लंदन,अधिक ग्लूटेन युक्त आहार लेने से गर्भवती महिलाओं द्वारा होने वाले बच्चे में टाइप 1 डायबीटीज का खतरा बढ़ जाता है।सिलिएक डिजीज से प्रभावित लोगों में जो कि टाइप1 डायबीटीज जैसी एक ऑटोइम्यून बीमारी है, में व्यक्ति को ग्लूटेन वाला आहार हजम नहीं होता। ग्लूटेन एक प्रकार का प्रोटीन है जो गेहूं, बार्ली और राई जैसे अनाज से बने भोजन में मिलता है। डेनमार्क और फिनलैंड में हुए एक नए अध्ययन में पाया गया है कि गर्भावस्था में जो महिलाएं अधिक ग्लूटेन का इस्तेमाल करती हैं उनके बच्चों में टाइप 1 डायबीटीज होने का खतरा अधिक रहता है। इसका मतलब यह है कि जो माएं पास्ता, ब्रेड, पेस्ट्रीज और सीरियल अधिक खाती हैं उनके बच्चों में ऐसी स्थिति विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है। ग्लूटेन से होने वाली समस्या की हिस्सेदारी तब भी दिखाई देती है जब अन्य सम्भावित कारकों जैसे माँ की उम्र, वजन (बीएमआई), टोटल एनर्जी इनटेक और गर्भावस्था में धूम्रपान आदि को ध्यान में रखते हैं तब भी खतरा काफी अधिक रहता है। जो महिलाएं कम ग्लूटेन का इस्तेमाल करती हैं यानी 7 ग्राम/प्रति दिन से कम उनकी तुलना में वे महिलाएं जो 20 ग्राम/प्रतिदिन से अधिक ग्लूटेन इस्तेमाल करती हैं उनमें फॉलोअप के दौरान टाइप 1 डायबीटीज होने का खतरा बढ़ जाता है।