नई दिल्ली, देश के 60 से अधिक पूर्व नौकरशाहों ने भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक को पत्र लिख कर नोटबंदी और राफेल लड़ाकू सौदे के ऑडिट में हो रही हिला-हवाली का मुद्दा उठाया है। नौकरशाहों की तरफ से यह पत्र राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भी भेजा गया है। पत्र में कहा गया हैं कि नोटबंदी नवंबर, 2016 और राफेल सौदा अप्रैल, 2015 की ऑडिट रिपोर्ट आने में अस्वाभाविक और अकारण देरी चिंता की बात है और रिपोर्ट संसद के शीतकालीन सत्र में पटल पर रखी जानी चाहिए।`
पत्र पर पूर्व आईपीएस अधिकारी जे. एफ. रिबेरो, पूर्व आईएएस अधिकारी जौहर सिकदर, अरुणा रॉय और हंर्ष मंदर तथा पूर्व भारतीय विदेश सेवा अधिकारी आफताब सेठ के भी दस्तखत शामिल हैं। पत्र में कहा गया है, 2जी घोटाला, कोयला घोटाला, आदर्श घोटाला, राष्ट्रमंडल खेल घोटाला समेत अन्य मामलों में कैग की रिपोर्ट ने तत्कालीन सरकार के प्रति लोगों की धारणा को प्रभावित किया था और अभी भी चारों तरफ इसकी सराहना होती है। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि नोटबंदी और राफेल सौदे की ऑडिट रिपोर्ट में कैग जानबूझकर देरी कर रहा है, ताकि अगले साल मई में होने वाले चुनाव से पहले सरकार को मुश्किल न हो । इससे कैग की विश्वसनीयता को गंभीर नुकसान हो रहा है। नौकरशाहों ने कहा कैग पर चुनचुन कर मामलों की ऑडिट करने के इल्जाम लगे हैं। लेकिन इसके सरकार के दवाब में काम करने का इल्जाम आज तक नहीं लगा है। इसलिए बिना किसी देरी के रिपोर्ट को दिसंबर में संसद के शीत सत्र में सदन के पटल पर रखनी चाहिए। उन्होंने कहा है कि लोगों को यह अधिकार है कि वे कैग से समय पर ऑडिट रिपोर्ट जारी करने को कहें, ताकि वह मतदान के दौरान वे सही निर्णय ले सकें।