UP के कई शहरों में प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए होगी कृत्रिम बारिश, अमेरिका से खरीदे जायेंगे उपकरण

कानपुर,उत्तरप्रदेश के शहरों में लगातार बढ़ रहे वायु प्रदूषण को कृत्रिम तरीके से नियंत्रित करने में समय लग सकता है। विमान की मदद से बादलों में केमिकल के छिड़काव के लिए अमेरिका से उपकरण (फ्लेर रैक्स) खरीदी जानी है। आईआईटी कानपुर के डिप्टी डायरेक्टर मणींद्र अग्रवाल के मुताबिक जल्द ही अटैचमेंट रैक्स खरीदने का ऑर्डर दिया जा सकता है। उम्मीद है कि इस सीजन में लखनऊ सहित कई शहरों में कृत्रिम बारिश करवाई जाएगी।
पिछली सर्दियों में लखनऊ, कानपुर सहित उत्तरप्रदेश के कई शहरों में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया था। इसके बाद सरकार ने आईआईटी कानपुर के साथ मिलकर कृत्रिम बारिश करवाने की योजना तैयार की थी। हालांकि इसमें कई मुश्किलें आईं। एयरक्राफ्ट से बादलों में सिल्वर, आयोडीन, पोटैशियम आयोडाइड और सूखी बर्फ का छिड़काव करने के लिए अटैचमेंट (फ्लेर रैक्स) मौजूद नहीं था। आईआईटी के पास मौजूद सेसना एयरक्राफ्ट की मदद से बारिश के लिए पिछले साल तमाम विभागों की अनुमति तो मिल गई थी लेकिन सबसे महत्वपूर्ण नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने बिना अटैचमेंट क्लियरेंस नहीं दी। इसके बाद अटैचमेंट पर मंथन शुरू हुआ।
प्रोफसर अग्रवाल के मुताबिक, प्रदेश सरकार ने प्रमुख सचिव अवनीश अवस्थी की अध्यक्षता में एक समिति बनाई है। यह कई विकल्पों पर गहराई से विचार कर रही है। इसमें दो प्रमुख विकल्प फ्लेर रैक्स से युक्त एयरक्राफ्ट खरीदना या अलग से रैक्स खरीदना है। दूसरे विकल्प को ज्यादा तवज्जो दी जा रही है। उम्मीद है कि जल्द ही एक अमेरिकी कंपनी को रैक्स खरीदने का ऑर्डर दे दिया जाएगा। रैक्स आने और इस सेसना एयरक्राफ्ट से जोड़ने की प्रक्रिया में 1-2 महीने का वक्त लग सकता है। पूरी उम्मीद है कि इस सीजन में जरूरत वाले क्षेत्रों में कृत्रिम बारिश करवाई जाएगी। एक और विकल्प है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) के बी-200 एयरक्राफ्ट का प्रयोग किया जाए। यह काफी बड़ा है और इसमें सारी सुविधाएं मौजूद हैं। दिल्ली में कृत्रिम बारिश के लिए इस एयरक्राफ्ट का ही इस्तेमाल किए जाने की संभावना है।

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