसला रातों रात क्यों लिया? चीफ जस्टिस ने पूछा, जब वर्मा कुछ महीनों में रिटायर होने वाले थे तो कुछ और महीनों का इंतजार और चयन समिति से परामर्श क्यों नहीं हुआ? इस पर सरकार की ओर से वकील तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) इस निष्कर्ष पर पहुंचा था कि असाधारण स्थितियां पैदा हुईं। उन्होंने कहा कि असाधारण परिस्थितियों को कभी-कभी असाधारण उपचार की आवश्यकता होती है। सॉलिसिटर जनरल ने कहा, सीवीसी का आदेश निष्पक्ष था, दो वरिष्ठ अधिकारी लड़ रहे थे और अहम केसों को छोड़ एक दूसरे के खिलाफ मामलों की जांच कर रहे थे।
बता दें कि कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि उसने सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के बीच इस कारण दखल दिया कि वे बिल्लियों की तरह लड़ रहे थे। केंद्र ने प्रमुख जांच एजेंसी की विश्वसनीयता और अखंडता को बहाल करने के लिए हस्तक्षेप किया। सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता के के वेणुगोपाल ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस के एम जोसेफ की बेंच से कहा, सरकार आश्चर्य चकित थी कि दो शीर्ष अधिकारी क्या कर रहे हैं। वे बिल्लियों की तरह लड़ रहे थे। सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा से शक्तियां छीनने के फैसले का बचाव करते हुए वेणुगोपाल ने कहा था कि सरकार ने अपने अधिकार क्षेत्र में काम किया है। बता दें कि सीनियर ऐडवोकेट फली एस. नरीमन, कपिल सिब्बल, दुष्यंत दवे और राजीव धवन ने 29 नवंबर को पिछली सुनवाई में वर्मा की शक्तियां छीनने के सरकार की कार्रवाई की कानूनी वैधता पर सवाल उठाया था। अदालत ने तब कहा था कि वह सुनवाई इस पर सीमित करेगी कि क्या सरकार के पास बिना चयन समिति की सहमति के सीबीआई प्रमुख के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार है या नहीं। इस चयन समिति में प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष और मुख्य न्यायाधीश शामिल होते हैं। नरीमन वर्मा की तरफ से उपस्थित हुए थे।

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