आइये जानते हैं सिंदूर को किस लिए माना जाता हे शुभ

नई दिल्ली,हिंदू धर्म के अनुसार सिंदूर किसी भी विवाहित स्त्री के 16 सिंगारों में से एक है। सिंदूर का नारी जीवन में बहुत महत्व है। हिन्दू धर्म में विवाहित स्त्रियों का मांग में सिंदूर लगाना शुभ माना जाता है। सिंदूर सुहाग का प्रतीक माना जाता है। इसलिए यह सुहागन के लिए अमूल्य और परम आवश्यक है। इसे सुहागन स्त्रियां पति की लंबी उम्र के लिए लगाती हैं।
शास्त्रों के अनुसार मेष राशि का स्थान माथे पर होता है। मेष राशि का स्वामी गृह मंगल है तथा मंगल गृह का रंग लाल होता है इसलिए इसे शुभ माना जाता है। सिंदूर को सौभाग्य का संकेत भी माना जाता है। हिन्दू धर्म में विवाहित स्त्रियों का सिंदूर लगाना बहुत महत्व रखता है। मांग भरने के आलावा सिंदूर का इस्तेमाल लोग दिवाली पर अपने घर के मुख्य द्वार पर भी करते हैं। वास्तु विज्ञान के अनुसार अपने घर के मुख्य द्वार पर सिंदूर और तेल लगाने से नाकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश नही होता।भारतीय संस्कृति के हर रीति रिवाज में कोई न कोई वैज्ञानिक कारण छुपा हुआ होता है। इसी तरह सिंदूर लगाने के पीछे भी कुछ वैज्ञानिक कारण छुपे हुए हैं। इन्ही वैज्ञानिक कारणों के कारण विदेशी भी हमारी संस्कृति के अनुसार सिंदूर लगाना पसन्द करते हैं। सिंदूर नारी की सुंदरता बढ़ाने के साथ साथ उसके स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है आज के दौर में विवाहित स्त्रियां केमिकल वाला सिंदूर लगाना पसन्द करती हैं जो कि धार्मिक दृष्टिकोण से हानिकारक है।
सिर के उस स्थान पर जहां सिंदूर लगाया जाता है, वहां मस्तिष्क की एक महत्वपूर्ण ग्रंथि होती है जो कि बहुत संवेदनशील भी होती है। इसे ब्रह्मरंध्र कहते हैं। यह ग्रंथि महिला के मस्तिष्क के अग्र भाग से शुरू होती हैं तथा मस्तिष्क के बीच में ख़त्म होती हैं। सिंदूर ब्रह्मरंध्र के लिए औषधि का काम करता है। सिंदूर में पारा पाया जाता है। पारा एक तरल पदार्थ है। इसे लगाने से दिमाग को शीतलता मिलती है तथा दिमाग तनावमुक्त रहता है। सिंदूर को विवाह के बाद लगाने का कारण यह है कि विवाह के बाद स्त्री की जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं जिससे उसे तनाव रहने लगता है। ऐसे में सिंदूर दिमाग को तनावमुक्त तथा शांत करता है।

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