कीमोथेरेपी से कई मामलों में कैंसर को बढ़ते हुए भी देखा गया है

नई दिल्ली,कैंसर से निपटने में कीमोथेरेपी (रेडिएशन) सबसे कारगर उपाय माना जाता है पर अब विशेषज्ञों का कहना है कि कई बार इससे कैंसर और बढ़ जाता है। हाल में हुए एक शोध में विशेषज्ञों ने दावा किया है कि ट्यूमर को खत्म करने के लिए किए जा रहे उपचार के दौरान कैंसर के शरीर के अन्य अंगों में फैलने का खतरा भी बढ़ जाता है।
तात्कालिक उपचार है कीमोथेरेपी
विशेषज्ञों ने देखा कि कीमोथेरेपी कैंसर का अल्प अवधि उपचार है। यह कैंसर की आक्रामक रूप से वापसी का कारण भी बन सकता है। कीमोथेरेपी को कैंसर के मरीजों के इलाज का विकल्प माना जाता है। यह बीमारी पर हमला कर उसे खत्म भी कर सकता है हालांकि शोधकर्ताओं का कहना है कि यह लंबी अवधि की राहत नहीं दे सकता है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि कीमोथेरेपी से ट्यूमर को खत्म करने की कोशिश के साथ-साथ यह नए ट्यूमर के विकसित होने का खतरा बढ़ता है। इसके कारण कैंसर गंभीर रूप अख्तियार कर सकता है और इसका इलाज करना पहले से अधिक कठिन हो सकता है। ऑपरेशन के पहले की जाने वाली कीमोथेरेपी के बाद ट्यूमर के ऊतकों की पड़ताल की जा सकती है। इससे यह देखा जा सकता है कि अगर ट्यूमर के मार्कर बढ़ रहे हैं तो कीमोथेरेपी को रोककर, पहले ऑपरेशन किया जा सकता है।
गोलियों या इंट्रा वेनस ड्रिप के जरिये दी गई कीमोथेरेपी की दवा रक्तप्रवाह के साथ पूरे शरीर में प्रवाहित हो सकती है। इस तरह दवा के ट्यूमर से निकलकर दूसरे अंगों पर हमले की फिराक में बैठी कैंसर कोशिकाओं तक पहुंचने की आशंकाएं अधिक बढ़ जाती हैं। स्तन कैंसर के ज्यादातर मामलों में यही देखने को मिलता है।
पहले भी हुआ शोध
इससे पहले 2012 में हुए शोध में विशेषज्ञों ने दावा किया था कि कीमोथेरेपी ने स्वस्थ कोशिकाओं को ट्यूमर के विकास में मदद करने के लिए सक्रिय किया। सैद्धांतिक रूप से कीमोथेरेपी कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने का सटीक तरीका है
हालांकि उन्होंने कहा कि ट्यूमर को खत्म करने के लिए जरूरी मात्रा मरीजों के लिए नुकसानदेह हो सकती है। लिहाजा डॉक्टरों को इसकी खुराक हल्की करनी होती है जिसके कारण कैंसर को आगे बढ़ने से रोका जा सके। ऐसे में ट्यूमर कोशिकाओं के जीवित बचने की आशंका बढ़ जाती है। यह कीमोथेरेपी के प्रति प्रतिरोधी होने के साथ ही अन्य अंगों में फैल सकती है।
दूसरी श्रेणी का कैंसर
दूसरी श्रेणी के कैंसर को मेटास्टेटिक कैंसर कहते हैं। यह कैंसर का चौथा और अंतिम चरण होता है, जो आक्रामक तो होता ही है इसका इलाज करना भी संभव नहीं होता है।

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